राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-1623/2013
(जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-529/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 14-06-2013 के विरूद्ध)
1. श्री राम जनरल इंश्योरेंस कं0लि0, ब्रान्च आफिस-तृतीय तल, श्री वृन्दावन टावर, सजंय प्लेस, आगरा।
2. श्री राम जनरल इंश्योरेंस कं0लि0, जयपुर कारपोरेट आफिस, ई-8, ईपीआईपी, आरआईसीओ, इण्डस्ट्रियल एरिया, सीतापुर, जयपुर (राजस्थान)।
...........अपीलार्थीगण/ विपक्षीगण।
बनाम
लवलेश गुप्ता पुत्र श्री राम निवास, 2/148, सिंधी गेट, पीपल मण्डी, आगरा।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार विद्वान अधिवक्ता के
कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता श्री आनन्द भार्गव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनांक : 05-08-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-529/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 14-06-2013 के विरूद्ध योजित की गई है।
विद्वान जिला आयोग द्वारा निम्नवत् आदेश पारित किया गया है :-
'' परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसकी मोटरसायकिल का बीमा धनराशि मु0 33000/- (तैंतीस हजार) एक माह के अन्दर अदा करें। विपक्षीगण बीमा धनराशि मु0 33000/- पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि
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तक अदा करें। विपक्षीगण परिवादी को मानसिक कष्ट के मद में मु0 4000/- (चार हजार) व वाद व्यय के मद में मु0 1500/- (एक हजार पॉच सो) भी अदा करें। ''
पीठ द्वारा केवल अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया गया तथा अपील पत्रावली पर उपलब्ध अपील मेमो/कथनों/अभिकथनों एवं समस्त प्रलेखीय साक्ष्यों तथा प्रश्नगत निर्णय व आदेश का सम्यक् रूप से परिशीलन व परीक्षण किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
इस मामले में प्रश्नगत मोटरसाईकिल का बीमा पूर्व में किया गया था, जिसका नवीनीकरण दिनांक 09-11-2011 को किया गया था और मोटरसाईकिल दिनांक 24-04-2012 को चोरी हुई, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा बीमा क्लेम दिलाया गया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क यह है कि मोटरसाईकिल का जो प्रीमियम प्राप्त हुआ था, वह समुचित प्रोफार्मा पर नहीं था, इसलिए वापस लौटा दिया था और कभी भी बीमा पालिसी जारी नहीं की गई। इसलिए चोरी की तिथि पर पालिसी अस्तित्व में नहीं थी और कोई बीमा क्लेम देय नहीं था, परन्तु प्रीमियम को वापस भेजने से सम्बन्धित कोई सबूत न तो विद्वान जिला आयोग के समक्ष और न ही इस पीठ के समक्ष बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत किया गया है। अत: विद्वान जिला आयोग ने निर्णय पारित करते समय वाहन का बीमा होने के बिन्दु पर अपना निष्कर्ष दिया है। चूँकि प्रीमियम वापस करने का कोई सबूत नहीं है, अत: बीमा क्लेम की देयता बीमा कम्पनी पर बनती है।
उपरोक्त समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए एवं सम्पूर्ण विवेचन के उपरान्त पीठ इस मत की है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा दिये गये उक्त निर्णय के विरूद्ध अपील में जो आधार लिए गए हैं, वे सारहीन एवं बलहीन हैं। विद्वान जिला आयोग ने सभी तथ्यों का उचित एवं
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विधिक रूप से विश्लेषण करते हुए प्रश्नगत आदेश पारित किया है, जिसमें किसी हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-529/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 14-06-2013 की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के सम्बन्धित जिला आयोग को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र प्रेषित कर दी जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के सन्दर्भ में उक्त धनराशि का विधि अनुसार निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 05-08-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.