(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1831/2006
(जिला आयोग, बलिया द्वारा परिवाद संख्या-171/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.6.2006 के विरूद्ध)
अवध बिहारी गुप्ता पुत्र स्व0 बद्री प्रसाद, निवासी मुहल्ला जगदीशपुर शहर बलिया, जिला बलिया।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा शाखा प्रबंधक, बालेश्वर मंदिर माल गोदाम रोड, बलिया।
2. वरिष्ठ मण्डल प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम, मण्डल कार्यालय-जीवन प्रकाश बी-12/120, गौरीगंज, वाराणसी।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री कुमार संभव।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री संजय जायसवाल।
दिनांक: 13.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-171/2005, अवध बिहारी गुप्ता बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, बलिया द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.6.2006 के विरूद्ध यह अपील स्वंय परिवादी की ओर से प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद खारिज कर दिया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने अपनी पत्नि गौरी देवी के जीवन पर अंकन 50,000/-रू0 की एक बीमा पालिसी दिनांक 28.11.2002 को प्राप्त की थी, जिसमें परिवादी नामिनी है। बीमा अवधि के दौरान बीमाधारिका की मृत्यु दिनांक 20.02.2004 को हो गई। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परन्तु बीमा क्लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि बीमाधारिका द्वारा बीमा पालिसी लेने से पूर्व डायबिटीज तथा उच्च रक्तचाप से पीडित रही हैं और इस तथ्य को उनके द्वारा छिपाया गया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया, जिसे विद्वान जिला आयोग ने खारिज कर दिया।
3. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बीमा प्रस्ताव भरते समय बीमाधारिका किसी भी बीमारी से ग्रसित नहीं थी, उनका कोई इलाज नहीं कराया गया था, इसलिए उन्हें किसी बीमारी के ज्ञान होने का कोई अवसर नहीं था। बीमारी छिपाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में बीमारी के संबंध में डा0 अरूण कुमार श्रीवास्तव के प्रमाण पत्र दिनांकित 28.7.2004 पर विचार किया है, इस प्रमाण पत्र के अनुसार बीमाधारिका का दो वर्ष पूर्व से डायबिटीज तथा उच्च रक्तचाप की बीमारी का इलाज डा0 द्वारा करने का कथन किया गया है। अत: यह दस्तावेज इस तथ्य को साबित करता है कि बीमा पालिसी प्राप्त करते समय पूर्व से मौजूद बीमारी के तथ्य को छिपाया गया है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2