(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या- 63/2021
(जिला उपभोक्ता आयोग, भदोही द्वारा परिवाद संख्या- 04/2019 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-12-2020 के विरूद्ध)
सुचिता शुक्ला पुत्री स्व० रमाशंकर शुक्ला, उम्र लगभग 27 वर्ष, निवासी- तिवारीपुर पोस्ट भवानीपुर जिला भदोही।
.अपीलार्थी
बनाम
ब्रांच मैनेजर, लाइफ इंश्योंरेश कारपोरेशन आफ इण्डिया, ब्रांच आफिस ज्ञानपुर, जिला भदोही।
प्रत्यर्थी
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री मनीष निगम
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता सुश्री रेहाना खान
दिनांक- 11.01.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी, सुचिता शुक्ला द्वारा विद्वान जिला आयोग, भदोही द्वारा परिवाद संख्या- 04/2019 सुचिता शुक्ला बनाम शाखा प्रबन्धक, भारतीय जीवन बीमा निगम, शाखा भदोही में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक- 31-12-2020 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।
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वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पिता स्व० रमाशंकर शुक्ला द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से विवाह बन्दोबस्ती पालिसी संख्या– 281304844 बीमित धनराशि 50,000/-रू० की ज्ञानपुर शाखा भदोही से ली गयी। परिवादिनी के पिता की मृत्यु दिनांक- 07-11-1997 को हो गयी। उक्त पालिसी की नामिनी परिवादिनी की माता थीं और परिवादिनी नाबालिग नामिनी थी। बीमा धारक की मृत्यु के पश्चात परिवादिनी की माता को उपरोक्त पालिसी के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी नहीं थी और जानकारी के अभाव में पालिसी भुगतान हेतु बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गयी। पालिसी का भुगतान मार्च 2011 में होना था। परिवादिनी की माता का भी देहान्त दिनांक 21-09-2015 को हो गया। जब परिवादिनी के भाई को उपरोक्त पालिसी के सम्बन्ध में जानकारी हुयी तो उसने बीमा क्लेम बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया जिसे बीमा कम्पनी द्वारा कालबाधित मानते हुए खारिज कर दिया गया। अत: परिवादिनी द्वारा परिवाद जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
जिला आयोग के सम्मुख विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करते हुए परिवादिनी द्वारा कहे गये विभिन्न कथनों को अस्वीकार किया गया है। विपक्षी द्वारा कथन किया गया है कि परिवादिनी का दावा कालबाधित होने के कारण अस्वीकार किया गया है। बीमा कम्पनी द्वारा यह भी कथन किया गया कि परिवादिनी ने पालिसी क्रय करने की तिथि एवं अंतिम भुगतान की तिथि जानबूझकर परिवाद में अंकित नहीं किया है। बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
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जिला आयोग द्वारा उभय-पक्ष के अभिकथनों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्त परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद खारिज किया गया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मनीष निगम उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता सुश्री रेहाना खान उपस्थित हुयीं। उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्ताद्व्य को विस्तार से सुना गया।
अपीलार्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि बीमा कम्पनी द्वारा गलत आधार पर बीमा क्लेम निरस्त किया गया है। बीमा धारक के नामिनी को प्रश्नगत पालिसी के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी नहीं थी जिसके अभाव में वह समय से बीमा क्लेम, बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर सकीं। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध है। अत: जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त करते हुए प्रस्तुत अपील स्वीकार की जावे।
प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला आयोग ने समस्त प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्त परिवाद निरस्त किया है जो उचित है। परिवादिनी का बीमा क्लेम कालबाधित होने के कारण निरस्त किया गया है।
पीठ द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्ताद्व्य के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक रूप से परीक्षण एवं परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि विद्वान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों एवं साक्ष्यों का भली-भांति परिशीलन किये बिना ही विधि विरूद्ध निर्णय पारित किया गया है। जिला आयोग ने इस तथ्य पर विचार
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नहीं किया कि बीमा कम्पनी द्वारा अपनी सेवाओं का उचित ढंग से निर्वहन नहीं किया गया है। यदि बीमा धारक के नामिनी को पालिसी से संबंधित तथ्यों की पूर्ण जानकारी नहीं थी तो उस स्थिति में बीमा कम्पनी को उनकी सहायता करते हुए पूर्ण जानकारी प्रदान करते हुए अपने दायित्वों का उचित ढंग से निर्वहन करना चाहिए था एवं जो बीमा क्लेम देय था उसे प्रदान किया जाना चाहिए था परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा ऐसा नहीं किया गया है जिसे विपक्षी बीमा कम्पनी की सेवा में कमी माना जाएगा।
उपरोक्त समस्त तथ्यों एवं परिस्थतियों को दृष्टिगत रखते हुए हम इस मत के हैं कि जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त करते हुए अपीलार्थी/परिवादिनी को बीमा क्लेम की धनराशि परिवाद प्रस्तुत किये जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 08 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण वार्षिक ब्याज सहित अदा किये जाने हेतु आदेशित किया जाता है तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त करते हुए विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वे अपीलार्थी/परिवादिनी को बीमा क्लेम की धनराशि परिवाद प्रस्तुत किये जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 08 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से अदा करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 1