View 7580 Cases Against Life Insurance Corporation
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SONWATI BAI filed a consumer case on 28 Apr 2014 against LIFE INSURANCE CORPORATION in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/13/2014 and the judgment uploaded on 16 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक- 13-2014 प्रस्तुति दिनांक-20.02.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
सोनवती, उम्र लगभग 48 वर्श, विधवा
गुरूदयाल जाति-गौंड, निवासी-ग्राम
विजयपानी कला, पोस्ट मेहरापिपरिया
तहसील बरघाट, जिला सिवनी
(म0प्र0)।.............................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
क्षेत्रीय प्रबंधक,
भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय,
मदनमहल नागपुर रोड, जबलपुर, जिला
जबलपुर (म0प्र0)।.............................................अनावेदकविपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 28.04.2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसके पति-गुरूदयाल, तेन्दूपत्ता संग्रहक की दिनांक-31.08.2011 को नदी में डूबने से हुर्इ मृत्यु के संबंध में तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए षासन द्वारा ली गर्इ नि:षुल्क समूह बीमा योजना की बीमा पालिसी के तहत, परिवादिया के बीमा क्लेम की दुर्घटना मृत्यु बाबद देय बीमा राषि 25,000-रूपये का भुगतान न कर, साधारण मृत्यु मानकर 3,500-रूपये का ही भुगतान किये जाने और दावायुक्त षेश राषि 21,500-रूपये का भुगतान न किये जाने को सेवा में कमी बताते हुये, उक्त राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादिया के पति तेन्दूपत्ता संग्रहक होकर, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए षासन द्वारा, अनावेदक बीमा कम्पनी से प्राप्त की गर्इ समूह बीमा योजना के तहत बीमा पालिसी से बीमित रहे हैं और दिनांक-31.08.2011 को परिवादिया के पति की ग्राम-गुरजर्इ हिर्रो नदी के घाट बहने से डूब जाने से मृत्यु हुर्इ थी, परिवादिया ने उक्त मृत्यु बाबद बीमा क्लेम हेतु आवेदन, मृत्यु संबंधी आवष्यक दस्तावेजों सहित, प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति बरघाट के समक्ष पेष किया था और जिला लघुउपज, दक्षिण वनमंडल समिति (जिला यूनियन) नोडल अधिकारी के कार्यालय से दावा स्वीकृति हेतु अनावेदक के कार्यालय में वर्श-2012 को दावा स्वीकृति व राषि भुगतान हेतु प्रेशित किया गया था, जो कि- अनावेदक बीमा कम्पनी के द्वारा, दिनांक-13.12.12 को पालिसी के तहत साधारण मृत्यु पर देय 3,500-रूपये की राषि का चेक भी प्रेशित किया गया है।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- परिवादिया ने क्लेम आवेदन के साथ आवष्यक दस्तावेज-एफ0आर्इ्र0आर0, पी0एम0 रिपोर्ट, नक्षा पंचनामा और अंतिम जांच प्रतिवेदन इत्यादि प्रेशित किये थे, फिर भी अनावेदक द्वारा उन पर सममुचित विचार न कर, अवैधानिक रूप से मात्र साधारण मृत्यु पर देय राषि ही भेजी गर्इ और परिवादी के प्रति-सेवा में कमी की गर्इ। अत: दावायुक्त षेश राषि 21,500-रूपये और उस-पर दिनांक-13.12.12 से भुगतान दिनांक तक की अवधि का ब्याज व परिवादी को हुर्इ असुविधा व मानसिक-कश्ट बाबद हर्जाना दिलाने की मांग की गर्इ है।
(4) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-दिनांक-12.12.2012 को परिवादिया के साधारण मृत्यु दावा के प्रपत्र अनावेदक को प्राप्त हुये थे और अनावेदक द्वारा त्वरित कार्यवाही कर, दिनांक-13.12.12 को 3,500-रूपये का भुगतान चेक के द्वारा कर दिया गया था तथा परिवादी को व संबंधित नोडल अधिकारी को पुलिस का अंतिम अन्वेशण प्रतिवेदन प्राप्त न होने की सूचना चेक के प्रेशण-पत्र पर अंकित कर, दिनांक-22.12.2012 को रजिस्टर्ड-डाक से प्रेशित कर दिया था। और क्योंकि दुर्घटना हितलाभ का निर्धारण पुलिस के अंतिम निश्कर्श प्रतिवेदन के आधार पर ही किया जाता है, सूचना प्रापित के बाद भी परिवादी व नोडल अधिकारी के द्वारा, पुलिस का अंतिम अन्वेशण प्रतिवेदन का प्रेशण नहीं किया गया, जिसके आभाव में अनावेदक द्वारा दुर्घटना हितलाभ का भुगतान साधारण मृत्यु दावा के साथ नहीं किया जा सका था और इसलिए अनावेदक द्वारा कोर्इ व्यवसायिक दुराचरण या सेवा में कमी नहीं की गर्इ है।
(5) पुलिस अधीक्षक द्वारा, दिनांक-10.12.2013 को जारी अंतिम अन्वेशण प्रतिवेदन की प्रति इस जिला फोरम के मामले के संमंस व परिवाद-पत्र के साथ अनावेदक को प्राप्त हुये, जिसके आधार पर अनावेदक द्वारा त्वरित कार्यवाही कर, दिनांक-10.03.2014 को दुर्घटना हितलाभ की राषि 21,500-रूपये का चेक इस जिला फोरम में दिनांक-14.03.2014 को जमा कर दिया गया, इस तरह संपूर्ण दावा राषि जमा की जा चुकी है, अनावेदक-पक्ष से कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ, इसलिए किसी भी प्रकार से अन्य कोर्इ राषि व ब्याज देने हेतु अनावेदक उत्तरदायी नहीं। स्वयं परिवादिया द्वारा ही चाहे गये अंतिम प्रतिवेदन को अनावेदक संस्था में जमा नहीं कराया गया और सीधे यह प्रकरण इस जिला फोरम में पेष कर दिया गया, इसलिए अनावेदक संस्था को ही क्षति हुर्इ है उसे देने हेतु परिवादिया स्वयं जवाबदार है, जो कि-विहित समुचित क्षति अनावेदक को दिलार्इ जाये।
(6) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा पालिसी के तहत
निर्धारित दुर्घटना मृत्यु पर देय राषि का भुगतान न
करते हुये, मात्र साधारण मृत्यु पर देय राषि का
भुगतान दिनांक-13.12.12 को कर, परिवादिया के
प्रति-सेवा में कमी की गर्इ है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(7) मृतक तेन्दूपत्ता संग्रहक रहा है, यह दर्षाने प्रदर्ष सी-6 पेष किया गया है, यह स्वीकृत तथ्य है और दिनांक-31.08.2011 को उसकी मृत्यु गुरजर्इ हिर्रो नदी में डूबने से हुर्इ थी, इस बाबद प्रदर्ष सी-1 का मृत्यु प्रमाण-पत्र, प्रदर्ष सी-2 की मर्ग सूचना, प्रदर्ष सी-3 का पुलिस द्वारा बनाया गया लाष का नक्षा पंचायतनामा, प्रदर्ष सी-4 का पुलिस द्वारा बनाया गया पंचनामा व डाक्टर के षव परीक्षण प्रतिवेदन की प्रतियों से ही यह स्पश्ट है कि-नदी में डूबने के फलस्वरूप परिवादिया के पति की मृत्यु दिनांक-31.08.2011 को हुर्इ।
(8) परिवाद में परिवादिया द्वारा, प्राथमिक जिला वनोपज सहकारी समिति, बरघाट में बीमा क्लेम आवेदन पेष किया जाना और जहां से दिनांक-26.07.2012 को बीमा कम्पनी को प्रेशित किये जाने का विवरण दिया गया है, इस संबंध में कोर्इ भी दस्तावेज परिवादी-पक्ष से पेष नहीं और नोडल एजेंसी को भी मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया, जबकि-अनावेदक- पक्ष के जवाब में परिवादिया का साधारण मृत्यु दावा दिनांक-12.12.2012 को प्राप्त होना और अगले दिन ही साधारण मृत्यु हेतु देय राषि 3,500-रूपये का चेक जारी कर, दिनांक-22.12.2012 को प्रेशण-पत्र सहित भेज दिया जाना जो दर्षाया गया है, उक्त संबंध में प्रेशण-पत्र की प्रति प्रदर्ष आर-1 और रजिस्टर्ड-डाक से भेजने बाबद पोस्टल रसीदबल्क लिस्ट की प्रति प्रदर्ष आर-2 जो पेष की गर्इ है, वह क्लेम बाबद 3,500-रूपये की राषि का क्लेम स्वीकृत किये जाने के पत्र और उसके प्रेशण के बाबद हैं, जिला यूनियन से परिवादिया का क्लेम बीमा कम्पनी को कब प्राप्त हुआ, इस संबंध में कोर्इ दस्तावेज भी अनावेदक-पक्ष से पेष नहीं, तब दिनांक-12.12.2012 को भुगतान स्वीकृत किया जाना भी अनुचित विलम्ब नहीं।
(9) प्रदर्ष आर-1 के प्रेशण-पत्र में ही मृत्यु का कारण स्पश्ट न होने और पुलिस की फायनल रिपोर्ट भी न होने की टीप अंकित है और उक्त पत्र की प्रति परिवादिया व नोडल एजेंसी जिला यूनियन को प्रेशित होने का उल्लेख है, जो कि- वास्तव में जिला यूनियन को ही प्रेशित किया गया, यह प्रदर्ष आर-2 से स्पश्ट है।
(10) पुलिस के अंतिम जांच निश्कर्श रिपोर्ट के वृतांत के पुलिस अधीक्षक के पत्र की प्रति प्रदर्ष सी-5 जिसे वह पुलिस की अंतिम जांच रिपोर्ट कह रहे हैं, वह दावा, क्लेम के साथ वर्श-2012 में परिवादिया द्वारा अन्य दस्तावेजों सहित प्रेशित कर दिये जाने का दावा में दिया गया विवरण निषिचत ही असत्य है, क्योंकि प्रदर्ष सी-5 पुलिस अधीक्षक कार्यालय से दिनांक-10.12.2013 को जारी होना और परिवादिया के पत्र दिनांक-26.11.2013 के आधार पर जारी होना स्पश्ट है, तो दिनांक-10.12.2013 को पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी पत्र प्रदर्ष सी-5 परिवादिया के द्वारा, अनावेदक बीमा कम्पनी को प्रेशित किया गया हो, ऐसा स्वयं परिवादिया का मामला नहीं है और दिसम्बर-2013 या उसके बाद परिवादिया ने प्राथमिक जिला वनोपज या जिला यूनियन नोडल एजेंसी को प्रदर्ष सी-5 की कोर्इ प्रति बीमा कम्पनी को भेजे जाने के लिए प्रेशित की हो, ऐसा भी परिवादिया का कथानक नहीं, तो इस संबंध में परिवादिया ने कोर्इ सिथति स्पश्ट नहीं की है, न ही नोडल अधिकारी को पक्षकार बनाया है, तो उक्त पुलिस का अंतिम जांच प्रतिवेदन परिवादिया-पक्ष की ओर से सीधे या नोडल अधिकारी के माध्यम से बीमा कम्पनी को प्रेशित किया जाना स्वयं परिवादिया का मामला नहीं और उक्त पुलिस का अंतिम प्रतिवेदन बीमा कम्पनी को भेजे बिना ही, परिवाद इस जिला फोरम में पेष कर दिया गया।
(11) हालांकि प्रदर्ष सी-2 की मर्ग सूचना, प्रदर्ष सी-2 का लाष नक्षा पंचायतनामा और प्रदर्ष सी-4 के डाक्टर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह तो दर्षित है कि-नदी में डूबने के फलस्वरूप, परिवादिया के पति की मृत्यु हुर्इ थी, लेकिन पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति की मांग बीमा कम्पनी द्वारा किया जाना किसी भी तरह अनावष्यक या अनुचित नहीं कहा जा सकता। और उक्त मांग की गर्इ है, यह परिवादिया को ज्ञान रहा है, इसलिए अंतिम जांच निश्कर्श रिपोर्ट प्रदर्ष सी-5 पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दिनांक-26.11.2013 को आवेदन देकर प्राप्त किया यह स्पश्ट है, लेकिन उसे अनावेदक बीमा कम्पनी को प्रेशित न किया जाना स्वयं परिवादिया की ओर से की गर्इ कमी रही है और जब प्रदर्ष सी-5 का उक्त दस्तावेज परिवाद के साथ पेष किया गया और इस पीठ की ओर से भेजा गया संमंस अनावेदक को प्राप्त हुआ, तो अनावेदक-पक्ष के द्वारा, उक्त आधार पर, दिनांक-14.02.2014 को क्लेम की षेश राषि 21,500-रूपये का चेक जमा करा दिया जाना आदेष-पत्रिका से स्पश्ट है, ऐसे में अनावेदक के द्वारा, परिवादिया के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना दर्षित नहीं, बलिक यह दर्षित है कि-पुलिस का अंतिम जांच प्रतिवेदन बीमा कम्पनी को भेजे बिना मामले में परिवाद पेष करने हेतु कोर्इ वाद-कारण वास्तव में उत्पन्न नहीं हुआ, इसलिए परिवाद में उक्त तथ्य को छिपाते हुये परिवादिया ने वर्श-2012 में क्लेम आवेदन के साथ पुलिस का अंतिम जांच प्रतिवेदन भी भेज दिये जाने का असत्य उल्लेख कर, यह परिवाद पेष कर दिया जाना पाया जाता है, ऐसे में अनावेदक के द्वारा, परिवादिया के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी न किया जाना निश्कर्शित किया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(12) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, ममाले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) परिवाद बिना वाद-कारण उत्पन्न हुये पेष होना और अनावेदक द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी न किया जाना पाये जाने से स्वीकार योग्य नहीं। प्रस्तुत परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त किया जाता है।
(ब) परन्तु अनावेदक-पक्ष के द्वारा, परिवाद में चाहे गये
बीमा क्लेम की षेश राषि 21,500-रूपये (इक्कीस हजार
पांच सौ रूपये) इस फोरम में जमा कर दी गर्इ है, जो
कि-उक्त राषि का भुगतान परिवादिया प्राप्त करेगी।
(स) पक्षकार अपना-अपना कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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