Uttar Pradesh

StateCommission

A/547/2021

Smt. Chanda Verma - Complainant(s)

Versus

Life Insurance Corporation of India - Opp.Party(s)

Jai Prakash Singh & Sanjay Kumar Verma

03 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/547/2021
( Date of Filing : 27 Oct 2021 )
(Arisen out of Order Dated 24/07/2021 in Case No. C/2014/451 of District Varanasi)
 
1. Smt. Chanda Verma
W/o Late Deenanath Patel R/o Vill. And Post Sarauni Dist. Varanasi
...........Appellant(s)
Versus
1. Life Insurance Corporation of India
Branch Maduwadeeh Bazar Varanasi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Nov 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष्‍ा आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-547/2021

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या-451/2014 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.07.2021 के विरूद्ध)

 

श्रीमती चन्‍दा वर्मा पत्‍नी स्‍व0 दीनानाथ पटेल, निवासिनी ग्राम व पोस्‍ट-सरौनी, जनपद-वाराणसी।

अपीलार्थी/परिवादिनी

बनाम

1.    वरिष्‍ठ मण्‍डल प्रबन्‍धक, भारतीय जीवन बीमा निगम, शाखा-मण्‍डुवाडीह बाजार, वाराणसी-221103 ।

2.    वरिष्‍ठ मण्‍डल प्रबन्‍धक, मण्‍डल कार्यालय, जीवन प्रकाश पो0बा0 नं0-1155 बी-12/120, गौरीगंज, भेलूपुर, वाराणसी-221101 ।

3.  क्षेत्रीय प्रबन्‍धक, भारतीय जीवन बीमा निगम, क्षेत्रीय कार्यालय 16/275, महात्‍मा गांधी रोड, कानपुर-208001 । 

                                     प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-                                                   

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित       : श्री संजय कुमार वर्मा।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित      : कोई नहीं।

 

दिनांक : 03.11.2022 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

           परिवाद संख्‍या-451/2014, श्रीमती चन्‍दा वर्मा बनाम वरिष्‍ठ शाखा प्रबन्‍धक, भारतीय जीवन बीमा निगम तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.07.2021 के विरूद्ध यह अपील परिवादिनी द्वारा योजित की गई है।          इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को संयुक्‍तत: व पृथक्‍तत: आदेशित किया  है  कि  वे  परिवादिनी को बीमित धनराशि अंकन 03 लाख रूपये का

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भुगतान 30 दिन की अविध में करना सुनिश्‍चित करें। ऐसा न करने पर 07 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्‍याज भी देय होगा। इसके अतिरिक्‍त अंकन 2,000/- रूपये परिवाद व्‍यय भी अदा करने हेतु आदेशित किया गया।

           परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्‍व0 दीना नाथ पटेल ने एक बीमा पालिसी संख्‍या-288369668 विपक्षीगण से दिनांक 28.02.2012 को प्राप्‍त की थी, जिसका बीमा धन अंकन 03 लाख रूपये एवं बीमा अवधि 19 वर्ष निर्धारित थी। उक्‍त पालिसी में परिवादिनी के पुत्र श्री विशाल कुमार को नामिनी बनाया गया था, जो अभी नाबालिग है। अत: परिवादिनी ही उसकी वैधानिक संरक्षक व अपने मृतक पति का मृत्‍यु हित लाभ पाने की वैध‍ानिक हकदार है। परिवादिनी के पति का निधन दिनांक 04.06.2013 को अचानक पेट में दर्द होने से हो गया। परिवादिनी ने बीमा दावा विपक्षीगण के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया, किंतु विपक्षीगण ने उक्‍त बीमा दावे को दिनांक 28.10.2013 को निरस्‍त कर दिया। परिवादिनी के पति का जीवन बीमा, उपरोक्‍त बीमा के अतिरिक्‍त पूर्व में भारतीय जीवन बीमा निगम की इसी शाखा द्वारा बीमा पालिसी संख्‍या-282154192 के अन्‍तर्गत मृत्‍यु हित लाभ परिवादिनी को दिया गया है। इस प्रकार परिवादिनी द्वारा उपरोक्‍त आधार पर विपक्षीगण बीमा निगम की सेवा में कमी के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

           विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत करते हुए परिवाद का खण्‍डन किया गया और कथन किया गया कि परिवादिनी के मृतक पति द्वारा प्रथम बीमा पालिसी संख्‍या-282154192 वर्ष 2000 में ली गई थी, जिसमें 12 वर्ष से अधिक प्रीमियम जमा था। उक्‍त पालिसी अर्ली क्‍लेम के दायरे से बाहर थी। अत: प्रथम बीमा पालिसी का भुगतान नियमानुसार कर दिया गया, इसका कोई विवाद नहीं है। परिवादिनी के मृतक पति को द्वितीय बीमा पालिसी संख्‍या-288369668 दिनांक 28.02.2012 को जारी की गई। उक्‍त  बीमा  पालिसी  लेते  समय  बीमा प्रस्‍ताव में बीमाधारक द्वारा अपने

-3-

स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में सही तथ्‍य नहीं बताए गए और स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में असत्‍य कथन किए गए। यह भी कथन किया गया कि बीमाधारक की मृत्‍यु उक्‍त बीमा पालिसी जारी होने की तिथि से 11 माह 23 दिन में यानि दिनांक 04.06.2013 को हो गई। उक्‍त बीमा पालिसी अर्ली क्‍लेम के अन्‍तर्गत है। बीमा निगम द्वारा अर्ली क्‍लेम दावे की जाचं कराई गई और बीमित के स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी असत्‍य कथन के कारण सही व वैध प्रकार से बीमा दावा दिनांक 28.10.2013 को निरस्‍त कर दिया गया।

           उभय पक्ष के अभिवचनों पर विचार करने के उपरांत विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उपरोक्‍त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।

           प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश से व्‍यथित होकर यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश के माध्‍यम से विपक्षीगण को संयुक्‍त तथा पृथक रूप से ओदशित किया गया है कि वह परिवादिनी को बीमा धनराशि अंकन 03 लाख रूपये का भुगतान 30 दिन के अन्‍दर करें, ऐसा न करने पर उक्‍त अवधि के पश्‍चात संयुक्‍त एवं पृथक रूप से परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्‍याज अदा करने के लिए उत्‍तरदायी होंगे, इसके अतिरिक्‍त अंकन 02 हजार रूपये वाद व्‍यय भी दिलाए जाने का आदेश पारित किया गया है। अपीलार्थी का कथन है कि वाद व्‍यय अंकन 02 हजार रूपये बहुत कम है तथा ब्‍याज दर 07 प्रतिशत भी परिवाद की विषय-वस्‍तु के आधार पर बहुत कम है। वाद व्‍यय अंकन 07 हजार रूपये, आर्थिक एवं मानसिक क्षति अंकन 15 हजार रूपये दिलवाए जाने और ब्‍याज की दर 18 प्रतिशत दिलवाए जाने की प्रार्थना के साथ यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। 

           अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्‍यर्थीगण को पंजीकृत डाक  के  माध्‍यम  से नोटिस प्रेषित की गई, जो कार्यालय आख्‍या के अनुसार

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आज दिनांक तक वापस प्राप्‍त नहीं हुई है। अत: प्रत्‍यर्थीगण पर नोटिस की तामीली की उपधारणा की जाती है। केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

           हमारे द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

           अपील मुख्‍य रूप से वाद व्‍यय की धनराशि एवं ब्‍याज की दर बढ़ाए जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत की गई है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उचित प्रकार से वाद व्‍यय दर्शाते हुए अंकन 02 हजार रूपये प्रदान किए हैं, जो पीठ की दृष्टि में उचित प्रतीत होते हैं।

           अपीलार्थी द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा दी गई ब्‍याज की दर 07 प्रतिशत को बहुत कम बताते हुए 18 प्रतिशत की दर से  दिलाए जाने की प्रार्थना की गई है, इस संबंध में ब्‍याज अधिनियम, 1978 की धारा 3 उल्‍लेखनीय है, जिसमें यह दिया गया है कि किसी न्‍यायालय के समक्ष क्षतिपूर्ति अथवा ऋण की वसूली में जो ब्‍याज प्रदान किया जाता है, वह कियी न्‍यायालय द्वारा ''प्रचलित ब्‍याज की दर'' से अधिक नहीं दिया जा जाएगा।

           प्रचलित ब्‍याज की दर, इसी अधिनियम की धारा 2 बी में इस प्रकार दर्शाई गई है कि प्रचलित ब्‍याज की दर से तात्‍पर्य वह है, जो शेड्यूल बैंक द्वारा ''रिजर्व बैंक आफ इंडिया'' द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार बैंकिंग रेगूलेशन अधिनियम, 1949 के अन्‍तर्गत बीमा धनर‍ाशि पर अधिकतम दिया जाता है। उपरोक्‍त अधिनियम की धारा 2 ए में शब्‍द न्‍यायालय में सभी ट्रिब्‍यूनल तथा आर्बीट्रेशन को भी सम्मिलित किया गया है। इस प्रकार उपभोक्‍ता संरक्षण फोरम भी ब्‍याज अधिनियम, 1978 के अनुसार न्‍यायालय की श्रेणी में आएगा, जिसके द्वारा अधिकतम ब्‍याज की दर वर्तमान में रिजर्व

 

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बैंक आफ इंडिया की सावधि जमा की अधिकतम ब्‍याज की धनराशि ही प्रदान की जा सकती है।

रिजर्व बैंक आफ इंडिया की वेबसाइट WWW.RBI.OR.IN के अनुसार वर्तमान प्रचलित ब्‍याज की दर 6.15 प्रतिशत 30 सितम्‍बर 2022 को दर्शाई गई है, जिसके अनुसार ब्‍याज अधिनियम, 1978 के प्रकाश में 07 प्रतिशत ब्‍याज की दर युक्तियुक्‍त एवं उचित प्रतीत होती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उचित प्रकार से 07 प्रतिशत ब्‍याज की दर बीमा की धनराशि पर दिलाई गई है, जिसमें हस्‍तक्षेप करने का कोई अवसर व आधार प्रतीत नहीं होता है।

अपीलार्थी द्वारा ब्‍याज के साथ-साथ अन्‍य क्षतिपूर्ति‍ भी मांगी गई है, चूंकि बीमा की धनराशि पर एक उचित ब्‍याज की दर प्रदान की जा रही है। अत: पृथक से क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में कोई त्रुटि नहीं पायी जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा दिए गए निष्‍कर्ष एवं निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई अवसर व आधार प्रतीत नहीं होता है। अपील तदनुसार निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.07.2021 पुष्‍ट किया जाता है।           उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

                     

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                         (विकास सक्‍सेना)

         अध्‍यक्ष                                    सदस्‍य

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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