SACHIN MADAV BISEN filed a consumer case on 19 May 2014 against M P E B SEONI in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/14/2014 and the judgment uploaded on 15 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक -14.2014 प्रस्तुति दिनांक-22.02.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
सचिन माधव बिसेन जरिये मुख्तयार
माधव बिसेन, पिता भददूलाल बिसेन,
निवासी-सी.बी. रमन वार्ड, सिवनी, तहसील
व जिला सिवनी (म0प्र0)।..........................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
सहायक यंत्री, मध्यप्रदेष पूर्व क्षेत्र, विधुत
वितरण पूर्व क्षेत्र, विधुत वितरण कम्पनी
सिवनी (षहर) तहसील व जिला सिवनी
सिवनी (म0प्र0)।.......................................................अनावेदकविपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 19.05.2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी की ओर से उसके पिता द्वारा, यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसके मकान में परिवादी के नाम से स्थापित विधुत कनेक्षन में पुराना मीटर बदलकर लगाया गया नया मीटर दोशपूर्ण होना कहते हुये, माह दिसम्बर-2013 व जनवरी-2014 के विधुत देयक की राषि की मांग को अनुचित बताते हुये, परिवादी का विधुत कनेक्षन विच्छेद न किये जाने, मीटर बदले जाने और 1,00,000-रूपये हर्जाना दिलाये जाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) यह स्वीकृत तथ्य है कि-उक्त रहवासी मकान में विधुत कनेक्षन परिवादी-सचिन बिसेन के नाम से है। यह भी विवादित नहीं कि-उक्त आवास में लगा पुराना विधुतीय मीटर अक्टूबर-2013 में बदला जाकर, नया इलेक्ट्रानिक मीटर लगाया गया, तत्पष्चात माह-दिसम्बर-2013 का बिल 5048-रूपये का प्राप्त होने पर, जिसे अधिक खपत होना कहते हुये, दिनांक-16.01.2014 को परिवादी ने उक्त मीटर चेककर बदले जाने के लिए आवेदन, अनावेदक के कार्यालय में दिया था और उसके बिल अदा न करने पर, माह जनवरी-2014 का पिछला बकाया सहित, 7,129-रूपये का विधुत देयक आया, तब परिवादी की षिकायत पर, दिनांक-13.02.2014 को उक्त स्थापित मीटर चेक करने के लिए बदल दिया गया, जो कि-बदलकर लगाया गया मीटर भी तेज चलने की षिकायत दिनांक-14.02.2014 को परिवादी द्वारा की गर्इ। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि-दिनांक-17.02.2014 को विधुत मंडल के कर्मचारी परिवादी के घर आकर सूचना-पत्र दिये थे, जिस पर हस्ताक्षर करने से परिवादी ने इंकार कर दिया।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- माह- नवम्बर-2013 में अनावेदक विधुत मंडल के कर्मचारी परिवादी के पिता की सहमति के बिना मकान में नया मीटर लगा दिये, पहले बिजली का बिल औसत 150-रूपये प्रतिमाह आता था, नये मीटर में माह-दिसम्बर-2013 का बिल 5,048-रूपये का आया, जिसे अधिक खपत दर्षाने के आधार पर बदलने परिवादी ने आवेदन दिया था, जो कि-दिनांक-13.02.2014 को मीटर बदल दिया गया और खराब मीटर की षिकायत पर, दिनांक-17.02.2014 को विधुत कम्पनी के कर्मचारी आये और कहने लगे कि-मीटर बराबर चल रहा है, कागज पर हस्ताक्षर करने कहे, तब परिवादी ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया, उनका कहना था कि-घर की वायरिंग और अर्थिंग खराब है, लेकिन परिवादी ने घर की वायरिंग और अर्थिंग चेक कराया, जो इलेक्ट्रीषियन के हिसाब से बराबर है और इलेक्ट्रीषियन ने मीटर में ही फाल्ट होना बताया है। षिकायतकत्र्ता छै माह की औसत के हिसाब से 13 यूनिट प्रतिमाह या 150-रूपये प्रतिमाह के अनुसार बिल अदा करने तैयार है, इसलिए उसका कनेक्षन काटा न जावे और मीटर बदला जाये, जो कि-षिकायतकत्र्ता का परिवार बाम्बे में रहता है और विधुत कम्पनी के कार्य के लिए बार-बार सिवनी आना-जाना पड़ा, जिससे मानसिक त्रास हुआ, उसकी भरपार्इ बाबद 1,00,000-रूपये हर्जाना की मांग की गर्इ है।
(4) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, अनावेदक के जवाब में परिवाद की षिकायत से इंकार करते हुये, यह कथन किया गया है कि-दिनांक-13.02.2014 को मीटर बदलने हेतु परिवादी के आवेदन में मीटर के तेज चलने की षिकायत, मीटर चेक कराने बाबद की गर्इ थी, इसलिए मीटर चेक करने के लिए निकाला गया था, जो कि-नये स्थापित मीटर की जांच हेतु अधिकारी कर्मचारी जाकर प्राथमिक जांच में मीटर में कोर्इ त्रुटि नहीं पाये थे, मीटर चेक करने के लिए निकालने के बाद, दिनांक-17.02.2014 को आवेदक को लिखित सूचना, लैब में मीटर का टेस्ट दिनांक-7.03.2013 को किये जाने बाबद दी गर्इ थी, आवेदक ने उक्त सूचना लेने से इंकार कर दिया, तब सहायकयंत्री द्वारा विधिवत मीटर टेस्ट किया गया, मीटर में किसी भी प्रकार की खराबी नहीं पार्इ गर्इ, टेस्ट रिपोर्ट में मीटर ओके पाया गया, उक्त टेस्ट रिपोर्ट को परिवादी द्वारा कोर्इ चुनौती नहीं दी गर्इ और टेस्ट रिपोर्ट की जानकारी दिये जाने के बाद भी षिकायतकत्र्ता अनावेदक के कार्यालय में आकर 5 से 10 युनिट के आधार पर विधुत देयक जारी किये जाने की मांग ही दोहराता रहता है, जो कि-विधुत देयक की राषि का भुगतान न किये जाने पर, दिनांक-22.01.2014 को अनावेदक द्वारा, परिवादी को 15 दिवस के अंदर भुगतान न होने पर, कनेक्षन विच्छेदन का नोटिस दिया गया, उक्त नोटिस लेने से भी परिवादी ने इंकार कर दिया, देयक भुगतान न होने पर दिनांक-28.02.2014 को विधुत कनेक्षन अस्थार्इ रूप से विच्छेद कर दिया गया और दिनांक-06.03.2014 को निरीक्षण पर, षिकायतकत्र्ता द्वारा कनेक्षन पुन: संयोजित किया गया होना पाया गया, जिसे पुन: अस्थार्इ रूप से विच्छेदित किया गया।
(5) विधुत खपत उसके उपयोग पर निर्भर करता है, षिकायतकत्र्ता का दो मंजिला मकान है, मीटर टेस्ट रिपोर्ट ओके है, माह दिसम्बर-2013 व उसके पष्चात के जारी देयक किसी भी तरह त्रुटिपूर्ण नहीं है। अत: परिवाद निरस्त योग्य है।
(6) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या माह-नवम्बर-2013 और दिनांक-13.02.2014
को परिवादी के विधुत कनेक्षन में स्थापित किया
गया नया मीटर दोशपूर्ण होकर, अनुचित खपत
दर्षाने वाला और इसलिए उनकी रीडिंग के आधार
पर जारी माह दिसम्बर-2013 व उसके बाद के
विधुत देयक के भुगतान की मांग किया जाना
अनुचित होकर, परिवादी के प्रति-की गर्इ सेवा में
कमी है?
(ब) क्या परिवादी, अनावेदक से हर्जाना पाने का अधिकारी
है?
(स) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(7) परिवादी की ओर से जो प्रदर्ष सी-5 से प्रदर्ष सी-8 के विधुत देयक माह अगस्त-2013 से नवम्बर-2013 तक के पेष किये गये हैं वे यह दर्षाने के लिए हैं कि-जो पुराना चुम्बकीय मीटर उक्त विधुत कनेक्षन में स्थापित था, उसमें 10-20 यूनिट ही औसत विधुत खपत दर्ज हुआ करती थी, जबकि-अनावेदक के जवाब और उसके षपथ-पत्र में दर्षाये इस तथ्य से षिकायतकत्र्ता ने इंकार नहीं किया है कि-उसका मकान दो मंजिला है, जो कि-परिवादी के पिता षिकायतकत्र्ता, माधव दुबे की ओर से साक्ष्य में अपने लिखित कथन जो षपथ-पत्र के प्रोफार्मा में पेष किये गये है , जिसमें कणिडका-4 में एक टेबिल बनाकर घर में दस बल्व, दो पंखा, एक मिक्सर, एक टी.वी, और एक एच0पी0 का वाटर पंप होना ही मात्र दर्षाया है और यह उल्लेख किया है कि-घर में गीजर, ए.सी., फि्रज और प्रेस नहीं है। और साथ में प्रदर्ष सी-11 विधुत मंडल की विधुत प्रभार भुगतान संबंधी पासबुक की प्रति पेष गर्इ है, जिसकी तालिका में घरेलू एप्लार्इन्स बल्व से लेकर एयर कंडीष्नर और वाटर पंप तक यदि कितने विधुत वाट के हो, तो कितने घण्टे प्रतिदिन खपत पर, अनुमानित खपत युनिट प्रतिमाह के बिना होगा, यह दर्षाया गया है। तर्क के दौरान अनावेदक के तर्क के जवाब में षिकायतकत्र्ता द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि-उसके उक्त मकान में इन्वर्टर, ए.सी. आदि की एप्लार्इन्स की सुविधा है, जिससे दर्षित होता है कि-षिकायतकत्र्ता के लिखित कथन में अधिक भार वाले एप्लार्इस ए.सी. आदि न होने का बनावटी तथ्य लेख किया गया है। स्पश्ट है कि-6-8 कमरे से अधिक का षिकायतकत्र्ता का उक्त बड़ा दो मंजिला मकान है, अपने उक्त लिखित कथन दिनांक-28.04.2014 में षिकायतकत्र्ता ने यह भी उल्लेख किया है कि-उक्त मामले के विवाद के चलते वह व उसकी पतिन हवार्इ जहाज से तीन बार सिवनी आये थे, और परिवादी-सचिन बिसेन षपथ-पत्र के लिए बाम्बे से आया था, उसके 10,000-रूपये खर्च हुये, जो कि-षिकायतकत्र्ता का बेटा (परिवादी) और बहु दोनों बाम्बे में ही रहते हैं, जो कि-षिकायतकत्र्ता और उसकी पतिन के वहां न रह पाने से षिकायतकत्र्ता के 5 साल के नाती की देखभाल के लिए 8,000-रूपये प्रतिमाह के कर्मचारी रखने पड़े। तो इस अनुसार षिकायतकत्र्ता की माने, तो उसके और उसके पुत्र (परिवादी) के परिवार की आर्थिक सिथति धनाढय होने की है।
(8) नवम्बर-2013 में परिवादी के मकान का भी पुराना चुम्बकीय मीटर हटाकर, नया इलेक्ट्रानिक मीटर लगा दिये जाने से ही परिवादी का दुखी हो जाना उसके परिवाद व लिखित कथन आदि से दर्षित है और उसका मुख्य कारण यही दर्षित है कि-उसके इतने बड़े दो मंजिला मकान के विधुत का भार और बहुत सारे एप्लार्इन्स वाटर पंप, ए.सी. फि्रज, मिक्सर आदि के विधुत भार के उपयोग के बावजूद, उस चुम्बकीय मीटर में मात्र 20-25 यूनिट मासिक की खपत दर्ज होती थी और इलेक्ट्रानिक मीटर लगा देन के बाद, मीटर में विधुत खपत, पूर्व मीटर की अपेक्षा अधिक दर्ज होने लगी, जो कि-अनावेदक-पक्ष की ओर से तर्क में यह व्यक्त किया गया है कि-जो पुराने चुम्बकीय मीटर होते थे, उनमें वास्तविक खपत से अत्यधिक कम खपत दर्ज होती रहे, इस बाबद अनेक युकितयां कारगर हो जाती थीं और सभी उपभोक्ताओं के पुराने चुम्बकीय मीटर हटाकर, नये इलेक्ट्रानिक मीटर लगाये गये हैं, जिनमें वास्तविक खपत छिपाने की अधिकांष युकितयां कारगर नहीं होतीं।
(9) इलेक्ट्रानिक मीटर लग जाने के बाद परिवादी द्वारा ही दिनांक- 16.01.2014 को मीटर चेक करने के आधार पर उसकी जांच कर, बदलने का आवेदन दिया गया था, जिसकी प्रति प्रदर्ष सी-2 जो परिवादी ने पेष की है, तो परिवादी के निवेदन पर उक्त मीटर निकालकर जांच के लिए दिनांक- 13.02.2014 को भेजा गया, यह स्वीकृत तथ्य है। और प्रदर्ष सी-4 के परिवादी के दिनांक-14.02.2014 को अनावेदक को दिये आवेदन में भी वर्णित है। अनावेदक-पक्ष की ओर से पेष प्रदर्ष आर-2 के परिवादी को भेजे गये नोटिस की प्रति से स्पश्ट है कि-उक्त नोटिस से यह सूचना दी गर्इ थी कि- दिनांक-07.03.2014 को दोपहर 12 बजे डालडा फैक्ट्री के सामने टेसिटंग लैब में मीटर का परीक्षण किया जाना है और परीक्षण के समय षिकायतकत्र्ता को उपसिथत रहने के लिए सूचित किया गया था और तामिलकत्र्ता ने नोटिस लेने व हस्ताक्षर करने से इंकार करने की टीप दिनांक-17.02.2014 को लगार्इ, जो कि-स्वयं परिवाद में भी परिवादी ने यह लेख किया है कि- दिनांक-17.02.2014 को विधुत मंडल के कर्मचारी उसके घर आये थे, कागज में हस्ताक्षर करने कहा था, तो उसने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था। तो यह स्वीकृत सिथति प्रकट है कि-परिवादी ने प्रदर्ष आर-2 का उक्त नोटिस लेने से इंकार कर दिया था और हस्ताक्षर करने से भी इंकार कर दिया था, जबकि-साक्ष्य की स्टेज पर षिकायतकत्र्ता परिवादी के पिता-माधव बिसेन ने स्वयं और अपनी पतिन के लिखित कथन, यह कहते हुये उक्त तथ्य से इंकार करने का प्रयास किया है कि-दिनांक-17.02.2014 को वह घर में नहीं था, बलिक इस फोरम में पेषी पर आया था और सूचना-पत्र लेने से इंकार के तथ्य को झुठलाने का प्रयास किया है।
(10) परिवादी को सूचना देने पर भी उपसिथत न होने पर दिनांक-07.03.2014 को की गर्इ मीटर टेस्ट रिपोर्ट की प्रति प्रदर्ष आर-1 पेष हुर्इ है, जिसमें मीटर को त्रुटिहीन पाया गया, तो यह स्पश्ट है कि-उक्त इलेक्ट्रानिक मीटर में कोर्इ खराबी या त्रुटि रही होना लैब में टेस्ट के बाद भी नहीं पार्इ गर्इ। और परिवादी के आवेदन पर मीटर का लैब में टेस्ट भी कराया गया और ऐसी सिथति में किसी माह मीटर की खपत और बिल अत्यधिक जो दर्ज हुर्इ है, यह कनेक्षन के उपयोगकत्र्ता पर ही निर्भर है, परिवादी कभी सिवनी, कभी बाम्बे में रहता है या नहीं, यह विधुत कम्पनी को पता हो सकना संभव नहीं, जो कि-स्वयं षिकायतकत्र्ता द्वारा या उसके पीठ पीछे देखरेखकत्र्ता द्वारा किये जाने वाले अत्यधिक विधुत उपयोग का नियंत्रण न किये जा सकने पर अधिक बिल आना स्वाभाविक रूप से निषिचत है और मकान के वायरिंग के लीकेज बगैरह के नियंत्रण की भी जिम्मेदारी परिवादी की ही है, जो कि- अपने आवेदनों और परिवाद में कोर्इ सोचीसमझी या काल्पनिक तथ्य व कथाओं का उल्लेख कर देने के आधार पर विधुत मीटर का त्रुटिपूर्ण रहा होना कतर्इ नहीं माना जा सकता।
(11) ऐसे में जबकि-मीटर त्रुटिपूर्ण होना दर्षित नहीं है, तो मीटर रीडिंग के आधार पर जारी विधुत बिल के माध्यम से देयक की मांग किया जाना किसी भी तरह अनुचित नहीं और इसलिए अनावेदक द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं पाया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(12) क्योंकि अनावेदक द्वारा, परिवादी से विधुत देयक की भुगतान की मांग किया जाना अनुचित नहीं और परिवादी के आवेदन पर मीटर टेस्ट भी कराया गया, तो उसके प्रति-कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ है, इसलिए परिवादी-पक्ष, अनावेदक से कोर्इ हर्जाना पाने का अधिकारी नहीं है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(13) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ और 'ब के निश्कर्शों के आधार पर, प्रस्तुत परिवाद सारहीन होने से निरस्त किया जाता है। पक्षकार अपना-अपना कार्यवाही व्यय वहन करेंगे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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