(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ)
सुरक्षित
परिवाद संख्या 09/2013
अमित पाण्डेय आ. आर.के. पाण्डेय प्रो. मेसर्स श्री साई इंडस्ट्रीज कमलपुर निवासी पालिटेक्निक कालेज के पीछे नमनाकला अम्बिकापुर, जिला सरगुजा (छ.ग.)
…परिवादी
बनाम
1- एम.आर. सैफी प्रोपराईटर जाय इम्पेक्स (सैफीकोन) ई 1 सेक्टर 22, यू0पी0 एस.आई.डी.सी. इंउस्ट्रीयल ऐरिया मेरठ रोड सेमटेल डिवाइश लिमि. के पास गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश पिन 2010001
2- एम आई सैफी (डायरेक्टर) जाय इम्पेक्स गली नं0 2 बनवारी नगर, सिहानी चुंगी, गाजियाबाद निवासी- 1583 नं0 3, चमन कालोनी ईस्लाम नगर गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश पिन 2010001
3- अफसाना सैफी (अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता) द्वारा जाय इम्पेक्स गली नं0 2 बनवारी नगर सिहानी चुंगी गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश पिन 2010001
.........विपक्षीगण
समक्ष:
1. मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य ।
2. मा0 श्री विजय वर्मा, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : परिवादी स्वयं।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता सुश्री रजिया सुल्तान एवं श्री
प्रतुल श्रीवास्तव।
दिनांक:- 04-01-2017
मा0 श्री विजय वर्मा, सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
यह परिवाद परिवादी अमित पाण्डेय द्वारा प्रतिवादीगण एम0 आर0 सैफी प्रो0 जाय इम्पेक्स एवं अन्य के विरूद्ध क्षतिपूर्ति इत्यादि के लिए दायर किया गया है।
परिवादी का संक्षेप में कथन इस प्रकार है कि उसने स्वनियोजन एवं जीवन यापन हेतु वेल्डिंग राड बनाने की इंडस्ट्रीज लगाने का निश्चय किया और इस संदर्भ में प्रतिवादीगण से संपर्क किया। प्रतिवादीगण द्वारा परिवादी से यह कहा गया कि यदि वह वेल्डिंग राड बनाने की मशीन की सप्लाई उनसे लेते हैं तो वे समस्त उत्पादित माल का विक्रय कराने की गारण्टी लेते हैं। परिवादी ने प्रतिवादीगण से मशीनों की सप्लाई लेना सुनिश्चित किया तो प्रतिवादीगण
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ने यह कहा कि यदि परिवादी 45,000/- रूपये की 12 किस्तें जमा कर दे तो वे वेल्डिंग राड बनाने की इंडस्ट्रीज कीमती 15,00,000/- रूपये को स्थापित कर देंगे। परिवादी शेष रकम बैंक फाइनेंस द्वारा प्रदान कर सकता है। परिवादी ने 45,000/- रूपये की 12 किस्तें दिनांक 09/10/2009 से 22/12/2010 तक जमा करके कुल 5,40,000/- का भुगतान प्रतिवादीगण को कर दिया साथ ही परिवादी द्वारा प्रतिवादीगण से कोटेशन लेकर फाइनेंस कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई। प्रतिवादीगण द्वारा बैंक से फाइनेंस कराने हेतु एक पत्र भी दिनांक 14/04/2016 को परिवादी को दिया। प्रतिवादीगण द्वारा यह भी कहा गया कि वेल्डिंग राड की विदेश से सप्लाई मिलने की संभावना है परन्तु उसके लिए आवश्यक है कि परिवादी के पास अपना केमिकल एण्ड फिजिकल लैब एवं वायर ड्राईंग मशीन हो। परिवादी द्वारा केमिकल एण्ड फिजिकल लैब की कीमत 7,50,000/- रू0 एवं वायर ड्राईंग मशीन की कीमत 6,38,000/- रू0 रिपोर्ट में जुड़वाने पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट का योग 28,88,000/- रू0 हो गया, तदनुसार जिला उद्योग आफिस तथा बैंक में संशोधन कराकर फाइनेंस की कार्रवाई शुरू की गई। प्रतिवादीगण परिवादीसे लगातार पैसों की मांग मशीनों और लैब की सप्लाई के लिए कर रहे थे किनतु परिवादी ने स्पष्ट कर दिया था कि शेष भुगतान बैंक ही करेगा। बैंक द्वारा कर्ज मंजूर होने पर बैंक ने परिवादी के कहने पर प्रतिवादीगण के नाम दो डिमांड ड्राफ्ट क्रमश: 9,00,000/- रूपये एवं 5,08,800/- रूपये दिनांक 02/06/2011 को प्रतिवादीगण को भेज दिये किन्तु दिनांक 03/06/2011 तक प्रतिवादीगण को 19,48,800/- रूपये धनराशि प्राप्त करने के बाद भी कोई मशीनें सप्लाई नहीं की गई। प्रतिवादीगण ने दिनांक 05/11/2011 को 15,00,000/- की मशीन की सप्लाई करना कहकर बिल पर पृथक से 30,000/- रू0 टैक्स जोड़कर ट्रांसपोर्ट से भेजा। जब परिवादी द्वारा बिल और मशीन का मिलान किया गया तो यह पता चला कि प्रतिवादीगण द्वारा केवल 12,06,000/- रू0 की ही मशीनें सप्लाई की गई थी तब परिवादी द्वारा प्रतिवादीगण से उपरोक्त बात बताई गई तो उन्होंने गलती स्वीकार करते हुए अपने पत्र दिनांक 16/12/2011 से अवगत करया गया कि यद्यपि तीनों मशीनों की बिलिंग कर दी गई है किन्तु वे सप्लाई नहीं कर सके हैं और 2,94,000/- रू0 कीमत मशीन को अलग से सप्लाई किया जायेगा। प्रतिवादीगण द्वारा शेष धनराशि की मांग करने पर परिवादी ने बैंक से संपर्क किया तो उसे बताया गया कि प्रतिवादीगण द्वरा मशीनों की सप्लाई कब तक की जायेगी,
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ऐसा वचन पत्र दिये जाने पर ही कोई धनराशि का चेक जारी किया जायेगा जिस पर प्रतिवादीगण ने बैंक को दिनांक 09/11/2011 को यह पत्र दिया कि पूरी मशीन की सप्लाई नवम्बर, 2011 के तीसरे सप्ताह तक कर दिया जायेगा और पूरे प्लांट को दिसम्बर 2011 के दूसरे सप्ताह तक पूरा कर दिया जायेगा। उक्त पत्र के आधार पर बैंक ने फाइनेंस की शेष धनराशि 9,39,200/- रू0 आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से दिनांक 14/11/2011 को प्रतिवादीगण को कर दिया गया तथा प्रतिवादीगण से शीध्र मशीनों की सप्लाई करने तथा प्लांट चालू करने हेतु कहा गया। प्रतिवादीगण द्वारा कुल कीमत 28,88,000/- रू0 प्राप्त करने के बावजूद मात्र 15,00,000/- रू0 की मशीन ही सप्लाई की गई है तथा 13,88,000/- रू0 की मशीन की सप्लाई की गई है और न ही इस बारे में प्रतिवादीगण द्वारा कुछ कहा जा रहा है। परिवादी द्वारा प्रतिवादीगण के उक्त कृत्य से क्षुब्ध होकर एक नोटिस अपने अधिवक्ता के माध्यम से प्रतिवादीगण को भेजा गया। प्रतिवादीगण द्वारा एडवांस 5,40,000/- रूपये प्राप्त करने के बाद भी दिनांक 22/08/2011 तक कोई सप्लाई नही की गई तथा बैंक फाइनेंस 23,48,000/- रू0 प्राप्त करने के बाद भी निर्धारित सीमा में मशीन की सप्लाई नहीं की गई जिसके कारण केमिकल एण्ड फिजिकल लैब एवं वायर ड्राईंग कीमती 13,88,000/- रू0 का आदेश निरस्त करना पड़ा। परिवादी को मशीनों की सप्लाई न होने से उसका काम शुरू नहीं हो सका जिसके कारण उसे 31,20,000/- रूपये की क्षति हुई, साथ ही उसे अनावश्यक रूप से बैंक को 311 दिनों का ब्याज देना पड़ा जिसमें करीब 159049.66 रू0 की क्षति हुई तथा 13,88,000/- की मशीन सप्लाई न होने के कारण उसे 17,97,269/- रू0 की आर्थिक क्षति हुई। इसी प्रकार परिवादी को अन्य क्षति 5,00,000/- रूपये हुई। उपरोक्त समस्त क्षतिपूर्ति, आर्थिक क्षति की क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय हेतु परिवादी द्वारा यह परिवाद दायर किया गया है।
प्रतिवादीगण ने अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल किया है जिसमें परिवाद में वेल्डिंग राड इण्उस्ट्रीज मशीन की सप्लाई हेतु परिवादी के कथन को स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा 5,40,000/- रू0 की धनराशि प्राप्त करना स्वीकार किया है। उसके द्वारा यह भी स्वीकार किया गया कि परिवादी द्वारा बैंक से कर्ज प्राप्त करने हेतु उसके द्वारा पत्र बैंक को भेजा गया था किन्तु अन्य तथ्यों से इन्कार करते हुए अपने प्रतिवाद पत्र में कहा गया है कि इस न्यायालय को यह परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है क्योंकि प्लांट का सौदा
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गाजियाबाद में तय हुआ था तथा वहीं पर मशीनरी देखी एवं बनाई गई थी। उनके द्वारा यह भी कहा गया है कि परिवादी ने 2009 में 5,40,000/- रू0 देने के बाद दो वर्ष तक कोई भी पैसा नहीं दिया था जब कि सौदे में यह शर्त थी कि प्लांट का रेट समय के अनुसार रिवाइज होता रहेगा। परिवादी को लोन कराने में दो वर्ष का समय लग गया। प्रतिवादीगण द्वारा मशीन बनाकर तैयार भी कर दी गई थी। यह बताया गया कि मार्केंट में इस्पात व अन्य स्पेयर पार्ट्स की कीमत चौगुनी बढ़ गई है किन्तु परिवादी द्वारा मात्र लोन की बात ही कही जाती रही। परिवादी व प्रतिवादी के मध्य प्लांट लगाकर विदेश में सेल का प्रस्ताव था जिसके तहत परिवादी को वायर ड्राईंग मशीन तथा केमिकल एण्ड फिजिकल लैब इत्यादि लगानी थी जिसके लिए प्रतिवादी सं0 2 अपने खर्चें से विदेश गया किन्तु परिवादी के लोन में देरी होने के कारण प्रतिवादीगण के कई आर्डर हाथ से निकल गये और उसे लगभग 50,00,000/- रूपये का नुकसान हुआ। परिवादी के द्वारा दिये गये आर्डर के तहत वायर ड्राईंग व लैब के अन्य मशीन प्रतिवादीगण के पास आज भी बने पड़े है किन्तु परिवादी उन्हें उठाने के लिए ध्यान नहीं दिया है जिससे प्रतिवादीगण को लाखों रूपये की क्षति हुई। परिवादी ने इन मशीनों का न तो कोई भुगतान किया है और न ही यह बताया है कि कब तक इस माल को उठायेगा। परिवादी का परिवादी सव्यय खण्डित किये जाने योग्य है।
परिवादी की ओर से अपने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा सौदे से संबंधित कोटेशन, भुगतान बिल इत्यादि के लगभग 35 अभिलेख की प्रतियां दाखिल की गई है, इसके अतिरिक्त बैंक के लोन चुकाने में माता के मकान की बिक्री की पत्र की छायाप्रति की दो प्रतियां दाखिल की गई है।
प्रतिवादीगण की ओर से अपने प्रतिवाद पत्र के कथन के समर्थन में एम0आई0 सैफी (डायरेक्टर) जाय इम्पेक्स का शपथ पत्र दाखिल किया गया है।
परिवादी स्वयं उपस्थित हैं तथा प्रतिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता सुश्री रजिया सुल्तान एवं श्री प्रतुल श्रीवास्तव उपस्थित हैं। परिवादी एवं प्रतिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना गया तथा पत्रावली के समस्त अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
परिवाद पत्र एवं प्रतिवाद पत्र तथा परिवादी एवं प्रतिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त इस परिवाद में निम्नलिखित बिन्दु विचारणीय हैं:-
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1- क्या परिवादी द्वारा प्रतिवादीगण से वेल्डिंग राड की इण्डस्ट्रीज लगाने की मशीन सप्लाई करने हेतु जो अनुबंध हुआ उसके आधार पर परिवादी द्वारा मशीनों की सप्लाई के संबंध में परिवादी द्वारा नियत धनराशि का भुगतान करने पर भी प्रतिवादीगण द्वारा मशीनों की पूर्ण सप्लाई नहीं की गई, यदि हॉं तो उसका प्रभाव?
2- क्या परिवादी एवं प्रतिवादीगण के मध्य वेल्डिंग राड इण्डस्ट्रीज लगाने के दौरान केमिकल एण्ड फिजिकल लैब तथा वायर ड्राइंग मशीन लगाने का भी अनुबंध हुआ जिसके आधार पर परिवादी द्वारा नियत धनराशि का भुगतान प्रतिवादीगण को करने पर भी प्रतिवादीगण द्वारा उपरोक्त लैब एवं मशीनें सप्लाई की गईं या नहीं, यदि हॉं तो उसका प्रभाव?
3- क्या परिवादी द्वारा समय से धनराशि का भुगतान न करने के कारण प्रतिवादीगण द्वारा मशीनें देर में सप्लाई करके कोई सेवा में कमी की गई है या नहीं, यदि हॉ तो उसका प्रभाव?
विचारणीय बिन्दु – 1 व 2 एक-दूसरे से संबंधित होने के कारण उनका निस्तारण एक साथ किया जा रहा है।
इस प्रकरण में यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी द्वारा वेल्डिंग राड मशीन की इण्डस्ट्री लगने हेतु प्रतिवादीगण से न केवल एक अनुबंध किया गया अपितु उक्त अनुबंध के अंतर्गत 5,40,000/- रूपये का भुगतान भी प्रतिवादीगण को किया गया। यह भी तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी द्वारा मशीनों की सप्लाई के संबंध में शेष राशि का भुगतान हेतु न केवल बैंक से लोन लेने की बात तय हुआ था अपितु लोन लेने के लिए प्रतिवादीगण द्वारा बैंक को फाइनेन्स रिलीज करने हेतु पत्र भी लिखा गया था। यह भी उल्लेखनीय है कि परिवादी द्वारा स्व्यं तथा बैंक के माध्यम से प्रतिवादीगण को डिमांड ड्राफ्ट सं0 112218 मु0 9,00,000/- रूपये एवं डिमांड ड्राफ्ट सं0 112219 मु0 5,08800/- का भुगतान कोरियर के माध्यम से दिनांक 03/06/2011 को प्रतिवादीगण को भेजा गया था और इस प्रकार उन्हें कुल 19,48,800/- रूपये प्राप्त हो गया था। परिवादी के उपरोक्त कथन को प्रतिवादीगण द्वारा अपने प्रतिवाद पत्र में कहीं भी खंडित नहीं किया गया है। परिवादी अपने अभिलेखीय साक्ष्य एवं शपथ पत्र के माध्यम से यह सिद्ध कर सकें हैं कि प्रतिवादीगण को कुल 19,48,800/- रूपये दिनांक 03/06/2011 को प्राप्त होने के बावजूद उनके द्वारा मशीनों की सप्लाई परिवादी
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को नहीं की गई। साक्ष्य से यह भी स्पष्ट होता है कि प्रतिवादीगण द्वारा दिनांक 05/11/2011 को 15,00,000/- रूपये की मशीन की सप्लाई की बात कही गई जब कि बिल से सप्लाई का मिलान करने पर परिवादी को मात्र 12,06000/- रूपये का माल की सप्लाई पाई गई और इस गलती को स्वयं प्रतिवादीगण ने अपने पत्र दिनांक 03/12/2011 एवं 16/12/2011 द्वारा स्वीकार करते हुए 2,94,000/- की मशीन अलग से भेजने की बात कही गई। पत्र दिनांक 03/12/2011 जो प्रतिवादीगण की तरफ से सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया को भेजा गया है उसमें यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि दो मशीनें भेजी नहीं जा सकी जो कि अतिशीध्र भेज दी जायेगी। इसी आशय का पत्र दिनांक 16/12/2011 को भेजा जाना दर्शित होता है। इन पत्रों से स्पष्ट है कि भुगतान प्राप्त करने के बावजूद भी प्रतिवादीगण द्वारा पूर्ण सप्लाई परिवादी को नहीं भेजी गयी। प्रतिवादीगण की तरफ से यह तर्क दिया गया कि परिवादी द्वारा धनराशि समय से जमा नहीं की गई जिसके कारण मशीन की सप्लाई में देरी हुई किन्तु साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि 5,40,000/- रूपये के भुगतान के बाद शेष धनराशि का भुगतान बैंक के लोन के द्वारा ही किया जाना था और बैंक द्वारा प्रतिवादीगण ने मशीन की सप्लाई के बारे में स्पष्ट समयावधि बताने के उपरान्त ही बैंक से शेष धनराशि का भुगतान किया जाना था। यह भी साक्ष्यों से स्पष्ट है कि स्वयं प्रतिवादीगण की तरफ से बैंक को इस आशय का पत्र लिखा गया था कि उनके द्वारा परिवादी को मशीन की सप्लाई नवम्बर 2011 के तृतीय सप्ताह से कर दिया जायेगा और प्लांट दिसम्बर 2011 द्वितीय सप्ताह तक स्थापित कर दिया जायेगा। जैसा कि पत्र दिनांक 09/11/2011 की क्षतिपूर्ति से साबित है। बैंक द्वारा भी दिनांक 14/11/2011 के पत्र से प्रतिवादी कंपनी को यह सूचित किया गया है कि उनके द्वारा 14,08,800/- की धनराशि दिनांक 02/06/2011 को भेजी गई है और दिनांक 14/11/2011 को आर0टी0जी0एस0 से 9,39,200/- की धनराशि निर्गत की गई है और इसी पत्र दिनांक 14/11/2011 में यह भी अंकित है कि प्रोजेक्ट को स्थापित करने में देरी नहीं की जाय। इन अभिलेखों से यह स्पष्ट है कि न केवल प्रतिवादीगण को दिनांक 14/11/2011 तक धनराशि 5,40,000/- रूपये, 14,08,800 रू0 एवं 9,39,200/- कुल योग 28,88,000/- रूपये की धनराशि का भुगतान किया गया था किन्तु प्रतिवादीगण द्वारा मात्र 12,06,000/- रूपयें की ही मशीन सप्लाई की गई। साक्ष्य से यह भी स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा केमिकल
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फिजिकल लैब एवं वायर ड्राईंग मशीन को भी सप्लाई करने का आर्डर परिवादी द्वारा दिये गये कोटेशन के आधार पर दिया गया था और उपरोक्त वेल्डिंग राड इण्डस्ट्रीज की मशीन एवं केमिकल फिजिकल लैब तथा वायर ड्राईंग मशीन को क्रय करने हेतु परिवादी द्वारा 28,88,000/- रूपये का भुगतान किया गया था। साक्ष्य से यह भी दृष्टिगत होता है कि प्रतिवादीगण द्वारा 15,00,000/- रूपये के मूल्य की मशीन कहकर मात्र 12,06,000/- रूपये की ही मशीनों की सप्लाई की गई थी और चूंकि बैंक से लोन प्राप्त होने के बाद भुगतान होने के बाद भी प्रतिवादीगण द्वारा शेष मशीनों की सप्लाई नहीं की गई थी, यद्यपि परिवादी द्वारा वैट की धनराशि 30,000/- रूपये तथा कमिशनिंग चार्जेज 90,000/- का भुगतान भी किया गया था जैसा कि परिवादी को पत्र दिनांक 06/08/2012 से स्पष्ट है मशीनों की सप्लाई न किये जाने से परिवादी को जो आर्थिक क्षति उठानी पड़ी उसके आधार पर उसके द्वारा एक नोटिस दिनांक 13/08/2012 को विपक्षीगण को भेजी गई जिसमें केमिकल एण्ड फिजिकल लैब से संबंधित मशीन तथा वायर ड्राईंग मशीन नहीं क्रय करने की बात कहते हुए धनराशि वापस करने की बात कही गई। प्रतिवादीगण द्वारा 28,88,000/- रूपये का भुगतान प्राप्त करने के संबंध में कोई खंडन नहीं किया गया है और साक्ष्य से सुस्पष्ट हो जाता है कि परिवादी द्वारा प्रतिवादीगण को 28,88,000/- रू0 की धनराशि का भुगतान प्रश्नगत मशीन को खरीदने के लिए किया गया। परिवादी ने अपने शपथ पत्र में यह बयान किया गया है कि मु0 28,88,000/- रूपये प्राप्त करने के एवज में परिवादी को मात्र 15,00,000/- की ही मशीनों की सप्लाई की गई है और 13,88,000/- रू0 की मशीन की सप्लाई नहीं की गई है। स्पष्ट है कि 13,88,000/- की मशीन केमिकल एण्ड फिजिकल लैब की मशीन एवं वायर ड्राईंग मशीन की ही कीमत है।
जैसा कि प्रतिवादीगण के पत्र दिनांक 19/08/2010 की छायाप्रति से स्पष्ट है जिसमें केमिकल एण्ड फिजिकल लैब की मशीन का मूल्य 7,50,000/- रू0 एवं वायर ड्राईंग मशीन की मूल्य 6,38,000/- रूपये दर्शायी गई है। इन दोनों मशीनों को प्रतिवादीगण द्वारा परिवादी को सप्लाई नहीं किया गया और इस संदर्भ में प्रतिवादीगण की ओर से यह तर्क दिया गया कि ये दोनों मशीने उनके पास तैयार रखी हैं किन्तु परिवादी उन्हें लेने नहीं आया। इस तर्क में कोई बल प्रतीत नहीं होता है क्योंकि यदि मशीनें तैयार थी तो प्रतिवादीगण को यह चाहिए था कि
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वे उक्त मशीनों को परिवादीको भेज देते क्योंकि परिवादी द्वारा मु0 28,88,000/- रूपये की धनराशि का भुगतान प्रतिवादीगण को किया जा चुका था। यदि कोई धनराशि प्रतिवादीगण का परिवादी के ऊपर शेष रह जाती तो उसे परिवादी से मांगा जा सकता था किन्तु ऐसा कोई साक्ष्य प्रतिवादीगण की ओर से नहीं दाखिल किया गया है जिससे यह साबित हो सके कि 28,88,000/- रू0 की धनराशि का भुगतान करने के बाद परिवादी पर कोई धनराशि शेष निकलती थी जिसके लिए उनके द्वारा कोई मांग पत्र प्रस्तुत किया गया। इन परिस्िथतियों में प्रतिवादीगण द्वारा केमिकल एण्ड फिजिकल लैब की मशीन व वायर ड्राईंग मशीन को सप्लाई न किये जानेका कोई भी उचित आधार दृष्टिगत नहीं होता है। अत: प्रतिवादीगण ने समय से 15,00,000/- रूपये की सभी मशीन सप्लाई न करके तथा केमिकल एण्ड फिजिकल लैब एवं वायर ड्राईंग की मशीन सप्लाई न करके सेवा में कमी की है। तदनुसार उपरोक्त बिन्दु निस्तारित किये जाते हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि प्रतिवादीगण द्वारा समय से 15,00,000/- रू0 की मशीन परिवादी को सप्लाई न करके जो सेवा में कमी की गई है उसका क्या प्रभाव तथा प्रतिवादीगण द्वारा जो केमिकल एण्ड फिजिकल लैब एवं वायर ड्राईंग की मशीन सप्लाई न करके सेवा में कमी की गई है उसका क्या प्रभाव पड़ता है।
परिवादी की ओर से अपने शपथ पत्र में यह कथन किया गया है कि प्रतिवादीगण द्वारा उसे 13,88,000/- रूपये की मशीन की सप्लाई नहीं की गई है। जो मशीन सप्लाई की गई है उसकी गुणवत्ताहीन होने के कारण उत्पादन बंद करना पड़ा है और उसके द्वारा जो बैंक से कर्ज लिया गया था उसे अदा करने के लिए अपने मॉं का मकान बेचकर तथा पिता के रिटायरमेंट से मिलने वाली रकम से बैंक का लोन अदा कर रहा है। स्पष्ट है कि परिवादी को मशीन की सप्लाई न होने के कारण आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है। चूंकि प्रतिवादीगण द्वारा 13,88,000/- रू0 की मशीन सप्लाई नहीं की गई है यद्यपि तदर्थ भुगतान उनके द्वारा परिवादी से प्राप्त किया जा चुका था अत: परिवादी 13,88,000/- रू0 मय ब्याज के प्रतिवादीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है, साथ ही वह आर्थिक क्षति के लिए क्षतिपूर्ति भी पाने का अधिकारी है।
अब प्रश्न उठता है कि परिवादी कितनी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी
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ने अपने परिवाद पत्र में 31,20,000/- रू0, 15,00,949/- रू0 तथा 5,00,000/- रूपये आर्थिक क्षति की तरह से प्रतिवादीगण से दिलाये जाने के लिए प्रार्थना की गई है। इसके अतिरिक्त उसके द्वारा 13,88,000/- रूपये मय ब्याज प्राप्त करने के लिए कथन किया गया है। परिवादी द्वारा जो धनराशि इण्डस्ट्रीज चालू न होने के कारण आर्थिक क्षति के संबंध में 31,20,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति दिया गया है उसे मानने के लिए कोई उचित आधार नहीं दिया गया है। इन परिस्थितियों में यह नहीं कहा जा सकता है कि 31,20,000/- रूपये का आर्थिक क्षति उत्पादन न कर पाने के कारण हुई, जहां तक ब्याज के आधार पर आर्थिक क्षति का प्रश्न है उसका भी कोई उचित आधार दृष्टिगत नहीं होता है क्योंकि बैंक का कर्ज समयावधि के अनुसार चुकाया जाना होता है और इंडस्ट्रीज लगने या न लगने से बैंक के ब्याज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और यह नहीं कहा जा सकता है कि परिवादी को उपरोक्त अवधि की ब्याज के कारण आर्थिक क्षति हुई है परन्तु संपूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों से यह साबित है कि परिवादी को प्रतिवादीगण की सेवा में कमी के कारण शारीरिक एवं मानसिक कष्ट प्रताड़ना हुई अत: तदर्थ एकमुश्त 1,00,000/- रूपये आर्थिक क्षति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। यह पहले ही विवेचित हो चुका है कि परिवादी 13,88,000/- रूपये मय ब्याज के प्रतिवादीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी द्वारा ब्याज का आंकलन 18 प्रतिशत के हिसाब से किया गया है किन्तु समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी 09 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है परिवादी साथ ही वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। प्रतिवादीगण को निर्देशित किया जाता है कि मु0 13,88,000/- रू0 परिवादी को 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से परिवाद दाखिल करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करें। साथ ही मु0 1,00,000/- रूपये आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु एवं 5,000/- रूपये वाद व्यय के रूप में भी अदा करेंगे। उपरोक्त समस्त धनराशि की अदायगी आज की तिथि से दो माह के अंदर सुनिश्चित करे, अन्यथा समस्त धनराशि 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करना होगा।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (विजय वर्मा)
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