( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :1223/2022
राजेन्द्र निगम पुत्र श्रीराम चन्द्र निगम निवासी मकान नं0-119/153 पुराना नम्बर-119/368 नया, ओमनगर दर्शनपुरवा कानपुर नगर।
बनाम
लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन आफ इण्डिया द्वारा डिवीजनल मैनेजर, एल0आई0सी बिल्डिंग, फूलबाग, कानपुर नगर।
दिनांक : 24-05-2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-726/2012 राजेन्द्र निगम बनाम लाइफ इश्योरेंस कार्पोरेशन आफ इण्डिया में जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 01-10-2022 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
विद्धान जिला आयोग ने आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’ तदनुसार परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह निर्णय के 30 दिन के अंदर परिवादी को प्रपोजल की धनराशि रू0 14,880/- जिला आयोग में परिवाद दाखिला के दिनांक 13-12-2012 से भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित अदा करे। पक्षकार वाद व्यय स्वयं वहन करें।’’
विद्धान जिला आयोग ने इस बिन्दु पर गलत निष्कर्ष दिया है कि पक्षकारों के मध्य बीमा की संविदा पूर्ण नहीं हुई क्योंकि स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकी थी। परिवादी ने प्रस्ताव आवेदन तथा स्वास्थ्य चिकित्सा रिपोर्ट
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प्रेषित की थी यह रिपोर्ट स्वयं विपक्षी द्वारा नामित डाक्टर के द्वारा तैयार की गयी थी।, इसलिए दिनांक 01-10-2022 का आदेश अपास्त करते हुए कुल 15,000/-रू0 वापस करने का आदेश पारित करना चाहिए जिस पर प्रचलित ब्याज अदा किया जाना तथा 5,00,000/-रू0 का प्रतिकर भी दिया जाना चाहिए।
अपीलार्थी राजेन्द्र निगम स्वयं उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
यह तथ्य स्थापित है कि परिवादी द्वारा दिनांक 03-03-2011 को 15,000/-रू0 बीमा पालिसी प्राप्त करने हेतु जमा किया था, जो विपक्षी कम्पनी द्वारा आंशिक कटौती के पश्चात 14,880/-रू0 के रूप में वापस कर दिया गया। यह राशि 10 माह तक विपक्षी द्वारा अपने पास रोके रखी गयी। बीमा कम्पनी का यह कथन कि दिनांक 03-08-2011 के पत्र द्वारा परिवादी की पत्नी की बॉयप्सी रिपोर्ट मांगी गयी थी परन्तु यह रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करायी गयी इसलिए बीमा प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया और यह संविदा पूर्ण नहीं हुई इसलिए नियमानुसार कटौती के पश्चात अवशेष धनराशि वापस कर दी गयी।
जिला आयोग का निष्कर्ष इस बिन्दु पर है कि चूंकि पक्षकारों के मध्य संविदा पूर्ण नहीं हुई इसलिए बीमित राशि अदा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता तथा वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित नहीं पाया गया और इसलिए 14,880/-रू0 की राशि पर 07 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करने का आदेश पारित दिया गया है।
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चूंकि पक्षकारों के मध्य बीमा संविदा पूर्ण नहीं हुई है और बीमा संविदा पूर्ण न होने तक जिला आयोग द्वारा या इस आयोग द्वारा कोई दखल नहीं दिया जा सकता है। बीमा संविदा पूर्ण न होने पर परिवादी के अधिकारी बीमा क्लेम के संबंध में उत्पन्न नहीं होते हैं परन्तु चूंकि विपक्षी द्वारा 10 महीने तक धनराशि को अपने पास रोके रखा गया इसलिए 07 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करने का आदेश उचित है, परन्तु चूंकि परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने के लिए बाध्य होना पड़ा है अत: इस मत में अंकन 10,000/-रू0 वाद व्यय के रूप में दिलाये जाने का आदेश दिया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि विपक्षी, परिवादी को अंकन 10,000/- वाद व्यय के रूप में इस निर्णय से तीन माह की अवधि में भुगतान करेगी अन्यथा की स्थिति में उपरोक्त समस्त धनराशि पर 07 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करना होगा। जिला आयोग के निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित किया जावे।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1