राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1009/2016
भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0। .....अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
लिटिल एन्जिल पब्लिक स्कूल द्वारा राजेश दुबे निवासी ठठराई मुहाल
औरैया परगना व जिला औरैया। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 09.11.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 245/2015 लिटिल एंगिल पब्लिक स्कूल बनाम भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0 व एक अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 13.04.2016 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने बीमित वाहन की दुर्घटना में क्षति होने पर अंकन रू. 138272/- अदा करने का आदेश दिया है।
2. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि ड्राइवर के पास दुर्घटना की तिथि पर वैध ड्राइविंग लाइसेन्स नहीं था, इसलिए दुर्घटना होने पर वाहन में जो क्षति कारित हुई है उसके लिए बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं है।
3. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. स्वयं परिवाद पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि जिस व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेन्स पेश किया गया है, उसकी फोटो मेल नहीं हो रही है तथा
-2-
उनके नाम में अंतर है। इस उल्लेख से साबित है कि वैध ड्राइविंग लाइसेन्स कभी भी बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत नहीं किया गया। एनेक्सर संख्या 7 के माध्यम से परिवादी द्वारा केवल रू. 36500/- लेने पर सहमति जताई है। यह पत्र 01.06.15 को क्लेम मैनेजर को लिखा गया है। यह उल्लेख भी दर्शित करता है कि ड्राइवर के पास दुर्घटना की तिथि को वैध ड्राइविंग लाइसेन्स नहीं था, इसलिए वह जिला उपभोक्ता मंच द्वारा वर्णित राशि केवल रू. 36500/- प्राप्त करने के लिए भी सहमत हो गए। इसी प्रकार दुर्घटना की तिथि पर वैध ड्राइविंग लाइसेन्स परिवादी के पास मौजूद नहीं था। इन दोनों दस्तावेजों के अभाव में बीमा क्लेम नकार कर बीमा कंपनी द्वारा कोई त्रुटि नहीं की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने केवल इस आधार पर क्लेम स्वीकार किया है कि बीमा कंपनी ने स्वयं रू. 36500/- सहमति पत्र लिखा पाया है, इसलिए ड्राइविंग लाइसेन्स न होने या होन का विश्वास किया जाना चाहिए था तब केवल रू. 36500/- के लिए प्रतिकर स्वीकार किया जाना चाहिए था, परन्तु इस दस्तावेज के अवलोकन से जाहिर होता है कि यह प्रस्ताव स्वयं परिवादी द्वारा बीमा कंपनी को दिया गया है। बीमा कंपनी द्वारा इस प्रस्ताव को परिवादी से स्वयं के अनुरोध से नहीं लिखवाया गया है, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा दिया गया निष्कर्ष तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत है, जो अपास्त होने योग्य है। तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।
-3-
अपीलार्थी द्वारा धारा-15 के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2