Madhya Pradesh

Seoni

CC/02/2014

SHRI NANHELAL - Complainant(s)

Versus

LIFE INSURANCE CORPORATION - Opp.Party(s)

DEEPAK AGARWAL

04 Apr 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)


  प्रकरण क्रमांक- 02-2014                                   प्रस्तुति दिनांक-01.01.2014


समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

 

नन्हेलाल वल्द रामचरण, उम्र लगभग 
48 वर्श, जाति-गौंड, निवासी-ग्राम
गोडेगांव, तहसील कुरर्इ, जिला सिवनी
(म0प्र0)।....................................................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-: 
क्षेत्रीय प्रबंधक,
भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय
मदनमहल, नागपुर रोड, जबलपुर, जिला
जबलपुर (म0प्र0)।..................................................अनावेदकविपक्षी।    


                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक-  04/04/2014  को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1)        परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के दुर्घटना मृत्यु पर देय समूह बीमा योजना की राषि 25,000-रूपये का परिवादी के पुत्र-सतीष, तेन्दूपत्ता संग्रहक की मृत्यु बाबद क्लेम का भुगतान न किये जाने को अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा की गर्इ सेवा में कमी होना कहते हुये, उक्त बीमा राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है। 
(2)        यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी का पुत्र-सतीष, प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति, मर्यादित मोहगांव, जिला सिवनी में तेन्दूपत्ता संग्रहक रहते हुये, सड़क दुर्घटना के कारण, उसकी दिनांक-27.08.2012 को जिला चिकित्सालय सिवनी में मृत्यु हो गर्इ, जो कि-पुत्र की मृत्यु के पष्चात परिवादी ने प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति में आवष्यक दस्तावेजों सहित, बीमा दावा प्रपत्र पेष किया था, जो जिला यूनियन के पत्र दिनांक-28.06.2013 के माध्यम से अनावेदक बीमा कम्पनी कार्यालय को दावा स्वीकृति हेतु प्रेशित किया गया था। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि-अनावेदक द्वारा, उक्त दावा, पूर्ति हेतु जिला यूनियन नोडल अधिकारी के कार्यालय को वापस कर दिया गया है। 
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि-परिवादी ने बीमा दावा आवेदन के साथ समुचित आवष्यक दस्तावेज-एफ0आर्इ0आर0, पी0एम0 रिपोर्ट, नक्षा पंचनामा, अंतिम जांच प्रतिवेदन आदि प्रेशित किये थे, लेकिन अनावेदक बीमा कम्पनी कार्यालय द्वारा उन पर समुचित विचार न कर और अवैधानिक रूप से दावा वापस कर, सेवा में कमी की गर्इ है, इसलिए हर्जाना व बीमा क्लेम राषि दिलाने की मांग की गर्इ है।
(4)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-परिवादी द्वारा नोडल एजेंसी, जिला वनोपज यूनियन, दक्षिण वनमंडल सिवनी के माध्यम से जो दावा प्रपत्र के साथ दस्तावेज भेजे थे, उसमें मृत्यु संबंधी पुलिस का अंतिम जांच प्रतिवेदन संलग्न कर नहीं भेजा गया, जिस कारण से दिनांक-04.07.2013 को समस्त दावा-प्रपत्र नोडल अधिकारी को इस सूचना-पत्र के साथ प्रेशित किये गये कि-पुलिस का अंतिम अन्वेशण प्रतिवेदन संलग्न कर, यथाषीघ्र अनावेदक के समक्ष प्रस्तुत करें, लेकिन परिवादी ने और नोडल अधिकारी ने किसी ने भी समस्त दावा-प्रपत्रों के साथ पुलिस का अंतिम जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया, जिसके आभाव में अनावेदक के द्वारा, परिवादी के दावा का निराकरण नहीं किया जा सका, जो कि-परिवादी पुलिस का अंतिम निश्कर्श प्रतिवेदन व आवष्यक सत्यापित दस्तावेज यथाषीघ्र पेष करें, तो बिना किसी विलम्ब के दावा का निराकरण कर दिया जायेगा। अनावेदक ने, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी नहीं की है और नोडल एजेंसी को परिवादी ने पक्षकार नहीं बनाया है, दावा स्वीकार योग्य न होकर निरस्त योग्य है। 
(5)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
        (अ)    क्या अनावेदक के द्वारा, परिवादी के बीमा क्लेम
            के निराकरण में अनुचित विलंब कारित कर व
            क्लेम का निराकरण न कर, परिवादी के प्रति-
            सेवा में कमी की गर्इ है?
        (ब)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6)        परिवादी की ओर से मृत्यु दावा प्रपत्र, सहकारी समिति के अधिकारी का प्रमाण-पत्र, विमुकित पत्र, तेन्दूपत्ता संग्रहक द्वारा किया गया नामांकन पत्र और पुलिस की मर्ग सूचना मृत्यु प्रमाण-पत्र, मृतक का निर्वाचन आयोग पहचान पत्र, तेन्दूपत्ता संग्रहकोंं की सूची, षव परीक्षण आवेदन व डाक्टर की षव परीक्षण रिपोर्ट, पुलिस का नक्षा पंचनामा, लघु वनोपज संग्रहण एवं पारिश्रमिक कार्ड की प्रतियां प्रदर्ष सी-1 से प्रदर्ष सी-11 तक की जो पेष की गर्इं हैं, उनसे स्पश्ट है कि-नोडल एजेंसी से दावा-प्रपत्र और उसके साथ के अन्य प्रपत्र व दस्तावेज जो दावा-प्रपत्र के साथ बीमा कम्पनी को प्रेशित किये गये, उनकी ही प्रतियां परिवादी की ओर से पेष की गर्इं हैं, जो कि-प्रदर्ष सी-1 से सी-11 तक के दस्तावेज जो परिवाद के साथ पेष किये गये उनमें भी पुलिस का अंतिम अन्वेशण प्रतिवेदन नहीं रहा है और अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से जो नोडल अधिकारी, जिला यूनियन को दिनांक-04.07.2013 का पत्र, अपूर्ण दावा वापस करने बाबद प्रेशित किया गया, उसकी प्रति प्रदर्ष आर-1 में अपूर्ण पाये गये दावा, आवष्यक कार्यवाही हेतु वापस प्रेशित करने का कारण यह दर्षाया गया है कि-स्वयं की गलती से घटना स्पश्ट है और एफ0आर0 (अंतिम प्रतिवेदन) भी नहीं, पत्र द्वारा स्पश्टीकरण दें।
(7)        उक्त प्रदर्ष आर-1 के पत्र के आधार पर, जिला यूनियन या प्राथमिक वनोपज समिति के द्वारा, परिवादी से दुर्घटना के संबंध में स्पश्टीकरण या पुलिस के जांच के अंतिम प्रतिवेदन की कोर्इ मांग की गर्इ या नहीं, उक्त संबंध में पूर्ति कर, नोडल एजेंसी से दावा पुन: बीमा कम्पनी को क्यों नहीं भेजा गया, ऐसा परिवादी-पक्ष की ओर से दर्षाया नहीं गया है और संबंधित नोडल अधिकारी, जिला यूनियन प्रबंधक को भी परिवादी ने मामले में पक्षकार नहीं बनाया।
(8)        क्योंकि प्रदर्ष सी-5 की मर्ग सूचना में दुर्घटना के किसी विवरण का कोर्इ उल्लेख नहीं रहा है ऐसे में उक्त बाबद अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा स्पश्टीकरण या पुलिस जांच का अंतिम प्रतिवेदन की मांग किया जाना किसी भी तरह अनुचित या मनमाना होना नहीं कहा जा सकता। 
(9)        मामले में अनावेदक-पक्ष का जवाब आ जाने के बाद दिनांक-14.03.2014 को परिवादी-पक्ष की ओर से अंतिम जांच निश्कर्श रिपोर्ट के संबंध में पुलिस अधीक्षक का पत्र दिनांक-16.04.2013 की प्रति प्रदर्ष सी-12 पेष की गर्इ, जिसकी प्रति अनावेदक-पक्ष के अधिवक्ता को दिये जाने पर कार्यवाही के अगले नियत दिनांक पर, अनावेदक-पक्ष की ओर से दिनांक-21.03.2014 के पत्र की फैक्स प्रति प्रदर्ष आर-2 पेष की गर्इ है, जिसमें जरिये अधिवक्ता दिनांक-19.03.2014 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से आवष्यक दावा-प्रपत्र की प्रतिलिपि प्राप्त होने के आधार पर, दिनांक-20.03.2014 का चेक क्रमांक-524969, 25,000-रूपये राषि का प्रस्तुत कर रहे होने का उल्लेख किया गया। 
(10)        अनावेदक के अधिवक्ता के द्वारा, अंतिम तर्क दिनांक-26.03.2014 को यह बताया गया कि-उक्त मूल पत्र व चेक, डाक से अभी प्राप्त नहीं हुये हैं, जो प्राप्त होते ही इस फोरम में पेष कर दिया जायेगा।
(11)        तो अंतिम जांच की निश्कर्श रिपोर्ट के विवरण का प्रदर्ष सी-12 का पुलिस अधीक्षक का पत्र दिनांक-16.04.2013 वास्तव में परिवादी के द्वारा, दावा-प्रपत्र के साथ नोडल अधिकारी या प्राथमिक वनोपज समिति में पेष किया गया हो या अनावेदक बीमा कम्पनी को कभी प्रेशित किया गया हो, ऐसा दर्षाने बाबद कोर्इ भी प्रमाण व साक्ष्य परिवादी-पक्ष का नहीं, परिवादी की ओर से बीमा कम्पनी को भेजे गये दावा-प्रपत्र उसके सहपत्र व दस्तावेजों की जो प्रतियां प्रदर्ष सी-1 से सी-11 तक की पेष की गर्इं थीं, उनमें भी पुलिस अधीक्षक का उक्त अंतिम जांच निश्कर्श विवरण का पत्र नहीं रहा है। और अनावेदक की ओर से जवाब पेष कर दिये जाने और पुलिस के अंतिम जांच निश्कर्श रिपोर्ट प्राप्त न होने की आपतित लिये जाने पर ही परिवादी की ओर से बाद में प्रदर्ष सी-12 पेष किया गया और प्रदर्ष सी-12 का उक्त दस्तावेज वास्तव में परिवादी के द्वारा, प्राथमिक वनोपज समिति या नोडल अधिकारी, जिला यूनियन अथवा बीमा कम्पनी को कभी पेष या प्रेशित किया गया हो, ऐसा दर्षा पाने में परिवादी-पक्ष असफल रहा है, इस संबंध में परिवादी-पक्ष की ओर से प्राथमिक वनोपज समिति, जिला यूनियन या कोर्इ भी पत्र या रिपोर्ट प्रदर्ष सी-12 का दस्तावेज परिवादी की ओर से पेष किये जाने बाबद और इसे बीमा कम्पनी को भेजे जाने बाबद, परिवादी की ओर से न तो साक्ष्य में पेष किया गया है, न ही जिला यूनियन औरअथवा प्राथमिक वनोपज समिति को मामले में पक्षकार बनाया गया, तो यह स्थापित नहीं कि-यह दावा पेष करने के पूर्व परिवादी अथवा नोडल अधिकारी, जिला यूनियन के द्वारा, पुलिस के अंतिम निश्कर्श प्रतिवेदन को अनावेदक बीमा कम्पनी को कभी प्रेशित किया गया। जो कि-दुर्घटना का स्वरूप जानने के लिए ऐसा दस्तावेज महत्वपूर्ण रहा है और उक्त दस्तावेज प्राप्त न होने के कारण, अनावेदक द्वारा, परिवादी के क्लेम का निराकरण नहीं किया जा सका। इसलिए क्लेम का निराकरण विलमिबत होने बाबद, अनावेदक किसी प्रकार से दोशी या उपेक्षावान रहा होना कतर्इ स्थापित नहीं, जो कि-दावा का निराकरण न हो जाने बाबद कारण व त्रुटि के संबंध में परिवादी को अगर नोडल अधिकारी ने कोर्इ सूचना या जानकारी नहीं दिया, तो उसे बीमा कम्पनी की कोर्इ कमी या त्रुटि होना नहीं कहा जा सकता। ऐसे में अनावेदक के द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(12)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
        (अ)    परिवादी-पक्ष की ओर से दिनांक-14.03.2014 को अंतिम
            जांच निश्कर्श रिपोर्ट बाबद, पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन
            की प्रति इस मामले में पेष किये जाने और उसकी                     प्रतिलिपि प्राप्त होने के पष्चात, दिनांक-03.04.2014
            को बीमा धन की राषि 25,000-रूपये (पच्चीस हजार
            रूपये) जरिये चेक जो जमा करा दी गर्इ है, वह राषि
            परिवादी-पक्ष प्राप्त करे।
        (स)    पक्षकार अपना-अपना कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे।    
   मैं सहमत हूँ।                              मेरे द्वारा लिखवाया गया।    

 

    

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
      सदस्य                                                    अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी          

        (म0प्र0)                                        (म0प्र0)

                        

 

 

 

        
            

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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