राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
पुनरीक्षण वाद संख्या-110/2014
(जिला फोरम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-54/2009 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-07-2014 के विरूद्ध)
Kunwar Bahadur Srivastava, aged about 64 years, Son of Late Shri R.S. Lal Srivastava, resident of House No. MMD/1-400, LDA, Colony, Kanpur Road, Lucknow.
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
- Lucknwo Development Authority, Gomti Nagar, Lucknow.
- Vice Chairman, Lucknwo Development Authority, Gomti Nagar, Lucknow.
- Secretary, Lucknwo Development Authority, Gomti Nagar, Lucknow.
- Joint Secretary(Property) Lucknwo Development Authority, Gomti Nagar, Lucknow.
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
1- मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- निगरानीकर्ता की ओर से उपस्थित – श्री वीर राघव चौबे एवं श्री
यशपाल सिंह।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - सुश्री निन्नी श्रीवास्तव।
दिनांक : 08-12-2015
मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय :
मौजूदा निगरानी जिला फोरम, लखनऊ के द्वारा पारित आदेश दिनांक 10-07-2014 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
इस संबंध में दोनों पक्षों के विद्धान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी और जिला मंच द्वारा पारित आदेश एवं मा0 राज्य आयोग द्वारा पारित बहुमत के निर्णय का अवलोकन किया गया। श्री विनोद शंकर चौबे ने दिनांक 10-12-2008 को निर्णय दिया था और सदस्य श्री विनोद शंकर चौबे के आदेश का समर्थन तत्कालीन मा0 न्यायमूर्ति श्री भंवर सिंह द्वारा किया गया। श्री विनोद शंकर चौबे सदस्य ने अपने निर्णय में निम्न प्रकार से यह कहा है कि प्राधिकरण की नीति ब्याज आदि के संबंध में है और जो व्यवस्था विलम्ब से किश्तों को जमा करने पर ब्याज लेने की है उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है और जो धनराशि शेष है उसे नियमों के अनुसार ब्याज आदि सहित लेने के लिए प्राधिकरण स्वतंत्र है, लेकिन यह केवल परामर्श दिया है कि नियमानुसार समर्थन ब्याज ही वर्तमान वाद की परिस्थितियों में लगाना उचित प्रतीत होता है, लेकिन यह प्राधिकरण के विवेक पर छोड़ा जाता है और कोई बाध्यकारी आदेश देना सम्भव नहीं है। इस प्रकार से हम यह पाते हैं कि सदस्य श्री विनोद शंकर चौबे के द्वारा पारित निर्णय दिनांक 10-12-2008 जिसका समर्थन मा0 न्यायमूर्ति श्री भंवर सिंह द्वारा निर्णय दिनांक 04-03-2009 द्वारा किया जा चुका है उसी के प्रकाश में जिला फोरम अपनी कार्यवाही करें और इन्हीं उपरोक्त कथनों के आधार पर निगरानीकर्ता की निगरानी खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
निगरानीकर्ता की निगरानी खारिज की जाती है। उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( राम चरन चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5 प्रदीप मिश्रा