View 7580 Cases Against Life Insurance Corporation
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SMT. RUPA BAI filed a consumer case on 05 Mar 2014 against LIFE INSURANCE CORPORATION in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/03/2014 and the judgment uploaded on 16 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक 032014 प्रस्तुति दिनांक-01.01.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
श्रीमति रूपाबार्इ विधवा पति-मोहपते परते
जाति-गौंड, निवासी-ग्राम कटगटोला
(मलारा), तहसील बरघाट, जिला सिवनी
(म0प्र0)।....................................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
क्षेत्रीय प्रबंधक,
भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय
मदनमहल, नागपुर रोड, जबलपुर
(म0प्र0)।..........................................................अनावेदकविपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक-05/03/2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादिया ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसके पति-मोहपत परते तेन्दूपत्ता संग्रहक की हत्या हो जाने से दिनांक-08.06.2012 को हुर्इ मृत्यु बाबद, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए अनावेदक बीमा निगम द्वारा जारी समूह बीमा योजना के तहत मृत्यु बीमा क्लेम की दुर्घटना बीमा राषि 25,000-रूपये का भुगतान न कर, अनुचित विलम्ब किये जाने को सेवा में कमी बताते हुये, क्लेम राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) मामले में यह अविवादित है कि-परिवादिया का पति, प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति मर्यादित, बरघाट, जिला सिवनी में तेन्दूपत्ता संग्रहक था और अनावेदक द्वारा जारी समूह बीमा पालिसी क्रमांक-69878 के तहत बीमित व्यकित रहा है, जो कि-दिनांक-07.06.2012 को झगड़े में मारपीट से आर्इ चोटों के फलस्वरूप, दिनांक-08.06.2012 को उसकी मृत्यु हो गर्इ थी, जिसके पष्चात परिवादिया ने प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति मर्यादित, बरघाट में दस्तावेजों सहित, दुर्घटना बीमा राषि पाने के लिए आवेदन पेष किया था, जहां से दिनांक-15.01.2013 को दावा प्रकरण तैयार कर, नोडल अधिकारी के माध्यम से अनावेदक बीमा कम्पनी को प्रेशित किया गया था। यह भी विवादित नहीं कि-यह परिवाद पेष होने तक अनावेदक बीमा निगम द्वारा, क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया गया और इस परिवादप्रकरण के संमंस का अनावेदक पर निर्वाह होने के पष्चात, बीमाधन की राषि 25,000-रूपये का चेक इस पीठ के नामे परिवादिया को भुगतान हेतु दिनांक-29.01.2014 को पेष किया गया।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- परिवादिया की ओर से बीमा दावा आवेदन के साथ समुचित आवष्यक दस्तावेज-एफ0आर्इ0आर0, पी0एम0 रिपोर्ट, लाष का नक्षा पंचायतनामा, अंतिम जांच प्रतिवेदन आदि प्रेशित किये थे, जिन पर समुचित विचार न करते हुये, अनावेदक के द्वारा, अनुचित रूप से दावा को लमिबत रखा गया, इसलिए दुर्घटना बीमा राषि 25,000-रूपये व हर्जाना की मांग की गर्इ।
(4) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-परिवादी के द्वारा, दावा प्रपत्र के साथ समय पर आवष्यक दस्तावेजों की प्रतियां पेष नहीं की गर्इं, जो कि-दिनांक-15.02.2013 और 08.08.2013 को संबंधित नोडल अधिकारी के माध्यम से षेश आवष्यक प्रपत्र-पुलिस का अंतिम अन्वेशण प्रतिवेदन और नेफट हेतु बैंक की पासबुक की सत्यापित प्रति की मांग की गर्इ थी, जो दिनांक-16.01.2014 को इस जिला उपभोक्ता फोरम के संमंस के साथ परिवाद-पत्र व दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त हुर्इ, तो उक्त प्रपत्र प्रापित के पष्चात कार्यालयीन कार्यवाही कर, दिनांक-18.01.2014 को 25,000-रूपये का चेक जिला उपभोक्ता फोरम के पक्ष में तैयार किया गया था, जो अब पेष किया जा रहा है। जो कि- अनावेदक द्वारा, क्लेम राषि भुगतान में कोर्इ अनुचित विलम्ब नहीं किया गया है। और परिवाद के साथ जो प्रथम प्रतिवेदन नोडल अधिकारी, जिला वनोपज सहकारी समिति, दक्षिण सिवनी को वनमण्डल के पत्र क्रमांक-335, दिनांक-28.03.2013 की प्रति प्रेशित की गर्इ है, उक्त पत्र को प्रापित विशयक तथ्य अनावेदक के कार्यालय में उपलब्ध न होने से ब्याज व अन्य कोर्इ देयता स्वीकार नहीं।
(5) मामले में क्योंकि बीमा क्लेम राषि 25,000-रूपये का भुगतान अनावेदक द्वारा इस पीठ में जमा करा दिया गया है, तो निराकरण हेतु निम्न विचारणीय प्रष्न हैं:-
(अ) क्या अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, परिवादिया के
बीमा क्लेम की राषि के भुगतान करने में अनुचित
विलम्ब कारित कर, परिवादिया के प्रति-सेवा में
कमी की गर्इ है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6) परिवादिया का पति, तेन्दूपत्ता संग्रहक रहा है और उक्त संदर्भ में समूह बीमा पालिसी से बीमित रहा है, यह स्वीकृत तथ्य है। जो कि- वनोपज सहकारी समिति (नोडल एजेन्सी) के माध्यम से परिवादिया का क्लेम भेजा गया था, यह भी विवादित नहीं। और उक्त क्लेम बाबद जिला लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंधक, नोडल अधिकारी को दिनांक-15.02.2013 का पत्र भेजकर पुलिस की प्रथम सूचना प्रतिवेदन नहीं लगे होने की आपतित कर, उसकी मांग की गर्इ थी, यह स्वयं अनावेदक के उक्त पत्र की परिवादी द्वारा पेष प्रति प्रदर्ष सी-3 और अनावेदक की ओर से पेष प्रति प्रदर्ष आर-1 से स्वीकृत सिथति है। जो कि-अनावेदक की ओर से उक्त पत्र को दिनांक-08.03.2013 को रजिस्टर्ड-डाक से नोडल अधिकारी को भेजा जाना प्रदर्ष आर-2 की पोस्टल रसीद से भी पुश्ट है।
(7) परिवादी-पक्ष से चाही गर्इ जानकारी पर, वनोपज सहकारी समिति, बरघाट द्वारा दिये गये जानकारी के पत्र की प्रति प्रदर्ष सी-1 जो पेष की गर्इ है, उसमें परिवादिया को यह सूचित किया गया था कि- अनावेदक के द्वारा क्लेम प्रकरण में लगार्इ आपतित में जो प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्रेशित करने लिखा गया था, वह प्रति परिवादिया के द्वारा समिति में पेष करने पर, प्राथमिक सहकारी समिति ने दिनांक-25.03.2013 को जिला युनियन दक्षिण सिवनी, वनमण्डल को प्रस्तुत कर दी थी और जिला युनियन के द्वारा दूसरी बार दिनांक-28.03.2013 को पत्र क्रमांक-335 के द्वारा, अनावेदक बीमा निगम कार्यालय, जबलपुर को प्रस्तुत कर दिया है, जिसके समर्थन में उक्त पत्र क्रमांक-335, दिनांक-28.03.2013 की प्रति भी परिवादिया को प्रेशित की गर्इ, जो परिवादिया की ओर से पेष की गर्इ है। और इसलिये अनावेदक के द्वारा, दिनांक-08.08.2013 का पुन: पत्र भेजा जाना कहते हुये, पत्र की प्रति प्रदर्ष आर-3 व डिस्पेच रजिस्टर की प्रति प्रदर्ष आर-4 दिनांक-24.08.2013 की साधारण डाक से भेजे जाने बाबद पेष की गर्इ है।
(8) स्वयं परिवादिया के द्वारा जो प्रदर्ष सी-4 की प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति पेष की गर्इ है, वह प्रतिलिपि दिनांक-18.03.2013 को थाना प्रभारी द्वारा जारी किया जाना उल्लेख है। ऐसे में यह तो स्पश्ट है कि-उक्त सूचना रिपोर्ट की प्रति परिवादिया की ओर से क्लेम पेष करते समय संलग्न की जाना संभव नहीं थी और स्वयं परिवादिया की ओर से पेष प्रदर्ष सी-1 और प्रदर्ष सी-2 की प्रति से यह स्पश्ट है कि- परिवादिया ने उक्त प्रति बाद में मांग किये जाने पर, प्राथमिक सहकारी समिति को उपलब्ध करार्इ थी, क्योंकि अनावेदक द्वारा उक्त की मांग की गर्इ थी, जो कि-प्रथम सूचना रिपोर्ट की उक्त कथित प्रति जिला वनोपज सहकारी समिति द्वारा, प्रदर्ष सी-2 के पत्र सहित, अनावेदक बीमा कम्पनी के कार्यालय में वास्तव में प्रस्तुत कर दिया हो, ऐसी कोर्इ पावती या डाक से प्रेशित की गर्इ हो, ऐसा कोर्इ प्रमाण परिवादी-पक्ष की ओर से पेष नहीं, जबकि-उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट और प्रदर्ष सी-2 का पत्र प्राप्त होने से अनावेदक ने अपने जवाब में भी इंकार किया है। जो कि-परिवादी की ओर से संबंधित नोडल एजेन्सी को ही मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया, तो ऐसा प्रमाण पेष करने का भार परिवादी पर ही रहा है कि-वास्तव में जिला युनियन कार्यालय ने परिवादी से जो प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्राप्त की थी, वह अनावेदक के कार्यालय में प्रस्तुत या प्रेशित की गर्इ थी, जो कि- ऐसी प्रस्तुति या प्रेशण का कोर्इ प्रमाण परिवादी की ओर से पेष नहीं।
(9) लेकिन प्रदर्ष सी-5 से सी-10 तक के दस्तावेजों को देखने से यह स्पश्ट है कि-दिनांक-07.07.2012 को परिवादिया ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति प्रदान करने थाना प्रभारी को आवेदन दिया था, जिसकी प्रति प्रदर्ष सी-8 के रूप में पेष की गर्इ है और उक्त के आधार पर ही प्रदर्ष सी-5 का पोस्टमार्टम रिपोर्ट, प्रदर्ष सी-9 का नक्षा पंचायतनामा और पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा, परिवादिया को संबोधित अंतिम जांच निश्कर्श रिपोर्ट बाबद पत्र की प्रति प्रदर्ष सी-10 दिनांकित 23.07.2012 प्रदान की गर्इ थी, जो कि-यही दस्तावेज परिवादिया के पास क्लेम आवेदन के समय उपलब्ध थे, जो उसके द्वारा प्रेशित किये जा सकते थे। और प्रदर्ष सी-10 के पत्र में भी पुलिस अधीक्षक द्वारा, मात्र यही दर्षाया गया था कि-परिवादिया की मौखिक रूप के आधार पर, अपराध क्रमांक-18312 दर्ज किया गया था, उक्त मामले में अभियुक्त गिरफतार हो चुके हैं और विवेचना जारी है। तो उक्त पत्र भी कोर्इ अंतिम प्रतिवेदन नहीं रहा है और ऐसे में प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति कि-अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, क्लेम प्रकरण के निराकरण में मांग किया जाना किसी भी तरह अनावष्यक या अनुचित नहीं कहा जा सकता।
(10) क्योंकि प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति अनावेदक बीमा कम्पनी को परिवादिया से प्राप्त करने के बाद, नोडल एजेन्सी ने प्रस्तुत या प्रेशित किया, यह स्थापित हुये बिना अनावेदक-पक्ष के द्वारा कोर्इ अनुचित विलम्ब किया जाना स्थापित नहीं होता है, जो कि-इस मामले के संमंस के साथ परिवादी द्वारा पेष परिवाद व दस्तावेजों की प्रतियों में प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति भी रही है, तो उक्त आधार पर परिवादी के क्लेम बाबद दस्तावेजों की पूर्ति मानकर तत्काल भुगतान अनावेदक बीमा कम्पनी ने क्लेम राषि का कर दिया है, ऐसे में अनावेदक द्वारा कोर्इ अनुचित विलम्ब, क्लेम के निराकरण में किया जाना व परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(11) क्योंकि परिवादिया के प्रति अनावेदक द्वारा कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं। और बीमाधन का भुगतान इस पीठ में कर दिया है, तो मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदक की ओर से इस पीठ में जमा की गर्इ बीमा
क्लेम की राषि परिवादिया को अदा की जावे।
(ब) अनावेदक द्वारा कोर्इ परिवादिया के प्रति-सेवा में कमी
किया जाना स्थापित नहीं, इसलिए परिवादिया अन्य
कोर्इ हर्जाना पाने की पात्र होना स्थापित नहीं।
(स) उभयपक्ष अपना-अपना कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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