जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति नौरती देवी पत्नी श्री सत्यनारायण न्याति, निवासी- डबरेला वाया- फतेहगढ, तहसील- सरवाडा, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थीया
बनाम
भारतीय जीवन बीमा निगम जरिए वरिष्ठ प्रबन्धक, मण्डल कार्यालय, रानाडे मार्ग, अलवर गेट, अजमेर(राजस्थान)-305001
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 146/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थीया
2.श्री मिलिन्द मांतोडकर, अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा निगम
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 28.03.2016
1ण् प्रार्थीया ( जो इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगी) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी भारतीय जीवन बीमा निगम (जो इस परिवाद में आगे चलकर अप्रार्थी बीमा निगम कहलाएगा) के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि उसके पुत्र षिवप्रसाद न्याति ने अप्रार्थी बीमा निगम की नसीराबाद षाखा से परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित 5 बीमा पाॅलिसियां प्राप्त कीं । उसके पुत्र का दिनंाक 7.8.2013 को जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, अजमेर में निधन हो गया। जिसकी सूचना अप्रार्थी बीमा निगम को देते हुए उसने उक्त पांचों बीमा पाॅलिसियों के बीमा क्लेम पेष किए । जिनमें से अप्रार्थी बीमा निगम ने बीमा पाॅलिसी संख्या 181440339 तथा 181608977 का भुगतान उसके पिता को नाॅमिनी होने के आधार पर क्लेम राषि का भुगतान कर दिया । किन्तु ष्षेष अन्य बीमा पाॅलिसियाॅं संख्या क्रमषः 181603524, 181608361 तथा 184318336 की क्लेम राषि अपने पत्र दिनांक 2.7.2014 के द्वारा उसके पुत्र को उसका पति बतलाते हुए इस आधार पर अदा करने से इन्कार कर दिया कि उसके पति ने तीनों बीमा पाॅलिसियां लेते समय अप्रार्थी बीमा निगम से अन्य बीमा पाॅलिसी लेने के तथ्य को छिपाया था । जबकि अप्रार्थी बीमा निगम ने बीमाधारक का बीमा करते समय ऐसी कोई जानकारी या प्रष्न नहीं पूछा था । मात्र प्रस्ताव पत्र पर हस्ताक्षर कराए थे । इस प्रकार अप्रार्थी बीमा निगम ने षेष रही 3 बीमा पाॅलिसियों की बीमा क्लेम राषि अदा नहीं कर सेवा दोष किया है । उपभोक्ता ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में उपभोक्ता ने अपना षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा निगम ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत करते हुए उपभोक्ता के पुत्र श्री षिवप्रसाद न्याती द्वारा परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित 5 बीमा पाॅलिसियाॅं टेबल टर्म 111-30 व 111-20 के तहत लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि उक्त प्लान 111 के अन्तर्गत अधिकतम बीमाधन रू. 3,00,000/- का ही किया जा सकता है । किन्तु बीमाधारक ने बीमापाॅलिसी लेते समय दो बीमा पाॅलिसियाॅं लेने के अतिरिक्त अन्य बीमा पाॅलिसियाॅं लिए जाने के महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाया था । इसलिए अप्रार्थी बीमा निगम ने बीमा पाॅलिसी संख्या 181440339 व बीमा पाॅलिसी संख्या 181608977 क्रमष बीमा क्लेम राषि रू. 2 लाख व 1 लाख का भुगतान बीमा पाॅलिसी में नामित बीमाधारक के पिता श्री सत्य नारायण को कर दिया गया और ष्षेष अन्य बीमा पाॅलिसियों के संबंध में उपर्युक्त महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाए जाने के कारण जरिए पत्र दिनंाक 2.7.2014 के क्लेम खारिज कर दिया गया और ऐसा कर उन्होने कोई सेवा दोष नहीं किया है ।
अपने अतिरिक्त कथन में प्लान 111 के अन्तर्गत सर्कुलर नं.ब्वध्।ब्ज्ध्1540 क्ंजम 27ण्6ण्1994 ंदक ब्वध्।ब्ज्ध् क्ंजम 19ण्7ण्1994 का हवाला देते हुए अधिकतम बीमाधन 3 लाख रूपए तक का किया जा सकना बताया , साथ ही डंजमतपंस थ्ंबज को परिभाषित करते हुए परिवाद सव्यय खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री विजय कुमार जौहरी, प्रबन्धक(विधि एवं आवास) का षपथपत्र पेष किया है ।
3. अप्रार्थी बीमा निगम के विद्वान अधिवक्ता ने सर्वप्रथम यह घोर आपत्ति की है कि बीमाधारक द्वारा बीमा प्रस्ताव प्रपत्र में पूर्व की बीमा पाॅलिसिया लिए जाने के उल्लेख को छिपाया जो ैनचचतमेेपवद व िं डंजमतपंस थ्ंबज (तात्विक तथ्य को छिपाना) है । अपने तर्क के समर्थन में उनकी ओर से त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 967ध्2008 स्प्ब् टे ैउज छममसउ ैींतउं व्तकमत क्ंजम 30.09.2014ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 382ध्2011 स्प्ब् ंदक ।दत टे टपकलं क्मअप - ।दत व्तकमत क्ंजम 16.07.2012 ंदक त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 1327ध्2008 स्प्ब् - ।दत टे ैउज डंलं क्मअप व्तकमत क्ंजम 20.08.2015 पर अवलम्ब लिया है ।
4. उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता ने उक्त तर्को का अपनी पुरजोर दलीलो में खण्डन किया व तर्क प्रस्तुत किया कि प्रस्ताव पत्र में उक्त तथ्य को छिपाया जाना ैनचचतमेेपवद व िं डंजमतपंस थ्ंबज (तात्विक तथ्य को छिपाना) नहीं माना गया है । उन्होने अपने तर्क के समर्थन में प्प् 2006ण्ब्च्श्रण्285 डण्च्ण् ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद ठींहूंद ैपदही टे स्प्ब्ए
प्प्प् 2011ण्ब्च्श्रण्373;छब्द्ध स्प्ब् टे ैींीपकं ठमहनउए प्प्प् 2014ण्ब्च्श्रण्161 न्ण्च्ण् ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद टपरंल च्ंस ैपदही टे स्प्ब्- व्तेण् ।दक प्प्प् 2014ण्ब्च्श्रण्582 ैींतं प्दकपं स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक ंदक ।दत टे त्ंलंदप त्ंउंदपरंदमलनसन पर अवलम्ब लिया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए व पत्रावली का समग्र अवलोकन किया ।
6. विवाद का बिन्दु मात्र यही है कि क्या पूर्व पाॅलियों के संबंध मे प्रस्ताव में सूचना नहीं देना ैनचचतमेेपवद व िं डंजमतपंस थ्ंबज (तात्विक तथ्य को छिपाना) के समकक्ष है । जो विनिष्चय अप्रार्थी बीमा निगम की ओर से प्रस्तुत किए गए है, में पूर्व बीमारी के तथ्य छिपाएं जाने अथवा स्वास्थ्य के आधार को मानते हुए ैनचचतमेेपवद व िं डंजमतपंस थ्ंबज (तात्विक तथ्य को छिपाना)के समकक्ष माना गया है जबकि उपभोक्ता की ओर से जो विनिष्चय प्रस्तुत किया गया है, में यह अभिनिर्धारित किया गया है कि पूर्व की पाॅलिसियों के संबंध में सूचना नहीं देने के आधार पर क्लेम निरस्त नहीं किया जा सकता । ष्षाहिदा बेगम वाले मामले में भी माननीय राष्ट्रीय आयोग ने यह अभिनिर्धारित किया है कि पूर्व की पाॅलिसियों के संबंध में सूचना नहीं देने के आधार पर बीमा निगम का यह तर्क कि प्रस्तावक का मेडिकल परीक्षण करवाया नहीं जा सका था । इस मामले से पूर्व से प्रस्ताव के किसी बीमारी से ग्रसित नहीं होने की कोई साक्ष्य नहीं थी इसलिए इस मामले में क्लेम देय माना गया था ।
7. सर्वाधिक महत्वपूर्ण माननीय राष्ट्रीय आयोग के नवनीतम निर्णय प्प्प् 2014ण्ब्च्श्रण्582 ैींतं प्दकपं स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक ंदक ।दत टे त्ंलंदप त्ंउंदपरंदमलनसन वाले मामले में स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया गया है कि पूर्व बीमा पाॅलिसियों के संबंध में घोषणा नहीं करना आधारभूत तथ्य नहीं है जिस आधार पर क्लेम खारिज किया जा सकता हो । उन्होने यह भी माना है कि बीमित अथवा उसके विधिक प्रतिनिधि को एजेण्ट की गलती के कारण ैनििमत नहीं करने दिया जा सकता है । यहां यह उल्लेखनीय है कि इस निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय के विनिष्चय ैंजूंदज ज्ञंनत ैंदकीन टे छमू प्दकपं ।ेेनतंदबम ब्वण् स्जकए स्प्ब् -।दतण् टे टपकलं क्मअप - ।दतण् प्प्प्;2012द्धब्च्श्र 288;छब्द्ध जो अप्रार्थी बीमा निगम की ओर से प्रस्तुत किए गए में ज्ञवउंस ैींतउंए क्मचंा ैींतउं - ।दत टे स्प्ब् - ।दत प्;2013द्धब्च्श्र 606;छब्द्ध वाले मामलो पर विचार करते हुए इनका आधार लिया जाकर इनमें प्रतिपादित सिद्वान्तों के आधार पर कहा जा सकता है कि पूर्व बीमा पाॅलिसियों के संबंध में जानकारी नहीं देना ैनचचतमेेपवद व िं डंजमतपंस थ्ंबज (तात्विक तथ्य को छिपाना) नहीं है और इस आधार पर क्लेम खारिज नहीं किया जा सकता । फलतः उक्त विवेचन के परिणामस्वरूप उपभोक्ता का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
8. (1) उपभोक्ता अप्रार्थी बीमा निगम से बीमा पाॅलिसी संख्या क्रमषः 181603524, 181608361 तथा 184318336 की क्लेम राषि राषि रू. 1,00,000/-,1,00,000/- एवं 1,00,000/- समस्त परिणामी परिलाभों सहित बीमा क्लेम खारिज करने की दिनांक 02.07.2014 से तादायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(2) उपभोक्ता अप्रार्थी बीमा निगम से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 5000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 2500/- भी प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा निगम उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 28.03.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष