Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/2459

Vikramaditya - Complainant(s)

Versus

Lucknow Development Authority - Opp.Party(s)

Nishant Verma

26 Aug 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/259/2016
( Date of Filing : 10 Feb 2016 )
(Arisen out of Order Dated 13/05/2013 in Case No. C/732/2004 of District Lucknow-II)
 
1. L. D. A.
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Vikrmaditya
Lucknow
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2013/2459
( Date of Filing : 29 Oct 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Vikramaditya
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Lucknow Development Authority
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Aug 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-2459/2013

(जिला उपभोक्‍ता आयोग-द्वितीय (अतिरिक्‍त पीठ), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 732/2004 में पारित आदेश दिनांक 13.05.2013 के विरूद्ध)

विक्रमादित्‍य, पुत्र स्‍व0 कल्‍पी, निवासी-एच0डी0-109, सेक्‍टर-आई, जानकीपुरम, लखनऊ।

                                 ........................अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

1. लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा उपाध्‍यक्ष

2. सचिव, लखनऊ विकास प्राधिकरण

3. सहायक सम्‍पत्ति अधिकारी, लखनऊ विकास प्राधिकरण

4. सचिव, भारतीय स्‍टेट बैंक गृह निर्माण सहकारी समिति लिमिटेड, 15, अशोक मार्ग, लखनऊ

              ..................प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षी सं01,3,4 व विपक्षी सं02

एवं

अपील संख्‍या-259/2016

(जिला उपभोक्‍ता आयोग-द्वितीय (अतिरिक्‍त पीठ), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 732/2004 में पारित आदेश दिनांक 13.05.2013 के विरूद्ध)

1. लखनऊ विकास प्राधिकरण, नवीन भवन विपिन खण्‍ड गोमती नगर लखनऊ द्वारा-उपाध्‍यक्ष।

2. लखनऊ विकास प्राधिकरण, नवीन भवन विपिन खण्‍ड गोमती नगर लखनऊ द्वारा-सचिव।

3. लखनऊ विकास प्राधिकरण, नवीन भवन विपिन खण्‍ड गोमती नगर लखनऊ द्वारा- सहायक सम्‍पत्ति अधिकारी।

                       ........................अपीलार्थीगण/विपक्षी सं01,3,4

बनाम

1. विक्रमादित्‍य पुत्र स्‍व0 श्री कल्‍पी निवासी-एच0डी0-109, सेक्‍टर-आई, जानकीपुरम, लखनऊ।

2. सचिव, भारतीय स्‍टेट बैंक गृह निर्माण सहकारी समिति लि0, 15, अशोक मार्ग, लखनऊ।

                      ..................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं02

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

 

-2-

परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री विक्रमादित्‍य स्‍वयं एवं श्री निशान्‍त                 

                          वर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0 1, 3 व 4 की ओर से उपस्थित : सुश्री निन्‍नी श्रीवास्‍तव,                                            

                                     विद्वान अधिवक्‍ता

विपक्षी सं0 2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं

दिनांक: 26.08.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

उपरोक्‍त दोनों अपीलों में परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता              श्री निशान्‍त वर्मा उपस्थित हैं। विपक्षी संख्‍या-1, 3 व 4 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री निन्‍नी श्रीवास्‍तव उपस्थित हैं। परिवादी                   श्री विक्रमादित्‍य स्‍वयं भी उपस्थित हैं।

उपरोक्‍त अपील संख्‍या-2459/2013 विक्रमादित्‍य बनाम लखनऊ विकास प्राधिकरण व तीन अन्‍य जिला उपभोक्‍ता आयोग-द्वितीय (अतिरिक्‍त पीठ), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-732/2004 विक्रमादित्‍य बनाम लखनऊ विकास प्राधिकरण व तीन अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.05.2013 के विरूद्ध उपरोक्‍त परिवाद के परिवादी द्वारा योजित की गयी, जबकि उपरोक्‍त अपील संख्‍या-259/2016 लखनऊ विकास प्राधिकरण व दो अन्‍य बनाम विक्रमादित्‍य व एक अन्‍य जिला उपभोक्‍ता आयोग-द्वितीय (अतिरिक्‍त पीठ), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-732/2004 विक्रमादित्‍य बनाम लखनऊ विकास प्राधिकरण व तीन अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.05.2013 के विरूद्ध उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी संख्‍या-1, 3 व 4 द्वारा योजित की गयी, जिसमें कार्यालय द्वारा कुल 912 दिन का विलम्‍ब इंगित किया गया है, जो विलम्‍ब आज दिनांक तक क्षमा नहीं किया गया है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उपरोक्‍त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

'''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकल एवं संयुक्‍त रूप से निर्णीत किया जाता है और आदेश दिया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी को निर्णय से दो माह के भीतर उसके हक में उक्‍त भवन का विक्रय विलेख

 

 

-3-

नियमानुसार सीवर चार्जेज, वाटर चार्जेज आदि लेकर निष्‍पादित करेंगे और विपक्षीगण परिवादी से इसके अतिरिक्‍त कोई अतिरिक्‍त शुल्‍क नहीं वसूलेंगे। विपक्षीगण परिवादी को 20,000/-रू0 मानसिक कष्‍ट व 5,000/-रू0 वाद व्‍यय भी अदा करेंगे।''

उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को सुना तथा परिवादी/आवंटी श्री विक्रमादित्‍य को सुना तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य             एवं परिवादी/आवंटी श्री विक्रमादित्‍य की सहमति से उपरोक्‍त अपील   संख्‍या-2459/2013 एवं अपील संख्‍या-259/2016 अन्तिम रूप से अन्तिम आदेश के साथ उभय पक्ष की सहमति को दृष्टिगत रखते हुए निर्णीत की जाती है।

आदेश

जिला उपभोक्‍ता आयोग-द्वितीय (अतिरिक्‍त पीठ), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-732/2004 विक्रमादित्‍य बनाम लखनऊ विकास प्राधिकरण एवं तीन अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.05.2013 को संशोधित करते हुए आदेशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा 01 माह की अवधि में 2,00,000/-रू0 (दो लाख रूपया मात्र) व प्रश्‍नगत भवन के रजिस्‍ट्रेशन/पंजीकरण हेतु आवश्‍यक ई-स्‍टाम्‍प विपक्षी संख्‍या-1, 3 व 4/लखनऊ विकास प्राधिकरण के कार्यालय में जमा किया जावेगा। तत्‍पश्‍चात विपक्षी संख्‍या-1, 3 व 4/लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा 01 माह की अवधि में परिवादी के पक्ष में प्रश्‍नगत भवन के रजिस्‍ट्रेशन/पंजीकरण की कार्यवाही सुनिश्चित की जावेगी।

उभय पक्ष द्वारा समझौता पत्र एवं प्रश्‍नगत भवन के रजिस्‍ट्रेशन/पंजीकरण की छायाप्रति 02 माह की अवधि में कार्यालय में प्रस्‍तुत की जावेगी।

इस निर्णय की एक प्रति अपील संख्‍या-259/2016 में भी रखी जाये।

उपरोक्‍त अपील संख्‍या-259/2016 में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि 12,500/-रू0 अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार दो माह में वापस की जावे।

तद्नुसार उपरोक्‍त दोनों अपीलें अन्तिम रूप से निर्णीत की जाती हैं।

 

 

-4-

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है किवह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)             (विकास सक्‍सेना)      

                  अध्‍यक्ष                            सदस्‍य      

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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