Madhya Pradesh

Seoni

CC/98/2014

SANKARIYA BAI - Complainant(s)

Versus

LIFE INSURANCE CORPORATION - Opp.Party(s)

NITIN MISHRA

18 Feb 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी म0प्र0

प्रकरण क्रमांक 98/2014                प्रस्तुत दिनांक 05-12-2014
    

-:समक्ष:-

     विमल प्रकाश शुक्ला : अध्यक्ष
                  वीरेन्द्र सिंह राजपूत : सदस्य


षंकरियाबार्इ पति हरीसिंह उम्र 38 वर्श,
थ्नवासी ग्राम किंदरर्इ, तहसील घंसौर,
जिला सिवनी (म0प्र0)     
                            ...........परिवादी
                                                                                                                     
                वि रू द्ध

1.     सचिव, ग्राम पंचायत किंदरर्इ, 
जनपद पंचायत घंसौर, तहसील घंसौर, जिला 
सिवनी (म0प्र0)

2.     नोडल अधिकारी द्वारा मुख्य कार्यपालन
अधिकारी, जनपद पंचायत विकासखंड घंसौर, 
जिला सिवनी (म0प्र0)

3.     भारतीय जीवन बीमा निगम, कार्यालय
पेंशन एवं समूह बीमा मंडल कार्यालय जीवन प्रकाश,
मदन महल नागपुर रोड जबलपुर (म0प्र0)   
                           .................अनावेदकगण                      

आ  दे  श

( दिनांक:-18.02.2015 को पारित )

पीठासीन अध्यक्ष :- विमल प्रकाश शुक्ला,
 
1.             परिवादी ने अनावेदकगण के विरूद्ध यह परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत ''सेवा में कमी के आधार पर उसके पति की दुर्घटनात्मक मृत्यु हो जाने पर जनश्री सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना अंतर्गत देय राशि मय ब्याज दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।


प्रकरण क्रमांक 982014

2.           प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों के भविष्य को सुरक्षित करने के उददेश्य से तथा विशेषकर सुविधाहीन लोगों-प्रत्येक गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार के मुखियाआय अर्जित करने वाले सदस्य का बीमा अनावेदक क्रमांक 3भारतीय जीवन बीमा निगम से कराया है। 

3.        परिवादी का पक्ष संक्षेप में इसप्रकार है कि परिवादी का पति हरीसिंह गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार की मुखिया सदस्य था। परिवादी के पति की मृत्यु दिनांक 25.8.12 को पानी में डूबने के कारण हो गर्इ, जिस पर मर्ग क्रमांक-2212 पंजीबद्ध किया गया है। परिवादी द्वारा उक्त मृत्यु होने की जानकारी तत्काल ग्राम पंचायत निकाय के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 1 को मय दस्तावेजों सहित दी गर्इ, तब अनावेदक क्रमांक 1 ने परिवादी के बीमा के दावा का निराकरण करने का आश्वासन दिया था। परिवादी ने एक माह पश्चात अनावेदक क्रमांक 1 से सम्पर्क किया, तब अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा यह जानकारी दी गर्इ कि उसने भारतीय जीवन बीमा निगम को परिवादी का बीमा दावा प्रेषित कर दिया है। अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा परिवादी का बीमा दावा निराकृत नहीं किया गया। आज दिनांक तक अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा परिवादी को बीमा राशि का भुगतान नहीं किया गया है। अनावेदकगण द्वारा कदाचरण युक्त व्यवहार करते हुए बीमा दावा का निराकरण न किया जाना एवं आज दिनांक तक बीमा दावा राशि प्रदान न किया जाना ''सेवा में कमी है। अत: परिवादी को जनश्री सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना की बीमा राशि 75,000-रूपये उक्त राशि पर मृत्यु दिनांक 25.08.12  से 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज एवं वादव्यय अनावेदकगण से दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।

4.        अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से कोर्इ जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है। अनावेदक क्रमांक 2 अनिर्वाहित है।
 
5.        अनावेदक क्रमांक 3 का पक्ष संक्षेप में इस प्रकार है कि जनश्री सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना अंतर्गत हितग्राहियों की सूची में मृतक का नाम जनपद पंचायत घंसौर की पालिसी क्रमांक-142883 के अंतर्गत एल.आर्इ.सी.आर्इ.डी. क्रमांक-9201 पर दर्ज है। सूची में मृतक का नाम होने के कारण अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा मृतक के जीवन पर प्रीमियम का समायोजन किया गया है। मृतक बीमित होने के कारण परिवादी जनश्री सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना का लाभ प्राप्त करने की षर्तो एवं पात्रता को पूर्ण करती है। 

 


प्रकरण क्रमांक 982014

परिवादी को ग्राम पंचायत किंदरर्इ के समक्ष दावा प्रस्तुत करना था, दावा प्रस्तुत करने के उपरांत अनावेदक क्रमांक 2 को प्रेशित करता है। अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा दावा प्रपत्र का अभिलेख से मिलान कर सत्यापित कर अनावेदक क्रमांक 3बीमा कम्पनी को प्रेशित करता है, तब अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा बीमा दावा का निराकरण किया जाता है। चूंकि परिवादी द्वारा आज दिनांक तक बीमा दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है, इसलिए अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा परिवादी के बीमा दावा का निराकरण नहीं किया गया है, जो अनावेदक की सेवा में कमी के अंतर्गत नहीं आता है। अतएव अनावेदक क्रमांक 3 ने परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।

6.    विचारणीय बिन्दू यह है कि क्या अनावेदकगण द्वारा परिवादी का बीमा दावा निराकृत न कर ''सेवा में कमी की गर्इ है ?

7.        परिवादी ने परिवाद में अपने पति हरिसिंह की पानी में डुबने के कारण दिनांक 25.8.12 को मृत्यु होना लेख किया है। उक्त घटना बाबत मृतक का मर्ग इंटीमेशन की छायाप्रति, नक्शा पंचायतनामा की छायाप्रति, उक्त मृतक के शव परीक्षण हेतु आवेदन की छायाप्रति, शव परीक्षण प्रतिवेदन की छायाप्रति प्रस्तुत किया हैं, उक्त दस्तावेजों से मृतक हरिसिंह की पानी में डुबने से मृत्यु होना दर्षाया गया है। परिवादी ने मृतक हरिसिंह की मृत्यु का मृत्यु प्रमाण-पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है, जिसमें जिसमें हरिसिंह पति डूमरा  की मृत्यु दिनांक 25.8.12 को होना अंकित है। 

8.        परिवादी ने मृतक हरिसिंह का परिवार परिचय पत्र राशन कार्ड की छायाप्रति प्रस्तुत किया है, जिसमें हरिसिंह का नाम मुखिया के रूप में अंकित है। गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने संबंधी बी0पी0एल0 सर्वे सूची 2006 (बी0पी0एल0 सर्वेक्षण 2002-03) में सर्वे क्रमांक 1510 पर मृतक का नाम अंकित है। 

9.        परिवादी ने मृतक हरिसिंह का भारत निर्वाचन आयोग, परिचय पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत की है, जिसमें दिनांक-01.01.2003 को आयु 39 वर्श लेख है। अत: परिवादी के पति की मृत्यु दिनांक को उसकी आयु 46 वर्ष होना प्रकट होता है।  

10.        परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह अभिवचन किया है कि परिवादी ने अपने पति की मृत्यु का बीमा दावा समस्त दस्तावेजों सहित अनावेदक  क्रमांक 1 के माध्यम  से अनावेदक क्रमांक 2 को 

 

प्रकरण क्रमांक 982014

प्रेशित किया है एवं अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा दावा प्रपत्र सत्यापित कराकर अनावेदक क्रमांक 3भारतीय जीवन बीमा निगम को प्रेषित किया गया है, जबकि अनावेदक क्रमांक 3भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा यह आपतित ली गर्इ है कि परिवादी द्वारा मृतक हरिसिंह की मृत्यु होने के प्ष्चात कोर्इ बीमा दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 के माध्मय से अनावेदक क्रमांक 2 को बीमा दावा प्रस्तुत किये जाने संबंधी पावती की अभिस्वीकृति भी प्रस्तुत नहीं किया है। अत: परिवादी द्वारा अपने पति की मृत्यु का जनश्री सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना अंतर्गत बीमा क्लेम दस्तावेजों सहित अनावेदक क्रमांक 2 के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 3भारतीय जीवन बीमा निगम को प्रेषित किया जाना प्रमाणित नहीं है। चूंकि अनावेदक क्रमांक 3भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा परिवादी के पति मृतक हरिसिंह की मृत्यु का बीमा दावा प्राप्त न होने के कारण निराकृत नहीं किया गया है, इसलिए अनावेदक क्रमांक-3भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा ''सेवा में कमी नहीं की गर्इ है, जिसके कारण हम परिवादी को मानसिक कष्ट हेतु कोर्इ राशि दिलाया जाना युकितयुक्त नहीं समझते हैं। 

11.        परिवादी का परिवाद अपरिपक्व है। हमारे मत में  परिवादी को मृतक हरिसिंह का जनश्री सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना अंतर्गत बीमा दावा विहित प्रोफार्म में ''वांछित दस्तावेजों सहित अनावेदक क्रमांक 2 नोडल अधिकारी के माध्यम से बीमा सत्यापित कराते हुए अनावेदक क्रमांक 3भारतीय जीवन बीमा निगम को 15 दिवस में प्रेषित करने का निर्देश दिया जाना युकितयुक्त है। इसके पश्चात अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा अनावेदक क्रमांक 3भारतीय जीवन बीमा निगम को परिवादी का बीमा दावा प्राप्त होने पर 30 दिवस में गुणदोषों के आधार पर निराकृत करने का निर्देश दिया जाना युकितयुक्त है। 

12.         उपरोक्त विवेचन के आधार पर हम परिवादी के पक्ष में निम्न आशय का आदेश पारित करते हैं :- 
         
         (1)    यदि परिवादी 15 दिवस में अनावेदक क्रमांक 2 के समक्ष मृतक हरिसिंह का जनश्री सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत बीमा दावा प्रस्तुत करती है, तब अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा परिवादी का बीमा दावा अनावेदक क्रमांक 3 को प्रेषित किया जावेगा एवं अनावेदक क्रमांक 3 बीमा दावा प्राप्त होने पर तीस दिवस में निराकृत करेगा। 
         

 


प्रकरण क्रमांक 982014

(2)    उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय वहन करें।
         
13.         आदेष की प्रति नि:षुल्क प्रदान की जावे। 


¿ विमल प्रकाष शुक्लाÀ                         मैं सहमत हू।                      अध्यक्ष 
                     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, 
     ¿वीरेन्द्र सिंह राजपूतÀ                     सिवनी म0प्र0          
            सदस्य    

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