Madhya Pradesh

Seoni

CC/03/2013

SUKHCHAND S/O. MANI RAM - Complainant(s)

Versus

LIFE INSURANCE CORPORATION - Opp.Party(s)

05 Mar 2013

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

 प्रकरण क्रमांक 032013                                   प्रस्तुति दिनांक-02.01.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

सुकचैन, वल्द मनीराम, उम्र लगभग 35
वर्श, जाति अहीर, निवासी-ग्राम बक्षी,
पोस्ट कटिया, तहसील घंसौर, जिला सिवनी
(म0प्र0)।.....................................................आवेदकपरिवादी।


             :-विरूद्ध-:                  
क्षेत्रीय प्रबंधक,
भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय,
मदन महल जबलपुर, नागपुर रोड, जबलपुर
(म0प्र0)।.....................................................................अनावेदकविपक्षी।

                    
                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक-  05/03/2013             को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-

(1)        परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसकी पतिन-सकुन बार्इ, तेन्दूपत्ता संग्रहक की दुर्घटना में मृत्यु पर देय बीमाधन की राषि 25,000-रूपये का भुगतान न कर, अनावेदक द्वारा, मात्र 3,500-रूपये के भुगतान को सेवा में कमी बताते हुये, मय ब्याज षेश राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2)         यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी की पतिन-प्राथमिक सहकारी समिति मर्यादित, भिलार्इ (घंसौर) उत्तर जिला वनोपज संघ, सिवनी में तेन्दूपत्ता संग्रहक रही है और उसकी दिनांक-25.09.2009 को सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गर्इ थी। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि- तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए मध्यप्रदेष षासन द्वारा, नि:षुल्क समूह बीमा योजना जारी कर, अनावेदक बीमा कम्पनी से उक्त संबंध में समूह जीवन बीमा पालिसी प्राप्त की गर्इ और पालिसी की षर्तों के अनुसार, तेन्दूपत्ता संग्रहक की मृत्यु होने की दषा में 25,000-रूपये की राषि मृतिका के नामांकित सदस्य को अनावेदक द्वारा प्रदान किया जाना होता है। यह भी विवादित नहीं कि-परिवादी के द्वारा, पतिन की मृत्यु पष्चात, दावा आवेदन दस्तावेजों सहित, प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति, भिलार्इ (घंसौर) में पेष किया गया था, जो नोडल अधिकारी द्वारा, दिनांक-18.03.2010 को दावा स्वीकृति हेतु, अनावेदक के कार्यालय को प्रेशित किया गया और अनावेदक की ओर से दिनांक-04.10.2012 को साधारण मृत्यु मानकर, साधारण मृत्यु हेतु देय बीमा राषि 3,500- रूपये का चेक दिनांक-24.08.2012 का वनोपज सहकारी संघ को प्रेशित किया गया।
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- परिवादी की पतिन की मृत्यु दिनांक-25.09.2009 को सड़क दुर्घटना में हो गर्इ थी, परिवादी ने उक्त हेतु, दुर्घटना मृत्यु बाबद, देय बीमा राषि 25,000-रूपये प्रापित के लिए दावा पेष किया था और अनावेदक का दावा प्राप्त होने के पष्चात उसे लम्बी अवधि तक अनावष्यक विलम्ब रखा और दिनांक-24.08.2012 के चेक के द्वारा, मात्र 3,500-रूपये का भुगतान कर व षेश राषि का भुगतान न कर, व्यवसायिक दुराचरण किया है, जो कि-बीमाधन की षेश राषि 21,500-रूपये और अनावेदक को दावा प्रेशित किये जाने के दिनांक-18.03.2010 से भुगतान दिनांक तक की अवधि का ब्याज, हर्जाना व कार्यवाही-व्यय दिलाने की मांग की गर्इ है। 
(4)        अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-परिवादिया के क्लेम में दुर्घटना से संबंधित चाहे गये दस्तावेज पेष नहीं किये गये थे, इसलिए साधारण मृत्यु पर देय बीमा राषि का भुगतान किया गया, कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ हैे, दुर्घटना मृत्यु के संबंध में 25,000- रूपये की राषि देय रहती है, नोडल एजेंसी से दावा-प्रपत्र जो प्राप्त हुआ था, उसमें दुर्घटना हितलाभ हेतु आवष्यक दस्तावेज-पुलिस का अंतिम प्रतिवेदन, दावा-प्रपत्र के साथ संलग्न न होने के कारण ही, साधारण मृत्यु मानकर 3,500-रूपये क्लेम भुगतान किया गया, जो कि-इस पीठ के समक्ष दिनांक-05.02.2013 को एट फार चेक दिनांक- 16.01.2013 का 21,500-रूपये का पीठ के नाम से प्रेशित किया गया है, नोडल एजेंसी को उसके पूर्व पत्र भेजकर, पुलिस का अंतिम प्रतिवेदन व नक्षा पंचायतनामा रिपोर्ट, तत्काल प्रेशित करने सूचित किया गया था, पर अब-तक परिवादी की ओर से नोडल एजेंसी का उक्त दस्तावेज अप्राप्त है, जो कि-वांछित दस्तावेज नोडल एजेंसी से दिलवाये जायें, तत्पष्चात उक्त राषि 21,500-रूपये का भुगतान परिवादी को किया जावे।
(5)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
        (अ)    क्या अनावेदक ने, परिवादी को समुचित कारणों
            के बिना क्लेम राषि का कम एवं विलमिबत भुगतान
            कर, उसके प्रति सेवा में कमी किया है?
        (ब)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6)       मृतिका, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए लागू, समूह बीमा योजना के तहत बीमित व्यकित रही है और दिनांक-25.09.2009 को उसकी मृत्यु पर नोडल एजेंसी के माध्यम से प्रेशित हुये परिवादी के क्लेम के बाबद, मात्र 3,500-रूपये का चेक जो प्राप्त हुआ, उसकी प्रति प्रदर्ष सी-2 और वनोपज सहकारी समिति द्वारा, उक्त चेक परिवादी को प्रेशित किये जाने का सूचना-पत्र प्रदर्ष सी-1 में भी यह वर्णित है कि- 25,000- रूपये के स्थान पर मात्र 3,500-रूपये का धनादेष प्रदान किये जाने बाबद कोर्इ स्पश्टीकरण बीमा कम्पनी द्वारा प्रेशित नहीं किया गया, न ही क्लेम बाबद कोर्इ आपतित बतार्इ गर्इ। 
(7)        प्रदर्ष सी-3 से प्रदर्ष सी-8 तक के जो पुलिस विवेचना में षव के पोस्टमार्टम रिपोर्ट, षव के नक्षा पंचायतनामा और दुर्घटना की प्रथम सूचनामर्ग सूचना की प्रतियों से ही यह पूरी तरह स्पश्ट रहा है कि-मृतिका की मृत्यु, दुर्घटना में हुर्इ थी और दुर्घटना मृत्यु होने को अनावेदक द्वारा विवादित भी नहीं किया गया है। 
(8)        यहां यह भी स्पश्ट है कि-परिवादी-पक्ष द्वारा बिना अन्य कोर्इ दस्तावेज भेजे ही, अनावेदक के द्वारा, परिवाद का जवाब प्रेशित करते समय 21,500-रूपये के चेक का भुगतान इस पीठ के नाम से किया गया। स्पश्ट है कि-जो दस्तावेज परिवादी-पक्ष की ओर से दुर्घटना मृत्यु होने बाबद, इस मामले में पेष किये गये और जिन्हें क्लेम के साथ भी प्रेशित किया गया था, वे मृितका की दुर्घटना में मृत्यु होना स्थापित करने के लिए समुचित प्रमाण रहे हैं, मृत्यु, दुर्घटना में होने संबंधी अन्य कोर्इ दस्तावेज दावा प्रेशित दिनांक-18.03.2010 के पष्चात बीमा कम्पनी ने परिवादी या नोडल एजेंसी से मांग किया हो, ऐसा दर्षाने अनावेदक-पक्ष की ओर से कोर्इ पत्र की प्रति व प्रमाण पेष नहीं। अनावेदक के जवाब में भी दिनांक-24.08.2012 के पूर्व कोर्इ दस्तावेज की मांग किये जाने का हवाला नहीं और परिवादी की ओर से पेष प्रदर्ष सी-1 के प्रबंधक, वनोपज सहकारी समिति के पत्र से भी यह सिथति स्पश्ट है कि-दिनांक-24.08.2012 का 3,500-रूपये का चेक जारी करते समय भी कोर्इ दस्तावेज की मांग दुर्घटना के प्रमाण बाबद नहीं की गर्इ है।
(9)        वैसे भी कोर्इ पुलिस के अंतिम प्रतिवेदन की मांग कर, दावा लमिबत रखने का कोर्इ आधार या कारण संभव नहीं था और मृत्यु के कारण के किसी संदिग्ध मामले में (जो कि-प्रस्तुत मामला संदिग्ध नहीं है) बीमा कम्पनी अपनी संतुशिट हेतु जांच कराने हेतु स्वतंत्र व सक्षम रही है।
(10)        स्पश्ट है कि-दो वर्श से अधिक समय तक क्लेम को अनावष्यक व अनुचित रूप से अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा लमिबत रखा गया और बाद में दुर्घटना मृत्यु के संबंध में देय बीमा राषि 25,000- रूपये का भुगतान न कर, साधारण मृत्यु के लिए देय 3,500-रूपये की राषि का चेक भेजकर, परिवादी के प्रति अनावेदक के द्वारा अनुचित व्यापार प्रथा अपनार्इ गर्इ तथा सेवा में कमी की गर्इ है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(11)        हालांकि अनावेदक के द्वारा, दिनांक-05.02.2013 को इस पीठ के नाम बीमाधन की षेश राषि 21,500-रूपये का चेक प्रस्तुत कर दिया गया, जबकि-दावा प्रस्तुति पष्चात तीन माह के अंदर क्लेम राषि का भुगतान किया जाना था, इसलिए हर्जाना अदा करने हेतु भी अनावेदक दायित्वाहीन है। 
(12)        तब मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
        (अ)    अनावेदक ने जो परिवादी के क्लेम राषि का भुगतान
            करने में अनुचित विलम्ब किया है, जिससे परिवादी
            को जो असुविधा, मानसिक-कश्ट और लगभग ढ़ार्इ
            वर्श के ब्याज की नुकसानी हुर्इ तथा यह मामला पेष
            करने के लिए बादध्य होना पड़ा, उक्त हेतु                     अनावेदक, परिवादी को 8,000-रूपये (आठ हजार             रूपये) हर्जाना अदा करे।
        (ब)    अनावेदक स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और
            परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में                     2,000-रूपये (दो हजार रूपये) अदा करे।
        (स)    अनावेदक, परिवादी को उक्त अदायगी आदेष दिनांक
            से तीन माह की अवधि के अंदर करेगा, उक्त अवधि             में अदायगी न होने की दषा में अपालन हेतु अन्य                 परिणामों के अतिरिक्त उक्त राषियों पर, उक्त तीन             माह की अवधि पष्चात से 9 प्रतिषत वार्शिक ब्याज                 की दर से ब्याज भी देय होगा।


            
   मैं सहमत हूँ।                                     मेरे द्वारा लिखवाया गया।         

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
           सदस्य                                                 अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी                           

          (म0प्र0)                                                   (म0प्र0)

 

 

 

 

 

 

 

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