मौखिक
RA-03/2020
डिवीजनल रेलवे मैनेजर नार्दन रेलवे व अन्य बनाम लियाकतउल्ला
01.10.2020
अपील संख्या-293/2008 डी0आर0एम0 नार्दन रेलवे बनाम लियाकतउल्ला में राज्य आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 28.01.2011 के विरूद्ध यह पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र उपरोक्त अपील के अपीलार्थी ने धारा-50 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अन्तर्गत विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत किया है।
आदेश दिनांक 28.01.2011 के द्वारा उपरोक्त अपील राज्य आयोग ने उभय पक्ष की अनुपस्थिति के कारण पैरवी के अभाव में निरस्त की है।
आवेदक के विद्वान अधिवक्ता श्री वैभव राज उपस्थित आये। आवेदक के विद्वान अधिवक्ता को सुना।
उत्तर प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 1987 के नियम 08 के उप नियम 06 के अनुसार राज्य आयोग को अपील अपीलार्थी की अनुपस्थिति में निरस्त करने का अधिकार है। अत: अपीलार्थी की अनुपस्थिति में अपील निरस्त किया जाना स्पष्ट्या वैधानिक त्रुटि नहीं है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजीव हितेन्द्र पाठक व अन्य बनाम अच्युत कशीनाथ कारेकर व अन्य IV (2011) सी0पी0जे0 35 (एस0सी0) में पारित निर्णय में स्पष्ट मत प्रकट किया गया है कि राज्य आयोग को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपने पूर्व पारित आदेश पर पुनर्विचार करने अथवा उसे रिकाल करने का अधिकार नहीं है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-50 के
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अनुसार अभिलेख से स्पष्ट परिलक्षित त्रुटि के आधार पर ही राज्य आयोग को अपने पूर्व पारित आदेश का पुनर्विलोकन करने का अधिकार है, परन्तु उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि अपील अपीलार्थी की अनुपस्थिति में राज्य आयोग द्वारा निरस्त किया जाना उत्तर प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 1987 के नियम 08 के उप नियम 06 के अनुसार है। अत: राज्य आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 28.01.2011 स्पष्ट्या परिलक्षित त्रुटि से ग्रस्त नहीं कहा जा सकता है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर आवेदक/अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत वर्तमान आवेदन पत्र स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। अत: निरस्त किया जाता है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1