Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/2537

U I I Co - Complainant(s)

Versus

Maa Gaytri Cement Store - Opp.Party(s)

T K Mishra

04 Aug 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/2537
( Date of Filing : 22 Nov 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U I I Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Maa Gaytri Cement Store
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Aug 2021
Final Order / Judgement

                                                           (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2537/2007

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, लखीमपुर-खीरी द्वारा परिवाद संख्‍या-219/2004 में पारित निणय/आदेश दिनांक 29.09.2007 के विरूद्ध)

                                    

यूनाइटेड इण्डिया इन्‍श्‍योरेन्‍स कम्‍पनी लि0, द्वारा डिप्‍टी मैनेजर, रिजनल आफिस आरिफ चैम्‍बर्स, कपूरथला काम्‍प्‍लेक्‍स, अलीगंज, लखनऊ।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1

बनाम

1. मां गायत्री सीमेन्‍ट स्‍टोर, चन्‍दपुरा पोस्‍ट अभयपुर, परगना धौरहरा द्वारा प्रोपराइटर प्रवीण कुमार पुत्र श्री उत्‍तम कुमार, निवासी-लवेदपुर, पोस्‍ट रमिया बेहर, परगना धौरहरा, जिला लखीमपुर खीरी।

2. इलाहाबाद बैंक, ब्रांच ढखेरवा धौरहरा, ग्राम ढखेरवा, जिला लखीमपुर-खीरी।

                                     प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित       : श्री टी0के0 मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित     : कोई नहीं।

दिनांक:    01.09.2021  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-219/2004, मां गायत्री सीमेन्‍ट स्‍टोर बनाम यूनाइटेड इण्डिया इन्‍श्‍योरेन्‍स कम्‍पनी लि0 तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.09.2007 के विरूद्ध यह अपील योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी संख्‍या-1 को आदेशित किया गया कि वह परिवादी को एक माह के अन्‍दर अंकन 30,000/- रूपये 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज के साथ अदा करे तथा शारीरिक एवं मानसिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति हेतु अंकन 2,000/- रूपये और वाद व्‍यय हेतु अंकन 1,000/- रूपये भी अदा करे।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-2 से ऋण लेकर सीमेन्‍ट का व्‍यवसाय आरम्‍भ किया और विपक्षी संख्‍या-2 ने परिवादी के स्‍टाक का बीमा विपक्षी संख्‍या-1 के यहां से कराया। परिवादी का कथन है कि दिनांक 17.09.2003 को गांव में अचानक बाढ़ आ गई तथा परिवादी की दुकान सहित गांव मे पानी भर गया और परिवादी की 422 बोरी सीमेन्‍ट, जिसकी कीमत अंकन 51,484/- रूपये थी, बरबाद हो गई। परिवादी ने इसकी सूचना विपक्षी संख्‍या-2, बैंक को दी तथा बैंक ने इसकी सूचना बीमा कम्‍पनी को दी। बीमा कम्‍पनी ने सर्वेयर नियुक्‍त किया और सर्वेयर ने सीमेन्‍ट को खराब पाया, किंतु बीमा क्‍लेम का भुगतान नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षी संख्‍या-1 का कथन है कि परिवादी की दुकान का बीमा शाप कीपर बीमा के अन्‍तर्गत दिनांक 08.09.2003 से दिनांक 07.09.2004 की अवधि के लिए किया गया था। बीमा कम्‍पनी द्वारा नियुक्‍त सर्वेयर ने बाढ़ के कारण परिवादी की सीमेन्‍ट के स्‍टाक को पहुँची क्षति का सर्वे किया और 122/- रूपये प्रति बोरी के हिसाब से कुल 32 बोरी अंकन 3,904/- रूपये की क्षति बाढ़ के कारण होना पायी गई। सर्वे के समय परिवादी पूर्णतया संतुष्‍ट था, किंतु बाद में दूषित मंतव्‍य से परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है, जो खारिज होने योग्‍य है।

4.         विपक्षी संख्‍या-2 का कथन है कि परिवाद विपक्षी संख्‍या-2 के विरूद्ध जिला फोरम में धारणीय नहीं है, क्‍योंकि परिवादी ने व्‍यापार के लिए विपक्षी संख्‍या-2 से ऋण लिया था। परिवादी की दुकान में हुई नुकसान की भरपाई की जिम्‍मेदारी विपक्षी संख्‍या-1 बीमा कम्‍पनी की है।‍ विपक्षी संख्‍या-2 को अकारण ही पक्षकार बनाया गया है।

5.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि सर्वेयर द्वारा केवल 32 बोरी सीमेन्‍ट का नुकसान होना दर्शाया गया है, जो उचित प्रतीत नहीं होता है। इसी प्रकार परिवादी द्वारा प्रारम्‍भ में 246 बोरी सीमेन्‍ट नुकसान होना दर्शाया गया था, परन्‍तु परिवाद पत्र में अधिक सीमेन्‍ट बोरी दर्शाते हुए क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया था, केवल 246 बोरी की सीमेन्‍ट का नुकसान होना मानते हुए परिवादी के पक्ष में उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया है।

6.         इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग को प्रश्‍नगत प्रकरण की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। अपीलार्थी की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग का निष्‍कर्ष साक्ष्‍य के विपरीत है तथा साक्ष्‍य की गलत व्‍याख्‍या पर आधारित है। बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार प्रत्‍येक बीमा क्‍लेम पर न्‍यूनतम 10,000/- रूपये तथा अधिकतम 25,000/- रूपये की कटौती की जानी है। सर्वेयर द्वारा अंकन 3,910/- रूपये का आंकलन किया गया, परन्‍तु विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने अवैध निर्णय पारित किया है, जो अपास्‍त होने योग्‍य है।

7.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0के0 मिश्रा उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से पर्याप्‍त तामील के बावजूद कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

8.         परिवाद पत्र में परिवादी ने 422 सीमेन्‍ट बोरी की क्षति होने का उल्‍लेख किया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि सर्वेयर द्वारा किए गए आंकलन के अनुसार केवल 32 बोरी सीमेन्‍ट खराब हुई थी। बाढ़ का पानी इस स्‍तर का नहीं था कि एक-दूसरे के ऊपर लगी समस्‍त बोरियां विनष्‍ट हो जाए, केवल जमीन से लगी कुछ बोरियां विनष्‍ट हुई हैं। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने काल्‍पनिक रूप से यह निष्‍कर्ष दिया है कि 246 बोरी नष्‍ट हुई हैं। 246 बोरी नष्‍ट होने का कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में पर्याप्‍त बल प्रतीत होता है। 246 बोरी विनष्‍ट होने की कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। यह सही है कि परिवादी द्वारा अपना शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है, परन्‍तु चूं‍कि जब सर्वेयर द्वारा केवल 32 बोरी विनष्‍ट होने की रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई थी तब शपथपत्र के अलावा अन्‍य सुसंगत साक्ष्‍य प्रस्‍तुत कर यह साबित किया जाना आवश्‍यक था कि परिवाद पत्र में वर्णित 422 बोरियां विनष्‍ट हो गई। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा 246 बोरी नष्‍ट होने का निष्‍कर्ष मनमाने रूप से पारित किया गया है। सर्वे रिपोर्ट के विवरण के अलावा अन्‍य कोई विश्‍वसनीय साक्ष्‍य पत्रावली पर मौजूद नहीं है, इसलिए सर्वेयर द्वारा जिस क्षति का आंकलन किया गया है। परिवादी केवल उसी राशि को प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

9.         प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 29.09.2007 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी बीमा कम्‍पनी से केवल सर्वेयर द्वारा आंकलित की गई राशि अंकन 3,910/- रूपये प्राप्‍त करेगा। शेष निर्णय/आदेश पुष्‍ट किया जाता है।

पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

                     

  (राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

              सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

            सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

     कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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