प्रकरण क्र.सी.सी./14/148
प्रस्तुती दिनाँक 15.05.2014
1. श्रीमती उर्मिला बाई आयु 35 वर्ष, बेवा स्व कीर्तन कुमार दोहरे,
2. कु. तिलेश्वरी आयु 16 वर्ष,
3. कु. मुकेश्वरी आयु 14 वर्ष,
4. राहुल उर्फ रामफल आयु 12 वर्ष,
6. कु. दीपिका आयु-6 वर्ष, क्र. 2 से 6 आ. कीर्तन कुमार दोहरे, क्र.2 से 6 नाबालिक वली माँ उर्मिला बाई, बेवा कीर्तन कुमार दोहरे,
सभी निवासी-ग्राम ओडिया, तह. थान खम्हरिया, जिला-बेमेतरा (छ.ग.) - - - - परिवादीगण
विरूद्ध
1. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मार्यादित दुर्ग, द्वारा-शाखा प्रबंधक, शाखा-दाढ़ी, जिला-बेमेतरा (छ.ग.)
2. इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमि., द्वारा-प्रबंधक, सी.एस.सी.-ई.5/18द्वितीय मंजिल, अरेरा कालोनी, शापिंग काम्पलेक्स, बी.एस.एन.एल. आफिस के पास, बिट्टन मार्केट, भोपाल (म.प्र.)
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 13 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादीगण द्वारा अनावेदकगण से बीमा दावा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 50,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष 50,000रू दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण मंे निर्विवादित तथ्य है कि अनावेदक क्र.2 द्वारा अनावेदक क्र.1 के नाम पर अभिकथित जी.पी.ए. बीमा पालिसी जारी की गयी थी।
परिवाद-
(3) परिवादीगण का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी क्र.1 के पति तथा परिवादीगण क्र.2 से 6 के पिता स्व.कीर्तन कुमार दोहरे, का अनावेदक क्र.1 की शाखा के माध्यम से अनावेदक क्र.2 बीमा कंपनी के माध्यम से जी.पी.ए. बीमा पालिसी जारी किया गया था। बीमाधारी की दिनंाक 13.07.13 को अचानक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जिसके पश्चात परिवादिनी क्र.1 के द्वारा अनावेदकगण को फोन के माध्यम से सूचना प्रदान की गई तथा दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, किंतु अनावेदकगण के द्वारा परिवादीगण के दावा आवेदन को विलंब का आधार बनाकर विधिविरूद्ध ढंग से दि.13.11.2013 को निरस्त कर दिया गया। अनावेदकगण का उपरोक्त कृत्य परिवादी के प्रति सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। अतः परिवादीगण को अनावेदकगण से बीमा दावा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 50,000रू., साथ ही वाद व्यय 50,000रू. व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक क्र.1 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि मृतक बीमाधारी कीर्तन कुमार के पास वाहन चालन का लाईसेंस नही होने के कारण दिनांक 13.11.2013 को परिवादीगण का दावा अनावेदक क्र.2 द्वारा अस्वीकृत किया गया। परिवादीगण के द्वारा अपने आवेदन में यह स्वीकार किया गया है कि अनावेदक क्र.2 के द्वारा परिवादीगण का दावा निरस्त किया गया है, ऐसी स्थिती में अनावेदक क्र.1, परिवादीगण को किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति प्रदान करने हेतु उत्तरदायी नहीं होने से, प्रस्तुत परिवाद सव्यय निरस्त किया जावे।
(5) अनावेदक क्र.2 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि अनावेदक क्र2 ने अनावेदक क्र.1 के के.सी.सी. धारकों के संबंध में जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पालिसी जारी की गई थी। परिवादिनी क्र.1 के द्वारा फोन के माध्यम से मृत्यु संबंधी कोई सूचना इस अनावेदक को प्रदान नही की गई। परिवादीगण के द्वारा बीमा राशि प्राप्त करने की मंशा से झूठा एवं बनावटी कथन किया गया है। बीमा पालिसी के अंतर्गत घटना की तत्काल सूचना न देकर 2 माह के विलंब से दी गई थी, जो कि बीमा पालिसी की शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है। मृतक घटना के समय बिना वैध एवं प्रभावी चालन अनुज्ञप्ति के मोटर सायकल चला रहा था, जो कि मोटर यान अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है बीमाधारी को वाहन चलाना नहंी आता था, उसके द्वारा स्वयं घटना को आमंत्रण दिया गया। इस प्रकार बीमा नियमों के उल्लंघन करने की दशा में किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति राशि परिवादीगण को देय न होने से अनावेदक क्र.2 द्वारा उसे प्रदान न कर किसी प्रकार से सेवा में कमी नही की गई है, फलस्वरूप परिवादीगण के द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद सव्यय निरस्त किया जावे।
(6) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादीगण, अनावेदकगण से बीमा दावा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ,
केवल अनावेदक क्र.2 से अमानक स्तर पर बीमा राशि का 75ः
2. क्या परिवादी, अनावेदकगण से मानसिक परेशानी के एवज में 50,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(7) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(8) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि घटना के समय मृतक के पास वाहन चलाने का लायसेंस ही नहीं था और घटना की सूचना बीमा कंपनी को दो माह के विलंब से दी गई थी, फिर भी परिवादी और बीमित व्यक्ति ग्रामीण परिवेश के हैं और परिवादी का उच्च शिक्षित होना भी सिद्ध नहीं है तथा बीमित व्यक्ति का किसान क्रेडिट कार्ड के तहत बीमा था, इन परिस्थितियों में यदि परिवादी का तर्क है कि बीमित व्यक्ति के मृत्यु के दूसरे दिन ही टेलीफोन के माध्यम से बीमा कंपनी में मौखिक सूचना दी गई थी, तो निश्चित रूप से अभिकथित देरी को परिवादी के ग्रामीण परिवेश की महिला होने के कारण क्षम्य किया जाना उचित है, अतः प्रकरण की परिस्थिति को देखते हुए हम परिवादीगण को अमानक स्तर पर अभिकथित बीमा दावा राशि 5,00,000रू. का 75 प्रतिशत राशि 3,75,000रू. अनावेदक क्र.2 से दिलाया जाना उचित समझते हैं तथा प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थिति को देखते हुए हम अनावेदक क्र.1 के विरूद्ध परिवाद खारिज करते हैं।
(9) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक क्र.2, परिवादीगण को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करेंगे:-
(अ) अनावेदक क्र.2, परिवादीगण को बीमा राशि 5,00,000रू. में से 75 प्रतिशत राशि 3,75,000रू. (तीन लाख पचहत्तर हजार रूपये) अदा करेंगे।
(ब) अनावेदक क्र.2 द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर उक्त राशि का भुगतान परिवादीगण को नहीं किये जाने पर अनावेदक क्र.2, परिवादीगण को आदेश दिनांक से भुगतान दिनांक तक 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करनें के लिए उत्तरदायी होंगे।
(स) अनावेदक क्र.2, परिवादी क्र.1 को वाद व्यय के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा करेंगे।
(द) उक्त राशि में से परिवादी क्र.1, श्रीमती उर्मिला बाई को 1,00,000रू. (एक लाख रूपये) नगद एवं शेष राशि उनकी पसंद अनुसार किसी राष्ट्रीकृत बैंक में 3 वर्ष के लिए सावधि खाते में जमा की जावे, जिसमें इस बात का निर्देश हो कि बिना फोरम की अनुमति के समय पूर्व भुगतान न किया जाये।