Madhya Pradesh

Seoni

CC/04/2014

SMT. SHEELA BAI - Complainant(s)

Versus

LIFE INSURANCE CORPORATION - Opp.Party(s)

DEEPAK AGARWAL

26 Mar 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

 

  प्रकरण क्रमांक -04-2014                              प्रस्तुति दिनांक-01.01.2014


समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

श्रीमति षीलाबार्इ, पत्नी स्वर्गीय हीरामन
उम्र लगभग 55 वर्श, निवासी-ग्राम ताख्ला
खुर्द, तहसील बरघाट, जिला सिवनी
(म0प्र0)।....................................................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-: 
क्षेत्रीय प्रबंधक,
भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय
मदनमहल, नागपुर रोड, जबलपुर,
जिला जबलपुर (म0प्र0)।...........................................अनावेदकविपक्षी।    


                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक- 26.03.2014 को पारित)

द्वारा-अध्यक्ष:-

(1)        परिवादिया ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसके पुत्र-कमलदास तेन्दूपत्ता संग्रहक की दिनांक-26.06.2012 को दुर्घटना में हुर्इ मृत्यु बाबद, अनावेदक द्वारा, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के समूह बीमा योजना के तहत परिवादिया के क्लेम भुगतान न किये जाने को अनुचित व सेवा में कमी बताते हुये यह परिवाद पेष किया है। 
(2)        यह स्वीकृत तथ्य है कि-मध्यप्रदेष षासन की योजना के तहत तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए नि:षुल्क समूह बीमा योजना लागू कर, अनावेदक बीमा कम्पनी से उक्त हेतु बीमा पालिसी प्राप्त की गर्इ है। यह भी विवादित नहीं कि-परिवादिया का पुत्र-कमलदास तेन्दूपत्ता संग्रहक रहा होकर, उक्त पालिसी के तहत बीमित रहा है और पालिसी षर्तों के अनुसार, बीमित तेन्दूपत्ता संग्रहक की दुर्घटना में मृत्यु होने पर, 25,000-रूपये बीमाधन देय रहा है। यह भी विवादित नहीं कि-दिनांक- 26.06.2012 को परिवादिया के पुत्र की इंदिरागांधी मेडीकल कालेज, नागपुर में इलाज के दौरान मृत्यु हुर्इ थी और परिवादिया ने बीमा दावा मृत्यु के दस्तावेजों सहित, प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति, बरघाट में पेष किये थे, जो कि-दावा, जिला युनियन, नोडल एजेन्सी के माध्यम से स्वीकृति हेतु अनावेदक बीमा कम्पनी को दिनांक-10.04.2013 को प्रेशित किया गया था। और अब-तक परिवादिया के क्लेम का भुगतान नहीं हुआ है।
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- परिवादिया के पुत्र की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हुर्इ थी, मृत्यु के पष्चात परिवादिया ने बीमा दावा के साथ आवष्यक दस्तावेज-एफ0आर्इ0आर0, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, नक्षा पंचायतनामा, पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन इत्यादि प्रेशित किये थे, जो कि-अनावेदक के द्वारा समुचित विचार न करके अवैधानिक-रूप से दावा, नोडल एजेन्सी, जिला युनियन को लौटा दिया गया, जो अनुचित होकर, सेवा में कमी है, इसलिए क्लेम की राषि व हर्जाना चाहा गया।
(4)        अनावेदक का स्वीकृत तथ्यों के अलावा, जवाब का सार यह है कि-परिवादिया द्वारा, नोडल एजेन्सी, जिला वनोपज युनियन, दक्षिण वनमण्डल, सिवनी के माध्यम से जो दावा प्रपत्र भेजा गया, उसमें मृत्यु संबंधी पुलिस का अंतिम जांच प्रतिवेदन संलग्न कर नहीं भेजा गया था, इसलिए दिनांक-14.06.2013 को समस्त दावा प्रपत्र नोडल अधिकारी को वापस कर, यह सूचित किया गया था कि-दावा प्रपत्रों के साथ पुलिस के अंतिम जांच अन्वेशण प्रतिवेदन संलग्न कर, यथाषीघ्र अनावेदक के समक्ष पेष किया जाये, जिससे परिवादिया के दावा का निराकरण हो सके। परन्तु अब-तक परिवादिया या नोडल अधिकारी द्वारा दावा प्रपत्रों के साथ पुलिस का अंतिम जांच प्रतिवेदन पेष नहीं किया गया, जिसके आभाव में परिवादिया के दावे का निराकरण नहीं हो सका, यदि परिवादिया के द्वारा, पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन व आवष्यक सत्यापित दस्तावेज यथाषीघ्र प्रेशित किये जाते हैं, तो बिना विलम्ब के दावा का निराकरण कर दिया जायेगा। अनावेदक ने, परिवादिया के प्रति कोर्इ व्यवसायिक दुराचार या सेवा में कमी नहीं किया है। 

(5)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-    
    
        (अ)    क्या अनावेदक के द्वारा, परिवादिया के बीमा क्लेम
            का भुगतान न किया जाना अनुचित होकर, परिवादिया
            के प्रति-की गर्इ सेवा में कमी है?
        (ब)    सहायता एवं व्यय?

                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-

(6)        परिवादिया की ओर से प्रदर्ष सी-7 का तेन्दूपत्ता संग्रहणकत्र्ता के परिवार सदस्यों के विवरण कार्ड की प्रति व जिला युनियन में संधारित तेन्दूपत्ता संग्रहकों की सूची की प्रति प्रदर्ष सी-9 पेष की गर्इ है, जिससे यह दर्षित है कि-कमलदास तेन्दूपत्ता संग्रहक रहा है। प्रदर्ष सी-6 के मृत्यु प्रमाण-पत्र से यह भी स्पश्ट है कि-दिनांक-26.06.2012 को कमलदास की इंदिरागांधी मेडीकल कालेज, नागपुर में मृत्यु हुर्इ थी, जो कि-परिवादिया की ओर से मृतक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति प्रदर्ष सी-8, पुलिस की प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्रदर्ष सी-10 व लाष पंचायतनामा की प्रति प्रदर्ष सी-11 पेष की गर्इ है और उक्त सब दस्तावेज सहित मृत्यु दावा भेजने बाबद, मृत्यु दावा की प्रति प्रदर्ष सी-2, नियुकित- पत्र की प्रति प्रदर्ष सी-3, नामाकंन पत्र की प्रति प्रदर्ष सी-5 भी पेष कर यह दर्षाया गया है कि-परिवादी-पक्ष ने मृत्यु दावा आवेदन के साथ उक्त दस्तावेज प्राथमिक वनोपज समिति के माध्यम से अनावेदक को भेजे थे। 
(7)        अनावेदक-पक्ष की ओर से प्रदर्ष आर-2 का पत्र प्रबंध संचालक तेन्दूपत्ता वनोपज, जिला युनियन को भेजकर अंतिम प्रतिवेदन रिपोर्ट की मांग किया जाना दर्षाया गया है और उक्त पत्र प्रेशित किये जाने बाबद प्रदर्ष सी-2 की पोस्टल रसीद भी पेष की गर्इ है, जिससे यह पुश्ट है कि-अनावेदक बीमा कम्पनी ने पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति प्रेशित करने के लिए जिला युनियन, नोडल अधिकारी को पत्र भेजा था और इस संबंध में प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति के द्वारा, परिवादिया को भेजे गये पत्र की प्रति प्रदर्ष आर-3 पेष की गर्इ है, जो स्वयं परिवादिया की ओर से भी उसे प्राप्त उक्त पत्र दिनांक-19.09.2013 की प्रति प्रदर्ष सी-1 के रूप में पेष की गर्इ है, जिससे स्पश्ट है कि-पुलिस के अंतिम निश्कर्श रिपोर्ट की प्रति की मांग, दावा के निराकरण हेतु अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा की गर्इ थी, तो पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति की मांग अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, दावा के निराकरण हेतु किया जाना किसी भी तरह अनुचित होना नहीं कहा जा सकता। 
(8)        परिवादी-पक्ष का ऐसा कथन नहीं है कि-उसने पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति नोडल एजेन्सी या अनावेदक बीमा कम्पनी को कभी उपलब्ध कराया, बलिक अभिलेख से यह दर्षित है कि-परिवादी- पक्ष के द्वारा, पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति प्राप्त ही नहीं की गर्इ, इसलिए इस मामले में भी पेष नहीं की गर्इ। और पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति पेष करने के लिए अनेक अवसर यह कहते हुये लिये गये कि-पुलिस ने नागपुर के न्यायालय में अंतिम जांच प्रतिवेदन व मामला पेष कर दिया था और इसलिए अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति का प्रयास किया जा रहा है।
(9)        तो यह स्पश्ट है कि-बीमा कम्पनी द्वारा दावा के निराकरण के लिए आवष्यक दस्तावेज-पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति की मांग, नोडल एजेन्सी से की गर्इ थी और नोडल एजेन्सी ने परिवादिया से उक्त आवष्यक दस्तावेज पेष करने के लिए परिवादिया को पत्र भी भेजा, लेकिन परिवादिया ने उक्त दस्तावेज की प्रति प्राप्त कर, नोडल एजेन्सी या बीमा कम्पनी को भेजा नहीं, बलिक यह परिवाद यह असत्य उल्लेख करते हुये पेष कर दिया कि-अंतिम जांच प्रतिवेदन आदि दस्तावेज बीमा कम्पनी को बीमा दावा के साथ भेज दिये गये थे।
(10)        स्पश्ट है कि-पहले परिवादिया को उक्त दस्तावेज पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति प्राप्त कर, बीमा कम्पनी को नोडल एजेंसी के माध्यम से उपलब्ध कराना है, जो कि-वास्तव में दुर्घटनावष मृत्यु होने बाबद और बीमा पालिसी की षर्तों के तहत दावा भुगतान योग्य है, इस हेतु विचार के लिए आवष्यक दस्तावेज है और जब उक्त दस्तावेज भेजने पर भी बीमा कम्पनी दावे का समुचित निराकरण न करती, तब ही कोर्इ वाद-कारण होना संभव था, जो कि-पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति की बीमा कम्पनी द्वारा मांग किया जाना किसी भी तरह अनुचित नहीं और परिवादिया के प्रति-अनावेदक द्वारा कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(11)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
        (अ)    अनावेदक ने, परिवादिया के प्रति-अभी सेवा में कोर्इ
            कमी नहीं की है, इसलिए परिवाद स्वीकार योग्य न
            होने से निरस्त किया जाता है।
        (ब)    पक्षकार अपना-अपना कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे।
        (स)    परिवादिया पुलिस के अंतिम जांच प्रतिवेदन की प्रति
            प्राप्त कर, नोडल एजेंसी के माध्यम से अनावेदक
            बीमा कम्पनी को भेजती है, तो अनावेदक यथाषीध्र 
            परिवादिया के दावा का निराकरण का प्रयास करे।
        
   मैं सहमत हूँ।                              मेरे द्वारा लिखवाया गया।      

  

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
      सदस्य                                                   अध्यक्ष
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