Shri Bhuwnesh Kumar filed a consumer case on 11 May 2018 against M.D Bajaj Auto Ltd. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/127/2014 and the judgment uploaded on 15 May 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/127/2014
Shri Bhuwnesh Kumar - Complainant(s)
Versus
M.D Bajaj Auto Ltd. - Opp.Party(s)
11 May 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-127/2014
भुवनेश कुमार रावत पुत्र श्री बच्चू लाल निवासी मौहल्ला चाऊ की बस्ती निकट शिव मंदिर लाइन पार मुरादाबाद। …..परिवादी
3-प्रोपराइटर श्री लक्ष्मी टायर निकट संभल चौराहा, पैट्रोल पम्प के सामने मुरादाबाद, पिन-244001 …...........विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 28-10-2014 निर्णय तिथि: 11.05.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षी-1 से उसे परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोटर साईकिल के बदले नयी मोटर साईकिल दिलाये जाये अथवा मोटर साईकिल का मूल्य अंकन-70212/-रूपये 5 प्रतिशत मासिक की दर से ब्याज सहित परिवादी को दिलाया जाये। विपक्षी-1 से क्षतिपूर्ति की मद में डेढ़ लाख रूपये तथा परिवाद व्यय की मद में 10 हजार रूपये परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 03-03-2014 को परिवादी ने विपक्षी-2 से एक मोटर साईकिल बजाज पल्सर, जिसका विवरण परिवाद के पैरा-1 में दिया गया है, खरीदी थी। पहले दिन से ही बाईक सही नहीं चल रही थी, चलते समय बाईक लहर खाती थी। परिवादी ने इसकी शिकायत विपक्षी-2 के शो-रूम पर जाकर की तो उन्होंने परिवादी से यह कहकर टाल दिया कि पहली सर्विस पर बाईक की इस समस्या को दूर कर दिया जायेगा। दिनांक 05-3-2014 को परिवादी ने विपक्षी-2 के सर्विस सेंटर पर बाईक की सर्विस करायी किन्तु बाईक ठीक नहीं हुई। परिवादी से कहा गया कि दूसरी सवर्सि में इसको ठीक कर दिया जायेगा। दिनांक 22-8-2014 को दूसरी सर्विस हेतु बाईक को ले जाया गया तो यह समस्या उसमें विद्यमान थी। परिवादी की शिकायत पर विपक्षी-2 ने एक पत्र लिखकर परिवादी को दिया जो विपक्षी-3 को संबोधित था। पत्र में कहा गया था कि बाईक वारंटी पीरियड में है, इसलिए इसे ठीक करने की जिम्मेदारी हमारी है। परिवादी को बताया गया कि इस पत्र के आधार पर विपक्षी-3 बाईक का अगला टायर मुफ्त में बदलकर देगा। परिवादी के अनुसार जब पत्र लेकर वह विपक्षी-3 के पास गया तो उसने परिवादी से तीन हजार रूपये मांगे। विपक्षी-2 ने इस मामले में कोई सहायता करने से परिवादी से इंकार कर दिया और कहा कि सीधे कंपनी से बात करो। परिवादी के अनुसार उसने इंटरनेट के माध्यम से भी दिनांक 04-10-2014 को विपक्षी-1 को शिकायत भेजी, जिसके जबाव में परिवादी को ई-मेल आया कि 2-4 दिन में उसकी समस्या का हल निकाल दिया जायेगा। परिवादी ने यह कहते हुए कि विपक्षीगण ने अनुचित व्यापार पद्धति अपनाई है और उन्होंने सेवा में कमी की है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथपत्र कागज सं.-3/4 दाखिल किया, इसके अतिरिक्त बाईक की सेल इंवायस, उसकी आर.सी., विपक्षी-2 द्वारा विपक्षी-3 को संबोधित पत्र, विपक्षीगण को भेजे गये कानूनी नोटिस और नोटिस भेजे जाने की डाकखाने की रसीदों की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/5 लगायत 3/9 हैं। परिवादी ने प्रार्थना पत्र कागज सं.-6/1 के माध्यम से वारंटी कार्ड की छायाप्रति कागज सं.-6/2 भी दाखिल की है।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/2 दाखिल हुआ, जिसमें परिवादी द्वारा परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोटर साईकिल विपक्षी-2 से खरीदा जाना स्वीकार करते हुए यह भी स्वीकार किया गया कि मोटर साईकिल चलाने पर लहर होने की बात परिवादी ने दिनांक 05-3-2014 को प्रथम सर्विस के समय जब बतायी तो परिवादी को विपक्षी-2 द्वारा टायर बदलने हेतु विपक्षी-3 को संबोधित एक पत्र दे दिया गया था। खराब टायर बदलने अथवा उसकी मरम्मत की जिम्मेदारी विपक्षी-1 व 2 की नहीं है। परिवादी ने इंटरनेट के माध्यम से मोटर साईकिल की उक्त शिकायत तो भेजी थी किन्तु उससे 2-4 दिन में निराकरण करने की कोई बात उत्तरदाता विपक्षीगण ने नहीं कही। विपक्षी-1 व 2 की ओर से यह कहते हुए कि उन्होंने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की, परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
विपक्षी-3 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-13/1 लगायत 13/2 दाखिल हुआ, जिसमें परिवाद कथनों को अस्वीकार करते हुए विशेष कथनों में कहा गया कि प्रश्नगत विवाद का कोई संबंध उत्तरदाता विपक्षी-3 से नहीं है, वह तो सिर्फ टायर बेचता है, उसका कोई अनुबन्ध विपक्षी-1 व 2 से नहीं है, उसके विरूद्ध कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ। परिवादी ने उसके विरूद्ध जो आरोप लगाये हैं, वे गलत हैं। अग्रेत्तर यह कथन करते हुए कि परिवादी ने अनुतोष विपक्षी-1 से मांगा है, उत्तरदाता विपक्षी-3 के विरूद्ध परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-14/1 लगायत 14/4 दाखिल किया। विपक्षी-2 की ओर से उनके प्रबन्धक श्री राजेन्द्र सिंह का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-24/1 लगायत 24/3 दाखिल हुआ। विपक्षी-1 की ओर से साक्ष्य दाखिल नहीं हुआ। विपक्षी-3 की ओर से उसके प्रबन्धक श्री प्रेम नारायण गुप्ता का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-16/1 लगायत 16/2 दाखिल हुआ।
परिवादी तथा विपक्षीगण ने अपनी लिखित बहस दाखिल की।
हमने परिवादी तथा विपक्षी-3 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। बहस हेतु विपक्षी-1 व 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुए।
विपक्षी-1, परिवादी द्वारा खरीदी गई मोटर साईकिल की निर्माता कंपनी तथा विपक्षी-2 मुरादाबाद में विपक्षी-1 के अधिकृत डीलर हैं। विपक्षी-3 मुरादाबाद में ‘’श्री लक्ष्मी टायर’’ के नाम से टायर विक्रेता हैं।
परिवादी के अनुसार उसने प्रश्नगत मोटर साईकिल दिनांक 03-02-2014 को विपक्षी-2 से खरीदी थी। खरीदने के दिन से ही बाइक ठीक नहीं चल रही थी और चलते समय वह लहर खाती थी, ऐसा परिवादी ने कहा है। विपक्षी-2 से शिकायत करने पर परिवादी से कहा गया कि पहली सर्विस पर जब बाइक लायेंगे तब इस समस्या को दूर कर दिया जायेगा। परिवादी ने परिवाद के साथ दाखिल पत्र की नकल कागज सं.-3/7 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि मोटर साईकिल में लगे टायर में कमी स्वीकार करते हुए विपक्षी-2 के मैनेजर ने विपक्षी-3 को संबोधित यह पत्र परिवादी को दिया था और कहा था कि विपक्षी-3 टायर बदल देंगे। परिवादी के अनुसार विपक्षी-3 ने इस पत्र के आधार पर टायर बदलने से इंकार कर दिया और कहा कि टायर बदलने का उनका कोई उत्तरदायित्व नहीं है, वे तो टायर के मात्र विक्रेता हैं।
विपक्षी-3 के विद्वान अधिवक्ता के इन तर्कों में बल दिखायी देता है कि विपक्षी-3 टायर के निर्माता नहीं हैं, विपक्षी-1 अथवा विपक्षी-2 से इस तरह टायर बदलने का उनका कोई अनुबन्ध भी नहीं है। ऐसी दशा में उनसे टायर मुफ्त में बदल देने की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/2 में विपक्षी-2 ने प्रथम सर्विस के समय अर्थात दिनांक 05-3-2014 को टायर बदले जाने विषयक विपक्षी-3 को संबोधित पत्र परिवादी को दिया जाना स्वीकार करते हुए अग्रेत्तर यह कथन किया है कि खराब टायर बदलने की विपक्षी-1 अथवा विपक्षी-2 की कोई जिम्मेदारी नहीं है, जैसा कि मोटर साईकिल की सर्विस बुक में उल्लेख है। टायर में दोष होने संबंधी सर्विस बुक के सुसंगत पृष्ठ की छायाप्रति पत्रावली का कागज सं.-6/2 है, इसमें यह उल्लेख है कि खराब टायर बदलने की जिम्मेदारी टायर निर्माता की होगी और इस हेतु विपक्षी-1 बजाज ऑटो लि. और विपक्षी-2 डीलर ग्राहक की पूरी सहायता करेंगे। पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य संकेत नहीं है, जिससे प्रकट हो कि विपक्षी-2 अथवा विपक्षी-1 की ओर से टायर के निर्माता से परिवादी की मोटर साईकिल का टायर बदलवाने में परिवादी की कोई मदद की गई थी। टायर बदलने हेतु विपक्षी-2 के प्रबन्धक द्वारा विपक्षी-3 को लिखा गया पत्र निरर्थक है क्योंकि विपक्षी-3 टायर का निर्माता नहीं है। स्पष्ट है कि विपक्षी-2 ने उक्त पत्र लिखकर परिवादी को गुमराह करने का प्रयास किया है। सर्विस बुक में टायर में उत्पन्न दोषों के संदर्भ में जो बातें लिखी हैं, वे विपक्षी-1 व 2 के पक्ष में ‘’एकपक्षीय’’ हैं, इन बातों को मोटर साईकिल खरीदते समय परिवादी ने स्वीकार कर लिया था, ऐसा कोई प्रमाण विपक्षी-1 व 2 की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है। इन परिस्थितियों में टायर संबंधी सर्विस बुक के सुसंगत पृष्ठ में जो बातें लिखी हैं, वे परिवादी पर बाध्यकारी नहीं कही जा सकती।
विपक्षी-2 ने बहैसियत अधिकृत प्रतिनिधि जब विपक्षी-1 द्वारा निर्मित मोटर साईकिल परिवादी को बेची है तो विपक्षी-2 अथवा विपक्षी-1 का यह कह देना कि बेची गई मोटर साईकिल के टायर में यदि कोई कमी है तो उसकी कोई जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी, अनुचित व्यापार पद्धति का परिचायक दिखायी देता है। यदि वे बाते स्वीकार कर ली जायें जो टायर के संबंध में सर्विस बुक में लिखी हैं तो इसका अर्थ यह होगा कि विपक्षी-1 अथवा विपक्षी-2 ने मोटर साईकिल में खराब क्वालिटी का यदि टायर लगाकर दे दिया तो क्रेता को उनसे किसी प्रकार की कोई शिकायत करने का अधिकार भी नहीं होगा। हम इस संदर्भ में विपक्षी-1 व 2 के पक्ष से सहमत नहीं हैं।
परिवादी ने परिवाद पत्र में तीनों ही विपक्षीगण को सही तरीके से पक्षकार बनाया है। एम.डी. बजाज ऑटो लि. की ओर से दिनांक 10-5-2018 को दाखिल की गई लिखित बहस में तत्संबंधी जो आपत्तियां उठायी गई हैं, वे निराधार हैं। अपनी इस लिखित आपत्ति में बजाज ऑटो लि. की ओर से यहां तक कथन कर दिया गया है कि ‘’परिवादी दिनांक 05-3-2014 को विपक्षी-2 के कार्यालय में नहीं आया’’ किन्तु इसके विपरीत अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा-4 व 5 में यही विपक्षीगण दिनांक 05-3-2014 को विपक्षी-2 के पास परिवादी का आना स्वीकार करते हुए विपक्षी-2 के वर्कशाप मैनेजर द्वारा विपक्षी-3 को संबोधित टायर बदलने विषयक पत्र दिया जाना स्वीकार कर रहे हैं। प्रकट है कि किसी न किसी तरीके से परिवादी को विधानत: जो अनुतोष मिलने चाहिए, उनसे वंचित करने का बजाज ऑटों लि. की ओर से प्रयास किया गया है।
पत्रावली पर उपलब्ध तथ्यों, परिस्थितियों एवं साक्ष्य सामग्री से हमारे विनम्र अभिमत में यह उचित दिखायी देता है कि टायर का मूल्य तीन हजार रूपये, जैसा कि परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र में उल्लेख किया है, परिवारदी को विपक्षी-1 व 2 से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त परिवादी को इन विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति की मद में एक हजार रूपये और परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त दिलाया जाना भी उचित दिखायी देता है। तद्नुसार परिवाद विपक्षी-1 व 2 के विरूद्ध स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-3000/-रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में विपक्षी-1 व 2 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। इन विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-1000/-रूपये और परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त पाने का भी परिवादी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार धनराशि का भुगतान दो माह में किया जाये।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
दिनांक: 11-05-2018
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