Yogendra kumar beragi filed a consumer case on 07 Oct 2015 against M.D. Bhatiya & comp., Bhatiya Corp. pvt. ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/34/2010 and the judgment uploaded on 15 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:- 34 /10
योगेन्द्र कुमार बैरागी पुत्र सत्य नारायण बैरागी उम्र 32 साल निवासी गेट नं. 4, नैनवां रोड, बूंदी, जिला बूंदी, राजस्थान। -परिवादी
बनाम
एम0डी0 भाटिया एण्ड कंपनी, भाटिया कोरपोरेशन प्राईवेट लिमिटेड, पता 23,24-बी इंडस्ट्रीयल एस्टेट कोटा राजस्थान - 324007 -विपक्षी
समक्ष:-
भगवान दास ः अध्यक्ष
हेमलता भार्गव ः सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01. श्री कमल कुमार साहू, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
02. श्री एम0पी0 सक्सेना, अधिवक्ता, विपक्षी की ओर से।
निर्णय दिनांक 07.10.2015
परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में उसका यह सेवा-दोष बताया है कि उससे 31.07.06 को वाहन (मारूति ओमनी) आर जे 08 टी ए 0097 खरीद किया था, जिसकी सभी प्रकार की 30.07.09 तक की वारंटी दी गई थी। वारंटी अवधि में उसके इंजन में समस्या आने लगी, दिनांक 14.07.09 को विपक्षी की बूंदी ब्रान्च में उसे ठीक कराया गया, जिसके 2,236/- रूपये वारन्टी समय में ले लिये। उसी रोज उसे उपयोग में लिया गया तभी बंद हो गई,व गर्म हो गई। बंूदी ब्रांच के वर्क-शाॅप ले गये तो बताया गया कि इसका इंजन सीज हो गया, कोटा में ही दिखाना होगा। वाहन को विपक्षी के कोटा वर्क शाॅप में दिखाया तो बताया कि इंजन सीज है। वारन्टी में होते हुये भी उसे ठीक कराने के 29.07.09 को 16,259/- रूपये दिनांक 30.07.09 को 2,517/- रूपये एवं दिनांक 04.08.09 को 2,119/- रूपये ले लिये इस प्रकार 30.07.09 तक की वारन्टी में वाहन को ठीक करने के गलत रूप से 23,131/- रूपये ले लिये गये, जिससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ।
विपक्षी की ओर से 2 बार जवाब प्रस्तुत किये गये, जिसका सार है कि परिवादी ने इंजन के बारे में कभी कोई शिकायत नहीं की। बूंदी में सर्विस कराई गई थी। इंजन गर्म होने के कई कारण है। उसे कोटा वर्क शाॅप पर लाया गया तब इंजन सीज था, जो परिवादी की लापरवाही से ही हुआ था। परिवादी ने बिना इजाजत गलत रूप से लोकल गैस किट लगवा लिया था, जिसे लगाने हेतु वायरों को काटा गया था, इससे वारंटी शर्तो का उल्लधंन हुआ। परिवादी से कोई गलत राशि नहीं ली गई।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा वारन्टी दस्तावेज, विपक्षी को अदा की गई राशि व उससे संबंधित बिल, दिनांक 23.07.09 की जोबशीट, विपक्षी को प्रेषित कानूनी नोटिस व उससे प्राप्त जवाब नोटिस आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की।
विपक्षी की ओर से साक्ष्य में राम जे भाटिया (प्रबंधक) एवं प्रकाश चन्द्र गुप्ता (जनरल मैनेजर) के शपथ-पत्र के अलावा परिवादी को प्रेषित जवाब नोटिस, जोब-कार्ड, रसीद-इनवाईस दिनांक 14.07.09 आदि प्रति प्रस्तुत की गई।
हमने दोनो पक्षों की बहस सुनी, उनके तर्को पर विचार किया। पत्रावली का अवलोकन किया।
विपक्षी की ओर से यह तर्क दिया गया कि परिवादी ने जो वाहन खरीदा वह व्यवसायिक प्रकृति का है इसलिये इस मंच को परिवाद सुनने का अधिकार नहीं है। हम पाते है कि इस तर्क में कोई सार नहीं है। ऐसी आपत्तियाॅं दौ-बार प्रस्तुत किये गये जवाब में भी नही ली गई है। वाहन व्यवसायिक उद्धेश्य के लिये खरीदा गया व उपयोग किया गया, ऐसी कोई साक्ष्य नहीं है।
परिवादी ने विपक्षी का यह सेवा-दोष बताया है कि वारंटी समय में वाहन को ठीक करने के नाजायज 23,131/- रूपये ले लिये। इस संबंध में विपक्षी की कहानी है कि परिवादी की लापरवाही से उसका इंजन सीज हो गया, इसके अलावा उसने अपने इंजन के वाहन में लोकल गैस किट लगवा लिया एवं उससे वायरिंग कट गई और उसके इस कार्य से वारंटी की शर्त का उल्लधंन हो गया, इसलिये वारंटी के तहत निःशुल्क मरम्मत कराने का उसका कोई अधिकार नही रहा। परिवादी ने बूंदी में सर्विस कराई थी, जिसके चार्ज लिये गये तथा इंजन संबंधी रिपेयरिंग का चार्ज नियमानुसार लिया गया।
यह सही है कि विपक्षी ने परिवादी को 30.07.09 तक की वारन्टी दी थी। जो वारंटी का दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है उसमें स्पष्ट अंकित है कि वारन्टी की बुकलेट में जो टम्र्स एण्ड कंडीशन है उनको समझ लिया गया । परिवादी ने वाहन की बूंदी में मरम्मत कराई उसका बिल 14.07.09 पेश किया गया है, उसमें यह स्पष्ट है कि यह बिल आयल अथवा अन्य सामान डालने एवं सर्विस का है इंजन की खराबी के रिपेयर के संबंध में नहीं है। इस बिल में यह भी स्पष्ट अंकित है कि वाहन में लोकल एल.पी.जी. गैस किट है। विपक्षी ने तो स्पष्ट कहा है कि परिवादी ने बिना ईजाजत लोकल गैस किट लगवाकर वारंटी शर्तो का उल्लधंन कर दिया, उसके उपरान्त वाहन के इंजन के रिपेयर के संबंध में परिवादी से नियमानुसार राशि ली गई है। परिवादी का नोटिस प्राप्त होने के तत्काल बाद ही विपक्षी ने जवाब प्रस्तुत कर स्पष्ट कर दिया कि कंपनी के माप-दंडों के विपरीत बिना इजाजत के लोकल गैस-किट फिट करवा लिया है, जिसकी वजह से इलेक्ट्रिक वायरिंग गलत रूप से काट कर कनेक्शन किये गये है इस कारण वायरिंग में छेड-छाड करने से वारंटी का लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता। परिवादी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि लोकल गैस-किट फिट करवाने व उसके फलस्वरूप वायरिंग में छेड-छाड होने से वारंटी समाप्त नहीं हुई थी।
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते है कि परिवादी की लापरवाही व उसके ही कृत्य से वाहन की वारन्टी समाप्त हो गई, इसलिये परिवादी को वारन्टी के अन्तर्गत निःशुल्क रिपेयर कराने का अधिकार नहीं रहा था, इसलिये विपक्षी ने उससे रिपेयर का चार्ज लेकर कोई सेवा-दोष नहीं किया ।
अतः परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी योगेन्द्र कुमार बैरागी का परिवाद विपक्षी के खिलाफ खारिज किया जाता है। खर्चा परिवाद पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(हेमलता भार्गव) (भगवान दास)
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 07.10.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
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