Rajasthan

Jaipur-I

CC/504/2012

YAADRAM GURJAR - Complainant(s)

Versus

LIFE INS. COMPANY - Opp.Party(s)

RAJ KUMAR KASANA

16 Jul 2014

ORDER

                                            जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 504/2012
यादराम गुर्जर पुत्र स्व0 श्री रोहिताश गुर्जर, उम्र 18 वर्ष, जाति गुर्जर, निवासी ढाणी गुजराली, तन पाथरेडी, वाया प्रागपुरा, तहसील कोटपूतली, जिला- जयपुर Û
                                              परिवादी
               ं     बनाम

1.    भारतीय जीवन बीमा निगम जरिए प्रबंधक, पता जीवन प्रकाश, भवानी सिंह रोड़, जयपुर Û
2.    भारतीय जीवन बीमा निगम जरिए शाखा प्रबंधक शाखा कोटपूतली, जिला जयपुर Û
              विपक्षी

अधिवक्तागण :-
श्री राजकुमार कसाना - परिवादी
श्री विज्जी अग्रवाल - विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 

                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 20.04.12

                       आदेश     दिनांक: 28.04.2015

परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी के पिता स्वर्गीय रोहिताश गुर्जर ने विपक्षीगण से दिनांक 28.12.2012 को एक एल.आई.सी. जिसका नंबर 197968346 है ली थी । परिवादी का कथन है कि उसके पिता का दिनांक 20.03.2011 को प्रात: 4.30 बजे अपने निवास स्थान पर अचानक सोते समय देहान्त हो गया । परिवादी ने उक्त पाॅलिसी की राशि प्राप्त करने हेतु सम्पूर्ण दस्तावेजात दिनांक 02.06.2011 को विपक्षीगण के यहां पेश कर दिए परन्तु विपक्षीगण ने कई मर्तबा उनके कार्यालय के चक्कर काटने पर भी पाॅलिसी के अन्तर्गत राशि का भुगतान नहीं किया गया । विपक्षी को कानूनी नोटिस दिनांक 09.01.2010 को प्रेषित किया परन्तु उसके बावजूद भी क्लेम राशि अदा नहीं की गई ना ही कानूनी नोटिस का कोई जवाब दिया गया । इस प्रकार अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस अपनाई है तथा सेवादोष कारित किया है । परिवादी ने विपक्षी से बीमा पाॅलिसी की सम्पूर्ण राशि 3,00,000/- रूपए, मानसिक क्षति के 50,000/- रूपए, अपव्यय बाबत 5000/- रूपए, नोटिस फीस के 2200/- रूपए, परिवाद खर्च एवं अधिवक्ता फीस के 11000/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया गया है ।
विपक्षी भारतीय जीवन बीमा की ओर से परिवादी के पिता द्वारा उनसे जीवन बीमा पाॅलिसी लेना स्वीकार किया गया है। विपक्षी का मुख्य रूप से यह कथन है कि परिवादी का पिता पाॅलिसी लेने के पूर्व से ही दिन की बीमारी से पीडि़त था जिसका इलाज चल चुका था इसके बावजूद भी उसने तथ्य छिपातेे हुए पाॅलिसी प्राप्त की जो कि पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंधन है । ऐसी स्थिति में दावा अस्वीकार कर कोई सेवादेाष कारित नहीं किया गया है ना ही परिवादी कोई अनुतोष विपक्षी निगम से प्राप्त करने का अधिकारी है । अत: परिवाद पत्र खारिज किया जावे ।
मंच द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनी गई , प्रस्तुत लिखित तर्को एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया । 
परिवादी के पिता स्व0 रोहिताश गुर्जर का पेशशुदा बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि मृतक ने पाॅलिसी लेने से पूर्व भरे हुए प्रपत्र में मुख्य बिन्दुओं पर झूठी सूचना दी अर्थात उसने यह जाहिर किया कि वह पूर्व से दिल की किसी बीमारी से पीडि़त नहीं है । इसके अलावा वह कभी अस्पताल में भर्ती नहीं रहा और उसके स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी रही है । विपक्षी ने अपने कथनों के समर्थन में शपथ-पत्र प्रस्तुत किए है व जांच कर्ता द्वारा परिवादी के पिता के पड़ोसियों के बयान भी लिए गए हैं । इसके अलावा बीमित के पहले इलाज के प्रपत्र भी प्रस्तुत किए हैं जो इलाज डाॅ0 बलदेवा जो कि हृदय रोग विशेषज्ञ है उनके इलाज के दस्तावेज हैं । परिवादी की ओर से इन चिकित्सीय प्रमाण-पत्रों के खण्डन में ना तो कोई शपथ-पत्र में तथ्य अंकित किए हैं और ना ही कोई दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं जिनसे विपक्षी की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजात की सत्यता पर संदेह हो । विपक्षी की ओर से प्रस्तुत चिकित्सीय प्रमाण-पत्रों  से स्पष्ट है कि परिवादी बीमा पाॅलिसी लेने के पूर्व से ही हुदय रोग से पीडि़त था जिसका इलाज उसने डाॅ0 बलदेवा से प्राप्त किया था और उसकी मृत्यु का करण भी दिल का रोग था । इसके अलावा परिवादी के पिता ने बीमा पाॅलिसी लेते समय बीमा कम्पनी में जो प्रपत्र भरा था उसमें भी उसने अपवनी बीमारी से सम्बन्धित सभी सूचना को छिपाया था और यही जाहिर किया था कि वह कभी किसी भी जटिल रोग से पीडि़त नहीं रहा है बल्कि स्वयं का स्वास्थ्य उसने अच्छा बताया था । इस प्रकार से बीमित व्यक्ति ने गलत तथ्य जाहिर कर के बीमा पाॅलिसी ली थी तथा उसने स्वयं ने यह अण्डरटेकिंग दी थी कि कोई भी सूचना गलत होने पर उसकी पाॅलिसी निरस्त की जा सकती है । इस प्रकार से बीमित व्यक्ति ने गलत सूचना देकर विपक्षी से बीमा पाॅलिसी प्राप्त कर ली और ऐसे तथ्य छिपाए जो कि यदि जाहिर कर दिए जाते तो विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी के पिता को बीमा पाॅलिसी जारी ही नहीं करती ।
परिवादी की ओर से निम्न न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किए गए हैं जिनमें प्रतिपादित कानूनी सिद्धान्त से हम पूर्ण रूप से सहमत है परन्तु वर्तमान मामले के तथ्यों की भिन्नता के कारण उक्त कानूनी सिद्धान्त परिवादी के हक में नहीं पढ़े जा सकते हैं और उनसे कोई सहायता परिवादी को नहीं मिलती है । प्रस्तुत न्यायिक दृष्टांत निम्न है:-
1.  ा (2009) सी पी जे 161 (एन सी) विनिताबेन रेतिलाल फुलबरिए बनाम एल आई सी आॅफ इण्डिया
2. 2011 (2) सी पी आर 89 लाईफ इंश्योरेंस काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया बनाम पुष्पाबाई देवीदास बनसोडे एण्ड अदर्स
3.  2011 (2) सी पी आर 93 म्ंे क्मम छनजंा प्दपिदपजपमे च्अजण् स्जक टमतेने ।दंदक व्ििेमज च्तपदजमते

अत: समस्त विवेचन के आधार पर यही निष्कर्ष निकलता है कि विपक्षी ने परिवादी की ओर से पेश बीमा दावा सही तथ्यों पर अस्वीकार किया है जिसमें कोई सेवादोष नहीं है । परिणामस्वरूप यह परिवाद खारिज किया जाता है । प्रकरण का खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करेंगे ।
निर्णय आज दिनांक  28.04.2015 को लिखाकर सुनाया गया।


( ओ.पी.राजौरिया )                       (राकेश कुमार माथुर)    
     सदस्य                            अध्यक्ष      

 

 

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