Uttar Pradesh

Ghazipur

CC/33/2014

Punwasi Gupta - Complainant(s)

Versus

Life Insurance Corporation of India - Opp.Party(s)

Shri Kripa Shankar Singh & Shri Mukhram

14 Dec 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM GHAZIPUR
COLLECTORATE COMPOUND, DISTRICT- GHAZIPUR
 
Complaint Case No. CC/33/2014
 
1. Punwasi Gupta
S/O Late Jagarnath Village & Post- Sitapatti, Pargana- Karanda, District- Ghazipur
...........Complainant(s)
Versus
1. Life Insurance Corporation of India
Branch Office- Shubhra Complex, Mahuabagh, Ghazipur District- Ghazipur Through Its Branch Manager
2. Income Tax Officer
District- Ghazipur
3. Axis Bank Ltd. Through Its Branch Manager
Branch- Sigra, Post- Sigra
Varanasi
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Paramsheela MEMBER
 HON'BLE MR. Manoj Kumar MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

दिनांक:14-12-2015

       परिवादी ने यह परिवाद इस आशय से योजित किया है कि उसे वित्‍तीय वर्ष 2008-09 तथा वित्‍तीय वर्ष 2009-10 में कटौती की गयी टी0डी0एस0 की धनराशि रू0 23,458/- 10 प्रतिशत ब्‍याज सहित विपक्षी गण से दिलाये जाने के   साथ ही आर्थिक क्षति एवं मानसिक कष्‍ट तथा वाद व्‍यय के रूप में रू0 5000/-  दिलाये जायॅ ।

       परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि वह विपक्षी संख्‍या 01 का अभिकर्ता है और उसका एजेंसी कोड नम्‍बर 00338284 है। विपक्षी सं01 द्वारा संचालित जीवन बीमा पालिसी उसके माध्‍यम से कराई जाती है और उसे जमा की गई प्रीमियम पर नियमानुसार कमीशन का भुगतान किया जाता है। कमीशन की धनराशि से टी0डी0एस0के रूप में  कटौती करने के उपरांत प्रत्‍येक वित्‍तीय वर्ष में टी0डी0एस0  कटौती के प्रमाण पत्र के रूप में उसे फार्म संख्‍या 16-ए उपलब्‍ध कराया जाता है। आयकर विभाग से रिफण्‍ड प्राप्‍त करने हेतु परिवादी ने अपने पैन नम्‍बर ए एच  वी पी जी 6779एल विपक्षी संख्‍या 01 को उपलब्‍ध  करा रखा है जिससे टी0डी0एस0 कटौती की धनराशि आयकर विभाग में जमा करते समय पैन नम्‍बर का उल्‍लेख विपक्षी संख्‍या 01 कर सके और परिवादी नियमानुसार रिफण्‍ड धनराशि प्राप्‍त कर सके। विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा वित्‍तीय वर्ष 2008-09 में रू0 11,801/- तथा वित्‍तीय वर्ष 2009-10 में रू0 16,536/- टी0डी0एस0 के रूप में कटौती की गई। परिवादी ने पैन कार्ड के माध्‍यम से आय कर विभाग में टी0डी0एस0 कटौती की धनराशि के रिफण्ड की स्थिति को देखा, तो ज्ञात हुआ कि वित्‍तीय वर्ष 2008-09 में टी डी एस कटौती की गयी की धनराशि रू0 11,801/- का उल्‍लेख नहीं है, इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2009-10 में टी0डी0एस0 के रूप में कटौती की गयी धनराशि रू016,536/-के सापेक्ष केवल रू0 4879/- का उल्‍लेख है। परिवादी ने विपक्षी सं01 द्वारा टी0डी0एस0 के रूप में कटौती की गयी कुल धनराशि में से  रू04879 कम करके रू0 23,458/- वापस करने के लिए विपक्षी सं02 को  प्रार्थना पत्र दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गयी।  विपक्षी सं02 को दिनांक 16-05-2013 व 06-09-2013 को भी प्रार्थना पत्र दिये, लेकिन समुचित कार्यवाही नहीं की गयी। विपक्षी सं01 द्वारा टी0डी0एस0 के रूप में कटौती की गयी धनराशि विपक्षी सं03 में जमा करायी जानी बतायी गयी है, इसलिए विपक्षी सं03 का दायित्‍व उक्‍त धनराशि विपक्षी सं02 को भेजने का था, लेकिन विपक्षी गण द्वारा रू0 23,458/-रिफण्‍ड करने की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, इसलिए परिवाद योजित किया है। परिवादी ने अपेक्षित न्‍याय शुल्‍क रू0100/- जमा कर दी है ।

 

       विपक्षी सं01 की ओर से अपने लिखित कथन में कहा गया है कि  परिवादी के एजेंसी स्‍टेटस में उसके पैन नम्‍बर का उल्‍लेख है। विपक्षी सं01 ने परिवादी को अपना एजेण्‍ट होना स्‍वीकार किया है। यह भी स्‍वीकार  किया है कि वित्‍तीय  वर्ष 2008-09 में रू011,801/- और वित्‍तीय वर्ष 2009-10 में  रू0 16,536/-  की टी0डी0एस0 के रूप में कटौती की गयी थी। विपक्षी सं01 द्वारा परिवाद पत्र के शेष कथनों को स्‍वीकार नहीं किया गया है और आगे कहा गया है कि विपक्षी सं01 ने सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है। परिवादी ने विपक्षी सं01 को तंग व परेशान करने के लिए उसे पक्षकार बनाया है। परिवादी ने विपक्षी सं01 को आयकर कटौती का विवरण दिया था, उसी कटौती के आधार पर परिवादी ने दिनांक 10-09-2009 को व 21-09-2010 को कार्यालय आयकर अधिकारी गाजीपुर को प्रार्थना पत्र प्राप्‍त कराया था। परिवादी से टी0डी0एस0 के रूप में कटौती की गयी  धनराशि को चालान के माध्‍यम से आयकर विभाग में प्रेषित किया गया था। पैन नम्‍बर का अंकन न होना, आयकर कटौती फीडिंग में त्रुटि का  का द्योतक हो सकता है, जिसका विपक्षी सं01 से कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है।  परिवादी का परिवाद काल बाधित है। परिवादी ने अनावश्‍यक रूप से परिवाद योजित किया है, इसलिए विपक्षी सं01 परिवादी से विशेष हर्जा के रूप में रू0 5000/- पाने का अधिकारी है।

 

       विपक्षी सं02 की ओर से अपने लिखित कथन में परिवाद पत्र के प्रस्‍तर-1,2,3,4,तथा 7 में किये गये कथनों पर कोई टिप्‍पणी नहीं की गयी है। उसने यह स्‍वीकार किया है कि वित्तीय वर्ष 2008-09 में परिवादी से कटौती करके कोई धनराशि जमा करने का उल्‍लेख इण्‍टरनेट पर नहीं है जबकि वित्‍तीय वर्ष 2009-10 में  मात्र रू0 4879/- की कटौती करने का उल्‍लेख है। परिवाद पत्र के शेष कथनों को  विपक्षी सं02 की ओर से स्‍वीकार नहीं किया गया है और आगे कहा गया है कि  विपक्षी सं0 02 आयकर अधिनियम 1961 के प्राविधानों के अनुसार रिफण्‍ड की कार्यवाही करता है। उसकी ओर से आगे कहा गया है कि  वित्‍तीय वर्ष 2008-09 में रू0 11,801/- जमा करने का उल्‍लेख इण्‍टरनेट पर उपलब्‍ध  नहीं है जबकि वित्‍तीय वर्ष 2009-10 में रू016,536/- के सापेक्ष केवल रू04879/- जमा होने का उल्‍लेख इण्‍टरनेट पर है। इण्‍टरनेट पर दर्शित  धनराशि रू0 4879/- और रू0 441/- ब्‍याज सहित कुल धनराशि  रू05320/- परिवादी को भुगतान कर दी गई है। परिवादी विपक्षी सं02 का उपभोक्‍ता नहीं है। उसने मियाद बाहर परिवाद योजित किया है। परिवाद कालबाधित होने के कारण खारिज होने योग्य है। विपक्षी सं02 द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है और न ही असावधानी बरती गई है। परिवादी का परिवाद कल्पना पर आधारित है व खारिज होने योग्य है।

 

   विपक्षी सं03 की ओर से कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है।उसके विरुद्ध एक पक्षीय सुनवाई की गई है।

 

       परिवाद पत्र में किये गये कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र 4ग पस्‍तुत किये हैं और सूची 6ग के जरिये 9 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्ध किये हैं।

 

       विपक्षी सं02 की ओर से अपने लिखित कथन में किये गये कथनों के समर्थन में शपथ पत्र 20ग प्रस्‍तुत किया गया हैं और सूची कागज सं0 29ग के जरिये 2 अभिलेख पत्रावली पर उपलब्‍ध किये गये हैं ।

 

       परिवादी की ओर से लिखित बहस 35ग तथा विपक्षी सं02 की ओर से लिखित बहस 34ग पत्रावली पर उपलबध की गयी है। विपक्षी सं03 की ओर से  न तो कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और न कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गयी है। उसके विरुद्ध एक पक्षीय सुनवाई की गयी।

 

       परिवादी, विपक्षी सं01 तथा विपक्षी सं02 के विद्वान अधिक्‍ता गण को विस्‍तार से सुना गया। उनकी ओर से उपलब्‍ध कराये गये अभिलेखों, शपथ पत्रों तथा उपलब्‍ध करायी गयी लिखित बहस का भलीभॅति परिशीलन किया गया। विपक्षी सं03 की ओर से बहस करने हेतु कोई उपस्थित नहीं आया।

       वर्तमान मामले में यह स्‍वीकृत तथ्‍य है कि परिवादी विपक्षी सं01 का अभिकर्ता है और उसके माध्‍यम से कराई गई बीमा पालिसियों में जमा प्रीमियम की धनराशि पर उसे विपक्षी सं01 द्वारा कमीशन दिया जाता है और यथावश्‍यक कमीशन की धनराशि में से टी डी एस के रूप में कटौती की जाती है। मामले में यह भी स्‍वीकृत तथ्‍य है कि वित्‍तीय वर्ष 2008-09 में परिवादी को देय कमीशन में से विपक्षी सं01 द्वारा टी डी एस के रूप में रू0 11801/- की तथा वित्‍तीय वर्ष 2009-10 में देय कमीशन में से टी डी एस के रूप में रू016536/- की कटौती की गई थी और फार्म संख्‍या16ए जारी किये गये थे। मामले में यह भी स्‍वीकृत तथ्‍य है कि वित्‍तीय वर्ष 2009-10 में से कटौती की गई धनराशि में से विपक्षी सं02 द्वारा रू0 4879/- मय ब्‍याज परिवादी को रिफण्‍ड किये जा चुके हैं और अब केवल रू0 23548/-  बकाया रह गये  हैं।

 

       बहस के दौरान कहा गया है कि परिवादी विपक्षी गण का उपभोक्‍ता नहीं है और यह परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी विपक्षी सं01 का अभिकर्ता है, उसे विपक्षी सं01 का उपभोक्‍ता नहीं कहा जा सकता है। विपक्षी सं01 द्वारा परिवादी को कोई सेवाऍ नहीं दी जा रही हैं। 2007 (3) सी पी आर 29 (एन सी) द रीजनल डायरेक्‍टर बनाम दिनेन्‍द्र नरायन राय मामले में परिवादी को नेशनल सेविंग स्‍कीम के अधीन कमीशन अभिकर्ता नियुक्‍त किया गया था।  मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग ने उपभोक्‍ता अधिनियम 1986 के अधीन परिवादी को उपभोक्‍ता नहीं माना है। उपरोक्‍त मामले में प्रतिपादित सिद्धान्‍त यहॉ पूर्ण रूप से सुसंगत हैं। विपक्षी सं02 आयकर अधिनियम के प्राविधानों के अधीन आयकर की वसूली करता है और अधिनियम के अधीन निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार रिफण्‍ड की कार्यवाही करता है। विपक्षी सं02 द्वारा भी परिवादी को सेवाऍ नहीं दी जा रही हैं, अत: विपक्षी सं02 का भी परिवादी उपभोक्‍ता नहीं है। विपक्षी सं03 का भी परिवादी उपभोक्‍ता स्‍थापित नहीं होता है। अत: विपक्षी गण का न तो परिवादी उपभोक्‍ता है और न विपक्षी गण सेवा प्रदाता हैं।

 

       विपक्षी सं01 व 2 की ओर से यह भी कहा गया है कि यह परिवाद काल बाधित है। उनकी ओर से आगे कहा गया है कि प्रश्‍नगत धनराशि की कटौती वित्‍तीय वर्ष 2008-09 तथा 2009-10 में की गई थी। प्रश्‍नगत धनराशि क्रमश: माह अप्रैल वर्ष 2009 व 2010 में देय हो गई थी। ऐसी दशा में इसे वापस पाने हेतु वाद कारण माह अप्रैल 2009 व माह अप्रैल2010 में उत्‍पन्‍न हो गया था अत: वाद कारण उत्‍पन्‍न होने से दो वर्ष के अन्‍दर परिवाद योजित किया जा सकता था। इस बिन्‍दु पर परिवादी की ओर से कहा गया है कि सूचना का अधिकार अधियिम 2005 के अधीन सूचना मॉंगने पर दिनांक 19-09-2013         को भरतीय जीवन बीमा निगम द्वारा सूचना दी गयी थी। उक्‍त सूचना दिये जाने की दिनांक से दो वर्ष के अन्‍दर  परिवाद योजित कर दिया गया है, अत: काल बाधित नहीं है। सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन सूचना दिये जाने की दिनांक से वाद कारण उत्‍पन्‍न हुआ नहीं माना जा सकता है। टी डी एस के रूप में कटौती की गई धनराशि जिस दिनांक को देय हुई, उसी दिनांक को वाद कारण उत्‍पन्‍न हुआ माना जा सकता है। प्रकट है कि प्रश्‍नगत कटौती की धनराशि क्रमश: माह अप्रैल  2009 व माह अप्रैल 2010 में देय हो गई थी। तत्‍पश्‍चात् दो वर्ष के अन्‍दर परिवाद योजित नहीं किया गया है। अत: परिवाद काल बाधित है।

 

       उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचन से प्रकट है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा2(1))द)के अधीन परिवादी विपक्षी गण का उपभोक्‍ता नहीं है और उसका परिवाद कालबाधित है, ऐसी स्थिति में परिवादी का परिवाद इस फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है और खारिज होने योग्य है।

 

                           आदेश

       परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। मामले  के तथ्‍यों को देखते हुए पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।      

          इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्‍क दी जाय। निर्णय आज खुले न्‍यायालय में, हस्‍ताक्षरित, दिनांकित कर,उद्घोषित किया गया।

 
 
[JUDGES HONOURABLE MR Ram Prakash Verma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Paramsheela]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Manoj Kumar]
MEMBER

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