जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 388/2022 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-31.05.2022
परिवाद के निर्णय की तारीख:-13.06.2024
Rajesh Kumar Srivastava aged about 52 S/o RS LalR/o banglow no. 775 golf colony GM banglow Gorakhpur, Railway Colony, Sadar Gorakhpur-Uttar Pradesh-273012. Uttar Pradesh.
................Complainant.
VERSUS
Ghaziabad Development Authority Through Vice Chairman Lucknow Development Authority, Vipin Khand, Gomti Nagar, Lucknow.
...............Respondent.
परिवादिनी के अधिवक्ता का नाम:-श्री हरीश पाण्डेय।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री प्रांशु मौर्या।
आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-35 के अन्तर्गत योजित किया गया है। परिवाद पत्र में परिवादी ने विपक्षी के यहॉं भुगतान की गयी धनराशि 7,23,500.00 रूपये मय 24 प्रतिशत ब्याज सहित, मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिये 20,000.00 रूपये तथा वाद व्यय हेतु 50,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा लखनऊ विकास प्राधिकरण की सी0जी0 सिटी योजना के अन्तर्गत वनस्थली अपार्टमेंट गोमतीनगर विस्तार लखनऊ में एक फ्लैट संख्या-31-बी टाइप-III तृतीय तल पर दिनॉंक 27.01.2020 तक रजिस्ट्रेशन अवधि में ब्रोशर में अंकित फ्लैट की प्रस्तावित कीमत 72,350,00.00 रूपये का 10 प्रतिशत पंजीयन शुल्क 7,23,500.00 रूपये देकर बुक कराया था। यह योजना दिनॉंक 27.01.2020 से 06.03.2020 तक के लिये खोली गयी थी। एलॉटमेंट लेटर की कापी दिनॉंकि 29.10.2020 परिवाद के साथ संलग्न की गयी है। बुकिंग धनराशि 7,23,500.00 से संबंधित रसीद भी संलग्न की गयी है।
3. परिवादी का कथानक है कि विपक्षी ने एक पत्र परिवादी को भेजा जिसमें फ्लैट की कीमत बढ़ाए जाने की सूचना दी गयी जिसमें अवगत कराया गया कि पूर्व में फ्लैट की निर्धारित कीमत 72,35,000.00 रूपये थी जिसे बढ़ाकर 74,21,000.00 रूपये कर दिया गया था। परिवादी ने इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए दिनॉंक 01.12.2020 को विपक्षी को पत्र भेजा जिसका कोई जवाब विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया।
4. एलॉटमेंट लेटर प्राप्त होने के बाद यह ज्ञात हुआ कि परिवादी को
फ्लैट का एलाटमेंट तृतीय फ्लोर पर किया गया है। भवन में लिफ्ट की व्यवस्था नहीं थी। यह जानने के बाद परिवादी ने विपक्षी से यह अनुरोध किया कि उसे भूतल अथवा प्रथम तल पर फ्लैट उपलब्ध कराया जाए क्योंकि उसके बृद्ध माता-पिता तीसरी मंजिल में बिना लिफ्ट के नहीं जा सकते हैं। परन्तु विपक्षी द्वारा उसके प्रार्थना पत्रों पर न तो कोई कार्यवाही की और न ही कोई उत्तर दिया। परिवादी अनेकों बार प्रार्थना पत्र के साथ जाकर वहॉं के कर्मचारियों/अधिकारियों से अनुरोध करता रहा परन्तु कोई समाधान नहीं मिला।
5. परिवादी ने पंजीकरण शुल्क 7,23,500.00 रूपया समय से जमा कर दिया था। दिनॉंक 01.12.2020 को भी उसने एक पत्र विपक्षी को इस आशय का भेजा था कि फ्लैट की अवशेष धनराशि 66,97,500.00 रूपये वह एकमुश्त जमा करना चाहता है। संशोधित एलॉटमेंट लेटर निर्गत करने का अनुरोध किया गया था, परन्तु विपक्षी ने उसका कोई जवाब नहीं दिया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कमी और अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी गयी है। परिवादी को विपक्षी के इस कृत्य से अत्यंत मानसिक क्लेश व पीड़ा हुई है। अनेकों बार विपक्षी के कार्यालय आने-जाने में अनावश्यक रूप से व्यय हुआ और शारीरिक कष्ट भी हुआ। परिवादी को जब यह विश्वास हो गया कि विपक्षी उसे फ्लैट नहीं देगा तो उसने अपना पंजीयन शुल्क 7,23,500.00 रूपये वापस करने की मॉंग की गयी परन्तु आज तक उसे उक्त धनराशि वापस प्राप्त नहीं हुई है। परिवाद पत्र में मा0 सर्वोच्च न्यायालय के तीन आदेशों का संदर्भ प्रस्तुत किया गया है।
1. Bangalore Development Authority Vs. Syndicate Bank (2007) 6 SCC 711.
2. Kolkata West International City Pvt. Ltd. Vs. Devasis Rudra (2019) SCC Online SC 438.
3. Ireo Grace Realtech Pvt. Ltd. Vs. Abhishek Khanna & Ors. (2021) SCC Online SC 14.
उक्त तीनों केस में मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने बिल्डर को परिवादी का पैसा मय ब्याज रिफण्ड करने के आदेश दिए हैं। उसी संदर्भ में परिवादी की मॉंग है कि उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि 7,23,000.00 रूपये उसे मय 24 प्रतिशत ब्याज वापस की जाए।
6. परिवाद का नोटिस विपक्षी को भेजा गया, परन्तु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई उत्तर पत्र प्रस्तुत किया गया। विपक्षी के विरूद्ध दिनॉंक 15.09.2022 तथा 03.03.2023 को दो बार एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी है।
7. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में योजना का ब्रोसर, एलॉटमेंट लेटर, पेमेन्ट रिसीप्ट, विपक्षी को भेजे गये पत्र आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी हैं।
8. आयोग द्वारा परिवादी के अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
9. परिवादी का कथानक है कि परिवादी ने लखनऊ विकास प्राधिकरण की सी0जी0 सिटी योजना के अन्तर्गत वनस्थली अपार्टमेंट गोमतीनगर विस्तार में 145 वर्गमीटर का फ्लैट संख्या-31-बी टाइप-III तृतीय तल पर बुक कराया तथा पंजीकरण के रूप में ब्रोशर में अंकित फ्लैट की कुल कीमत का 10 प्रतिशत पंजीकरण शुल्क दिनॉंक 22.07.2020 को 7,23,500.00 रूपये जमा कर दिया गया। शेष बकाया धनराशि को जमा करने हेतु दिनॉंक 01.12.2020 को एल0डी0ए0 को पत्र लिखा गया और 66,97,500.00 रूपये एकमुश्त जमा करने की अनुमति मॉंगी गयी, परन्तु एल0डी0ए0 ने कोई रिप्लाई नहीं दिया। उसके बाद भी परिवादी ने कई बार विपक्षी से पत्राचार किया तथा एल0डी0ए0 के कर्मचारियों/अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से भी संपर्क किया गया परन्तु कोई समाधान नहीं मिला।
10. विपक्षी द्वारा परिवादी को आज तक फ्लैट न देकर सेवा में कमी की गयी है तथा उसके द्वारा जमा धनराशि 7,23,500.00 रूपये भी वापस नहीं किया गया है। परिवादी फ्लैट की अवशेष धनराशि 66,97,000.00 रूपये भी एकमुश्त जमा करना चाहता था। उसने दिनॉंक 01.12.2020 को विपक्षी को एक अनुरोध पत्र भी प्रेषित किया था, परन्तु विपक्षी ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की तथा कोई उत्तर नहीं दिया कि परिवादी को फ्लैट मिलेगा अथवा उसके द्वारा जमा की गयी पंजीकरण धनराशि 7,23,500.00 रूपये वापस प्राप्त होगी। विपक्षी द्वारा जब कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो फिर उसने उपभोक्ता आयोग में परिवाद दाखिल किया और मूलधन तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की मॉंग की है।
11. प्रकरण में विपक्षी ने उपस्थित होकर अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया। विपक्षी के अनुपस्थित रहने के कारण परिवाद क्रमश: दो बार विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से अग्रसारित किया गया है। निर्णय के लिए परिवादी के कथनो/साक्ष्यों को ही आधार मानकर मत स्थित करने की बाध्यता है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र व उससे संबंधित साक्ष्य व अभिलेख के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षी द्वारा उसे फ्लैट का एलॉटमेंट तो किया गया परन्तु उसे फ्लैट मुहैया नहीं कराया गया और न ही परिवादी के पत्रों का ही जवाब दिया गया। पत्रावली में विपक्षी के अधिवक्ता का वकालतनामा तथा एकपक्षीय आदेश को निरस्त करने संबंधी आवेदन प्रस्तुत किया गया था, परन्तु उसके बाद न तो वे उपस्थित हुए और न ही कोई जवाबदावा/साक्ष्य ही प्रस्तुत कर सके। प्रकरण दोबारा एकपक्षीय रूप से अग्रसारित किया गया। विवेचन से स्पष्ट है कि विपक्षी ने प्रकरण को अनदेखा किया। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि उसने फ्लैट न देकर परिवादी की सेवा में कमी की है तथा पंजीकरण शुल्क 7,23,500.00 रूपये वापस न करके अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी है। अत: परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा फ्लैट क्रय हेतु दी गयी पंजीकरण धनराशि मुबलिग:-7,23,500.00 (सात लाख तेईस हजार पॉंच सौ रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ धनराशि जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर भुगतान करेंगे। परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक कष्ट के लिये मुबलिग 20,000.00 (बीस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-13.06.2024