Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/108/2013

Ram Dular Rai - Complainant(s)

Versus

Life Insurance Corporation Of India - Opp.Party(s)

Shri Kripa Shankar Singh, Shri Munna Lal

26 May 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/108/2013
 
1. Ram Dular Rai
S/O Late Rajdeep Rai, Mohalla & Post- Marqeenganj, City- Ghazipur, District- Ghazipur
...........Complainant(s)
Versus
1. Life Insurance Corporation Of India
Branch Office- Shubhra Complex, Mahuabagh, City- Ghazipur, District- Ghazipur Through Its Chief Branch Manager
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES HONOURABLE MR Ramesh Chandra Mishra PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Paramsheela MEMBER
 HON'BLE MR. Manoj Kumar MEMBER
 
For the Complainant:Shri Kripa Shankar Singh, Shri Munna Lal, Advocate
For the Opp. Party: Shri Murli Manohar Sinha, Advocate
ORDER

परिवादी ने विपक्षी से अपने जीवन पर दि0 30-11-07 को एक मार्केट प्‍लस बीमा पालिसी नम्‍बर- 285415060 लिया था जिसके बावत प्रीमियम रू0 1,44,000 का भुगतान किया था। उपरोक्‍त बीमा पालिसी की परिपक्‍वता तिथि दि0 30-11-12 रही। बीमा पालिसी के प्राविधान के अनुसार परिपक्‍वता के पूर्व विपक्षी बीमा कम्‍पनी का दायित्‍व बनता था कि वह पालिसी की परिपक्‍वता धनराशि का भुगतान  बीमाधारी की राय पर करता। उपरोक्‍त पालिसी की परिपक्‍वता तिथि दि0 30-11-12 के पूर्व बीमा कम्‍पनी ने बीमाधरी का कोई आपिनियन नहीं मॉगा जिसके कारण बीमाधारी विध वैल्‍यू के सम्‍बन्‍ध में किसी भी विकल्‍प को प्रस्‍तुत करने के अधिकार से वंचित हो गया जो विपक्षी की घोर लापरवाही है। बीमाधारी परिपक्‍वता तिथि के 15 दिन के बाद विपक्षी के कार्यालय में गया और बीमा धन प्राप्‍त करने का अनुरोध किया तो विपक्षी द्वारा पालिसी बाण्‍ड जमा करने के बाद आने को कहा गया। बीमाधारी एक सप्‍ताह के अन्‍दर विपक्षी के कार्यालय में गया तो पालिसी के मूल प्रपत्र पर अपने लेख में विकल्‍प एफ. (आप्‍शन एफ.)  का पृष्‍ठांकन करते हुए केवल एक तिहाई धनराशि का भुगतान करने और शेष धनराशि को छमाही पेन्‍शन बाण्‍ड में देने की बात कहते हुए मूल बाण्‍ड को वापस कर दिया गया। बीमा पालिसी बाण्‍ड में विकल्‍प एफ. का कोई उल्‍लेख नहीं है। विपक्षी की तरफ से बीमाधारी के बैंक एकाउण्‍ट में एक तिहाई धनराशि रू0 53,313/- दि0 24-12-12 को भेज दिया गया। परिवादी वरिष्‍ठ नागरिक है। उसने अपने बीमार पुत्र मनोज कुमार का इलाज कराने हेतु विपक्षी सं01 के यहॉ दि0 17-01-13 को एक आवेदन पत्र दिया कि उपरोक्‍त बीमा की धनराशि का भुगतान करके पालिसी बंद कर दिया जाय। परिवादी के प्रर्थना पत्र दि0 17-01-13 पर विपक्षी सं01 के अधिकारी की तरफ से शेष धनराशि के भुगतान की अनुशंसा की गयी और भुगतान हेतु बाद में आने को कहा गया। दि0 14-02-13 को परिवादी को सूचित किया गया कि बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत अभ्‍यर्पण देय नहीं है। इस प्रकार से भुगतान से इनकार कर दिया गया। परिवादी एम.ए.एच. इण्‍टर कालेज का सेवा निवृत्‍त अध्‍यापक है और उसे शिक्षा विभाग से  पेन्‍शन प्राप्‍त होती है। राष्‍ट्रीयकृत बैंकों में उसके जमा धन पर 09.5% ब्‍याज मिलती है जबकि विपक्षी के स्‍कीम पर सिर्फ 05% का ब्‍याज मिलता है। उपरोक्‍त कथनों को कहते हुए परिवादी ने उक्‍त पालिसी के परिपक्‍वता तिथि दि0 30-11-12 को निहित विध वैल्‍यू की शेष धनराशि रू0 1,06,427/- का एक मुश्‍त भुगतान परिवादी को कराये जाने की याचना किया है। उपरोक्‍त बीमा पालिसी से सम्‍बन्धित पेन्‍शन योजना को निरस्‍त किया जाय । आर्थिक क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय के रूप में रू0 10,000/- प्राप्‍त करने हेतु यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

 

     विपक्षी को सूचना भेजी गयी। विपक्षी ने अपना जवाब परिवाद शपथ पत्र के साथ प्रस्‍तुत करते हुए कहा है कि एल.आईसी. (आई0आर0डी0ए0) के मुताबिक  मार्केट प्‍लस बीमा पालिसी के तहत पेन्‍शन स्‍कीम ही परिपक्‍वता पर देय है। परिपक्‍वता के पश्‍चात्  कोई भी परिवर्तन विधि के मुताबिक सम्‍भव नहीं है। परिवादी यदि इस सम्‍बन्‍ध में कोई परिवर्तन चाहता है तो छ: माह पूर्व वह अनुरोध कर सकता था लेकिन परिवादी द्वारा ऐसा नहीं किया गया। परिवादी से ऐसे प्रकरण में विकल्‍प मॉगने की भी कोई व्‍यवस्‍था नहीं है। परिवादी का यह  कथन बिल्‍कुल गलत है क्‍योंकि पूर्णावधि के पश्‍चात् पेन्‍शन स्‍कीम होने के कारण पेन्‍शन ही मात्र प्रदान किया जा सकता है और परिवादी के सम्‍बन्ध में नियमानुसार कार्यवाही की जा चुकी है। पेन्‍शन पालिसी होने के कारण पूर्णावधि के पश्‍चात् अभ्‍यपर्ण का कोई प्रश्‍न पैदा नहीं होता जैसा कि भारत सरकार (आई0आर0डी0ए0) का नियम है। परिवादी ने यह परिवाद गैर कानूनी तरीके से धनराशि पाप्‍त करने हेतु प्रस्‍तुत किया है। पेन्‍शन स्‍कीम पर 05%  ब्‍याज दर की गणना की जाती है। उक्‍त व्‍यवस्‍था भारत सरकार के नियमों के अनुसार है। किसी भी प्रकार के अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस के अन्‍तर्गत नहीं है। वाद कारण दि0 30-11-07 को मार्केट प्‍लस पालिसी के तहत हुआ है और पालिसी बाण्‍ड के शर्तों के अधीन कार्यवाही की जाती है। परिवादी दि0 30-11-07 से यदि असन्‍तुष्‍ट है तो उसने प्रश्‍नगत परिवाद वर्ष 2013 में प्रस्‍तुत किया है। इसलिए सी0पी0ए0 नियम की धारा-24-ए के तहत परिवाद काल बाधित है जो खारिज होने योग्‍य है।

 

     पक्षों द्वारा अपने परिवाद पत्र और जवाब परिवाद के समर्थन में प्रपत्र 6ग, 7ग, 11ग, 19ग, 20ग/1 ता 20ग/2 व 21ग, 23ग, 24ग, 25ग/1 लगायत 25ग/2 पत्रावली पर प्रस्‍तुत किये गये हैं।

 

     फेारम द्वारा उभय पक्ष के अधिवक्‍ता गण की बहस सुनी गयी। प‍त्रावली पर उपलब्‍ध कागजातों का अवलोकन और परिशीलन किया गया।

 

     परिवादी का परिवाद पत्र, विपक्षी का जवाब परिवाद समर्थित कागजातों के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी ने मार्केट प्‍लस पालिसी सं0 285415060 लिया था जिसका प्रीमियम रू0 1,44,000/- का भुगतान किया था। उक्‍त पालिसी की मैच्‍योरिटी तिथि दि0 30-11-12 थी। परिवादी को विपक्षी द्वारा एक ति‍हाई धनराशि  रू0 53,313/-  दि0 24-12-12 को भेज दिया गया और बकिया पालिसी की समस्‍त धनराशि मूल प्रपत्र पर अपने लेख में विकल्‍प एफ. का पृष्‍ठांकन करते हुए केवल एक तिहाई धनराशि का भुगतान करने हेतु पेन्‍शन फण्‍ड में देने की बात बताते हुए  मूल बाण्‍ड वापस कर दिया गया। परिवादी वरिष्‍ठ नागरिक है। वह अपने बीमार पुत्र का इलाज कराने के लिए दि0 17-01-13 को आवेदन पत्र दिया कि पालिसी की समस्‍त धनराशि दे दी जाय और पालिसी बन्‍द कर दी जाय लेकिन बीमा कम्‍पनी द्वारा उपरोक्‍त पालिसी से सम्‍बन्धित धन को नहीं दिया गया और विपक्षी ने अपने  जवाब परिवाद में यह कथन किया है कि भारत सरकार के आई.आर.डी.ए. नियम के तहत पेन्‍शन पालिसी का पूर्णावधि के पश्‍चात् अभ्‍यर्पण का कोई प्रश्‍न  हीं उठता है और यह भी कहा है कि परिवाद काल बाधित है जो खण्डित होने योग्‍य है लेकिन  पत्रावली पर कोर्इ ऐसा साक्ष्‍य नहीं प्रस्‍तुत है जिससे यह साबित हो कि परिवादी ने उक्‍त पालिसी से सम्‍बधित कोई प्रार्थना पत्र दिया है जिससे विपक्षी उक्‍त धनराशि को परिवादी के बिना सहमति के रोक लिया हो। पत्रावली पर प्रपत्र 23ग प्रस्‍तुत है जिसमें भुगतान की अनुशंसा की गयी है जो मार्किंग प्रार्थना पत्र पर अंकित किया गया है। परिवादी एक वरिष्‍ठ नागरिक है। उसको वह बकाया धनराशि मिलनी चाहिए। यदि कोई भी व्‍यक्ति बीमा पालिसी लेता है तो वह इस आधार पर बीमा कराता है कि उसको समय पर काम आये और विपक्षी द्वारा परिपक्‍वता अवधि बीत जाने के बाद भी उक्‍त धनराशि को नहीं दिया गया विपक्षी द्वारा यह कहा जाना कि परिवाद काल बाधित है, प्रश्‍नगत पालिसी की परिपक्‍वता अवधि दि0 30-11-12 रही और परिवादी ने दि0 08-05-13 को यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है। अत: परिवाद काल बाधित होने का कोई प्रश्‍न ही पैदा नहीं होता है। विपक्षी द्वारा अपने परिवाद के समर्थन में रिवीजन पेटीशन नं0 2675/13 व रिवीजन पेटीशन नं0 2674/13 नेशनल कमीशन की धारित व्‍यवस्‍था प्रस्‍तुत की गयी है। यहॉ बहुत स्‍पष्‍ट  तथ्‍य यह है कि  परिवादी की पालिसी से सम्‍बन्धित बकाये धन का भुगतान आज तक नहीं हुआ है जैसा कि परिवादी ने प्रार्थना पत्र देकर उक्‍त पालिसी को बन्‍द करने और अपने बीमार बच्‍चे के इलाज हेतु निवेदन किया है जो विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया है जो विपक्षी की सेवा में कमी है। विपक्षी को चाहिए कि पालिसी मैच्‍योर होने के तत्‍काल बाद उसकी समस्‍त धनराशि परिवादी के खाते में या उसके नाम से ( जो कोई व्‍यवस्‍था हो ) अदा कर दे लेकिन विपक्षी द्वारा ऐसा नहीं किया गया जो उसकी सेवा में कमी का द्योतक है। उपरोक्‍तानुसार परिवादी का परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

                             आदेश

 

     परिवादी का परिवाद रू0 500/- वाद व्‍यय के साथ स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह पालिसी सं0 285415060 के प्रीमियम की धनराशि रू0 1,44,000/- में से रू0 53,313/- काट कर अवशेष धनराशि परिवादी को  दो माह के अन्‍दर अदा करे। अवधि बीत जाने पर उक्‍त धनराशि पर आदेश की तिथि से 08 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज देय होगा। शारीरिक, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 2000/- भी विपक्षी परिवादी को उसी अवधि के अन्‍दर अदा करेगा ।

     इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क दी जाय। निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।

 
 
[JUDGES HONOURABLE MR Ramesh Chandra Mishra]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Paramsheela]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Manoj Kumar]
MEMBER

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