Uttar Pradesh

StateCommission

A/400/2022

Nishith Nigam - Complainant(s)

Versus

Lucknow Development Authority - Opp.Party(s)

Sanjeev Bahadur Srivstava

11 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/400/2022
( Date of Filing : 18 May 2022 )
(Arisen out of Order Dated 24/07/2019 in Case No. C/2011/603 of District Lucknow-I)
 
1. Nishith Nigam
S/o Sri S.P. Nigam R/o C-65 Nirala Nagar Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Lucknow Development Authority
through secretary naveen bhawan vipin khand gomti nagar lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Oct 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-400/2022

निशीथ निगम पुत्र श्री एस0पी0 निगम, निवासी सी-65, निराला नगर, लखनऊ।

                                              ........... अपीलार्थी/परिवादी

बनाम              

लखनऊ विकास प्राधिकरण, द्वारा सचिव, नवीन भवन, विपिन खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ।

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री संजीव बहादुर श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 11.10.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी निशीथ निगम द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-603/2011 में पारित आदेश दिनांक 24.7.2019 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसके द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद को अदम पैरवी में खारिज किया है, साथ ही यह भी स्‍पष्‍ट रूप से अंकित किया है कि उभय पक्ष के अधिवक्‍ताण अनुपस्थित हैं अर्थात प्रत्‍यर्थी/विपक्षी लखनऊ विकास प्राधिकरण की ओर से भी अधिवक्‍ता उपरोक्‍त तिथि दिनांक 24.7.2019 को अनुपस्थित थे।

चूंकि प्रस्‍तुत अपील विलम्‍ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें यह उल्लिखित किया गया है कि एक पक्षीय आदेश के बारे में अपीलार्थी/परिवादी को कोई सूचना प्राप्‍त नहीं हुई, अत्एव जैसे ही सूचना प्राप्‍त हुई तुरन्‍त आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्‍त कर अपील प्रस्‍तुत की गई है।

 

 

-2-

चूंकि परिवाद विगत वर्ष-2011 से विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख लम्बित है, जो अनेकों तिथियों पर विभिन्‍न कारणों से स्‍थगित किया जाता रहा है, जैसा कि आदेश फलक के परिशीलन से स्‍पष्‍ट होता है अत्एव समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा न्‍यायहित में मेरे विचार से एक अवसर अपीलार्थी/परिवादी को प्रदान किया जाना उचित प्रतीत होता है, तद्नुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-603/2011 में पारित आदेश दिनांक 24.7.2019 को अपास्‍त करते हुए प्रस्‍तुत अपील निम्‍न आदेशानुसार अंतिम रूप से निस्‍तारित की जाती है तथा निम्‍न आदेश पारित किया जाता है:-

यह कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा रू0 5,000.00 (पॉच हजार रूपये) हर्जाने के मद में ''राजधानी बार एसोसिएशन, लखनऊ'' के पक्ष में चेक के माध्‍यम से 02 सप्‍ताह में जमा किया जावे, तदोपरांत परिवाद सं0-603/2011 निशीथ निगम बनाम एल0डी0ए0 के वाद को गुणदोष के आधार पर विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अंतिम रूप से 02 माह की अवधि में बिना किसी पक्ष को स्‍थगन प्रदान करते हुए निस्‍तारित किया जावे।

यह न्‍यायालय परिवाद निस्‍तारण हेतु दिनांक 22.11.2022 की तिथि सुनिश्चित करती है, परन्‍तु यदि हर्जाने की धनराशि जमा नहीं की जावेगी तब उस स्थिति में इस आदेश के अनुपालन में प्रतिप्रेषण आदेश निरस्‍त समझा जावेगा।   

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                            (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                               अध्‍यक्ष                                                                                                                

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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