Madhya Pradesh

Seoni

CC/05/2014

MANESH MEHTER - Complainant(s)

Versus

LIFE INSURANCE CORPORATION - Opp.Party(s)

05 Mar 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)


प्रकरण क्रमांक -05-2014                              प्रस्तुति दिनांक-01.01.2014


समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

मनेष, उम्र लगभग 50 वर्श, आत्मज मेहतर,
निवासी-ग्राम चिखली, तहसील कुरर्इ, जिला
सिवनी (म0प्र0)।...............................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-: 
क्षेत्रीय प्रबंधक,
भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय
मदनमहल, नागपुर रोड, जबलपुर
(म0प्र0)।..........................................................अनावेदकविपक्षी।    


                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक- 05.03.2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1)        परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसकी पतिन रेखमनीबार्इ तेन्दूपत्ता संग्रहक की दिनांक-20.09.2012 को सर्पदंष से हुर्इ मृत्यु बाबद, तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए जारी नि:षुल्क समूह बीमा योजना के तहत परिवादी के बीमा क्लेम का भुगतान अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा न किये जाने को सेवा में कमी होना कहते हुये, दुर्घटना मृत्यु बाबद, निर्धारित 25,000-रूपये बीमा क्लेम की राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है। 
(2)        यह स्वीकृत तथ्य है कि-अनावेदक बीमा कम्पनी से मध्यप्रदेष षासन से अप्रैल-1991 से तेन्दूपत्ता संग्रहकों के लिए जारी नि:षुल्क समूह जीवन बीमा योजना के तहत, बीमा पालिसी अनावेदक बीमा कम्पनी से प्राप्त की गर्इ थी और जिसके अनुसार तेन्दूपत्ता संग्रहकों की दुर्घटना में मृत्यू होने पर, मृतक के नामांकित सदस्य को 25,000-रूपये बीमाधन की राषि प्रदान की जाती है। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी की पतिन- रेखमनीबार्इ तेन्दूपत्ता संग्रहक थी, जिसकी दिनांक-20.09.2012 को सर्पदंष से मृत्यु हो गर्इ थी, उक्त बाबद, परिवादी ने बीमा क्लेम हेतु प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति मर्यादित, गोपालगंज में बीमा क्लेम राषि पाने हेतु आवेदन, दस्तावेजों सहित पेष किये थे, जहां से दिनांक-15.01.2013 को दावा, अनावेदक बीमा निगम के कार्यालय स्वीकृति हेतु प्रेशित किया गया था। और यह भी विवादित नहीं कि-यह परिवाद पेष होने तक क्लेम राषि का भुगतान अनावेदक द्वारा नहीं किया गया।  
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि-परिवादी के द्वारा, दावा के साथ आवष्यक दस्तावेज-मर्ग सूचना, पी0एम0 रिपोर्ट, लाष नक्षा पंचायमनामा, अंतिम जांच प्रतिवेदन आदि प्रेशित किये गये थे, जिन पर समुचित विचार न कर, अनावेदक के द्वारा दावा को अवैधानिक रूप से लमिबत रखा गया है। 
(4)        अनावेदक के द्वारा स्वीकृत तथ्यों के अलावा, जवाब में यह कहा गया है कि-आवष्यक दस्तावेजों के आभाव में दावा वापस किया गया था, जो कि-आवष्यक दस्तावेजों की सत्यापित प्रतियां, दावा प्रपत्र के साथ पेष न होने से दावा भुगतान में विलम्ब हुआ, आवष्यक दस्तावेजों की मांग बाबद, दिनांक-15.02.2013 एवं 08.08.2013 को नोडल अधिकारी के माध्यम से षेश आवष्यक प्रपत्र पुलिस की अंतिम अन्वेशण प्रतिवेदन एवं नेफट हेतु बैंक पासबुक एवं आर्इ प्रमाण-पत्र की सत्यापित प्रतियां मांगी गर्इ थी, लेकिन परिवादी व नोडल अधिकारी के द्वारा, अनावेदक के कार्यालय में उक्त दस्तावेज प्रेशित नहीं किये गये, इस कारण से दावा का निराकरण नहीं किया जा सका और जैसे ही दिनांक-16.01.2014 को इस जिला फोरम के संमंस के साथ परिवाद व दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त हुर्इं, तो प्रपत्र प्रापित के प ष्चात, अनावेदक द्वारा समस्त कार्यालयीन कार्यवाही कर, दिनांक-18.01.2014 को 25,000-रूपये का चेक इस जिला उपभोक्ता फोरम क नाम जारी किया गया, जिसे दिनांक-27.01.2014 को जिला पीठ के समक्ष जमा किया जा चुका है। अत: क्लेम की अन्य कोर्इ राषि षेश नहीं और क्लेम के निराकरण में हुये विलम्ब बाबद परिवादी व नोडल एजेन्सी स्वयं जवाबदार हैं, जिसे दो बार पत्र प्रेशित करने के पष्चात भी आवष्यक दस्तावेज अनावेदक की ओर प्रेशित नहीं किये गये।
(5)        इस पीठ के समक्ष दिनांक-27.01.2014 को अनावेदक द्वारा 25,000-रूपये का चेक पीठ के नामे परिवादी को भुगतान किये जाने के लिए जमा कराया जा चुका है, तब निराकरण के लिए मात्र निम्न विचारणीय प्रष्न षेश हैं:-
        (अ)    क्या अनावेदक के द्वारा, परिवादी के बीमा क्लेम का             निराकरण व भुगतान करने में अनुचित विलंब कर, सेवा             में कमी की गर्इ है?
        (ब)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6)        नोडल एजेन्सी प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति मर्यादित, गोपालगंज, सिवनी द्वारा, परिवादी को दिनांक-23.11.2013 को प्रेशित पत्र पर, परिवादी द्वारा चाहे जाने पर यह जानकारी दी गर्इ है कि-दिनांक-12.12.2012 को उक्त दुर्घटना दावा प्रकरण तैयार कर, जिला युनियन कार्यालय (नोडल अधिकारी) को प्रेशित कर दिया गया था और जिला युनियन कार्यालय से पत्र दिनांक-15.01.2013 के द्वारा प्रकरण, अनावेदक बीमा कम्पनी कार्यालय को प्रेशित किया गया था और अनावेदक बीमा निगम के कार्यालय से प्रकरण में दावेदार की पासबुक की छायाप्रति की मांग की गर्इ थी, जो प्रबंध संचालक, जिला युनियन के पत्र क्रमांक-335, दिनांक- 28.03.2013 के साथ बीमा निगम को बैंक पासबुक की छायाप्रति पेष कर दी गर्इ है। इस संबंध में स्वयं अनावेदक की ओर से जिला लघु वनोपज सहकारी संघ, दक्षिण सिवनी के प्रबंधक (जिला युनियन) को दिनांक-15.02.2013 के प्रेशित पत्र की प्रति प्रदर्ष आर-1 व उक्त पत्र दिनांक-08.03.2013 की डाक से बीमा कम्पनी द्वारा भेजे जाने बाबद, पोस्टल रसीद की प्रति प्रदर्ष आर-2 पेष हुर्इ है, जो कि-प्रदर्ष आर-1 से यह स्पश्ट है कि-मात्र बैंक की पासबुक की फोटोप्रति की मांग ही परिवादी के प्रकरण में अनावेदक द्वारा किया गया था। और पुन: दिनांक-08.08.2013 को अनावेदक द्वारा, जिला युनियन लघु वनोपज सहकारी संघ को भेजे पत्र की प्रति प्रदर्ष आर-3 से स्पश्ट है कि-बैंक की पासबुक व नेफट हेतु फार्म-1 की ही मांग नोडल अधिकारी, जिला युनियन से की गर्इ थी, इस संबंध मं दिनांक-24.08.2013 के डिस्पेच रजिस्टर की पेष प्रति प्रदर्ष आर-4 की प्रति साधारण डाक से भेजे जाने बाबद पेष की गर्इ है, पर वह किसी अपूर्ण दावा वापसी बाबद लेटर के संबंध में है और परिवादी के केस से उक्त डाक संबंधित होना प्रदर्ष आर-4 से दर्षित नहीं। 
(7)        तब इतना तो स्पश्ट है कि-अनावेदक की ओर से जो भी प्रमाण स्वरूप नोडल एजेन्सी को भेजे पत्रों की प्रतियां पेष की गर्इं हैं, उनमें किसी में मृतक के मर्ग जांच के अंतिम प्रतिवेदन की मांग का कोर्इ उल्लेख नहीं है। और परिवादी की ओर से परिवाद के साथ जो प्रदर्ष सी- 2 से प्रदर्ष सी-7 तक के दस्तावेज पेष किये गये, उसमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदर्ष सी-5, लाष पंचायतनामा की प्रति प्रदर्ष सी-6 व पुलिस अधीक्षक, सिवनी द्वारा परिवादी के पत्र के उत्तर में अंतिम जांच निश्कर्श रिपोर्ट की प्रति प्रदर्ष सी-7 पेष की गर्इ है, उक्त पुलिस अधीक्षक की अंतिम जांच प्रतिवेदन रिपोर्ट प्रदर्ष सी-7, दिनांक-24.11.2012 की है, जिससे स्पश्ट है कि-उक्त जांच रिपोर्ट अन्य दस्तावेज, क्लेम के दावा के साथ भेजते समय भी परिवादी के पास उपलब्ध थी, इसलिये उसने साथ में भेजी थी और इसलिये उक्त अंतिम जांच रिपोर्ट की कोर्इ मांग, अनावेदक बीमा कम्पनी कार्यालय द्वारा कभी भी नोडल अधिकारी से की ही नहीं गर्इ, बलिक परिवादी के बैंक पासबुक की मांग नेफट हेतु की जाती रही है। तो अनावेदक के जवाब में लिया गया यह बचाव कतर्इ सही नहीं है कि-पुलिस के अंतिम अन्वेशण प्रतिवेदन की प्रति प्राप्त नहीं हुर्इ थी। और उसके आभाव में क्लेम लमिबत रहा। और बचाव का यह आधार भी सही होना दर्षित नहीं है कि-प्रदर्ष सी-7 के पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन की प्रति पहली बार इस पीठ के संमंस के साथ प्राप्त होने पर ही उक्त की पूर्ति हुर्इ, इसलिए क्लेम राषि का भुगतान इस पीठ के समक्ष किया जा सका। जबकि-वास्तव में पुलिस अधीक्षक के उक्त प्रतिवेदन की प्रति प्रदर्ष सी-7 दावा क्लेम के साथ ही अनावेदक को प्राप्त हो जाना और इसलिए उसकी कभी मांग न किया जाना स्पश्ट है।
(8)        प्रदर्ष आर-3 के पत्र दिनांक-08.08.2013 की अनावेदक द्वारा पेष प्रति से यह भी स्पश्ट है कि-पूर्व में मार्च-2013 में भेजे पत्र प्रदर्ष आर-1 में फार्म-1 एफ0एस0एल0 की मांग नहीं की गर्इ थी और ऐसी मांग अगस्त-2013 के प्रदर्ष आर-3 के पत्र में नोडल अधिकारी से किये जाने का उल्लेख है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदर्ष सी-5 में क्योंकि डाक्टर द्वारा सर्पदंष से मृत्यु की संभावना व्यक्त करते हुये, केमिकल व टाकिसको लाजिकल परीक्षण से सम्पुशिट किये जाने की राय दी थी, तो ऐसा केमिकल परीक्षण कराया जाना है या नहीं, यह अन्य साक्ष्य को विचार में लेने के बाद जांचकत्र्ता पुलिस अधिकारी के विवेकाअधिकार की विशय-वस्तु रहा है, जो कि-जांच में लिये गये साक्ष्य में बिस्तर में सांप को देखे जाने और मारे जाने की साक्ष्य के आधार पर कोर्इ षक-संदेह नहीं पाया गया, यह प्रदर्ष सी-7 की पुलिस अधीक्षक की जांच रिपोर्ट से दर्षित रहा है, तब प्रदर्ष सी-7 की उक्त पुलिस अधीक्षक का प्रतिवेदन परिवादी के दावा के साथ ही रिकार्ड पर रहे होने के बावजूद, एफ0एस0एल0 की जांच रिपोर्ट की मांग बीमा कम्पनी द्वारा किया जाना सर्वथा ही अनावष्यक रहा है और परिवादी द्वारा यह परिवाद पेष करने के पष्चात प्रदर्ष सी-7 के पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन के आधार पर ही, क्लेम का भुगतान भी कर दिया गया। तो स्पश्ट है कि-अनावेदक-पक्ष के द्वारा, परिवादी के क्लेम का निराकरण व भुगतान करने में किसी पर्याप्त कारण के बिना अनुचित विलम्ब किया गया है। और इस तरह परिवादी के प्रति-सेवा में कमी की गर्इ है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(9)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
        (अ)    अनावेदक के द्वारा, परिवादी के क्लेम भुगतान में जो 
            लगभग 8-9 माह का अनुचित विलम्ब किया गया, उक्त
            की गर्इ सेवा में कमी हेतु अनावेदक बीमा कम्पनी,                 परिवादी को 1,000-रूपये (एक हजार रूपये) हर्जाना             अदा करे।
        (ब)    अनावेदक स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और
            परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में 1,000-रूपये             अदा करे।
        (स)    उक्त अदायगी आदेष दिनांक से तीन माह की अवधि के
            अंदर की जावे।    
   मैं सहमत हूँ।                              मेरे द्वारा लिखवाया गया।         

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
      सदस्य                                                     अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी  

                        (म0प्र0)                                        (म0प्र0)

                        

 

 

 

        
            

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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