View 7580 Cases Against Life Insurance Corporation
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SMT. RAMBANTA BAI filed a consumer case on 27 Jun 2014 against LIFE INSURANCE CORPORATION in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/32/2014 and the judgment uploaded on 15 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक -32-2014 प्रस्तुति दिनांक-07.04.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
श्रीमती रामबन्ता, पतिन स्वर्गीय ज्वालसिंह
ठाकरे, उम्र लगभग 48 वर्श, निवासी-ग्राम
जवर काठी, थाना, तहसील, बरघाट, जिला
सिवनी (म0प्र0)।.................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
(1) क्षेत्रीय प्रबंधक महोदय,
भारतीय जीवन बीमा निगम
कार्यालय, मदनमहल, नागपुर रोड,
जबलपुर, जिला जबलपुर (म0प्र0)।
(2) प्रबंध संचालक, दक्षिण वन मंडल,
कलेक्टर कार्यालय के पास, सिवनी,
तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)।....................................................अनावेदकगणविपक्षीगण।
:-आदेश-:
(आज दिनांक-27.06.2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादिया ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए षासन की योजना के तहत, अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी षाखा के द्वारा जारी समूह जीवन बीमा योजना के अन्तर्गत, परिवादिया के पति की दिनांक-27.07.2012 को बाढ़ में डूब जाने से हुर्इ दुर्घटना मृत्यु के परिवादिया के क्लेम का अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा भुगतान न किये जाने को अनुचित व सेवा में कमी बताते हुये, उक्त क्लेम की राषि 25,000-रूपये व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि-मध्यप्रदेष षासन की योजना के तहत तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए नि:षुल्क समूह बीमा योजना के अंतर्गत अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, समूह जीवन बीमा पालिसी जारी की गर्इ थी। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि-दिनांक-27.07.2012 को परिवादिया के पति- ज्वालसिंह ठाकरे की बाढ़ में डूब जाने से हुर्इ आकसिमक मृत्यु के बाबद परिवादिया के द्वारा, बीमा क्लेम अनावेदक क्रमांक-2 नोडल अधिकारी, प्रबंधक जिला यूनियन में दस्तावेजों सहित पेष किया गया था और अनावेदक क्रमांक- 2 के कार्यालय से दिनांक-15.01.2013 को परिवादिया का क्लेम-प्रपत्र अनावेदक क्रमांक-1 जीवन बीमा निगम की षाखा को भेजा गया और अनावेदक क्रमांक-1 के कार्यालय से दिनांक-15.02.2013 के पत्र के द्वारा मृतक के आयु प्रमाण-पत्र की प्रति प्रेशित करने की आपतित लगार्इ गर्इ थी। यह भी निर्विवाद है कि-यह मामला पेष होने के बाद, 7 मर्इ-2014 को अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा 25,000-रूपये का चेक परिवादिया को भुगतान किये जाने हेतु इस पीठ के नामे जमा कराया गया।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि-परिवादिया के पति की दिनांक-27.07.2012 को बाढ़ में डूबने से मृत्यु हो जाने बाबद, परिवादिया ने बीमा क्लेम का आवेदन-प्रपत्र आवष्यक दस्तावेजों सहित, प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति मर्यादित, बरघाट के समक्ष पेष किया था, जो उक्त समिति द्वारा, दिनांक-24.12.2012 को अनावेदक क्रमांक-2 के कार्यालय में पेष किया गया और अनावेदक क्रमांक-2 जिला यूनियन के कार्यालय से दिनांक-15.01.2013 को अनावेदक क्रमांक-1 के कार्यालय में प्रेशित हुआ, जिसमें दावा-प्रपत्र के साथ मृत्यु प्रमाण-पत्र, पुलिस की मर्ग सूचना, लाष का नक्षा पंचायतनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पुलिस अधीक्षक का अंतिम प्रतिवेदन, बीमा सूची व संग्रहक प्रमाण-पत्र आदि दस्तावेज की प्रतियां साथ में भेजी गर्इं थीं। और अनावेदक क्रमांक-1 के पत्र दिनांक-15.02.2013 के माध्यम से मृतक के आयु प्रमाण-पत्र की मूल प्रति की मांग की गर्इ,ेजिस पर समिति के द्वारा, मृतक के परिचय-पत्र की मूल प्रति प्राप्त कर, समिति के पत्र दिनांक-27.04.2013 के माध्यम से जिला यूनियन के पत्र दिनांक-27.04.2013 के द्वारा, अनावेदक क्रमांक-1 के कार्यालय को प्रेशित किया गया, उक्त दस्तावेज प्राप्त हो जाने के उपरांत भी अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा क्लेम प्रकरण का निराकरण न कर, उसे लंबित रखा गया, जबकि- आयु संबंधी प्रमाण-पत्र के सत्यापन के लिए मूल दस्तावेज प्रेशित करने की आवष्यकता नहीं रहती और राजपत्रित अधिकारी के द्वारा सत्यापित छायाप्रति ही प्रेशित की जाती रही है, फिर भी अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, क्लेम प्रकरण का निराकरण न कर, व्यवसायिक दुराचरण व सेवा में कमी की गर्इ है। अत: क्लेम राषि 25,000-रूपये और उस पर दिनांक-15.01.2013 से 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से ब्याज तथा मानसिक-कश्ट बाबद 10,000-रूपये हर्जाना की मांग की गर्इ है।
(4) अनावेदक क्रमांक-2 प्रबंधक संचालन, जिला यूनियन के जवाब का सार यह है कि-प्राथमिक वनोपज समिति, बरघाट से प्राप्त परिवादिया का दावा प्रकरण दिनांक-15.01.2013 को अनावेदक क्रमांक-1 को भेजा गया था, उक्त प्रकरण में आयु प्रमाण-पत्र की मूल प्रति देने हेतु अनावेदक क्रमांक-1 का पत्र दिनांक-25.01.2013 प्राप्त हुआ था, जिसकी पूर्ति हेतु अनावेदक क्रमांक-2 के कार्यालय के पत्र दिनांक-27.07.2013 के द्वारा, भारत निर्वाचन आयोग के परिचय-पत्र की फोटोप्रति अनावेदक क्रमांक-1 को भेजी गर्इ थी, फिर भी अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा प्रकरण का निराकरण न करने पर, दिनांक-13.03.2014 के पत्र के माध्यम से तत्काल क्लेम प्रेशित करने लिखा गया था, फिर भी अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा क्लेम प्रकरण का निराकरण नहीं किया गया।
(5) अनावेदक क्रमांक-1 के जवाब का सार यह है कि-उक्त प्रकरण में अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, नोडल अधिकारी अनावेदक क्रमांक-2 से आवष्यक सत्यापित दावा-प्रपत्रों के संबंध में पत्राचार किया गया था, दूरभाश पर भी चर्चा की गर्इ, लेकिन नोडल अधिकारी द्वारा दस्तावेज प्राप्त नहीं कराये गये और इस जिला फोरम के परिवाद की प्रति के साथ समस्त दस्तावेज की प्रतियां दिनांक-28.04.2014 को प्राप्त हुर्इं, तो प्राप्त दावा-प्रपत्रों का अवलोकन करने के पष्चात अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुये, दिनांक-29.04.2014 का चेक 25,000-रूपये का भुगतान हेतु इस जिला उपभोक्ता फोरम की पीठ में दिनांक-07.04.2014 को जमा किया जा चुका है। और अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा कोर्इ व्यवसायिक दुराचरण या सेवा में कमी नहीं की गर्इ है।
(6) क्योंकि इस प्रकरण की कार्यवाही के चलते अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, मृतक के दुर्घटना क्लेम की मृत्यु राषि 25,000-रूपये का चेक इस पीठ के समक्ष दिनांक-07.05.2014 को जमा किया जा चुका है, तो मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न षेश हैं:-
(अ) क्या अनावेदकगण के द्वारा, परिवादिया के पति
की दुर्घटना मृत्यु पर, पेष परिवादिया के बीमा
क्लेम के निराकरण व भुगतान बाबद अनावेदकगण
के द्वारा, अनुचित विलंब कारित कर, परिवादिया के
प्रति-सेवा में कमी की गर्इ है?
(ब) क्या परिवादिया उक्त हेतु अनावेदकगण से हर्जाना
पाने की अधिकारी है?
(स) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6) अनावेदक क्रमांक-2 की ओर से दिनांक-15.01.2013 को अनावेदक क्रमांक-1 को प्रदर्ष आर-2 की सूची के अनुसार, 8 मृत्यु दावा व 1 विकलांगता दावा प्रकरण प्रेशित किया जाना प्रदर्ष आर-1 के अग्रेशण-पत्र से प्रकट है, जिसमें परिवादिया का दावा भी षामिल रहा है। और अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से परिवादिया के पति के मृत्यु दावा की प्रति प्रदर्ष एस-1 पेष की गर्इ है, पर उक्त उसी दस्तावेज से यह दर्षित नहीं कि-परिवादिया के दावा प्रपत्र के साथ वास्तव में कौन-कौन से दस्तावेज भेजे गये थे और उसमें परिवादिया के पति की आयु प्रमाण बाबद निर्वाचन आयोग के परिचय-पत्र की प्रति षामिल रही है या नहीं। प्रदर्ष सी-9 के रूप में जो अनावेदक क्रमांक-1 ने, अनावेदक क्रमांक-2 से मृतक ज्वालसिंह के आयु प्रमाण-पत्र की मूल प्रति की मांग किया था, वह पत्र है जिसकी प्रति अनावेदक क्रमांक-2 की ओर से भी आर-3 के रूप में पेष हुर्इ है। उक्त बाबद प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति द्वारा, अनावेदक क्रमांक-2 जिला यूनियन को संबोधित पत्र दिनांक-27.04.2014 की प्रति प्रदर्ष आर-4 पेष हुर्इ है, जिसमें यह लेख है कि-प्रकरण के साथ आयु प्रमाण-पत्र हेतु मृतक का मतदाता परिचय-पत्र की सत्यापित प्रति लगी है, फिर भी आधारहीन रूप से आपतित ली गर्इ है और आपतित के निराकरण हेतु निर्वाचन आयोग के मतदाता परिचय-पत्र की मूल प्रति व फोटोप्रति प्रेशित की जा रही है, ऐसा उल्लेख है, लेकिन स्वयं परिवादी के परिवाद की कणिडका-3 में दावा-प्रपत्र के साथ भेजे गये दस्तावेजों का जो विवरण दिया गया है, उसमें मतदाता परिचय-पत्र भेजने का कोर्इ उल्लेख नहीं और अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, अनावेदक क्रमांक-1 को संबोधित पत्रों की प्रति प्रदर्ष आर-4 व आर-5 में जो अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा ऐसा भी उल्लेख किया जाना दर्षित है कि-दावा प्रपत्र के साथ भेजे गये दस्तावेजों में मृतके का मतदाता परिचय-पत्र भी रहा है। तो मात्र उक्त से यह स्थापित नहीं पाया जाता है कि-मतदाता परिचय-पत्र की प्रति प्रदर्ष सी-7 वास्तव में मूल दावा प्रपत्र के दस्तावेजों के साथ भेजी गर्इ।
(7) प्रदर्ष सी-9 के दिनांक-15.02.2013 के आयु प्रमाण-पत्र की मांग के पत्र की पूर्ति में मतदाता परिचय-पत्र की सत्यापित प्रतिलिपि दिनांक- 27.04.2013 के पत्र के साथ भेजा जाना उक्त पत्र की प्रति प्रदर्ष आर-4 में दर्षाया गया है और उक्त पत्र अनावेदक क्रमांक-2 को भेजे जाने के संबंध में प्रदर्ष आर-6 के डाक रजिस्टर की प्रति व प्रदर्ष आर-7 की रजिस्टर डाक से भेजने की रसीद दिनांक-29.04.2013 की प्रति अनावेदक-पक्ष की ओर से पेष की गर्इ है, उससे यह दर्षित है कि-वास्तव में मतदाता परिचय- पत्र व प्रदर्ष आर-4 का पत्र षाखा प्रबंधक, एल0आर्इ0सी0, जबलपुर के नाम से प्रेशित किया गया, जबकि-अनावेदक क्रमांक-2 का कार्यालय, क्षेत्रीय प्रबंधक एल0आर्इ0सी0 कार्यालय मदनमहल, नागपुर रोड, जबलपुर में सिथत होना परिवाद से दर्षित है और इसलिए वास्तव में उक्त डाक किस पते पर एल0आर्इ0सी0 के किस कार्यालय में वितरित हुर्इ, ऐसा दर्षाने अनावेदक क्रमांक-2 की ओर से कोर्इ प्रमाण पेष नहीं किया गया है।
(8) जबकि-अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से अनावेदक क्रमांक-2 को भेजे गये पत्र दिनांक-12.09.2013 की प्रति प्रदर्ष एस-2 के रूप में और उसे अनावेदक क्रमांक-2 को भेजे जाने बाबद डाक रजिस्टर व रजिस्टर डाक की रसीद की प्रति प्रदर्ष एस-3 पेष हुर्इ है और प्रदर्ष एस-2 के उक्त पत्र दिनांक-12.09.2013 में अनावेदक क्रमांक-1 ने अनावेदक क्रमांक-2 को यह स्पश्ट कर दिया था कि-अनावेदक क्रमांक-2 के पत्र दिनांक-27.08.2013 में दिनांक-03.03.2013 को मृतक-ज्वालसिंह का आयु प्रमाण पत्र प्रेशित किया जाना दर्षाया गया है वह प्राप्त नहीं हुओऔर दूरभाश पर भी स्पश्ट कर दिया गया था और आयु प्रमाण-पत्र की छायाप्रति षीघ्र भेजने की मांग प्रदर्ष एस-2 के पत्र में की गर्इ थी और पुन: अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, दिनांक-24.12.2013 को मृतक के आयु प्रमाण-पत्र की फोटोप्रति की मांग अनावेदक क्रमांक-2 से किये जाने के पत्र की प्रति प्रदर्ष एस-4 पेष हुर्इ है, जिसे अनावेदक क्रमांक-2 को प्रेशित किये जाने बाबद, डाक रजिस्टर व पोस्टल रसीद की प्रति प्रदर्ष एस-5 भी पेष हुर्इ है। तो अनावेदक क्रमांक-1 के पत्रों का कोर्इ जवाब दिसम्बर-2013 के बाद अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा दिया जाना दर्षाया नहीं गया, बलिक अनावेदक क्रमांक-1 के उक्त पत्रों का हवाला दिये बिना अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, दिनांक-13.03.2014 को पुन: यह पत्र भी जारी किया जाना दर्षित है कि-दिनांक-27.04.2013 के पत्र के द्वारा कमीपूर्ति कर दिये जाने के बाद भी दावा का निराकरण नहीं हुआ है और षीघ्र निराकरण की मांग की गर्इ, लेकिन प्रदर्ष एस-2 और एस-4 के अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा बार-बार भेजे गये पत्रों के बावजूद, कथित मतदाता परिचय-पत्र की प्रति अनावेदक क्रमांक-1 के सही पते पर, अनावेदक क्रमांक-2 नोडल अधिकारी द्वारा नहीं भेजी गर्इ। तो अनावेदक क्रमांक-1 के जवाब का यह आधार सही होना प्रकट है कि-यह मामला पेष होने के बाद परिवाद की प्रति के साथ जो दस्तावेज संमंस के साथ प्राप्त हुये, उनमें आयु प्रमाण बाबद मतदाता परिचय-पत्र की प्रति भी रही है, इसलिए कमीपूर्ति होते ही तत्काल दावा का निराकरण कर, दावा राषि का चेक 25,000-रूपये का दिनांक-07.05.2014 को इस जिला फोरम में जमा कर दिया गया और ऐसे में अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना दर्षित नहीं। और अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, दावा के निराकरण में कोर्इ अनुचित विलम्ब अकारण किया जाना दर्षित नहीं।
(9) जबकि-अभिलेख से यह प्रकट है कि-वास्तव में अनावेदक क्रमांक-2 नोडल अधिकारी के द्वारा, मृतक ज्वालसिंह के आयु प्रमाण बाबद मतदाता परिचय-पत्र की प्रति अनावेदक क्रमांक-2 के सही पते पर नहीं भेजी गर्इ, अनावेदक क्रमांक-2 के कार्यालय एल0आर्इ0सी0 के क्षेत्रीय प्रबंधक का कार्यालय है, जबकि-प्रदर्ष आर-7 की पोस्टल रसीद से स्पश्ट है कि- अनावेदक क्रमांक-2 ने वास्तव में उक्त डाक एल0आर्इ0सी0 के जबलपुर सिथत षाखा प्रबंधक के कार्यालय में भेज दी और इसलिए संभवत: उक्त डाक का वितरण अनावेदक क्रमांक-1 को नहीं हो सका और उसके पष्चात भी उक्त डाक प्राप्त न होने की जानकारी देते हुये, अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, आयु प्रमाण बाबद, मतदाता परिचय-पत्र की फोटोप्रति की मांग अनावेदक क्रमांक-2 से की जाती रही, तो अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादी के प्रति-गंभीर सेवा में कमी की गर्इ है, जिसके फलस्वरूप, परिवादिया को मृत्यु दावा का भुगतान नहीं हो सका, उसे यह मामला पेष करना पड़ा और तब लगभग एक वर्श से अधिक के विलम्ब के पष्चात परिवादिया के क्लेम राषि का भुगतान इस पीठ में हुआ और ऐसे विलम्ब हेतु अनावेदक क्रमांक-1 का दोशी होना नहीं पाया जाता है, बलिक परिवादिया के क्लेम निराकरण व भुगतान में विलम्ब, अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादिया के प्रति की गर्इ सेवा में कमी के फलस्वरूप हुआ। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(10) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, क्योंकि अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, परिवादिया के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं, बलिक अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादिया के प्रति की गर्इ सेवा में कमी के फलस्वरूप, परिवादिया को क्लेम राषि का समय पर भुगतान नहीं हो सका, इसलिए परिवादिया को हर्जाना अदा करने के लिए अनावेदक क्रमांक-2 दायित्वाधीन है।
(11) क्योंकि अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादिया के प्रति-की गर्इ सेवा में कमी के फलस्वरूप, परिवादिया को क्लेम राषि के भुगतान हेतु एक वर्श से अधिक अवधि का विलम्ब हुआ है और परिवादिया को जो मानसिक-कश्ट व असुविधा हुर्इ और यह मामला पेष करने मजबूर होना पड़ा, तो उक्त सब पर विचार करते हुये, परिवादिया, अनावेदक क्रमांक-2 से 5,000-रूपये हर्जाना पाने की पात्र होना पार्इ जाती है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(12) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ और 'ब के निश्कर्शों के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा जो दावा राषि 25,000-
रूपये (पच्चीस हजार रूपये) इस पीठ में जमा की गर्इ
है, वह परिवादिया प्राप्त करे।
(ब) अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादिया के प्रति-की
गर्इ सेवा में कमी के फलस्वरूप, दावा राषि भुगतान
में एक वर्श के विलम्ब के कारण ब्याज की घनीय क्षति
परिवादिया को हुर्इ और उसे जो असुविधा व मानसिक
कश्ट हुआ, तो उक्त सबको देखते हुये, अनावेदक
क्रमांक-2, परिवादिया को 5,000-रूपये (पांच हजार
रूपये) हर्जाना अदा करे।
(स) अनावेदकगण स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे
जबकि-अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, की गर्इ सेवा
में कमी के कारण, परिवादिया को यह दावा पेष
करना पड़ा, इसलिए अनावेदक क्रमांक-2 कार्यवाही
व्यय के रूप में परिवादिया को 2,000-रूपये
(दो हजार रूपये) अदा करे।
(द) अनावेदक क्रमांक-2 परिवादिया को उक्त अदायगी
आदेष दिनांक से चार माह की अवधि के अंदर
करेगा।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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