Madhya Pradesh

Seoni

CC/45/2014

PRITAM PRASHAD GALHONI - Complainant(s)

Versus

M. P. E. B. LAKHNADOND - Opp.Party(s)

MUKESH AVADHIYA

28 Oct 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी (म0प्र0)

  -:समक्ष:-
    
अध्यक्ष : श्री व्ही0पी0 शुक्ला
 सदस्य : वीरेन्द्र सिंह राजपूत
              
प्रकरण क्रमांक:-452014                                         प्रस्तुति दिनांक:-16.5.2014


प्रीतम प्रसाद गोल्हानी आ0 श्री उमाप्रसाद
गोल्हानी निवासी कचहरी रोड लखनादौन,
तहसील लखनादौन, जिला सिवनी (म0प्र0)


        ................परिवादी
           वि रू द्ध
1. म0प्र0 पूर्व क्षेत्र विधुत कम्पनी लिमिटेड 
द्वारा-कनिश्ठ अभियंता लखनादौन,
कनिश्ठ अभियंता म0प्र0 पूर्व क्षेत्र वि0वि0 क0
लिमिटेड लखनादौन, तहसील लखनादौन
जिला सिवनी (म0प्र0)
2. प्रोसंचालक, लक्ष्मी इलेक्ट्रीकल्स एण्ड 
   इलेक्ट्रानिक्स, रोटा झील काम्प्लेक्स, षाप
   नंबर-15 लखनादौन, जिला सिवनी (म0प्र0)  
                            ................अनावेदकगण                                         

              आ  दे  श

( दिनांक:-28.10.2014 को पारित )
पीठासीन अध्यक्ष :- विमल प्रकाश शुक्ला,

1.             परिवादी ने अनावेदक के विरूद्ध धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सेवा में कमी के आधार पर परिवादी की सिंचार्इ मोटर की भार क्षमता अधिक होना अधिरोपित करने एवं उसके आधार पर बिलिंग एवं अंतिम निर्धारण कर रिकवरी योग्य चाही गर्इ राषि 6,391-रूपये को निरस्त करने, मानसिक प्रताडना हेतु 30,000-रूपये एवं वादव्यय 2,000-रूपये दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।  

2.        परिवादी का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी अनावेदक का उपभोक्ता है। परिवादी का उपभोक्ता सर्विस क्रमांक-97-1-659034 है। अनावेदक द्वारा परिवादी को नियमित विधुत बिल दिया जा रहा है। परिवादी ने दिनांक 29.12.13 को अनावेदक क्रमांक 2 से 3 एच0पी0 की मोटर क्रय कर लगाया था। अनावेदक क्रमांक 1 के कर्मचारियों द्वारा परिवादी के कृशि स्थल का दिनांक 23.02.14 को निरीक्षण किया गया। परिवादी के विधुत मोटर को 3 एच0पी0 

 

प्रकरण क्रमांक:-452014

के स्थान पर 5 एच0पी0 का होना आरोपित कर परिवादी पर 6,391-रूपये की वसूली निकाली गर्इ। परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 के समक्ष आपतित प्रकट किया। अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी को बिना सुने अप्रैल माह में भार वृद्धि मानते हुए बिलिंग समीक्षा कर 6,391-रूपये की मांग की। परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 के कार्यालय में आवेदन पत्र प्रस्तुत कर विधुत मोटर की जांच कराने की मांग की, किन्तु अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा कोर्इ कार्यवाही नहीं की गर्इ। अतएव परिवादी को अनावेदकगण से परिवादी की सिंचार्इ मोटर की भार क्षमता अधिक होना अधिरोपित करने एवं उसके आधार पर बिलिंग एवं अंतिम निर्धारण कर रिकवरी योग्य चाही गर्इ राषि 6,391-रूपये को निरस्त करने, मानसिक प्रताडना हेतु 30,000-रूपये एवं वादव्यय 2,000-रूपये दिलाये जाने का निवेदन किया है।

3.       अनावेदक क्रमांक 1 का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी को कृशि कार्य हेतु 3 एच0पी0 का विधुत कनेक्षन दिया गया है। परिवादी का उपभोक्ता सर्विस क्रमांक-97-1-659034 है, जो 15-20 वर्श पुराना है। परिवादी द्वारा पूर्व में लगाये गये पम्प को बदला गया है। अनावेदक क्रमांक 1 के कर्मचारियों ने परिवादी के कृशि स्थल पर दिनांक 23.02.2014 को परिवादी की उपसिथति में निरीक्षण किया और निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि परिवादी स्वीकृत भार से अधिक क्षमता के स्थान पर 5 एच0पी0 की विधुत मोटर का उपयोग कर रहा था। निरीक्षण के दौरान बोर में लगी समबर्सियल मोटर द्वारा आर फेस 7.30 एम्पीयर, वाय फेस 7.40 एम्पीयर एवं बी फेस 8.10 एम्पीयर लोड लेना पाया गया, जो 5 एच0पी0 का है। अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा परिवादी के विरूद्ध धारा 126 विधुत अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की गर्इ है। परिवादी के विधुत मोटर बोर के अंदर थी। भार मापक यंत्र द्वारा परीक्षण करने पर मोटर 5 एच0पी0 का लोड ले रही थी। अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा सेवा में कोर्इ कमी नहीं की गर्इ है। परिवादी को धारा 126 विधुत अधिनियम के अंतर्गत अतिरिक्त भार का अंतिम निर्धारण कर 6,391.44-रूपये की वसूली हेतु नोटिस प्रेशित किया गया है। अतएव  अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।

4.        अनावेदक क्रमांक 2 का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा परिवादी को 3 एच0पी0 की विधुत मोटर दिनांक 29.12.2013 को विक्रय किया गया है। विधुत मोटर की क्षमता संबंधी जानकारी निर्माता कम्पनी ही दे सकती है। अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा सेवा में कोर्इ कमी नहीं की गर्इ है। अतएव  अनावेदक क्रमांक 2 ने परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है। 

5.        विचारणीय बिन्दू यह है कि क्या परिवादी के कृशि स्थल पर अनावेदक द्वारा मौके पर जांच कर 3 एच0पी0 के मोटर के स्थान पर 5 एच0पी0 की मोटर का उपयोग विधि विरूद्ध तरीके से मापा गया, जो अनावेदक क्रमांक 1 की सेवा में कमी है ?  
     

 

प्रकरण क्रमांक:-452014

6.        यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने 3 एच0पी0 क्षमता का विधुत मोटर लगाने हेतु कनेक्षन लिया था, उसका सर्विस क्रमांक-97-1-659034 है। अनावेदक क्रमांक 1 के कर्मचारियों द्वारा परिवादी के कृशि स्थल का दिनांक 23.02.14 को निरीक्षण किया गया था। 

7.        परिवादी प्रीतम प्रसाद ने षपथ पत्र पर प्रकट किया कि उसने दिनांक 29.12.2013 को कृशि कार्य हेतु विधुत मोटर क्रय कर अपनी कृशि स्थल पर विधुत मोटर स्थापित किया था। अनावेदक क्रमांक 1 के कर्मचारियों ने दिनांक 23.02.14 को उसके कृशि स्थल निरीक्षण कर यह अवगत कराया कि विधुत मोटर 3 एच0पी0 के स्थान पर 5 एच0पी0 का है, उसने विधुत मोटर का बिल टेस्टेड ओके प्रमाण पत्र एवं अन्य अभिलेख उपलब्ध कराये, इसके बावजूद अनावेदक क्रमांक 1 ने एकपक्षीय कार्य करते हुए उसे माह अप्रैल के बिल में भार वृद्धि मानते हुए बिलिंग समीक्षा कर अंतिम निरीक्षण स्वरूप 6,391-रूपये का बिल दिया, उसने अनावेदक क्रमांक 1 के सिवनी सिथत कार्यालय में इसकी षिकायत की, इसके बावजूद अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा कोर्इ कार्यवाही नहीं की गर्इ। 

8.        अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से संजय कुमार तिवारी ने षपथ पत्र पर प्रकट किया कि विभागीय कार्यवाही के अनुसार अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा अपने सहयोगी कर्मचारियों के साथ परिवादी के कृशि स्थल का दिनांक 23.02.14 को निरीक्षण किया गया। परिवादी के कृशि स्थल पर अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा स्वीकृत भार मापने हेतु परीक्षण किया गया एवं परीक्षण के उपरांत यह पाया गया कि परिवादी स्वीकृत भार से 3 एच0पी0 के स्थान पर 5 एच0पी0 का विधुत मोटर उपयोग कर रहा था। मापन यंत्र द्वारा परिवादी के कृशि स्थल पर स्थापित विधुत मोटर का भार 3 एच0पी0 का होना दर्षाया था। विभागीय कार्यवाही के दौरान परिवादी के विधुत मोटर में लगी समबर्सियल मोटर के द्वारा आर फेस 7.30 एम्पीयर, वाय फेस 7.40 एम्पीयर एवं बी फेस 8.10 एम्पीयर लोड लेना पाया गया, जो 5 एच0पी0 का पाया गया, जिस पर परिवादी के विरूद्ध 126 विधुत अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की जाकर उससे 6,391.44-रूपये की वसूली की कार्यवाही की गर्इ है।

9.        अनावेदक क्रमांक 2 की ओर से नेतराम ने षपथ पत्र पर प्रकट किया कि परिवादी ने उसकी दुकान से दिनांक 29.12.2013 को 23,087-रूपये में विधुत मोटर क्रय की गर्इ, जिसका सीरियल नंबर-564 था, जिसकी क्षमता 3 एच0पी0 थी। 

10.        परिवादी अधिवक्ता का तर्क यह है कि परिवादी अनावेदक क्रमांक 1 के कार्यालय में विधुत मोटर की अपनी उपसिथति में जांच कराने के लिये तत्पर है, किन्तु अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा परिवादी की उपसिथति में जांच नहीं की गर्इ, जिसके कारण अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा की गर्इ कार्यवाही दूशित है, किन्तु हम परिवादी अधिवक्ता के उक्त तर्को से सहमत नहीं है। अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा परिवादी से कृशि 

 

प्रकरण क्रमांक:-452014

स्थल पर दिनांक 23.02.14 को अनावेदक क्रमांक 1 की उपसिथति में मापक यंत्र द्वारा जांच किया गया। परिवादी के विधुत मोटर में 3 एच0पी0 के स्थान पर 5 एच0पी0 का उपयोग में होना पाया गया था। अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा तैयार किये गये स्थल निरीक्षण रिपोर्टपंचनामा पर परिवादी के हस्ताक्षर भी है। 

11.        उत्तर प्रदेष पावर कार्पोषन लिमिटेड एवं अन्य विरूद्ध अनीस अहमद ।।। (2013) सी.पी.जे. 1 (एस.सी.) में माननीय उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया है कि यदि परिवादी का परिवाद धारा 126 अथवा 135 लगायत 140 विधुत अधिनियम के अंतर्गत आता है, तब उपभोक्ता फोरम को मामले की सुनवार्इ का अधिकार नहीं है। रामनाथ पंजीयर विरूद्ध अरबन इलेकिट्रक सप्लार्इ डिवीजन एवं अन्य ।अ (2014) सी.पी.जे. 143 (एन.सी.) में माननीय राश्ट्रीय आयोग ने अभिनिर्धारित किया है कि जब स्वीकृत भार से अधिक विधुत खपत की जा रही हो, तब यह धारा 126 विधुत अधिनियम के अंतर्गत अनाधिकृत विधुत का उपयोग है। उपभोक्ता फोरम को ऐसे मामलों में सुनवार्इ का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस मामले में भी अनावेदक क्रमांक 1 के अधिकारियों द्वारा परिवादी के कृशि स्थल का निरीक्षण कर 3 एच0पी0 के स्थान पर 5 एच0पी0 की मोटर का उपयोग कराया जाना पाया गया था और जिसके आधार पर अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा परिवादी को अतिरिक्त देयक 6,391-रूपये की वसूली हेतु नोटिस दिया गया है, जो विधिक प्रकि्रया के अनुरूप है। परिवादी को 6,391-रूपये की रिकवरी से संबंधित दिये गये बिल को निरस्त करने का इस फोरम को क्षेत्राधिकार नहीं है।

12.        उपरोक्त विवेचन के आधार पर परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाता है।
13.        उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय वहन करें।  

14.        आदेष की प्रति पक्षकारों को नि:षुल्क प्रदान की जावे। 
   
मैं सहमत हूँ।                        मेरे निर्देषन में टंकित किया गया।  

      

(वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                              (व्ही0पी0 षुक्ला)
      सदस्य                                                  अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                          प्रतितोषण फोरम,सिवनी
     (म0प्र0)                                                   (म0प्र0)
  

 
 


     
 
 
  
 
 

 

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