Uttar Pradesh

StateCommission

CC/108/2019

Dharmendra Kumar - Complainant(s)

Versus

M.D. Ansal Properties and Infrastructure Ltd - Opp.Party(s)

Naveen Kumar Tewari

13 Jan 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/108/2019
( Date of Filing : 12 Apr 2019 )
 
1. Dharmendra Kumar
S/O Sri Moti Lal R/O Village and Post Mancha Distt. Ramabai Nagar U.P. 209112
...........Complainant(s)
Versus
1. M.D. Ansal Properties and Infrastructure Ltd
Regd Office 115 Ansal Bhawan 16 Kasturba Ghandhi Marg New Delhi 110001
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 13 Jan 2020
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

परिवाद संख्‍या:-108/2019

Dharmendra Kumar, S/o Moti Lal, R/o Village & Post-Mancha, District-Ramabai Nagar (U.P.)-209112.

                                                               ........... Complainant

Versus

1- Managing Director, Ansal Properties & Infrastructure Ltd., Regd. Office- 115 Ansal Bhawan, 16, Kasturba Ghandhi Marg, New Delhi-110001.

2- Ansal Properties & Infrastructure Ltd., Lucknow Office- Ist Floor, YMCA Campus, 13, Rana Pratap Marg, Lucknow 226001.

……..…. Opp. Parties

समक्ष :-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

परिवादी की ओर से उपस्थित   :    श्री नवीन तिवारी

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित :    श्री मानवेन्‍द्र प्रताप सिंह

दिनांक :-18-02-2020

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय      

परिवादी धर्मेन्‍द्र कुमार ने यह परिवाद विपक्षीगण मैनेजिंग डायरेक्‍टर, अंसल प्रापर्टीज एण्‍ड इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड, नई दिल्‍ली और अंसल प्रापर्टीज एण्‍ड इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड लखनऊ ऑफिस के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

A-        To direct the opposite party to refund Rs. 21,79,915.50 to complainant.

 

-2-

B-       To direct the opposite party to make the payment of Rs. 5,00,000/- compensation for mental agony.

C-       To direct the opposite party to make the payment of Rs. 5,00,000/- compensation towards physical harassment.

D-       To direct the opposite party to pay accruing in the light of the present facts and circumstances of the case as the Hon’ble Commission may deem just and proper.

E-        To direct therespondent to pay Rs. 35,000/- for cost of the case.

F-        Any other relief which this Hon’ble Court deems fit and proper in the interest of justice.

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षीगण की सुशांत गोल्‍फ सिटी, लखनऊ योजना में 194 वर्ग गज का प्‍लॉट 4,68,000.00 रू0 चेक के माध्‍यम से जमा कर दिनांक 29.02.2012 को बुक किया जिसकी रसीद उसे दिनांक 01.3.2012 को दी गई और आवंटन पत्र भी दिनांक 01.3.2012 को दिया गया। जिसके द्वारा उसे प्‍लॉट नं0-3802 एन-05/0202 सुशांत गोल्‍फ सिटी लखनऊ में आवंटित किया गया। जिसकी बेसिक सेल्‍स प्राइज 31,14,165.00 रू0 थी। जिसे आवंटन पत्र के अनुसार किश्‍तों में जमा किया जाना था। उसके बाद परिवादी ने रसीद सं0-230991 दिनांकित 19.3.2012 के द्वारा दि्वतीय व

-3-

तृतीय किश्‍त की धनराशि 6,22,832.00 रू0 जमा किया। यह धनराशि जमा करने के बाद भी विपक्षीगण ने परिवादी को डिमाण्‍ड लेटर 3,10,542.25 रू0 का भेजा और उसके बाद रिमाइण्‍डर दिनांक 16.8.2012 को भेजा। उसके बाद परिवादी ने 3,11,410.56 रू0 जमा किया, जिसकी रसीद सं0-251501 दिनांकित 11.9.2012 है। उसके बाद विपक्षीगण ने दिनांक 17.5.2014 को फाइनल रिमाइण्‍डर 7,77,667.00 रू0 का भेजा।

परिवाद पत्र के अनुसार किश्‍तों क भुगतान स्‍तर वार किया जाना था और विपक्षीगण भुगतान की मॉग अवैधानिक ढंग से कर रहे थे। उन्‍होंने 7,77,667.00 रू0 के भुगतान की मॉग करते हुए परिवादी का आवंटन निरस्‍त करने की नोटिस भेजी और उसके बाद पुन: दिनांक 15.7.2014 को निरस्‍तीकरण नोटिस भेजा तथा परिवादी का आवंटन इस आधार पर निरस्‍त कर दिया कि 7,77,667.00 रू0 की डिमाण्‍ड का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में परिवादी ने 7,77,667.00 रू0 स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया के चेक दिनांकित 01.8.2014 के द्वारा विपक्षीगण को प्राप्‍त कराया। इस प्रकार विपक्षीगण परिवादी से कुल 21,79,915.50 रू0 वर्ष 2012 से 2014 तक की अवधि में प्राप्‍त कर चुके हैं परन्‍तु प्‍लॉट का कब्‍जा नहीं दिया है। अत: विपक्षीगण की सेवा में कमी है। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी ने परिवाद

-4-

विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया है और उपरोक्‍त अनुतोष चाहा है।

विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और कहा गया है कि परिवादी ने केवल पॉच किश्‍तों का भुगतान किया है और उसके बाद किश्‍तों का भुगतान नहीं किया है। अत: वह विलम्‍ब हेतु कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। उसने  विक्रय करार के अनुसार अपने दायित्‍व को पूरा नहीं किया है और करार पत्र का उल्‍लंघन किया है। अत: करार पत्र के अनुसार उसे क्षतिपूर्ति का दावा करने का अधिकार नहीं है।

लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने लाभ अर्जित करने हेतु रियल स्‍टेट के बिजनेस में धन लगाया है। अत: वह उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि यदि विपक्षी अपनी जमा धनराशि वापस चाहता है तो विपक्षीगण उसकी जमा धनराशि earnest money का deduction करने के बाद बिना किसी ब्‍याज के वापस करने को तैयार है। विपक्षीगण उसे वैकल्पिक प्‍लॉट का भी विकल्‍प देते हैं।

परिवादी की ओर से परिवाद पत्र के साथ निम्‍नलिखित अभिलेख प्रस्‍तुत किये गये है:-

1-   चेक दिनांकित 29.02.2012 की प्रति

-5-

2-   आवंटन फार्म के आवेदन की प्रति

3-   असंल प्रापर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0 को भुगतान किये गये 4,68,000.00 रू0 की रसीद दिनांकित 01.3.2012 की प्रति

4-   अवंटन पत्र दिनांक 01.3.2012 की प्रति

5-   असंल प्रापर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0 को भुगतान किये गये 6,22,832.00 रू0 की रसीद दिनांकित 19.5.2012 की प्रति

6-   काल नोटिस दिनांक 03.7.2012 की प्रति

7-   प्रथम रिमाइण्‍डर पत्र दिनांकित 16.8.2012 की प्रति

8-   असंल प्रापर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0 को भुगतान किये गये 3,11,416.50 रू0 की रसीद दिनांकित 11.9.2012 की प्रति

9-   फाइनल रिमाइण्‍डर पत्र दिनांकित 17.5.2014 की प्रति

10- प्री कैन्सिलेशन पत्र दिनांक 12.6.2014 की प्रति

11- कैन्सिलेशन नोटिस दिनांक 15.7.2014 की प्रति

12- चेक दिनांकित 01.8.2014 की प्रति

13- असंल प्रापर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लि0 कस्‍टमर स्‍टेटमेंट सिम्‍पल इंटरेस्‍ट के विवरण की प्रति दिनांकित 25.3.2019

    विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्री आशीष सिंह, ऑथराइज्‍ड सिग्‍नेचरी का शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया है।

 

 

-6-

परिवाद की अंतिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन तिवारी और विपक्षीगण की ओर से श्री मानवेन्‍द्र प्रताप सिंह उपस्थित आये हैं।

मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादी ने वर्ष-2014 तक विपक्षीगण को कुल 21,79,915.50 रू0 का भुगतान किया है। विपक्षीगण ने परिवादी की जमा धनराशि से earnest money की धनराशि काटकर अवशेष धनराशि बिना ब्‍याज के रिफण्‍ड करने का कथन लिखित कथन में किया है। साथ ही वैकल्पिक फ्लैट एवं प्‍लॉट उसी टाउनशिप में परिवादी को देने का कथन भी लिखित कथन में किया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को आवंटित प्‍लॉट परिवादी को देने हेतु अभी तैयार नहीं है या उपलब्‍ध नहीं है। एलॉटमेंट लेटर दिनांक 01.3.2012 का है 07 साल से अधिक समय बीत चुका है। परिवादी आवंटित प्‍लॉट से भिन्‍न प्‍लॉट नहीं चाहता है। अत: उसकी जमा धनराशि ब्‍याज सहित विपक्षीगण से उसे वापस दिलाया जाना ही उचित है।

परिवादी ने प्‍लॉट लाभ अर्जित करने हेतु बु‍क किया है यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है। परिवादी ने आवासीय प्‍लॉट बुक

-7-

किया है। वह उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-2 (1) (डी) के अन्‍तर्गत विपक्षीगण की सेवा का उपभोक्‍ता है और उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर विपक्षीगण की सेवा में कमी स्‍पष्‍ट है।

माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा सिविल अपील नम्‍बर (एस) 3948 वर्ष 2019 एस.एल.पी. (सी) 9575 वर्ष 2019 मैसर्स कृष्‍णा स्‍टेट डेवलपर्स प्राइवेट लि0 बनाम नवीन श्रीवास्‍तव में पारित निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी की जमा धनराशि तीन महीने के अन्‍दर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज के साथ वापस करने का अवसर विपक्षीगण को दिया जाना उचित प्रतीत होता है और यदि इस अवधि में विपक्षीगण सम्‍पूर्ण धनराशि 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ वापस नहीं करते हैं तब परिवादी की जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ परिवादी को वापस करने हेतु विपक्षीगण को आदेशित किया जाना उचित है।

परिवादी को 10,000.00 रू0 वाद व्‍यय दिया जाना भी उचित है।

परिवाद पत्र में याचित अन्‍य अनुतोष प्रदान किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।

-8-

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर परिवाद अंशत: स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी की जमा धनराशि 21,79,915.50 रू0 जमा की तिथि से तीन मास के अन्‍दर अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ उसे वापस करें, यदि तीन मास के अन्‍दर विपक्षीगण परिवादी की जमा धनराशि 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ वापस नहीं करते हैं तब विपक्षीगण परिवादी की जमा धनराशि 21,79,915.50 रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ परिवादी को वापस करेगें।

विपक्षीगण परिवादी को 10,000.00 रू0 वाद व्‍यय भी देगें।

 

                            (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)         

                                  अध्‍यक्ष                                                       

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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