राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
विविध वाद संख्या-202/2022
(मौखिक)
चांद बाबू पुत्र श्री मो0 प्यारे
228/128 राजा बाजार,
चौक, लखनऊ ........................प्रार्थी/डिक्रीदार
बनाम
उपाध्यक्ष, लखनऊ विकास प्राधिकरण
विभूति खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ
.....................विपक्षी/निर्णीत ऋणी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
प्रार्थी की ओर से उपस्थित : श्री चांद बाबू, स्वयं।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री दिलीप कुमार शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 06.09.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रार्थी श्री चांद बाबू स्वयं उपस्थित हैं। विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दिलीप कुमार शुक्ला उपस्थित हैं। उभय पक्ष को सुना गया।
दौरान बहस प्रस्तुत विविध प्रार्थना पत्र के साथ उपलब्ध पत्रावली के परिशीलन के पश्चात् यह तथ्य ज्ञात हुए कि विपक्षी लखनऊ विकास प्राधिकरण की ओर से विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग-द्वितीय, लखनऊ के सम्मुख एक विविध वाद संख्या-02/2021 प्रस्तुत किया गया है, जो वर्तमान में लम्बित है। यह भी तथ्य उल्लिखित किया गया कि इजरा वाद संख्या-01/2002 भी जिला उपभोक्ता आयोग-द्वितीय, लखनऊ के सम्मुख लम्बित है।
प्रार्थी/आवंटी श्री चांद बाबू जो स्वयं इस न्यायालय के सम्मुख उपस्थित हैं, जिनके द्वारा यह अवगत कराया गया कि वर्ष 1985-1986 में विपक्षी लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा प्रायोजित प्रियदर्शिनी योजना के अन्तर्गत आवंटी चांद बाबू को दिनांक 18.02.1989 को विपक्षी द्वारा पंजीकरण हेतु धनराशि जमा करने का पत्र जारी किया गया, जिसके
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परिप्रेक्ष्य में दिनांक 09.03.1989 को कुल धनराशि 2,700/-रू0 जमा की गयी। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद संख्या-49/1999 को अन्तिम रूप से दिनांक 01.11.2001 को निर्णीत किया गया, जिससे असन्तुष्ट होते हुए विपक्षी लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा रिव्यू प्रार्थना पत्र विविध वाद संख्या-02/2021 अर्थात् लगभग 20 वर्षों की अवधि व्यतीत होने के उपरान्त प्रस्तुत किया गया।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा विधिक स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए अर्थात् यह कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में रिव्यू प्रस्तुत किये जाने का कोई प्राविधान नहीं है, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 लागू होने के पश्चात् भी, जिसमें पुनर्विलोकन की व्यवस्था की गयी है, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय नीना अनेजा तथा अन्य बनाम जयप्रकाश एसोसिएट्स लि0, प्रकाशित III (2021) CPJ पृष्ठ 01 (S.C.) के अनुसार यदि उपभोक्ता कार्रवाई उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत प्रारम्भ की गयी है तब इसी अधिनियम के प्राविधान लागू होंगे, तद्नुसार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत पारित निर्णय के लिए रिव्यू की कोई व्यवस्था नहीं है, तद्नुसार अपीलीय शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह न्यायालय उपरोक्त रिव्यू प्रार्थना पत्र विविध वाद संख्या-02/2021 को निरस्त करती है।
इस आदेश की प्रति उभय पक्ष द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग-द्वितीय, लखनऊ के सम्मुख 01 सप्ताह की अवधि में प्रस्तुत किया जावे, जो विधि अनुसार इजरा कार्यवाही 02 सप्ताह की अवधि में पूर्ण करते हुए निष्पादन आवेदन का निस्तारण करे।
प्रस्तुत विविध वाद उपरोक्त आदेश के अनुसार अन्तिम रूप से निस्तारित किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1