Rajasthan

Jhunjhunun

428/2013

PATASI DEVI - Complainant(s)

Versus

Life Insurance Corporation of India - Opp.Party(s)

PHOOL CHAND SAINI

28 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 428/2013
 
1. PATASI DEVI
BAGAR
...........Complainant(s)
Versus
1. Life Insurance Corporation of India
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

              जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राज0)
              परिवाद संख्या - 428/13

        समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।     
                2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
                3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

पतासी देवी पत्नी मनीराम भवंरिया जाति जाट निवासी बास बुडाना पोस्ट बुडाना वाया बगड़ तहसील व झुन्झुनू (राज0)                                 - परिवादिया
                        बनाम
भारतीय जीवन बीमा निगम जरिये शाखा प्रबंधक शाखा कार्यालय, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू।                                                   - विपक्षी
        परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 
उपस्थित:-
1.    श्री नेकीराम बुडानिया व श्री फुलचंद सैनी, एडवोकेट-परिवादिया की ओर से।
2.    श्री लाल बहादुर जैन, एडवोकेट -    विपक्षी की ओर से।

                  - निर्णय -              दिनांक 11.03.2015
 परिवादिया ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया जिसे दिनांक      08.08.2013 को संस्थित किया गया।
विद्वान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया पतासी देवी ने दिनांक         09.10.2006 को 1,00,000/-रूपये जमा करवाकर विपक्षी के कार्यालय से पांच वर्ष के लिये मार्केट प्लस टेबल नं0 0181-05 बीमा पालिसी करवाई थी जिसके पालिसी नम्बर 195947056 हैं । इसलिए परिवादिया विपक्षी की उपभोक्ता है। 
 विद्वान अधिवक्ता परिवादिया ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि  परिवादिया को उक्त पालिसी की मेच्यूरिटी पर 1,25,224/-रूपये मिलने थे लेकिन विपक्षी ने परिवादिया को भुगतान न कर उसकी अनुमति के बिना उक्त रूपयांे को पेंषन योजना में डाल दिये, जिससे परिवादिया बीमार होने पर इलाज के लिये भी उक्त पालिसी का भुगतान नहीं ले सकी। परिवादिया द्वारा बार-बार भुगतान हेतु विपक्षी को पत्र दिए जाने पर विपक्षी के पत्र दिनांक 10.01.12 के अनुसार परिवादिया को 1/3 हिस्से के 41,741/-रूपये का भुगतान विपक्षी द्वारा किया गया तथा दिनांक        24.07.2012 को विपक्षी द्वारा परिवादिया को कुल शेष राषि 83,483/-रूपये का भुगतान करना था परन्तु विपक्षी ने 3212/-रूपये की कटौति कर 80271/-रूपये का भुगतान जरिये चैक परिवादिया को कर दिया। जब परिवादिया ने 3212/-रूपये कटौति के बाबत पूछताछ की तो कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया तथा न ही कुल राषि 1,25,224/-रूपये का दिनांक 09.10.2011 से 10.01.2012 तक ब्याज अदा किया, इसलिये विपक्षी सेवा दोष श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्वान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करते हुए विपक्षी से शेष राषि 3212/-रूपये मय ब्याज के दिलाये जाने का निवेदन किया।  
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया द्वारा पालिसी नम्बर 195947056 लिया जाना विवादित नहीं है तथा विपक्षी द्वारा  पत्र दिनांक 10 जनवरी, 2012 के माध्यम से परिवादिया को 1/3 भुगतान किया जाना भी विवादित नहीं है। परिवादिया उक्त पालिसी की शेष राषि की पेंषन नहीं चाहती थी अपितु परिवादिया समर्पण मूल्य प्राप्त करना चाहती थी जिसके एवज में परिवादिया को 80,271/-रूपये समर्पण मूल्य का भुगतान कर दिया गया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा परिवादिया को देय समर्पण राषि का सम्पूर्ण भुगतान नियमानुसार किया जा चुका है।
अन्त में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादिया का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहे हंै कि परिवादिया द्वारा स्वंय के नाम से विपक्षी के यहां से 1,00,000/-रुपये राषि की बीमा पालिसी नम्बर 195947056 ली गई थी। उक्त पालिसी के एवज में परिवादिया को विपक्षी द्वारा 41,741 ़ 80,271 रूपये, कुल 1,22,012/-रूपये का भुगतान किया जा चुका है। 
जहां तक परिवादिया द्वारा विपक्षी के यहां  से उक्त पालिसी मार्केट प्लस टेबिल नम्बर 181 लिये जाने का प्रष्न है, परिवादिया ने विपक्षी से एल.आई.सी की मार्केट प्लस पालिसी पांच वर्ष के लिये करवाई थी, जिसकी भुगतान तिथि 09.10.2011 को नियत थी। परिवादिया को मेच्योरिटी तिथि के अनुसार विपक्षी द्वारा सम्पूर्ण भुगतान किया जाना था लेकिन विपक्षी द्वारा परिवादिया को पालिसी बोण्ड के एवज में 41,741/-रूपये ़ 80,271/-रूपये, कुल 1,22,012/-रूपये का भुगतान ही किया गया है। विपक्षी द्वारा परिवादिया को सम्पूर्ण राषि का भुगतान किये जाने का जो कथन किया है, उसका  कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण  पेष नहीं किया है। पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि विपक्षी द्वारा परिवादिया को शेष राषि का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादिया का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादिया विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमा पालिसी की शेष बकाया राषि 2988/- (अक्षरे रूपये दो हजार नो सौ अट्ठयासी मात्र) प्राप्त करने की अधिकारी है। परिवादिया उक्त राषि पर संस्थित परिवाद पत्र दिनांक      08.08.2013 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।  
पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेगे।
निर्णय आज दिनांक 11.03.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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