Chhattisgarh

StateCommission

FA/13/332

Manager mahindra & Mahindra Financial Ltd. & Others - Complainant(s)

Versus

M.S.k. Khokhar & Anr. - Opp.Party(s)

Shri Rakesh Puri

19 Feb 2015

ORDER

Chhattisgarh State Consumer Disputes Redressal Commission Raipur
Final Order
 
First Appeal No. FA/13/332
(Arisen out of Order Dated 21/03/2013 in Case No. CC/12/168 of District Raipur)
 
1. Manager mahindra & Mahindra Financial Ltd. & Others
G.E. Road Raipur
Raipur
Chhattisgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. M.S.k. Khokhar & Anr.
Housing Bord Colony Chakradhar Nagar Raigarh
Raigarh
Chhattisgarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HONABLE MR. JUSTICE R.S.Sharma PRESIDENT
 HONABLE MS. Heena Thakkar MEMBER
 HONABLE MR. Dharmendra Kumar Poddar MEMBER
 
For the Appellant:Shri Rakesh Puri, Advocate
For the Respondent: Shri Harshad Vyas, Advocate
ORDER

छत्तीसगढ़ राज्य

उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, पंडरी, रायपुर

 

                                        अपील क्रमांकः FA/13/332

                                     संस्थित दिनांकर : 13.05.2013

 

महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेंशिंयल

सर्विसेस लिमिटेड ,

द्वारा प्रबंधक, सेकेण्ड फ्लोर , मारूति हाइट्स

स्काय ऑटोमोबाईल्स के पास , जी.ई.रोड

रायपुर छ.ग. 

2.  आर एल वी सुब्रमणियम, जोनल मैनेजर

महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेशिंयल

सर्विसेस लिमिटेड, पुणे महाराष्ट्र

3.  संजीव वर्गीस, एरिया मैनेजर

महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेशिंयल

सर्विसेस लिमिटेड सेकेण्ड फ्लोर , मारूति हाइट्स

स्काय ऑटोमोबाईल्स के पास , जी.ई.रोड

रायपुर छ.ग. 

4.  नरेंद्र साहनी, टेरीटेरी मैनेजर

महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेशिंयल

सर्विसेस लिमिटेड सेकेण्ड फ्लोर , मारूति हाइट्स

स्काय ऑटोमोबाईल्स के पास , जी.ई.रोड

रायपुर छ.ग.                                                    ....अपीलार्थीगण    

                                                      

विरूद्ध

1. एम.एस.के खोखर आ. स्व. श्री एम. डब्ल्यू के खोखर,,

स्थायी निवास- हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी, चक्रधर नगर

रायगढ़ हाल मुकाम मकान नंबर-3

ब्लाक नंबर-1 भूतल हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी,

शंकर नगर रायपुर (छ.ग.) 

 

 

 

2. राहुल सेनगुप्ता, कामर्शियल ब्रांच मैनेजर

महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेशिंयल

सर्विसेस लिमिटेड सेकेण्ड फ्लोर , मारूति हाइट्स

स्काय ऑटोमोबाईल्स के पास , जी.ई.रोड

रायपुर छ.ग.                                                   ..... उत्तरवादीगण

 

समक्षः

माननीय न्यायमूर्ति श्री आर. एस.शर्मा, अध्यक्ष ।

माननीय सुश्री हिना ठक्कर, सदस्य ।

माननीय श्री डी.के.पोद्दार सदस्य ।

 

पक्षकारों के अधिवक्ता

अपीलार्थी की ओर से श्री राकेश पुरी अधिवक्ता।

उत्तरवादी क्रमांक-1 की ओर से श्री हर्षद व्यास अधिवक्ता ।

उत्तरवादी क्रमांक-2 की ओर से सुश्री विजयश्री बिसेन

 

मौखिक आदेश

दिनांकः 19.02.2015

द्वाराः-माननीय श्री आर. एस. शर्मा, अध्यक्ष

 

अपीलार्थी/परिवादी ने यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, के अंतर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायपुर (छ0ग0) (जिसे आगे संक्षिप्त में ‘‘जिला फोरम’’ संबोधित किया जाएगा) के प्रकरण क्रमांक-168/2012 में आदेश दिनांक-21.03.2013 जिसके द्वारा परिवादी के परिवाद को स्वीकार करते हुए यह आदेशित किया है:-

 

अ.  परिवादी से प्रश्नाधीन कार वापस प्राप्त कर कार के एवज में परिवादी से प्राप्त की गई राशि रू. 3,00,000/-(तीन लाख रूपए) परिवाद दिनांक-15.05.2012 से अदायगी दिनांक तक 6 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित वापस प्रदान करेंगे ।

ब  परिवादी को उपरोक्त कृत्य के कारण हुई आर्थिक, मानसिक कष्ट के लिए रू. 5000/- (पांच हजार रूपए) अदा करेंगे ।

स.  परिवादी को अधिवक्ता शुल्क तथा वाद व्यय के रूप में रू 2000/- (दो हजार रूपए) भी अदा करेंगे, से दुखित होकर प्रस्तुत है ।

 

 

02.          जिला फोरम के समक्ष परिवादी का परिवाद संक्षिप्त में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक- 18.01.2010 को अनावेदकगण से मारूति वैगन आर कार-क्रमांक-सी.जी. 04 एच.बी. 2365 रू. 3,00,000/-(तीन लाख रूपए) में अनावेदकगण से क्रय किया था और उक्त कार दिनांक-10.06.2009 को महिन्द्रा फायनेंस द्वारा श्री भगवानदास लालवानी रायपुर द्वारा फायनेंस की गई थी और वाहन महेंद्रा फायनेंस के पास बंधक थी । श्री भगवानदास लालवानी के द्वारा वाहन का मासिक किस्त जमा नहीं किये जाने पर अनावेदकगण द्वारा उक्त वाहन को जब्त कर ली गई थी  और उक्त वाहन को टाटीबंध में हुंडई मोटर्स के पीछे स्थित लोहा वेल्डिंग कराने खुले प्रांगण में वाहन को रखा गया था । लगभग 1 माह से डेढ़ माह तक वाहन धूप और बारिश में खड़ी रही और इसके पश्चात् अनावेदक क्रमांक-4 राहुल सेनगुप्ता ने परिवादी से संपर्क कर बताया कि फे्रेश वेगनआर कार जो मात्र 6881 किलो मीटर चली है और अनटच गाड़ी है , बिल्कुल नई जैसी है , उसे क्रय कर ले और कम दाम में उपलब्ध करा दिया जावेगा । जब परिवादी ने अनावेदक क्रमांक-5 के रायपुर स्थित कार्यालय में संपर्क किया और कार की चाबी मांगी , ताकि कार को अपने स्तर पर जांच परख कर सके , परंतु परिवादी को चाबी उपलब्ध नहीं करायी गई और दूर से ही गाड़ी देखने को कहा गया । बाहरी तौर पर निरीक्षण करने की बात कही गई तथा यह आश्वस्त किया गया कि महेंद्रा फायनेंस कंपनी नामी कंपनी है और कार में कोई दिक्कत नहीं है एवं केवल 4-5 माह चली है ,बिल्कुल नयी है और परिवादी को विश्वास दिलाया गया , तब परिवादी ने उक्त कार को क्रय किया था । दिनांक- 20.10.2010 को उक्त कार सर्विसिंग के लिए ले जाया गया तब सर्विसिंग सुपरवाइजर द्वारा बताया गया कि कार गंभीर रूप से दुर्घटना ग्रस्त हुई थी, तब परिवादी ने अनावेदकगण से वास्तविकता जानने का प्रयास किया, परंतु अनावेदकगण द्वारा परिवादी को बताया गया कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं है । परिवादी ने अनावेदक क्रमांक-2 से 4 को दिनांक-22.10.2010 को उक्त कार दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी ई-मेल से भेजा था और तथ्यों की जानकारी चाही थी, परंतु अनावेदकगण द्वारा समस्त तथ्यों से इंकार किया गया और परिवादी को ही उत्तरदायी ठहराया गया । परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक-1 के पुणे स्थित कार्यालय में दूरभाष से चर्चा कर समस्त घटना की जानकारी दी गई तथा परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक- 1, 3 एवं 4 को दुर्घटनाग्रस्त वाहन विक्रय करने और कलपुर्जों के कार्य नहीं करने संबंधी शिकायत की गई , परंतु अनावेदकगण द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया और न ही शिकायत का समाधान किया गया । अनावेदक क्रमांक-2 द्वारा रायपुर ऑटो डील के संचालक को अपने कार्यालय में बुलाकर वाहन का निरीक्षण कराया गया । ऑटो डील के संचालक अनिल द्वारा वाहन की कीमत हेतु 2.25 लाख रूपए आंका गया । परिवादी ने अनावेदक क्रमांक-2  को दिनांक-24.03.2010 को पंजीकृत पत्र से वाहन के कागजात जैसे वाहन की दूसरी चाबी , नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट, ओनर्स मैन्यूअल बुक  आदि का मांग किया , परंतु अनावेदकगण द्वारा वांछित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया । अनावेदकगण ने दुर्घटनाग्रस्त कार को नयी एवं कम चली बताकर धोखाधड़ी करते हुए विक्रय किया गया है , परिवादी को छला गया है । परिवादी  को परिवाद लाने की आवश्यकता पड़ी है ।

 

03.          अनावेदकगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है । जिला फोरम ने परिवाद-पत्र के अभिवचन, दस्तावेजों के आधार पर परिवादी के परिवाद को स्वीकार करते हुए कंडिका-1 में वर्णित अनुसार अनुतोष प्रदान किया है, जिसके विरूद्ध यह अपील है ।

 

04           अपीलार्थी की ओर से उपसंजात होने वाले अधिवक्ता श्री राकेश पुरी का तर्क है कि जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थीगण,  लिखित कथन प्रस्तुत नहीं कर पाये थे और उनका अधिकार समाप्त कर दिया गया था, जिसके कारण से अपीलार्थीगण अपना समुचित बचाव नहीं कर सके हैं । अपीलार्थीगण को उनके बचाव के लिए अवसर दिया जाना उचित होगा । अतः प्रकरण पुनः विचारण हेतु जिला फोरम को प्रतिप्रेषित किया जावे ।

 

05           उत्तरवादी क्रमांक-1/परिवादी की ओर से उपसंजात होने वाले अधिवक्ता श्री हर्षद व्यास ने उक्त तर्क का विरोध किया । उनका तर्क है कि अपीलार्थीगण को पर्याप्त अवसर दिया गया था । कई अवसर देने के बाद उनके द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया । यहां तक प्रकरण जब अंतिम तर्क के लिए नियत था तब भी कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया  गया , जबकि अनावेदकगण की ओर से अधिवक्ता उपस्थित होते रहे हैं । जिला फोरम ने जो आदेश पारित किया है, विधिसम्मत है, उसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है ।

 

06           उत्तरवादी क्रमांक-2 / अनावेदक क्रमांक-4 राहुल सेन गुप्ता,  की ओर से उपसंजात होने वाली अधिवक्ता सुश्री विजयश्री बिसेन ने अपीलार्थीगण द्वारा प्रस्तुत तर्क का समर्थन किया है और बताया कि उन्हें भी लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर नहीं मिला है , अवसर प्रदान किया जावे ।

 

07           हमने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण का तर्क श्रवण किया । जिला फोरम के आदेश का परिशीलन किया गया ।

 

08           जिला फोरम के आदेश पत्रावली से प्रगट होता है कि अपीलार्थीगण की ओर से दिनांक-27.07.2012 को प्रथम बार उनके अधिवक्ता उपस्थित हुए थे और वकालतनामा प्रस्तुत कर जवाब दावा पेश करने हेतु समय चाहा था और जवाब हेतु दिनांक-06.08.2012 की तिथि दी गई थी  और दिनांक-06.08.2012 को जवाब दावा पेश नहीं किया गया था और उस दिन जिला फोरम के अध्यक्ष धमतरी प्रवास पर थे और प्रकरण दिनांक-13.08.2012 के लिए नियत की गई थी । दिनांक-13.08.2012 को अनावेदक का अधिकार यह निर्धारित करते हुए कि 45 दिन के अंदर जवाब दावा प्रस्तुत नहीं हुआ है , अनावेदकगण का अवसर समाप्त हो चुका है । प्रकरण अंतिम तर्क हेतु नियत कर दिया गया ।

 

09.   आदेश पत्रावली के परिशीलन से यह भी प्रकट होता है कि दिनांक - 06.08.2012 अध्यक्ष प्रवास पर थे , इसलिए दिनांक-13.08.2012 की तिथि दी गई । दिनांक-13.08.2012 को अवसर समाप्त किया जाना किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता है और इस प्रकार यह स्पष्ट है कि अनावेदकगण को उनके बचाव का अवसर प्राप्त नहीं हुआ है ।  यह भी स्पष्ट है कि अनावेदकगण द्वारा जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत करने का कोेई आवेदन भी प्रस्तुत नहीं किया गया है । प्रकरण की परिस्थिति को देखते हुए , अनावेदकगण को लिखित कथन एवं दस्तावेज प्रस्तुत किये जाने का अवसर दिया जाना उचित होगा । ऐसी स्थिति में, अनावेदकगण/अपीलार्थीगण द्वारा प्रस्तुत अपील को परिव्यय पर स्वीकार किया जाना उचित होगा ।

 

10.   अतः अपीलार्थीगण की अपील रू. 5000/- (पांच हजार रूपए) परिव्यय पर स्वीकार किया जाता है । जिला फोरम द्वारा पारित आलोच्य आदेश दिनांक-21.03.2013 निरस्त किया जाता है । यह प्रकरण जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि अपीलार्थीगण तथा अनावेदक क्रमांक-4 राहुल सेनगुप्ता जो कि उत्तरवादी क्रमांक-2 है को लिखित कथन एवं दस्तावेज प्रस्तुत करने हेतु एक अवसर प्रदान करेंगे और उसके पश्चात् उभय-पक्ष को सुनवाई का अवसर देकर प्रकरण का गुण-दोष पर निराकरण करेंगे । यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि अपीलार्थीगण पहले परिव्यय की राशि  रू. 5000/- (पांच हजार रूपए)  जिला फोरम के समक्ष अदा करेंगे, जो परिवादी को देय होगा और परिव्यय की राशि जमा करने के पश्चात् ही अपीलार्थीगण के लिखित कथन को अभिलेख में लिया जावेगा। अपीलार्थीगण को यह भी निर्देशित किया जाता है कि जिला फोरम द्वारा जो तिथि नियत की जावेगी, उस तिथि पर  आवश्यक रूप से लिखित कथन प्रस्तुत करेंगे और यदि चूक करते हैं, तो लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर समाप्त हो जावेगा । यदि अपीलार्थीगण द्वारा जिला फोरम के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत करते हैं, तो परिवादी खण्डन में दस्तावेज प्रस्तुत करना चाहे तो, उन्हें अवसर प्रदान करेंगे । पक्षकारों को निर्देशित किया गया कि वे दिनांक-04.03.2015 को जिला फोरम रायपुर के समक्ष उपस्थित रहें  ।  जिला फोरम के मूल अभिलेख को वापस भेजा जावे । अपील का व्यय पक्षकार अपना-अपना वहन करेंगे ।

 

( न्यायमूर्ति आर.एस.शर्मा )           ( सुश्री हीना ठक्कर )         (डी.के.पोद्दार)

      अध्यक्ष                                       सदस्या                         सदस्य

      /02/2015                                 /02/2015                     /02/2015

 
 
[HONABLE MR. JUSTICE R.S.Sharma]
PRESIDENT
 
[HONABLE MS. Heena Thakkar]
MEMBER
 
[HONABLE MR. Dharmendra Kumar Poddar]
MEMBER

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