Madhya Pradesh

Seoni

CC/21/2013

SIMRAN BAI - Complainant(s)

Versus

LIFE INSURANCE CORPORATION - Opp.Party(s)

25 Apr 2013

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

प्रकरण क्रमांक- 21-2013                                   प्रस्तुति दिनांक-29.01.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

 

श्रीमति पिपरनबार्इ जोजे कपूरचंद पंवार,
उम्र लगभग 51 वर्श, निवासी-ग्राम मुआर
(कोगोराजा टोला), पोस्ट मेहरा-पिपरिया,
थाना, तहसील बरघाट, जिला सिवनी
(म0प्र0)।...................................................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-:                 
क्षेत्रीय प्रबंधक महोदय,
भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय,
मदन महल, नागपुर रोड, जबलपुर
(म0प्र0)।.....................................................................अनावेदकविपक्षी।

​                     
                 :-आदेश-:
    
     (आज दिनांक-  25/04/2013           को पारित)

द्वारा-अध्यक्ष:-
(1)        परिवादिया ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसके पति-कपूरचंद्र तेन्दूपत्ता संग्रहक की मृत्यु पर, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए नि:षुल्क समूह बीमा योजना की देय बीमा राषि के भुगतान बाबद, परिवादिया के क्लेम को अस्वीकार कर दिये जाने को अनुचित व सेवा में कमी बताते हुये, बीमाधन की राषि 3,500-रूपये व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2)         यह विवादित नहीं कि-मृतक, कपूरचंद, तेन्दूपत्ता संग्रहक रहा है, जिसकी दिनांक-22.03.2012 को मृत्यु हो गर्इ थी और मध्यप्रदेष षासन द्वारा, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए लागू की गर्इ नि:षुल्क समूह बीमा योजना के अनुसार, समस्त तेन्दूपत्ता संग्रहक, अनावेदक बीमा कम्पनी की उक्त योजना के अनुसार बीमित सदस्य हैं। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि-कपूरचंद की मृत्यु पर परिवादिया द्वारा, विधिवत प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति, बरघाट में बीमा क्लेम आवष्यक दस्तावेजों सहित पेष किया गया और अनावेदक द्वारा, उक्त क्लेम का भुगतान, यह मामला पेष होने तक नहीं किया गया। 
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- मृतक, परिवादिया का पति व तेन्दूपत्ता संग्रहक रहा है, परिवादिया क्लेम राषि पाने के लिए नामांकित सदस्य रही है। परिवादिया के द्वारा पेष क्लेम प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति, बरघाट के द्वारा दिनांक-26.06.2012 को अनावेदक के कार्यालय में दावा स्वीकृति व राषि प्रदान करने के लिए प्रेशित किया गया था, जो कि-अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा बिना किसी उचित आधार के निरस्त कर दिया गया, जिसकी सूचना, परिवादिनी को प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति के पत्र दिनांक-16.11.2012 के माध्यम से हुर्इ, अनुचित आधारों पर क्लेम निरस्त किया जाना सेवा में कमी है, उक्त हेतु बीमाधन व हर्जाना की मांग की गर्इ है। 
(4)        अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-परिवादिया ने जो दावा पेष किया था, वह नोडल एजेन्सी से अपूर्ण दावा प्राप्त हुआ था, जिसमें कानूनी उत्तराधिकारी स्पश्ट न होने से दिनांक-14.07.2012 को मूल प्रकरण नोडल एजेन्सी को वापस किया गया, जो अब-तक बीमा कम्पनी को वापस प्राप्त नहीं हुआ, जो कि-इस फोरम की कार्यवाही के माध्यम से वैधानिक उत्तराधिकारी के षपथ-पत्र व अन्य दस्तावेजों की छायाप्रति प्राप्त होने पर, बीमाधन की राषि 3,500-रूपये का दिनांक- 23.02.2013 का चेक क्रमांक-584714 इस पीठ के समक्ष दिनांक-27.02.2013 को जमा किया जा चुका है, परिवादिया के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ है।
(5)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
        (अ)    क्या अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, परिवादिया के
            बीमा क्लेम को अस्वीकार करना और उसका
            भुगतान न करना अनुचित होकर, परिवादिया के
            प्रति-की गर्इ सेवा में कमी है?
        (ब)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6)        मृतक कपूरचंद, तेन्दूपत्ता संग्रहक का समूह बीमा योजना में समिमलित होने के लिए भरे गये नामाकंन-पत्र की प्रति प्रदर्ष सी-4 से ही स्पश्ट है कि-उसने अपनी पतिन परिवादिया-पिपरनबार्इ को उक्त योजना के तहत बीमा राषि पाने के लिए नामांकित किया था और प्रदर्ष सी-6 के तेन्दूपत्ता संग्रहक परिवारों के लिए जारी तेन्दूपत्ता संग्रहण एवं पारिश्रमिक कार्ड में परिवार की मुखिया स्वयं पिपरनबार्इ और मुखिया के पति के रूप में कपूरचंद के नाम का उल्लेख है तथा परिवार के सदस्यों के विवरण में भी उनका उल्लेख है व प्रदर्ष सी-7 और सी-8 तेन्दूपत्ता संग्रहकों के रूप में संग्रहित की गर्इ मात्रा का चार्ट है, जिनसे यह स्पश्ट रहा है कि-परिवादिया, कपूरचंद की पतिन रही है और प्रदर्ष सी-5 के मृत्यु प्रमाण-पत्र से कपूरचंद की मृत्यु दिनांक-22.03.2012 को हो जाना भी स्थापित है। 
(7)        प्रदर्ष सी-1 के मृत्यु दावा-प्रपत्र के साथ प्रदर्ष सी-2 व सी-3 के नियुकित-पत्र व समिति के अधिकृत अधिकारी के प्रमाण-पत्र के बावजूद, प्रदर्ष सी-1 के दावा-पत्र में दावा निरस्ती बाबद, यह कारण लेख करवाकर पेष कर दिया गया कि-मृतक की वैधानिक पतिन कौन है। स्पश्ट है कि-बीमा कम्पनी को संदेह था, तो इस बाबद जांच करार्इ जा सकती थी, यह दावा निरस्ती का आधार नहीं हो सकता था, जबकि-परिवादिया मृत्यु क्लेम प्राप्त करने के लिए मृतक द्वारा नामांकित व्यकित रही है। स्पश्ट है कि-अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, किसी दस्तावेज की पूर्ति के लिए दावा, समिति को वापस नहीं किया गया था, बलिक समुचित आधारों के बिना दावा निरस्त कर वापस भेजा गया था। इस तरह अनावेदक बीमा कम्पनी के द्वारा, परिवादिया के क्लेम को समुचित आधारों के बिना निरस्त किया जाना अनुचित प्रथा है, इसलिए अनावेदक ने दावा निरस्त कर, परिवादिया के प्रति-सेवा में कमी किया है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।  
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(8)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
        (अ)    यह देखते हुये कि-बीमाधन की राषि                         3,500-रूपये (तीन हजार पांच सौ रूपये) का चेक             दिनांक-27.02.2013 को अनावेदक द्वारा, इस पीठ में             जमा किया जा चुका है, तो अनावेदक द्वारा की गर्इ             सेवा में कमी के फलस्वरूप, परिवादिया को जो                 मानसिक कश्ट और असुविधा हुर्इ तथा उसे यह                 मामला पेष करने के लिए मजबूर होना पड़ा और                 विलमिबत भुगतान से ब्याज का भी नुकसान हुआ है,             इसलिए अनावेदक, परिवादिया को हर्जाना के रूप में             3,000-रूपये (तीन हजार रूपये) अदा करे।
        (ब)    अनावेदक स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और
            परिवादिया को कार्यवाही-व्यय के रूप में 1,000-
            रूपये अदा करे।
        (स)    उक्त अदायगी आदेष दिनांक से तीन माह की अवधि
            के अंदर की जावे।


            
         मैं सहमत हूँ।                                 मेरे द्वारा लिखवाया गया।         

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
            सदस्य                                                अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी                           

           (म0प्र0)                                                (म0प्र0)

                        

 

 

 

        
            

 

 

 

 

 

 

 


 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.