राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-५२०/२०२१
(जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्धारा परिवाद सं0-१९२/२०१५ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २३-०७-२०२१ के विरूद्ध)
लाल बहादुर यादव पुत्र रामकरन साकिन मौजा बरवा तप्पा – कूबा परगना देवगॉंव तहसील – लालगंज, जिला आजमगढ़।
........... अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम
१. शाखा प्रबन्धक भा0जी0बी0 निगम, शाखा-२, रेदोपुर, आजमगढ़।
२. मण्डलीय प्रबन्धक, भा0जी0बी0 निगम, मण्डल कार्यालय, गोरखपुर (डी0ओ0) (०२९) प्रतिभा काम्प्लेक्स, जुबली रोड, पी0बी0-२१, गोरखपुर – २७३००१.
…….. प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष :-
१. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
२. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री पारस नाथ तिवारी विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री इसार हुसैन विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- ०३-११-२०२२.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी लाल बहादुर यादव द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्धारा परिवाद सं0-१९२/२०१५, लाल बहादुर यादव बनाम शाखा प्रबन्धक भा0जी0बी0 निगम व एक अन्य में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २३-०७-२०२१ के विरूद्ध योजित की गई है।
उपरोक्त परिवाद विद्वान जिला आयोग के सम्मुख वर्ष २०१५ में योजित किया गया जिसमें अपीलार्थी/विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा दिए गए चेक सं0-४९३१०७ दिनांकित २८-०३-२०१५ कुल धनराशि मु0 २४,३५७/- रू० ऐक्सिस बैंक लि0, आजमगढ़, में अंकित देय धनराशि के सम्बन्ध में विवाद किया गया तथा परिवाद पत्र में
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यह कथन किया गया कि विपक्षी बीमा निगम द्वारा देय कुल धनराशि २९,०६३/- रू० के स्थान पर उपरोक्त उल्लिखित धनराशि का ही चेक प्रदान किया गया।
हमारे द्वारा द्वारा अपलीर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री पारस नाथ तिवारी एवं प्रत्यर्थी भारतीय जीवन बीमा निगम के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों एवं प्रश्नगत निर्णय का परिशीलन व परीक्षण किया गया।
निर्विवादित रूप से परिवाद लगभग ०६ वर्ष पश्चात् अदम पैरवी में निरस्त किया गया तथा जिला फोरम द्वारा स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया कि पूर्व में उभय पक्षकारों के अनुपस्थित रहने के कारण परिवाद स्थगित किया जाता रहा जिससे यह प्रतीत होता है कि परिवादी, परिवाद चलाने का इच्छुक नहीं है।
पत्रावली पर उपलब्ध उपरोक्त चेक की फोटोप्रति से यह तथ्य भी स्पष्ट रूप से पाया गया कि प्रत्यर्थी बीमा निगम द्वारा चेक दिनांक २८-०३-२०१५ को प्राप्त कराया गया था जो परिवादी द्वारा अपने बैंक में जमा कर उपरोक्त प्रदान की गई धनराशि प्राप्त की जानी चाहिए थी, जिसे प्राप्त नहीं किया गया अर्थात् चेक बैंक में जमा नहीं किया गया बल्कि उपरोक्त परिवाद जिला फोरम में दाखिल किया गया जो दिनांक ०६-१०-२०१५ को योजित किया गया अर्थात् चेक में उल्लिखित परिपक्वता अवधि अर्थात् ०३ माह के पश्चात् परिवाद प्रस्तुत किया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी चूँकि एक अशिक्षित व्यक्ति है जिसे अधिवक्ता द्वारा राय देकर परिवाद दाखिल कराया गया परन्तु अधिवक्ता द्वारा यह राय नहीं दी गई कि परिवाद प्रस्तुत किए जाने के साथ बीमा निगम द्वारा जारी चेक को बैंक में जमा कर धनराशि प्राप्त की जावे।
इस न्यायालय के सम्मुख अपीलार्थी लाल बहादुर यादव के विद्वान अधिवक्ता श्री पारस नाथ तिवारी द्वारा उक्त मूल चेक सं0-४९३१०७ दिनांकित २८-०३-२०१५ कुल धनराशि मु0 २४,३५७/- रू० ऐक्सिस बैंक लि0, आजमगढ़ अवलोकनार्थ प्रस्तुत किया गया, जिससे यह तथ्य स्पष्ट पाया गया कि परिवादी को सही राय प्रदान नहीं की गई, जिसके कारण न सिर्फ परिवादी को उपरोक्त चेक में वर्णित धनराशि पर ब्याज का
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नुकसान हुआ वरन् जो धनराशि उसे साड़े सात वर्ष पूर्व प्राप्त होती एवं आज उसकी परिपक्वता को दृष्टिगत रखते हुए उपरोक्त धनराशि लगभग ४०,०००/- रू० से ज्यादा हो गई होती, का भी नुकसान सम्बन्धित अधिवक्ता की गलत राय के कारण हुआ।
उपरोक्त समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। साथ ही न्यायहित में प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा निगम को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त चेक सं0-४९३१०७ दिनांकित २८-०३-२०१५ कुल धनराशि मु0 २४,३५७/- रू० ऐक्सिस बैंक लि0, आजमगढ़ को नवीनीकृत (रीवेलिडेट) करते हुए दो सप्ताह की अवधि में परिवादी को प्राप्त करावें जिससे कि उसमें उल्लिखित धनराशि परिवादी को प्राप्त हो सके।
यह भी आदेशित किया जाता है कि इस निर्णय की प्रति प्रत्यर्थी बीमा निगम की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन द्वारा बीमा निगम को एक सप्ताह की अवधि में प्राप्त कराई जावेगी। अपीलार्थी/परिवादी उक्त मूल चेक दो सप्ताह की अवधि में प्रत्यर्थी बीमा निगम के कार्यालय में शाखा प्रबन्धक को प्राप्त करावेगा। बीमा निगम के अधिवक्ता शाखा प्रबन्धक से ऊपर उल्लिखित आदेश का अनुपालन शत-प्रतिशत रूप से सुनिश्चित करने हेतु आग्रह करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,
कोर्ट नं0-१.