Uttar Pradesh

StateCommission

A/870/2015

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Maan Singh - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

07 Oct 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/870/2015
(Arisen out of Order Dated 25/02/2015 in Case No. C/49/2014 of District Auraiya)
 
1. Central Bank Of India
Auraiya
...........Appellant(s)
Versus
1. Maan Singh
Auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 07 Oct 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-870/2015

                                              (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्‍या 49/2014 में पारित आदेश दिनांक 25.02.2015 के विरूद्ध)

सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा मिहौली, परगना, तहसील व जिला औरैया द्वारा शाखा प्रबन्‍धक                   ...................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

मान सिंह                              .................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

माननीय श्री राम चरन चौधरी, सदस्‍य।

माननीय श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री जफर अजीज,                  

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री शिव प्रकाश गुप्‍त,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 07-10-2017         

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-49/2014 मान सिंह बनाम सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश  दिनांक  25.02.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध 1,09,926/-रुपया की बसूली हेतु स्‍वीकार किया जाता है। इस  धनराशि  पर  वाद  योजन  की  तिथि  से

 

-2-

वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देना होगा। विपक्षीगण उक्‍त धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को अदा करें।''

जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज और प्रत्‍यर्थी की ओर से  विद्वान  अधिवक्‍ता श्री शिव प्रकाश गुप्‍त उपस्थित आए हैं।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि विपक्षी सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया की शाखा मिहौली में उसका बचत खाता सं0 975 सन् 1998 से चल रहा है।  दिनांक 31.05.2012 को समाचार पत्रों के माध्‍यम से पता चला कि सेन्‍ट्रल बैंक मिहौली के कैशियर ने गबन कर लिया है। तब वह बैंक की शाखा में गया तो पता चला कि उसके खाते में 79926/-रू0 का अन्‍तर है। पासबुक में अंकित धनराशि 91349/-रू0 थी, जिसमें से 79926/-रू0 का गबन किया गया है। उसने बैंक से अपनी धनराशि की मांग की तो बैंक ने नहीं दिया। अत: उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया।

     अपीलार्थी बैंक की ओर से विपक्षीगण ने जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत किया  और  कहा  कि  प्रत्‍यर्थी/परिवादी  ने  अपने

 

-3-

उपरोक्‍त खाते से दिनांक 03.10.2007 को 25,000/-रू0 व उसी दिन 60,000/-रू0 निकाले हैं। इस प्रकार जैसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी कह रहा है वैसे कोई धनराशि शेष नहीं है।

लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया कि बैंक के कैशियर गंगा प्रसाद के कार्यकाल में बैंक की शाखा में हेरा फेरी हुई है। वह निलम्बित हैं और उनके विरूद्ध मुकदमा चल रहा है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं साक्ष्‍य पर विचार कर आक्षेपित निर्णय व आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की प्रश्‍नगत धनराशि विड्राल फार्म के माध्‍यम से निकाली गयी है। इसके साथ ही उनका यह भी तर्क है कि अपीलार्थी बैंक के तत्‍कालीन कैशियर गंगा प्रसाद के विरूद्ध गबन का मुकदमा लम्बित है। अत: जिला फोरम ने बैंक को जो प्रश्‍नगत धनराशि अदा करने हेतु आदेशित किया है वह उचित नहीं है।

     अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि जिला फोरम ने जो 25,000/-रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति दिलायी है वह भी अनुचित और आधार रहित है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश उचित है।

     हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     अपीलार्थी बैंक प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उसकी कथित धनराशि का विड्राल प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा किया जाना दर्शित नहीं कर सका है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विड्राल से इन्‍कार किया  है।  अत:  जिला  फोरम  ने

-4-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में जमा धनराशि 79926/-रू0 के भुगतान का जो आदेश बैंक को दिया है वह उचित है। जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 वाद व्‍यय दिलाया है वह भी उचित है, परन्‍तु जिला फोरम ने जो 25,000/-रू0 की धनराशि मानसिक कष्‍ट हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान की है वह उचित नहीं प्रतीत होती है क्‍योंकि स्‍वीकृत रूप से बैंक के कैशियर गंगा प्रसाद पर गबन का आरोप है। अत: ऐसी स्थिति में कर्मचारी द्वारा गबन की गयी धनराशि को अदा करने हेतु बैंक की Vicarious Liability बनती है। अत: हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक कष्‍ट हेतु प्रदान की गयी 25,000/-रू0 क्षतिपूर्ति की धनराशि को अपास्‍त किया जाना उचित है।

     इसके साथ ही उचित प्रतीत होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसकी प्रश्‍नगत धनराशि पर ब्‍याज उसी दर पर दिया जाए जिस दर पर उसके खाते में जमा धनराशि पर ब्‍याज देय है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक कष्‍ट हेतु प्रदान की गयी 25000/-रू0 क्षतिपूर्ति की धनराशि अपास्‍त की जाती है तथा जिला फोरम का आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी की जमा धनराशि 79926/-रू0 उसके खाते में जमा धनराशि पर देय ब्‍याज की दर से परिवाद की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज सहित प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करे। इसके साथ ही अपीलार्थी बैंक प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी 5000/-रू0 वाद व्‍यय की धनराशि भी अदा करेगा।

-5-

     अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 

                 

  (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)   (राम चरन चौधरी)    (संजय कुमार)        

        अध्‍यक्ष             सदस्‍य             सदस्‍य

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1    

       

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.