जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 08/2012
उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-04.01.2012
परिवाद के निर्णय की तारीख:-26.06.2024
Kamlesh Kumar Yadav S/o Bhajan Singh Yadav R/o N-1/378, Aliganj Lucknow. ................Complainant.
VERSUS
1. M-Tech Develorers Ltd . 5/118 Vinay Khand Gomti Nagar Lucknow through its Branch Manager.
2. M-Tech Develorers Ltd. ANS House, 144/2 Ashram Mathura Road New Delhi-110014. throught its Managing Director.
...............Opposite Parties.
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:- परिवादी स्वयं।
विपक्षीगण के अधिवक्ता का नाम:-ए0बी0सिंह।
आदेश द्वारा-श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12 के अन्तर्गत इस आशय से प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी द्वारा जमा धनराशि 1,24,000.00 रूपये जमा किये जाने की तिथि 11.12.2006 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ मूल बुकिंग दिनॉंक 28.05.2011 से वास्तविक भुगतान तक 18 प्रतिशत ब्याज दिलाये जाने, एवं वाद व्यय के लिये 11,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने वर्ष 2006 में विपक्षीगण ने गोमती नगर लखनऊ में एक हाउसिंग प्रोजेक्ट शुरू किया। परिवादी ने विपक्षीगण से हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिये एक संविदा की। उस संविदा के सापेक्ष में परिवादी ने विपक्षी संख्या-01 के बुकिंग कार्यालय में गया जहॉं विपक्षीगण ने कीमत आकर्षक छूट देकर आकर्षक ऑफर की पेशकश की। दिनॉंक 11.12.2006 को परिवादी ने डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से विपक्षी संख्या-01 के पास 1,24,000.00 रूपये की राशि जमा करके विपक्षीगण के एम टेक सिटी लखनऊ में प्लॉट के लिये पंजीकरण/बुकिंग प्राप्त की।
3. विपक्षी दलों ने आश्वासन के तहत मूल बुकिंग धनराशि 1,24,000.00 रूपये 28.05.2011 को ड्राफ्ट नम्बर 173675 के माध्यम से वापस कर दिया और वायदा किया कि जल्द ही ब्याज की राशि भी परिवादी को दे दी जायेगी। परन्तु उक्त धनराशि पर विपक्षी द्वारा कोई भी ब्याज वापस नहीं किया गया जिसे कि उस पैसे का विपक्षीगण द्वारा उपभोग किया गया।
4. विपक्षीगण द्वारा उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 01 से 200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले एक प्लॉट की बुकिंग के संबंध में संपर्क किया गया था। परिवादी ने अग्रिम पंजीकर आवेदन पत्र भरकर हलवासिया मार्केट हजरतगंज लखनऊ स्थित विपक्षी पार्टी नम्बर 01 के शाखा कार्यालय में जमा कर दिया गया था और अन्तिम भुगतान भी किया था। पंजीकरण राशि 1,24,000.00 रूपये डिमाण्ड ड्राफ्ट संख्या 998493 दिनॉंक 08.12.2006 को जमा कर दिया था।
5. विपक्षीगण द्वारा परियोजना के पहले विकास या उसके द्वारा बुक किए गए प्लाट के पहले आवंटन के बारे में कभी आश्वासन नहीं दिया। अग्रणी कम्पनी मेसर्स एएनएस कंस्ट्रक्शन लिमिटेड ने पहले लाइसें 859/सीटीपीध्2006 स्वीकृत किया था। परन्तु किन्ही कारणों से सरकार द्वारा इसे रद्द कर दिया गया। जो भी प्रोजेक्ट के संदर्भ में पैसा लिया गया था उसका लाइसेंस निरस्त हो गया था। इस संदर्भ में उन्होंने विभिन्न तिथियों पर अखबार में इस्हिार किया था और सबको सूचना दी थी कि 05 प्रतिशत कन्श्ट्रक्शन के रूप में दिया जायेगा और इसकी सूचना देकर इनको पैसा भी वापस कर दिया गया। कोई भी ब्याज प्राप्त करने के अधिकारी नहीं हैं।
6. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेज के रूप में रजिस्ट्रेशन रिसीप्ट, डिमाण्ड ड्राफ्ट, टर्म्स एवं कन्डीशन आदि दाखिल किया है। विपक्षीगण द्वारा भी सरेण्डर एप्लीकेशन एवं रिसीप्ट/बाउचर आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी हैं।
7. आयोग द्वारा परिवादी के तर्को को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
8. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिवादी को दो आवश्यक तथ्यों को साबित किया जाना है।
1. परिवादी का उपभोक्ता होना 2. विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी।
1. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी द्वारा विपक्षी को 1,24,000.00 रूपये प्लाट के लिये दिया गया। अत: परिवादी उसका उपभोक्ता हुआ।
2. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि 1,24,000.00 रूपये परिवादी ने प्लाट के लिये विपक्षी को दिया था। विपक्षीगण द्वारा पैसा परिवादी को वापस भी कर दिया गया। परिवादी के स्टेटमेंट से यह प्रतीत होता है कि 1,24,000.00 रूपये परिवादी को वापस कर दिया गया है। विपक्षीगण का यह कथानक है कि उन्हें लाइसेंस न मिलने के कारण उनका प्रोजेक्ट समाप्त हो गया और 05 प्रतिशत ब्याज की बात की थी। चॅूंकि प्रस्तुत परिवाद मात्र उक्त धनराशि पर ब्याज हेतु संस्थित किया गया है।
9. स्वीकृत तथ्य यह है कि 1,24,000.00 रूपये विपक्षी के पास था और उस पैसे को परिवादी को दिनॉंक 28.05.2011 को ड्राफ्ट नम्बर 173675 के माध्यम से वापस कर दिया गया। जब पैसा विपक्षी के पास था तो निश्चित ही यह उपधारणा की जायेगी कि उस पैसे का इस्तेमाल किया होगा, और जब पैसा लेकिर वापस किया जाता है तो उस पर ब्याज भी देय होगा। मेरे विचार से यह न्यायसंगत प्रतीत होता है। अत: विपक्षीगण द्वारा परिवादी से जिस तिथि को पैसा प्राप्त किया गया है उस तिथि से उक्त धनराशि पर 06 प्रतिशत ब्याज अन्तिम अदायगी तक दिलाया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है। उपरोक्त तथ्यों के आलोक में परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, विपक्षी संख्या-01 को निर्देशित किया जाता है कि जिस तिथि को विपक्षी संख्या 01 ने मुबलिग 1,24,000.00 (एक लाख चौबीस हजार रूपया मात्र) परिवादी से प्राप्त किया है उस तिथि से लेकर अंतिम भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर परिवादी को अदा करेंगे। परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक कष्ट के लिये मुबलिग 5,000.00 (पॉंच हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-26.06.2024