मौखिक
अपील संख्या-129/2021
श्रीमती शीला द्विवेदी बनाम दि लखनऊ डेवलपमेन्ट अथॉरिटी व अन्य
23.03.2021
पुकार की गयी। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री रमेश कुमार द्विवेदी उपस्थित आये। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
इस मामले में अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से कहा गया कि उसने लखनऊ विकास प्राधिकरण की एक योजना में भूखण्ड हेतु प्रार्थना पत्र देकर 25,000/-रू0 रजिस्ट्रेशन का जमा कराया और उसे 112.50 वर्ग मीटर मूल्य 2,47,500/-रू0 का भूखण्ड देने का वादा किया गया। यह कहा गया कि उसका नाम लाटरी में नहीं आया, लेकिन प्रत्यर्थी/विपक्षीगण ने कोई ध्यान नहीं दिया। उसके द्वारा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-द्वितीय, लखनऊ के समक्ष परिवाद संख्या-924/2013 श्रीमती शीला द्विवेदी बनाम लखनऊ विकास प्राधिकरण व अन्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें निर्णय व आदेश दिनांक 18.02.2021 द्वारा उसका परिवाद निरस्त किया गया क्योंकि मात्र रजिस्ट्रेशन मनी जमा करने से कोई भूखण्ड का अधिकारी नहीं बनता है।
हमने पत्रावली का अवलोकन किया।
अपीलार्थी/परिवादिनी ने परिवाद पत्र में कहा है कि उसने एक भूखण्ड लेने के लिए 25,000/-रू0 बतौर रजिस्ट्रेशन फीस जमा किया, किन्तु उसे भूखण्ड नहीं दिया गया। प्रत्यर्थी/विपक्षीगण ने अपने लिखित कथन में कहा है कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने केवल लाटरी में भाग लेने के उद्देश्य से पंजीकरण धनराशि जमा की थी, किन्तु लाटरी उसके नाम से नहीं निकली, इसलिए वह उपभोक्ता नहीं है।
स्पष्ट है कि इस मामले में अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा लाटरी के रजिस्ट्रेशन के लिए धनराशि जमा की गयी थी और जब लाटरी में उसका नाम ही नहीं निकला तब प्राधिकरण भूखण्ड देने के लिए बाध्य नहीं है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-द्वितीय, लखनऊ ने इसी आधार पर परिवाद खारिज किया था। वर्तमान अपील अपीलार्थी/परिवादिनी के उपभोक्ता न होने के कारण पोषणीय नहीं है। अत: यह अपील अंगीकरण के स्तर पर ही खारिज की जाती है।
(राजेन्द्र सिंह) (गोवर्धन यादव) (न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1