View 7580 Cases Against Life Insurance Corporation
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MANILAL filed a consumer case on 05 Jun 2014 against LIFE INSURANCE CORPORATION in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/17/2014 and the judgment uploaded on 15 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक- 17/2014 प्रस्तुति दिनांक-12.03.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
मनीलाल, आत्मज लकीरचंद, उम्र लगभग
58 वर्श, जाति-गौंड, निवासी-ग्राम सिमरिया
(चीचबंद), तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)।...............................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
क्षेत्रीय प्रबंधक,
भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय,
मदनमहल, नागपुर रोड, जबलपुर
(म0प्र0)।................................................................अनावेदकविपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 05.06.2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति मर्यादित भोमा, जिला सिवनी की तेन्दूपत्ता संग्रहक परिवादी की पतिन-मानतीबार्इ की दिनांक-22.02.2013 को सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाना कहते हुये, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए मध्यप्रदेष षासन की समूह जीवन बीमा योजना के तहत, अनावेदक द्वारा जारी बीमा पालिसी के संबंध में परिवादी के दुर्घटना मृत्यु बीमा क्लेम की राषि 25,000-रूपये न दिये जाने और क्लेम को वापस कर दिये जाने को अनुचित व सेवा में कमी बताते हुये, क्लेम राषि 25,000-रूपये व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि-अप्रैल 1991 से मध्यप्रदेष षासन द्वारा तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए नि:षुल्क समूह जीवन बीमा योजना लागू की गर्इ थी, जिसका प्रीमियम मध्यप्रदेष राज्य तेन्दूपत्ता वनोपज संघ द्वारा, अनावेदक बीमा कम्पनी को दिया जाता है और उक्त पालिसी के तहत तेन्दूपत्ता संग्रहक की साधारण मृत्यु होने पर 3,500-रूपये व दुर्घटना में मृत्यु होने पर 25,000-रूपये की राषि देय है। यह भी विवादित नहीं कि- परिवादी की पतिन मानतीबार्इ प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति मर्यादित भोमा, जिला सिवनी में तेन्दूपत्ता संग्रहक दर्ज थी और उक्त बीमा योजना की पावती के तहत बीमित रही है। यह भी विवादित नहीं कि-परिवादी ने उसकी पतिन के दिनांक-22.12.2013 को सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के आधार पर, प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति, गोपालगंज में बीमा क्लेम पेष किया था, जो नोडल एजेन्सी द्वारा, दिनांक-25.09.2012 को दावा स्वीकृति की अनुषंसा के साथ अनावेदक बीमा कम्पनी को भेजा गया और अनावेदक के द्वारा, नोडल अधिकारी, जिला युनियन दक्षिण वनमंडल, सिवनी को दावा अपूर्ण होना दर्षाते हुये वापस कर दिया गया है।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि-परिवादी की पतिन की तेन्दूपत्ता संग्रहक रहते हुये, दिनांक-22.02.2013 को सड़क दुर्घटना में मृत्यु हुर्इ थी और दुर्घटना मृत्यु की बीमा राषि प्राप्त करने हेतु प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति, गोपालगंज में परिवादी ने सभी आवष्यक दस्तावेजों सहित, दावा आवेदन पेष किया था, जहां से दिनांक-25.09.2012 को अनावेदक बीमा निगम के कार्यालय में मामला प्रेशित किया गया था, जो कि-एफ.आर्इ.आर., पी0एम0 रिपोर्ट, नक्षा पंचनामा, पुलिस की अंतिम जांच प्रतिवेदन आदि समस्त दस्तावेज भी दावा के साथ प्रेशित किये गये थे और उन पर समुचित विचार किये बिना, दावा अवैध रूप से वापस कर, अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, व्यवसायिक दुराचार व सेवा में कमी की गर्इ है, जबकि- परिवादी दावा राषि 25,000-रूपये व हर्जाना पाने का अधिकारी है।
(4) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-जो दावा प्रपत्र प्राप्त हुये थे वे नियमानुसार न होने के कारण दिनांक-11.11.2013 को नोडल अधिकारी को वापस कर दिये गये थे, जो कि-दावा-प्रपत्र का अभिलेखों से मिलान कर, वनमंडल द्वारा सत्यापित दावा-प्रपत्र पुन: अनावेदक को प्रेशित नहीं किये गये और इस जिला फोरम में पेष परिवाद मामले के संमंस के साथ परिवाद-पत्र की प्रति व दावा भुगतान हेतु आवष्यक दावा प्रपत्रों की प्रतिलिपि दिनांक-24.03.2014 को प्राप्त हुर्इ। तो प्राप्त प्रपत्रों के मूल्याकंन के पष्चात मृत्यु प्रमाण-पत्र में मृतिका का नाम-मानतीबार्इ, पतिन मनीलाल अंकित है, जबकि-प्रथम सूचना रिपोर्ट, लाष का पंचायतनामा और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतिका का नाम-मानतीबार्इ पतिन नजरलाल गौंड दर्षाया गया है और दावा प्रपत्रों तथा परिवाद-पत्र में मृतिका का नाम-मानतीबार्इ, पतिन मनीलाल दर्षाया गया है। तो मृत्यु प्रमाण-पत्र व पुलिस के अभिलेखों में अंकित नाम में असमानता होने के कारण नियमानुसार प्रकरण में केवल साधारण मृत्यु दावा का भुगतान किया जा सकता है, इसलिए इस पीठ का सम्मान करते हुये, अनावेदक के नियमों के विरूद्ध मूल दस्तावेजों के बिना केवल प्राप्त प्रपत्रों की प्रतिलिपियों के आधार पर, साधारण मृत्यु दावा का भुगतान दिनांक-25.03.2014 को 3500-रूपये के चेक के माध्यम से जिला पीठ के समक्ष किया जा रहा है और अनावेदक के द्वारा, परिवादी के बीमा क्लेम के निपटारे में किसी प्रकार से विलम्ब या गलती नहीं की गर्इ है, स्वयं परिवादी ने स्पश्ट व सही दस्तावेज पेष नहीं किये हैं और नोडल एजेंसी को भी पक्षकार नहीं बनाया, अनावेदक के द्वारा कोर्इ व्यवसायिक दुराचार या सेवा में कमी नहीं की गर्इ है, दावा दुर्भावनापूर्ण होने से निरस्त किये जाने योग्य है।
(5) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या परिवाद संधारणीय होकर, विवाद इस पीठ के
द्वारा निराकरण योग्य है?
(ब) यदि हां, तो क्या अनावेदक द्वारा, परिवादी का
क्लेम नोडल अधिकारी को वापस किया जाना
अनुचित होकर, परिवादी के प्रति की गर्इ सेवा
में कमी है?
(स) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) एवं (ब) :-
(6) तथ्यों की बारम्बारता न हो, इसलिए उक्त दोनों विचारणीय प्रष्नों का एक साथ निराकरण किया जा रहा है।
(7) परिवादी-पक्ष की ओर से यह तर्क हुआ है कि-जो प्रदर्ष सी-1 से सी-11 तक के दस्तावेजों की प्रतियां पेष की गर्इं हैं वे परिवादी द्वारा, नोडल एजेंसी के माध्यम से अनावेदक को भेजे गये मृत्यु दावा और दस्तावेजों की प्रतियां हैं, तो उक्त दस्तावेजों में ही दुर्घटना बाबद पुलिस के प्रथम सूचना प्रतिवेदन की प्रति प्रदर्ष सी-6, मृतिका के षव परीक्षण हेतु पुलिस द्वारा तैयार किये गये षव परीक्षण आवेदन व पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति प्रदर्ष सी-7, लाष के नक्षा पंचायतनामा की प्रति प्रदर्ष सी-8 में मृतिका का नाम मानतीबार्इ पतिन-नजरलाल गौंड लेख होना दर्षित है। और प्रथम सूचना रिपोर्ट से यह भी दर्षित है कि-वाहन पलट जाने से ग्राम-सिमरिया रेल्वे स्टेषन के पास मेन रोड थाना-बम्हनी, जिला मण्डला में उक्त दुर्घटना हुर्इ थी, जिसमें मृतिका-मानतीबार्इ पतिन-नजरलाल की मृत्यु हुर्इ थी। तो उक्त में-से किसी भी दस्तावेज में उक्त दुर्घटना में मृत हुर्इ मानतीबार्इ के पति के रूप में परिवादी का नाम उल्लेख नहीं है, बलिक पति के रूप में नजरलाल गौंड का नाम लेख है। परिवादी की ओर से प्रदर्ष सी-11'ए की तेन्दूपत्ता की साप्ताहिक संग्रहण पुसितका की जो प्रति पेष हुर्इ है, उसमें परिवादी के परिवार में मात्र परिवादी-मनीलाल द्वारा ही संग्रहण किया जाना दर्षाया गया है। और प्रदर्ष सी-11'बी जो संग्रहणकत्र्ता के परिवार के विवरण का दस्तावेज है, उसमें स्वयं परिवादी-मनीलाल उसकी पतिन- मानतीबार्इ पुत्र-सुखदास और बहू-भूमेष्वरी के ही नाम दर्ज हैं और उसमें परिवादी की कोर्इ पुत्रियां होने का विवरण उल्लेख नहीं। इस संबंध में प्रदर्ष सी-9 के उक्त दुर्घटना बाबद पुलिस द्वारा दण्ड न्यायालय में पेष अपराध के अंतिम प्रतिवेदन की परिवादी की ओर से पेष प्रति प्रदर्ष सी-9 को देखें, तो उसमें परिवादी या उसके पुत्र अथवा बहू किसी का भी नाम पुलिस द्वारा पेष मामले के साक्ष्य सूची में नहीं है, बलिक साक्ष्य सूची में क्रमांक-11 पर ज्योतिबार्इ, पुत्री-नजरलाल आयु 16 वर्श और क्रमांक-16 पर, कुमारी आरतीबार्इ, पुत्री-नजरलाल, आयु 18 वर्श, तो ऐसे में कथित दुर्घटना में मृत हुर्इ मानतीबार्इ के पति का नाम-नजरलाल और उसकी दो पुत्रियां-ज्योतिबार्इ और कुमारी आरतीबार्इ रही होना उक्त पुलिस विवेचना के दस्तावेजों से स्पश्ट है।
(8) जबकि-परिवादी की पतिन का नाम भी मानतीबार्इ रहा है, यह प्रदर्ष सी-10 के निर्वाचन आयोग के परिचय-पत्र और प्रदर्ष सी-11'बी के तेन्दूपत्ता संग्रहक के रूप में दर्ज परिवादी के परिवार के सदस्यों के विवरण से दर्षित है, लेकिन कथित वाहन दुर्घटना में मृत हुर्इ मानतीबार्इ और परिवादी की पतिन-मानतीबार्इ दोनों महिलायें अलग-अलग परिवार की सदस्य होना प्रतीत होती हैं और उक्त दोनों मानतीबार्इ एक ही हो, ऐसा दर्षित नहीं होता है। प्रदर्ष सी-7 कें षव परीक्षण आवेदन और प्रदर्ष सी-8 का नक्षा पंचायतनामा में मृतिका-मानतीबार्इ पति-नजरलाल ग्राम-चीचबंद, थाना- बरघाट, जिला-सिवनी की निवासी दर्षार्इ गइर्ं हैं, जबकि-उक्त वाहन पलटने की दुर्घटना जिला मण्डला के थाना-बम्हनी के ग्राम-सिमरिया रेल्वे स्टेषन के पास, मेन रोड में होना दर्षित है, तो प्रदर्ष सी-1 के मृत्यु दावा-पत्र की परिवादी की ओर से पेष प्रति से स्पश्ट है कि-जिसमें कालम नंबर-5(अ) में मृतक का ग्राम-सिमरिया (चीचबंद) होना गलत दर्षाया गया है और परिवादी ने परिवाद में भी अपने को ग्राम-सिमरिया (चीचबंद), तहसील व जिला सिवनी का जो पता लिखाया है, वह सही दर्षित नहीं है।
(9) परिवादी की ओर से पेष प्रदर्ष सी-5 के मृत्यु प्रमाण-पत्र की प्रति से स्पश्ट है कि-उक्त मृत्यु प्रमाण-पत्र ग्रामपंचायत, कजरवाड़ा, जनपदपंचायत, नैनपुर, जिला ममण्डला के द्वारा, दिनांक-09.04.2013 को जारी किया गया है, जिसमें मानतीबार्इ पति-मनीलाल की मृत्यु दिनांक-22.02.2013 को मृत्यु स्थान-सिमरिया में होना लेख किया गया है, जो कि- परिवादी के निवास स्थान वाला ग्रामपंचायत नहीं, बलिक जिला मण्डला के जिस क्षेत्र में मोटर की दुर्घटना से मानतीबार्इ की मृत्यु होना कहा जाता है, उस ग्रामपंचायत द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण-पत्र है। तो वास्तव में उक्त मृत्यु प्रमाण-पत्र में प्रदर्ष सी-6 से सी-9 के दुर्घटना में मृत्यु संबंधी विवेचना के व पोस्टमार्टम के दस्तावेजों के आधार पर स्वाभाविक रूप से मानतीबार्इ के पति का नाम-नजरलाल गौंड क्यों लेख नहीं है और पति का नाम-मनीलाल कैसे लेख हो गया है, यह निषिचत रूप से अचरज करने वाला तथ्य है, क्योंकि मृतिका उक्त मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने वाली ग्रामपंचायत या जिले की निवासी नहीं है, तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट व पुलिस विवेचना के दस्तावेजों में लिखे मृतिका के पति के नाम से अन्यथा कथित मृतिका के पति रूप में परिवादी का नाम लेख होकर, मृत्यु प्रमाण-पत्र कैसे जारी हो गया, तो मृत्यु प्रमाण-पत्र की प्रति के स्थान पर मूल मृत्यु प्रमाण-पत्र की मांग अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा की जाना किसी भी तरह अनुचित नहीं कहा जा सकता। और प्रदर्ष सी-1 के मृत्यु दावा में बीमा कम्पनी द्वारा, दावा वापस करने बाबद लेख की गर्इ टीप दिनांक-02.11.2013 में इसलिए यह स्पश्ट किया जाना दर्षित है कि-मूल मृत्यु प्रमाण-पत्र चाहिये तथा प्रकरण एवं रिपोर्ट में जानकारी सही प्रतीत नहीं, अलग-अलग है, इसलिए दावा देय न होकर वापस किया गया। जो कि-यह स्पश्ट है कि-प्रदर्ष सी-1 के मृत्यु दावा पत्र, प्रदर्ष सी-2 के नियुकित-पत्र और प्रदर्ष सी-3 के नामाकंन पत्र में मानतीबार्इ के पति का नाम मनीलाल ही लेख है और पति का नाम कहीं भी नजरलाल लेख नहीं, न ही उक्त दावा प्रपत्र में ऐसा कोर्इ स्पश्टीकरण लेख किया गया है कि- मनीलाल का अन्य नाम नजरलाल ही रहा है। और ऐसे में मृतिका के पति के नाम की भिन्नता के आधार पर और मूल मृत्यु प्रमाण-पत्र की आवष्यकता बताते हुये, दावा नोडल एजेंसी प्रबंधक, (वनमंडल अधिकारी) जिला यूनियन, दक्षिण वनमण्डल को वापस किया जाना किसी भी तरह अनुचित नहीं कहा जा सकता। और दावा वापसी पर, नोडल अधिकारी ने सब दस्तावेजों की प्रतियां परिवादी-पक्ष को प्रदान कर दीं, तो परिवादी को उक्त मूल मृत्यु प्रमाण-पत्र अनावेदक-पक्ष को भेजना था और दुर्घटना में मृत दर्षार्इ मानतीबार्इ वास्तव में परिवादी की पतिन है, इस संबंध में समुचित प्रमाण व दस्तावेज पेष करते हुये, दावा-प्रपत्रों को पूर्ण कर, नोडल अधिकारी के माध्यम से क्लेम कमीपूर्ति के पष्चात, पुन: जीवन बीमा कम्पनी को भेजा जाना चाहिये था, पर परिवाद से स्पश्ट है कि-परिवादी ने ऐसा न करते हुये, अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, नोडल अधिकारी को दावा वापस किये जाने को ही अनुचित व व्यवसायिक दुराचरण व सेवा में कमी कहते हुये, यह परिवाद पेष कर दिया। जबकि-सिथति यह है कि-उक्त कमीपूर्ति के पष्चात, पुन: दावा जब परिवादी-पक्ष ने अनावेदक बीमा कम्पनी को भिजवाया ही नहीं, तो बीमा कम्पनी द्वारा बिना दावा पेष किये यह मामला पेष करने के लिए कोर्इ वाद कारण उत्पन्न होना संभव ही नहीं, इसलिए यह परिवाद पेष करने के लिए कोर्इ वाद-कारण उत्पन्न होना अभी नहीं पाया जाता है।
(10) प्रदर्ष सी-9 पुलिस के अंतिम प्रतिवेदन में उलिलखित अंतिम प्रतिवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों की सूची से स्पश्ट है कि-लाष के पोस्टमार्टम के पष्चात कथित दुर्घटना में मृत हुये मृतिका के परिजनों को मृतिका की लाष सौपी जाकर, लाष सुपुर्दनामा बनाया गया था, तो कथित दुर्घटना में मृत कही जा रही महिला मानतीबार्इ की लाष परिवादी या प्रदर्ष सी-11(बी) में दर्षाये उसके पुत्र-सुखदास ने सुपुर्दगी में लिया हो, तो उक्त लाष की सुपुर्दनामा की प्रति पेष कर, परिवादी यह दर्षा सकता था कि- दुर्घटना में मृत महिला-मानकीबार्इ परिवादी की ही पतिन रही है और पुलिस दस्तावेजों में मृतिका के रूप में लिखा भिन्न व्यकित का नाम गलत है। परिवादी अपने ग्रामपंचायत का ग्राम-चीचबंद के फरवरी-2013 के पूर्व के वोटरलिस्ट की प्रति पेष कर भी यह दर्षा सकता था कि-उसके ग्राम-चीचबंद में नजरलाल जिसकी पतिन का नाम-मानसीबार्इ हो, ऐसा कोर्इ व्यकित नहीं है, लेकिन ऐसे कोर्इ दस्तावेज परिवादी के द्वारा न तो अनावेदक को दावा कमीपूर्ति के प्रमाण के रूप में भेजे गये, न ही प्रस्तुत परिवादमामले में पेष किये गये हैं।
(11) तो मामले में वास्तविक विवाद यह है कि-क्या कथित दुर्घटना में मृत मानतीबार्इ जिसके पति का नाम, पुलिस विवेचना दस्तावेजों में नजरलाल गौंड लेख है, वह नजरलाल परिवादी-मनीलाल का ही कोर्इ दूसरा नाम है और नजरलाल कोर्इ भिन्न व्यकित है या नहीं। तो ऐसे विवाद के संबंध में परिवादी सिविल न्यायालय से घोशणा की अज्ञपित प्राप्त कर सकता है और परिवादी का ही नाम नजरलाल है या नहीं, यह कोर्इ उपभोक्ता विवाद नहीं है और ऐसे विवाद का निराकरण जिला उपभोक्ता फोरम के संक्षिप्त विचारणीय प्रक्रिया में किया जा सकना संभव भी नहीं और ऐसे विवाद के निराकरण की अधिकारिता भी इस उपभोक्ता फोरम को नहीं, इसलिए परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद में वास्तविक विवाद के तथ्यों को छिपाते हुये, यह परिवाद पेष किया है और परिवाद में परिवादी का कहीं ऐसा कथन नहीं है कि-नजरलाल भी उसका ही नाम है और प्रदर्ष सी-6 से सी-9 के पुलिस विवेचना के दस्तावेजों में मृतिका मानतीबार्इ के पति के रूप में जो नजरलाल नाम लेख है, वह स्वयं परिवादी है। परिवाद में कहीं यह दर्षाया नहीं गया है कि-परिवादी के मृत्यु बीमा दावा को अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा वापस कर दिया जाना किस तरह से अनुचित और अवैधानिक है और इसलिए प्रस्तुत परिवाद के लिए कोर्इ समुचित आधार रहे होना दर्षित नहीं है।
(12) कथित तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए बीमा पालिसी जारी करने वाला भारतीय जीवन बीमा निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक का अनावेदक का कार्यालय जबलपुर में सिथत है और जीवन बीमा निगम की सिवनी षाखा के द्वारा, न तो पालिसी जारी की गर्इ है, न ही उसकी परिवादी के दावा के निराकरण में कोर्इ भूमिका रही है। कथित मृतिका-मानतीबार्इ की दुर्घटना में मृत्यु व दुर्घटना भी इस जिले की सीमा के बाहर ग्राम-सिमरिया, थाना-बम्हनी, जिला मण्डला में हुर्इ, तो सिवनी सिथत इस पीठ की क्षेत्रीय सीमाओं में न तो अनावेदक का कथित कार्यालय है, न ही इस जिले की सीमा में कोर्इ वाद- कारण उत्पन्न हुआ और परिवादी ने अपने पते में निवासी-ग्राम सिमरिया (चीचबंद) तहसील व जिला सिवनी मात्र यह भ्रमित करने के लिए लेख किया है कि-कथित दुर्घटना जिला सिवनी की सीमा में हुर्इ है।
(13) परिवादी द्वारा ग्रामपंचायत (चीचबंद) के सरपंच का प्रमाण-पत्र दिनांक-25.02.2014 प्राप्त कर उसकी प्रति प्रदर्ष सी-12 के साथ यह परिवाद पेष कर दिया गया। परिवाद के पूर्व उक्त दस्तावेज बीमा कम्पनी को पुन: दावा विचार के निवेदन के साथ कभी भेजा नहीं गया और किसी नये प्रमाण पर इस फोरम में विचार भी नहीं होना है, लेकिन प्रदर्ष सी-12 से यह प्रकट है कि-यह पंचायत कार्यालय के द्वारा जारी प्रमाण-पत्र नहीं है, बलिक लेटरहेड पत्र पर सरपंच के सीलहस्ताक्षर लगवाकर यह लिखवा लिया गया है कि- मृतक मानतीबार्इ के पति-मनीलाल उर्फ नजरलाल ग्राम-चीचबंद, जिला सिवनी के निवासी है और मनीलाल व नजरलाल एक ही व्यकित के नाम हैं। तो प्रथम तो मनीलाल और नजरलाल एक ही व्यकित के नाम हैं, यह घोशित करने का अधिकार सरपंच को नहीं। जब-तक ग्रामपंचायत की वोटरलिस्ट में ऐसा विवरण लेख न हो और सरपंच की व्यकितगत जानकारी बाबद कथित सरपंच का कोर्इ षपथ-पत्र भी पेष नहीं, इसलिए प्रदर्ष सी-12 कोर्इ प्रमाण के रूप में गा्रहय दस्तावेज नहीं है।
(14) तब उक्त विष्लेशण के आधार पर, यह पाया जाता है कि-प्रस्तुत विवाद दिनांक-22.02.2013 की दुर्घटना में मृत मानतीबार्इ जिसका पोस्टमार्टम रिपोर्ट व पुलिस विवेचना के दस्तावेजों में पति का नाम-नजरलाल गौंड दर्ज है, तो उसका पति वास्तव में परिवादी है या नहीं और नजरलाल परिवादी का ही नाम है, या नहीं, यह उपभोक्ता विवाद नहीं, जिला उपभोक्ता फोरम की संक्षिप्त प्रक्रिया में निराकरणीय भी नहीं और कमीपूर्ति हेतु दावा परिवादी के पास वापस आने के प्ष्चात, परिवादी-पक्ष की ओर से ही मृत्यु प्रमाण-पत्र और दुर्घटना में मृत मानतीबार्इ परिवादी की ही पतिन होने बाबद प्रमाण परिवादी की ओर से बीमा कम्पनी को पूर्तिकर पुन: विचार के लिए भेजे नहीं गये, तो प्रस्तुत मामले के लिए कोर्इ वाद-कारण होना भी दर्षित नहीं, जो कि-जिला फोरम, सिवनी के क्षेत्रीय श्रवण अधिकारिता का मामला होना भी दर्षित नहीं। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है। और अनावेदक द्वारा समुचित जानकारी व सुधार के बिना दावा देय न होने से वापस किया जाना किसी भी तरह अनुचित व सेवा में कमी होना दर्षित नहीं है, फिर भी विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श को देखते हुये, विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को इस पीठ द्वारा निश्कर्शित किया जाना आवष्यक नहीं।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(9) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) प्रस्तुत परिवाद, उपभोक्ता फोरम द्वारा निराकरण
योग्य न होने और उपभोक्ता विवाद न रहे होने
से संधारणीय नहीं, इस जिला पीठ की श्रवण
अधिकारिता का भी नहीं, इसलिए परिवाद संधारणीय
न होने से निरस्त किया जाता है। परिवादी उक्त
विशय-वस्तु पर सक्षम फोरम या न्यायालय में
कार्यवाही कर सकेगा।
(ब) क्योंकि कार्यवाही के दौरान प्रदर्ष सी-5 के मृत्यु
प्रमाण-पत्र के आधार पर परिवादी की पतिन की
मृत्यु हो जाना मानते हुये, साधारण मृत्यु बाबद
3,500-रूपये (तीन हजार पांच सौ रूपये) की
राषि जरिये चेक अनावेदक के द्वारा जमा करार्इ
गर्इ है, उक्त राषि परिवादी तीन माह के अंदर प्राप्त
कर सकता है, तीन माह में वह राषि यदि प्राप्त नहीं
करता है, तो अनावेदक उक्त राषि वापस प्राप्त करे।
(स) पक्षकार अपना-अपना कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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