Rajasthan

Nagaur

CC/162/2015

Ramniws Jat - Complainant(s)

Versus

LIC of India - Opp.Party(s)

Sh OP Godara

26 May 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/162/2015
 
1. Ramniws Jat
gavliyon ki dhani, Sarnawada,Makrana
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. LIC of India
post no. 66,, jaiput road,bikaner 334001
Bikaner
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh OP Godara, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 162/2015

 

रामनिवास पुत्र श्री हरजीराम, जाति-जाट, निवासी-गवलियों की ढाणी, मु.पो. सरनावडा, तहसील-मकराना, जिला-नागौर (राज.)।                                                                              -परिवादी   

 

बनाम

 

1.            वरिश्ठ मंडल प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम, मंडल कार्यालय, जीवन प्रकाष, पोस्ट बाॅक्स नं. 66, जयपुर रोड, बीकानेर-334001।

2.            वरिश्ठ षाखा प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम, षाखा कार्यालय, मकराना, जिला-नागौर (राज.)।

                                         -अप्रार्थीगण

 

समक्षः

1.            श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।

2.            श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3.            श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री ओ.पी. गोदारा, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री विक्रम जोषी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।

 

  

 अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                           

                        निर्णय                    दिनांक 26.05.2016

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी की पत्नी मंजू देवी ने अपने जीवन काल में दिनांक 28.07.2013 को 2,00,000/- रूपये की एक जीवन बीमा पाॅलिसी संख्या 504066713 प्राप्त की थी। इस दौरान अप्रार्थीगण ने प्रीमियम प्राप्त कर सभी जांचें कर उक्त पाॅलिसी जारी की। पाॅलिसी में परिवादी रामनिवास को नाॅमिनी नियुक्त किया गया। पाॅलिसी जारी होने के बाद परिवादी की पत्नी मंजू देवी अपने जीवन काल में नियमित रूप् से प्रीमियम जमा कराती रही। इस बीच दिनांक 26.11.2014 को समय 8.30 ए.एम. पर परिवादी की पत्नी मंजू देवी की अचानक तबीयत बिगड गई और हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। इसकी सूचना परिवादी ने अप्रार्थीगण को यथासमय दे दी तथा पाॅलिसी में परिवादी नोमिनी होने के कारण उसने अप्रार्थीगण के यहां बीमा दावा पेष किया, जिसे अप्रार्थीगण ने दिनांक 31.03.2015 को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि बीमाधारी द्वारा बीमा कराते समय अपने स्वास्थ्य के सम्बन्ध में सही जानकारी छिपाई है। जबकि बीमा करते समय अप्रार्थीगण ने बीमाधारी मंजू देवी के स्वास्थ्य के बारे में सम्पूर्ण जांच करने, अप्रार्थीगण के अधिवक्ता द्वारा सारे दस्तावेजात की जांच कर पूर्ण संतुश्टि के बाद ही बीमा किया है और उसी अनुसार बीमाधारी समय समय पर प्रीमियम जमा कराती रही है। बीमाधारी मंजू देवी ने स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई जानकारी नहीं छिपाई है, अप्रार्थीगण ने स्वास्थ्य जांच के बाद ही पाॅलिसी जारी की है यदि उसे ऐसी बीमारी होती तो सामने आ जाती। अप्रार्थीगण ने गलत आधार पर उसके बीमा दावे को खारिज किया है। जो कि उनकी सेवा में कमी है। अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार कर अप्रार्थीगण से इस बीमा पाॅलिसी का बीमा धन 2,00,000/- रूपये मय समस्त परिलाभ के 18 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज दर से ब्याज सहित दिलाया जावे। साथ ही परिवाद में अंकितानुसार अन्य अनुतोश भी दिलाये जावे।

 

2.            अप्रार्थीगण ने अपने जवाब मंे बीमाधारी मंजू देवी द्वारा बीमा करवाया जाना एवं बीमा प्रस्ताव में अपने पति को नोमिनी नियुक्त किया जाना स्वीकार करते हुए कहा कि बीमित मंजूदेवी ने बीमा पाॅलिसी के समय स्वास्थ्य सम्बन्धी तथ्यों को छिपाया है। उसने हस्तगत पाॅलिसी में अपने स्वास्थ्य के बारे में तात्विक जानकारी छिपाकर धोखे से बीमा प्राप्त किया है। अप्रार्थीगण का कहना है कि बीमा प्रस्ताव के समय मंजू देवी कैंसर से पीडित थी तथा बीमा प्रस्ताव से पूर्व वह इसके इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती भी रही। इन संपूर्ण तथ्यों को उसने बीमा प्रस्ताव में छिपाया तथा धोखे से बीमा पाॅलिसी प्राप्त की। बीमाधारी मंजू देवी की मृत्यु दिनांक 26.11.2014 को हो गई थी और बीमा धारी की मृत्यु बीमा प्रस्ताव के एक वर्श में होने से प्रकरण की विभागीय जांच करवाई गई और जांच में बीमाधारी के बीमा प्रस्ताव से पूर्व कैंसर रोग से पीडित होने तथा इस बारे में भर्ती रहकर इलाज करवाये जाने की जानकारी प्राप्त हुई। अतः बीमा क्लेम मजबूत आधार के चलते अस्वीकार किया गया। अतः परिवादी के परिवाद को खारिज किया जावे।

 

3.            बहस सुनी गई। परिवादी की ओर से अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही अप्रार्थीगण द्वारा मृत्यु दावा खारिज करने का आदेष प्रदर्ष 1, मृत्यु बाबत् दी गई सूचना प्रदर्ष 2, दावेदार का बयान प्रदर्ष 3, मृतक मंजू देवी का दाह संस्कार का प्रमाण-पत्र प्रदर्ष 4, राषन कार्ड प्रदर्ष 5, बीमा पाॅलिसी प्रदर्ष 6, मृतका मंजू देवी की मृत्यु बाबत घोशणा प्रदर्ष 7, मृत्यु प्रमाण-पत्र प्रदर्ष 8, अभिकर्ता का गोपनीय प्रतिवेदन प्रदर्ष 9, एवं बीमा प्रीमियम अदायगी की रसीदें प्रदर्ष 10 से 14 की फोटो प्रतियां प्रस्तुत की है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि अप्रार्थीगण ने मृतका मंजू देवी का मृत्यु दावा बिना किसी युक्तियुक्त आधार के खारिज किया है। ऐसी स्थिति में परिवाद स्वीकार कर परिवादी को बीमा धन राषि दिलाये जाने के साथ ही हर्जा खर्चा भी दिलाया जावे।

 

4.            उक्त के विपरित अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि मृतका मंजू देवी ने पाॅलिसी कराते समय दिनांक 25.12.2013 को प्रस्ताव फार्म भरते समय तथा दिनांक 28.12.2013 को स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रष्न पूछे जाने के समय अपने स्वास्थ्य के बारे में तात्विक तथ्यों को छिपाते हुए जानबुझकर गलत जवाब दिये, जबकि उस समय मंजू देवी कैंसर रोग से ग्रसित थी तथा दिनांक 30.10.2013 को भगवान महावीर हाॅस्पीटल एवं रिसर्च सेंटर, जयपुर में भर्ती होकर इलाज करवा चुकी थी एवं पुनः दिनांक 18.12.2013 से 20.12.2013 तक इसी अस्पताल में भर्ती होकर कैंसर के निदान हेतु कीमियोथैरेपी ले रही थी लेकिन प्रस्तावक ने इन सभी तथ्यों को छिपाते हुए बीमा पाॅलिसी प्राप्त की। अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि बीमित व्यक्ति की मृत्यु पाॅलिसी जारी करने से एक वर्श के भीतर ही हुई है तथा पाॅलिसीधारक (मृतका) ने प्रस्ताव फार्म भरते समय एवं स्वास्थ्य परीक्षण के समय वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए गलत तथ्य प्रकट किये, ऐसी स्थिति में बीमा अधिनियम की धारा 45 के प्रावधान अनुसार मृत्यु दावा सही रूप से खारिज किया गया।

पाॅलिसी धारक बीमा प्रस्ताव भरने की दिनांक 25.12.2013 से पूर्व ही कैंसर रोग से पीडित थी। ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद मय खर्चा खारिज किया जावे। उन्होंने अपने तर्कों के समर्थन में निम्नलिखित न्याय निर्णय भी पेष किये हैंः-

(1.) 2006 (4) सी.सी.सी. 203 (सुप्रीम कोर्ट) ओरियन्टल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम मुनि      महेष पटेल

(2.) ए.आई.आर. 2008 सुप्रीम कोर्ट 420 पी.जे. चाको बनाम चैयरमेन एल.आई.सी.

(3.) 2009 (2) डब्ल्यू.एल.सी. (सुप्रीम कोर्ट) सतवंत कौर संधु बनाम न्यू इंडिया इंष्योरेंस कम्पनी

(4.) 2008 सी.टी.जे. 705 (सी.पी.) (एन.सी.डी.आर.सी.) एल.आई.सी. आॅफ इंडिया बनाम श्रीमती विजय चैपडा

(5.) 2009 (1) सी.पी.आर. 187 (एन.सी.) एल.आई.सी. आॅफ इंडिया बनाम श्रीमती एम. भवानी

(6.) 2011 डी.एन.जे. (सी.सी.) 62 एल.आई.सी. आॅफ इंडिया बनाम श्रीमती विमला वर्मा

(7.) 2011 एन.सी.जे. 871 (एन.सी.) श्रीमती भंवरी देवी बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम

(8.) 2012 एन.सी.जे. 43 (एन.सी.) एल.आई.सी. आॅफ बनाम श्रीमती षकुंतला देवी

(9.) राज्य उपभोक्ता आयोग, जयपुर द्वारा अपील संख्या 64/07 भारतीय जीवन बीमा निगम बनाम श्रीमती आभा षर्मा वगैरहा में पारित निर्णय दिनांकित 24.08.2007

(10.) राज्य उपभोक्ता आयोग, जयपुर द्वारा अपील संख्या 143/07 एल.आई.सी. आॅफ इंडिया बनाम विद्युत कुमार षर्मा वगैरहा में पारित आदेष दिनांक 31.05.2010

 

5.            पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा दिये गये तर्कों एवं प्रतितर्कों पर मनन कर उनके द्वारा प्रस्तुत उपर्युक्त वर्णित न्याय निर्णयों में माननीय न्यायालयों द्वारा अभिनिर्धारित मत के परिप्रेक्ष्य में पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री के साथ-साथ बहस के दौरान पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा दिये गये तर्कों को देखते हुए यह स्वीकृत स्थिति है कि इस मामले में परिवादी की पत्नी मंजू देवी द्वारा अपने जीवन काल में एक जीवन बीमा पाॅलिसी लेने हेतु दिनांक 25.12.2013 को प्रस्ताव किया गया तथा अप्रार्थी जीवन बीमा निगम की ओर से मंजू देवी के जीवन पर 2,00,000/- रूपये की पाॅलिसी जारी की गई।

पक्षकारान में यह भी स्वीकृत स्थिति है कि पाॅलिसीधारक मंजू देवी की मृत्यु दिनांक 26.11.2014 को हुई, जो कि बीमा पाॅलिसी जारी होने की दिनांक से एक वर्श की अवधि के भीतर हुई है।

  पक्षकारान में इस बिन्दु पर भी कोई विवाद नहीं है कि बीमाधारी मंजू देवी ने प्रस्ताव भरते समय दिनांक 25.12.2013 को स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रष्न पूछे जाने पर यही कथन किया कि उसे कोई बीमारी नहीं रही है एवं उसने कभी भी किसी बीमारी के लिए अस्पताल में भर्ती रहकर ईलाज भी नहीं करवाया है।

  पक्षकारान में इस बिन्दु पर भी कोई विवाद नहीं है कि अप्रार्थीगण द्वारा बीमित व्यक्ति की ओर से परिवादी द्वारा प्रस्तुत मृत्यु दावा इस आधार पर खारिज कर दिया कि पाॅलिसीधारक ने पाॅलिसी कराते समय अपने स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जान बूझकर असत्य कथन किये और सही जानकारी छिपाई गई जबकि पाॅलिसीधारक प्रस्ताव तिथि के पूर्व से ही कैंसर रोग से पीडित थी एवं अस्पताल में भर्ती रहकर लगातार ईलाज भी लिया था।

 

6.            इस मंच के समक्ष निर्णित करने हेतु मुख्य बिन्दु यही है कि, ष्क्या पाॅलिसीधारक मंजू देवी ने पाॅलिसी कराते समय अपने स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जानबूझकर असत्य कथन कर वास्तविक तथ्यों को छिपाया?ष्

इस बिन्दु को साबित करने का पूर्ण भार अप्रार्थी पक्ष पर ही रहा है। अप्रार्थी पक्ष की ओर से इस तथ्य को साबित करने हेतु मुख्य रूप से भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र, जयपुर में मृतका के इलाज हेतु दिनांक 30.10.2013 को पंजीकरण करवाने बाबत् प्रस्तुत आवेदन प्रदर्ष एन ए 3, सामान्य सहमति-पत्र प्रदर्ष एन ए 4, पीडित का रजिस्टेªषन रिकाॅर्ड प्रदर्ष एन ए 5 पेष किये हैं। जिनके अवलोकन पर प्रथम दृश्टया ही स्पश्ट है कि परिवादी की पत्नी मंजू देवी कैंसर रोग से पीडित थी एवं इस बाबत् आवष्यक बायोप्सी जांच के बाद डाॅक्टर ललित मोहन षर्मा की अनुषंशा पर दिनांक 30.10.2013 को भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय, जयपुर में इलाज हेतु भर्ती हुई थी, जहां उसका इलाज हुआ था। लेकिन पाॅलिसीधारक मंजू देवी द्वारा बाद में जीवन बीमा पाॅलिसी हेतु प्रस्ताव फार्म भरते समय एवं इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य परीक्षण के समय स्वास्थ्य सम्बन्धी पूछे गये प्रष्नों का सही उतर न देकर तथ्यों को छिपाया गया। बीमा प्रस्ताव फार्म के काॅलम संख्या 11 अनुसार पूछे गये प्रष्नों का जवाब देते हुए पाॅलिसीधारक ने अपने स्वास्थ्य की स्थिति सामान्यतः अच्छी बताते हुए यही बताया है कि उसे सामान्य जांच, देखभाल या उपचार आदि के लिए किसी अस्पताल में दाखिल नहीं किया गया तथा वह कभी किसी रोग से पीडित नहीं रही। जबकि पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री को देखते हुए स्पश्ट है कि परिवादी की पत्नी मंजू देवी स्वास्थ्य सम्बन्धी पाॅलिसी प्राप्त करने हेतु प्रस्ताव फार्म भरने की दिनांक 25.12.2013 से पूर्व ही कैंसर रोग से पीडित थी, लेकिन उसने स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रष्न पूछे जाने पर जानबूझकर सही तथ्यों को छिपाते हुए गलत उतर दिये।

 

7.            ऐसी स्थिति में यह भी स्पश्ट है कि प्रस्ताव फार्म भरते समय एवं स्वास्थ्य परीक्षण के समय स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रष्न पूछे जाने के समय पाॅलिसीधारक (मृतका) को स्वयं के कैंसर रोग से पीडित होने बाबत् समस्त तथ्यों का ज्ञान था, लेकिन उसके बावजूद मृतका द्वारा उपर्युक्त तथ्यों को जानबूझकर प्रकट न कर छिपाते हुए बीमा पाॅलिसी प्राप्त की गई तथा बीमा पाॅलिसी प्राप्त करने के बाद एक वर्श की अवधि के अंदर ही दिनांक 26.11.2014 को पाॅलिसीधारक मंजू देवी की मृत्यु हो गई। अप्रार्थीगण द्वारा भी बीमा अधिनियम की धारा 45 के प्रावधान अनुसार पाॅलिसीधारक (मृतका) का मृत्यु दावा प्रदर्ष 1 अनुसार इसी आधार पर खारिज किया गया है कि पाॅलिसीधारक ने बीमा हेतु प्रस्ताव के समय एवं स्वास्थ्य परीक्षण के समय अपने स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जानबुझकर असत्य कथन कर सही जानकारी छिपायी, जबकि बीमाधारी प्रस्ताव तिथि 28.12.2013 से पूर्व ब्ंदबमत जवनदहम जैसी गंभीर बीमारी से पीडित होकर इलाजरत थी। ऐसी स्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि अप्रार्थीगण ने पाॅलिसीधारक का मृत्यु दावा खारिज कर किसी प्रकार का सेवा दोश किया हो। परिणामतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।

 

 

आदेश

 

 

8.            परिणामतः परिवादी रामनिवास द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विरूद्ध अप्रार्थीगण खारिज किया जाता है। खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करे।

 

9.            आदेष आज दिनांक 26.05.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

 

 

          ।बलवीर खुडखुडिया।           ।ईष्वर जयपाल।          ।राजलक्ष्मी आचार्य।            सदस्य                     अध्यक्ष                        सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.