Uttar Pradesh

StateCommission

A/2729/2016

Shriram Life Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Lokesh - Opp.Party(s)

Abhishek Bhatnagar

08 May 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2729/2016
(Arisen out of Order Dated 18/10/2016 in Case No. C/52/2016 of District Shambhal)
 
1. Shriram Life Insurance Co. Ltd
Ramky Selenium Regd and Head Office at 5th Floor Plot Hydrabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Lokesh
S/O Sri Manohar Singh Vill. Hafizpur Post Matapur Bhartal Distt. Shambhal
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 08 May 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 2729/2016

                                

  (सुरक्षित)

 

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, सम्‍भल द्वारा परिवाद सं0- 52/2016 में पारित आदेश दि0 18.10.2016 के विरूद्ध)

Shriram life Insurance company Ltd. Ramky selenium, Regd. & Head office at 5th Floor, plot no. 31 & 32, Beside Andhra bank training centre, Financial District Gachobowli, Hyderabad-500032. Through its, Assistant general Manager.

                                                                                                   ………Appellant.

 

Versus

Lokesh, S/o Manohar singh, R/o Village Hafizpur, Post Matapur, bhartal, District Sambhal, U.P.

                                                                                              ………. Opposite Party   

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अभिषेक भटनागर, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय, विद्वान अधिवक्‍ता।  

 

दिनांक:- 13.06.2017                          

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                     

निर्णय

                                           

    परिवाद सं0- 52/2016 लोकेश बनाम श्रीराम लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 में जिला फोरम, सम्‍भल द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 18.10.2016 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी श्रीराम लाइफ इंश्‍योरेंस कं0लि0 की ओर से धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

         आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है :-

         ‘’परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह 1,84,000/-रू0 (एक लाख चौरासी हजार रू0) बीमा धनराशि मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दौरान मुकदमा ता वसूली तथा 2500/-रू0 वाद व्‍यय परिवादी को अदा करें’’

        अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्‍ता श्री अभिषेक भटनागर और प्रत्‍यर्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय उपस्थित आये हैं।

        मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

        अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी लोकेश ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी का एजेंट माह अप्रैल 2015 में उसके निवास पर आया और उसकी पत्‍नी को प्रायोजित बीमा पालिसी के बारे में अवगत कराया तब एजेंट द्वारा कथित तथ्‍यों से प्रभावित होकर उसकी पत्‍नी ने दि0 29.04.2015 को अपीलार्थी/विपक्षी से एक बीमा पालिसी श्रीराम न्‍यू लाइफ प्‍लान प्राप्‍त किया और प्रीमियम धनराशि 9,997/-रू0 एजेंट को दिया। उसके कुछ दिन बाद बीमा पालिसी प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी को उपलब्‍ध करायी गई जो बीमा पा‍लिसी सं0- एन पी 131500102673 थी जो दि0 26.05.2015 से 25 वर्ष की अवधि हेतु थी। बीमा धनराशि 1,84,000/-रू0 और प्रीमियम की धनराशि 9,697/-रू0 थी। उसके बाद वर्ष 2015 में जुलाई मास में परिवादी की पत्‍नी अचानक बीमार हुई और उसका इलाज कराया गया, परन्‍तु दि0 10.07.2015 को उसकी मृत्‍यु पीलिया, उल्‍टी और दस्‍त के कारण हो गई।

        परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपनी पत्‍नी की उपरोक्‍त बीमा पालिसी में वह नामिनी रहा है। अत: पत्‍नी की मृत्‍यु के बाद सूचना अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के क्षे‍त्रीय एजेंट को दी और आवश्‍यक अभिलेख समय-समय पर अपीलार्थी/विपक्षी के मुरादाबाद एवं हैदराबाद स्थित कार्यालय को प्रेषित किया, जिन्‍होंने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आश्‍वस्‍त किया कि बीमा धनराशि शीघ्र ही अदा कर दी जायेगी, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बीमा धनराशि अदा नहीं की गई और अंत में पत्र दि0 07.04.2016 के माध्‍यम से अपीलार्थी/विपक्षी ने बीमा धनराशि अदा करने से इस कथन के साथ इनकार कर दिया कि उसकी पत्‍नी की मृत्‍यु बीमा पालिसी जारी होने से पूर्व हो चुकी थी और यह तथ्‍य छिपाकर बीमा पालिसी ली गई थी। अत: विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

        अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और कहा गया है कि बीमा कम्‍पनी के विवेचक द्वारा जांच कर जो आख्‍या प्रस्‍तुत की गई उससे पता चला कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु दि0 23.03.2015 को हो चुकी थी और वह दि0 12.03.2015 से 16.03.2015 तक COSMOS HOSPITAL मुरादाबाद में भर्ती रही है जिसका विवरण प्रपोजल फार्म में नहीं दिया गया है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि विवेचक की रिपोर्ट से ज्ञात हुआ कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी गर्भवती थी और उसकी उचित देखरेख नहीं की गई थी। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी का जो मृत्‍यु प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत किया गया है वह कूट रचित है और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा निरस्‍त किया जा चुका है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का दावा बीमा कम्‍पनी द्वारा उचित प्रकार से अस्‍वीकार किया गया है।

        जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह निष्‍कर्ष निकाला है कि अपीलार्थी/विपक्षी यह साबित करने में असफल रहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु दि0 23.03.2015 को हुई है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया है।

        अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि और साक्ष्‍य के विरूद्ध है और जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत जिस मृत्‍यु प्रमाण पत्र पर विश्‍वास किया है वह कूट रचित है तथा ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा निरस्‍त किया जा चुका है। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि मृतक सावित्री की पालिसी वास्‍तविक तथ्‍य को छिपाकर धोखे से प्राप्‍त की गई है।

        प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। यह कहना गलत है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु दि0 23.03.2015 को हुई है। वास्‍तव में उसने अपने जीवनकाल में यह बीमा पालिसी लिया है और उसकी मृत्‍यु दि0 10.07.2015 को हुई है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपनी पत्‍नी का जो मृत्‍यु प्रमाण पत्र जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है वह पंचायत राज अधिकारी द्वारा कदापि निरस्‍त नहीं किया गया है। इस संदर्भ में अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा किया गया कथन व प्रस्‍तुत अभिलेख बनावटी व कूट रचित है।

        मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है। उभयपक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से प्रस्‍तुत तर्क के आधार पर वर्तमान अपील के निर्णय हेतु मुख्‍य विचारणीय बिन्‍दु यह है कि क्‍या प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी सावित्री देवी की प्रश्‍नगत पालिसी उसकी मृत्‍यु के पश्‍चात प्राप्‍त की गयी है और अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकार किये जाने हेतु उचित आधार है?

        अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी के अनुसार उसके विवेचक ने जांच के बाद आख्‍या प्रस्‍तुत किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु दि0 23.03.2015 को हुई है और उसकी मृत्‍यु के बाद बीमा पालिसी उसके नाम से प्राप्‍त की गई है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार सावित्री देवी ने अपने जीवन काल में बीमा पालिसी लिया है और उसकी मृत्‍यु दि0 10.03.2015 को हुई है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष अपनी पत्‍नी का मृत्‍यु  प्रमाण-पत्र प्रस्‍तुत किया है जिसमें मृत्‍यु तिथि दि0 10.03.2015 अंकित है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत यह मृत्‍यु प्रमाण-पत्र फर्जी है और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा निरस्‍त किया जा चुका है, परन्‍तु जिला फोरम के निर्णय व आदेश से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी द्वारा प्रस्‍तुत मृत्‍यु प्रमाण-पत्र निरस्‍त किये जाने की कार्यवाही अथवा आदेश की प्रति जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया है और संशोधित मृत्‍यु प्रमाण-पत्र की प्रति भी प्रस्‍तुत नहीं किया है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत मृत्‍यु प्रमाण-पत्र की फोटो प्रति ही अपील में प्रस्‍तुत की है जिस पर ‘’मेरे द्वारा जारी नहीं किया गया है’’ अंकित कर नरेन्‍द्र सिंह अंग्रेजी में लिखा है और ग्राम पंचायत अधिकारी की मोहर लगायी गई है जो मूल प्रमाण-पत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रस्‍तुत किया है पर लगी मोहर से मेल नहीं खाती है और जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत प्रति पर यह टिप्‍पणी अंकित नहीं है। यह टिप्‍पणी प्रमाण-पत्र की प्रति पर वास्‍तविक रूप से ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा अंकित की गई है यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है। ऐसी कोई सूचना अधिकृत प्रपत्र पर नहीं प्रस्‍तुत की गई है और न ही मृत्‍यु प्रमाण-पत्र की कोई प्रमाणित संशोधित प्रति प्रस्‍तुत की गई है।

        एक बार मृत्‍यु प्रमाण-पत्र में मृत्‍य तिथि अंकित होने पर उसमें संशोधन जन्‍म मृत्‍यु पंजीयन अधिनियम 1969 और उसके अधीन बनायी गई नियमावली के अनुसार सक्षम अधिकारी के आदेश से ही हो सकता है, परन्‍तु ऐसे किसी आदेश या कार्यवाही का कोई साक्ष्‍य या प्रमाण अपीलार्थी नहीं दिखा सका है।

        जिला फोरम के निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी ने जिला फोरम के समक्ष आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का जो अभिलेख प्रस्‍तुत किया है उस पर किसी का हस्‍ताक्षर नहीं है और यह पठनीय भी नहीं है। यही स्थिति आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के अपील में प्रस्‍तुत अभिलेख की है। जन्‍म मृत्‍यु पंजीयन अधिनियम 1969 के अनुसार मृत्‍यु प्रमाण-पत्र में अंकित तिथि ही मान्‍य होगी। अत: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की प्रविष्टि का कोई महत्‍व भी नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत मृत्‍यु प्रमाण-पत्र निरस्‍त कर संशोधित मृत्‍यु प्रमाण-पत्र जारी किया जाना अपीलार्थी साबित नहीं कर सका है। अत: जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत मृत्‍यु प्रमाण-पत्र पर विश्‍वास कर कोई गलती नहीं किया है। प्रपोजल फार्म पर सावित्री का हस्‍ताक्षर है और गवाही कुंवरपाल गवाह ने की है तथा बीमा कम्‍पनी के एजेन्‍ट चमन सिंह ने प्रमाणित किया है। बीमा एजेन्‍ट के विरूद्ध मृतक व्‍यक्ति के नाम बीमा पालिसी करवाने हेतु कोई कार्यवाही किया जाना बीमा कम्‍पनी ने नहीं बताया है।

        उपरोक्‍त विवेचना एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों व साक्ष्‍यों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की पत्‍नी सावित्री देवी की मृत्‍यु के बाद प्रश्‍नगत पालिसी धोखा देकर ली गई है।

  COSMOS HOSPITAL का बीमाधारक सावित्री के इलाज का कोई अभिलेख अपीलार्थी ने जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया है। अपीलार्थी ने अपील मेमो के साथ सावित्री के इलाज का कम्‍प्‍यूटर रचित बिल प्रस्‍तुत किया है। कोई Admission या Discharge Slip प्रस्‍तुत नहीं किया है और उपरोक्‍त बिल पर पेसेंट अटेंडेंट सिग्‍नेचर का कालम रिक्‍त है। अत: यह बिल विश्‍वसनीय नहीं है।

        उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हूँ कि श्रीमती सावित्री देवी का COSMOS HOSPITAL में इलाज होना अपीलार्थी प्रमाणित नहीं कर सका है।

        सम्‍पूर्ण विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हूं कि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का दावा अस्‍वीकार करने का जो आधार बताया है वह उचित नहीं है। अत: उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का दावा अस्‍वीकार कर सेवा में त्रुटि की है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद स्‍वीकार कर कोई गलती नहीं किया है।

        जिला फोरम का निर्णय साक्ष्‍य व विधि के अनुकूल है। अपील सव्‍यय निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

        अपील दस हजार रूपया वाद व्‍यय सहित निरस्‍त की जाती है। यह वाद व्‍यय अपीलार्थी, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करेगा।

        धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि ब्‍याज सहित जिला फोरम को विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                              

                                                         अध्‍यक्ष

 

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

     

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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