Uttar Pradesh

StateCommission

A/1362/2022

Smt. Durga Mishra - Complainant(s)

Versus

Life Insurance Corporation of India and others - Opp.Party(s)

Shivam Mishra

05 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1362/2022
( Date of Filing : 15 Dec 2022 )
(Arisen out of Order Dated 11/11/2022 in Case No. C/2020/389 of District Lucknow-I)
 
1. Smt. Durga Mishra
W/o Ramesh Chandra Mishra R/o 1/25 Vinamra Khand Gomti Nagar Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Life Insurance Corporation of India and others
Branch Office at Karvi Devangana Marg Karvi Chitrakoot
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Jan 2023
Final Order / Judgement

 ( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या :1362/2022

 

 

श्रीमती दुर्गा मिश्रा, पत्‍नी श्री रमेश चन्‍द्र मिश्रा, आयु लगभग 67 वर्ष, निवासी-1/25, विनम्र खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ।                

 

बनाम्

  1. लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोरेशन आफ इण्डिया, ब्रांच आफिस- कर्वी देवांगना मार्ग, कर्वी, चित्रकूट, उ0प्र0-210205
  2. लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोरेशन आफ इण्डिया,  ब्रांच आफिस सिटी ब्रांच, द्धितीय तल, जीवन भवन-2, नवल किशोर रोड, हजरतगंज, लखनऊ -226001,
  3. लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोरेशन आफ इण्डिया, डिवीजन आफिस जीवन प्रकाश 172/40, एम0जी0 मार्ग, सिविल लाईन्‍स प्रयागराज, उ0प्र0-211001

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

 

समक्ष  :-

     1-मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,       अध्‍यक्ष।

 

     उपस्थिति :

     अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-   श्री शिवम मिश्रा।

     प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित-         कोई नहीं।

 

दिनांक : 05-01-2023

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष  द्वारा उदघोषित निर्णय

     परिवाद संख्‍या-389/2020 श्रीमती दुर्गा मिश्रा बनाम लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोरेशन आफ इण्डिया व अन्‍य  में जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम, लखनऊ

 

-2-

द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 11-11-2022 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गयी है।

     ‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद  निरस्‍त कर दिया है।‘’ 

     विद्धान जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद की परिवादिनी की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा एल0आई0सी0 की एक पालिसी नम्‍बर—310286881 मु0 1,00,000/-रू0 के लिए दिनांक 23-03-1998 को ली गयी थी। परिवादी द्वारा पालिसी की शर्तों के अनुसार 8,000/-रू0 प्रतिवर्ष विपक्षी संख्‍या-1 को दिया गया। परिवादी के आग्रह पर 1,90,000/-रू0 एल0आई0सी0 को ट्रान्‍सफर किया गया। दिनांक 26-06-2018 को विपक्षी संख्‍या-2 ने एक पत्र भेजा जिसमें यह कहा गया कि वह 1,90,000/-रू0 परिवादी के खाते में ट्रान्‍सफर कर देगा। दिनांक 23-03-2018 को पालिसी परिपक्‍व हुई ओर 1,90,000/-रू0 का भुगतान विपक्षी संख्‍या-2 को करना था। विपक्षी द्वारा दिनांक 09-07-2018 को 1,80,000/-रू0 ट्रान्‍सफर किया गया तथा 10,000/-रू0 नहीं भेजा गया, जिसके संबंध में नोटिस दिया गया। परिवादी का कथन है कि 10,000/-रू0 मय ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकारी है।

     विपक्षीगण द्वारा उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया गया कि पालिसी की प्रारम्‍भ तिथि 23-03-1998 तथा परिपक्‍वता तिथि दिनांक 23-03-2018 थी। दिनांक 09-07-2018 को 1,80,000/-रू0 और दिनांक 06-

 

-3-

07-2018 को 32,331/-रू0 जीवन बीमा पालिसी नम्‍बर-310286881 के अन्‍तर्गत देय सम्‍पूर्ण धनराशि का फुल एण्‍ड फाइनल भुगतान नियमानुसार एवं पालिसी की शर्तों के अनुसार परिवाद दाखिल करने के दो वर्ष से अधिक समय के पूर्व ही परिवादिनी के बैंक खाते में किया जा चुका है। परिवादिनी को कुछ भी पाना शेष नहीं है। परिवाद पत्र कालबाधित होने के कारण पोषणीय नहीं है। परिवादिनी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आती है। परिवाद पोषणीय नहीं होने के कारण निरस्‍त होने योग्‍य है। परिवादिनी को परिवाद दायर करने का कोई भी कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है।

     विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों के अवलोकन करने के पश्‍चात अपने निष्‍कर्ष में यह मत व्‍यक्‍त किया है कि विपक्षी द्वारा दिनांक 09-07-2018 को 1,80,000/-रू0 तथा दिनांक 06-07-2018 को 32,331/-रू0 को दिये गये। यह भी तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि 1,90,000/-रू0 परिपक्‍वता धनराशि थी और यह भी तथ्‍य विवाद को विषय नहीं है कि प्रारम्‍भ में 1,80,000/-रू0 अदा किये गये और पहले 32,331/-रू0 दिये गये हैं।

     प्रस्‍तुत प्रकरण उक्‍त 10,000/-रू0 के बकाये के संबंध में प्रस्‍तुत किया गया है। विचारणीय बिन्‍दु है कि अतिरिक्‍त 10,000/-रू0 प्राप्‍त करने की परिवादिनी अधिकारी है या नहीं। विपक्षीगण द्वारा कहा गया कि बीमा की शर्तों के तहत फुल एण्‍ड फाइनल 1,80,000/-रू0 दिनांक 09-07-2018 को तथा दिनांक 06-07-2018 को 32,331/-रू0 खाते में जमा किये गये और वह बिना किसी आपत्ति के प्राप्‍त कर लिये गये है जिसे वह स्‍वीकार करती है।

 

-4-

     दिनांक 29-01-2018 को जीवन बीमा का प्रमाण भी दाखिल किया गया है जिसमें यह उल्लिखित किया गया है कि 1,90,000/-रू0 भुगतान करना है। खाते के परिशीलन से विदित है कि 1,80,000/-रू0 ही जमा किया गया है। जैसा कि अपने खण्‍डन में कहा कि 32,331/-रू0 दिनांक 06-07-2018 को जमा किया। विपक्षी का कथानक है कि फुल एण्‍ड फाइनल सेटेलमेंट में जो धनराशि बची थी 1,80,000/-रू0 का भुगतान किया गया। जिसे unconditionally परिवादिनी द्वारा स्‍वीकार कर लिया गया और उसके खाते में जा चुका है। अत: मेरे विचार से जो भी बीमा की धनराशि बकाया थी उसमें समस्‍त धनराशि परिवादिनी के खाते में दी जा चुकी है।

     अत: यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि 2,12,331/-रू0 का भुगतान किया गया है और विपक्षी का जैसा कथन है कि फुल एण्‍ड फाइनल सेटेलमेंट के आधार पर बोनस सहित दिया गया था। 32,331/-रू0 दिनांक 06-07-2018 को दिया गया है और उसके तीन दिन बाद 1,80,000/-रू0 अदा किया गया है जब कि 1,90,000/-रू0 के भुगतान के संबंध में 1,90,000/-रू0 के भुगतान के संबंध में 1,90,000/-रू0 का एमाउण्‍ट दिया जायेगा वह दिनांक 19-01-2018 का था। चूंकि दिनांक 06-07-2018 को 32,331/-रू0 जमा किया गया है अत: जो बची हुई धनराशि बनती थी वह बीमा कम्‍पनी के हिसाब से 1,80,000/-रू0 ही होती है और फुल और फाइनल सेटेलमेंट के आधार पर 1,80,000/-रू0 अदा किया गया और फुल एण्‍ड फाइनल सेटेलमेंट की धनराशि अदा कर दी गयी है।

 

 

 

 

 

 

-5-

     अत: विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षीगण की सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी न पाते हुए परिवाद निरस्‍त कर दिया गया है।

      अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री शिवम मिश्रा उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध है। अत: अपील

स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

     मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्‍यक अवलोकन किया गया।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध  समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है।

     अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

-6-

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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