राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-758/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, हाथरस द्धारा परिवाद सं0-29/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.4.2019 के विरूद्ध)
श्रीमती हीरो देवी पत्नी स्व0 शैलेन्द्र कुमार, निवासी ग्राम व पोस्ट खोंडा वाया सहपऊ, जिला हाथरस।
........... अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम
1- भारतीय जीवन बीमा निगम, अलीगढ रोड़ हाथरस द्वारा शाखा प्रबन्धक।
2- भारतीय जीवन बीमा निगम, आई0एन0-53 राधिका बिहार फेस-2, मथुरा प्रथम, जनपद मथुरा द्वारा शाखा प्रबन्धक।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री सुशील कुमार मिश्रा
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : श्री संजय जायसवाल
दिनांक :- 30.10.2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादिनी श्रीमती हीरो देवी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, हाथरस द्वारा परिवाद सं0-29/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.4.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को निरस्त कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया।
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संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के स्व0 पति शैलेन्द्र कुमार द्वारा अपने जीवन काल में प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से एक बीमा पालिसी प्राप्त की गई थी, जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादिनी नामिनी थी एवं प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 20.6.2015 को बीमित अवधि के दौरान एक सड़क दुर्घटना में हो गई, तदोपरांत प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपने पति के शव का पोस्टमार्टम कराया गया एवं बीमा धनराशि दुर्घटना हित लाभ सहित प्राप्त करने हेतु बीमा दावा प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2 के सम्मुख प्रस्तुत किया गया एवं समस्त औपचारिकतायें पूर्ण की गई, परन्तु प्रत्यर्थी/विपक्षी की लापरवाही के कारण प्रत्यर्थी/परिवादिनी को स्वर्गीय पति की दुर्घटना का हित लाभ न देते हुए बीमा की धनराशि लाभांश प्रदान कर दिया गया, जिसके कारण प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा पुन: प्रत्यर्थी/विपक्षी के कार्यालय में प्रत्यावेदन दिया गया, परन्तु प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा उसे निरस्त कर दिया गया। अत्एव प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षीगण से दुर्घटना हित लाभ का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रत्यर्थी/विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र का विरोध किया गया तथा परिवाद पत्र को निरस्त किये जाने की प्रार्थना जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख की गई।
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत की गई है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए यह पाया गया है कि अपीलार्थी/परिवादिनी के स्व0 पति शिलेन्द्र सिंह की मृत्यु दुर्घटना के कारण न होकर स्वाभाविक रूप से हुई है, जिसके कारण अपीलार्थी/परिवादिनी को उसके स्व0 पति की बीमा दुर्घटना हित लाभ के सम्बन्ध में प्रस्तुत दावे को प्रत्यर्थी/बीमा कम्पनी द्वारा निरस्त किया जाना उचित है। यह
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भी उल्लेखनीय है कि बीमाधारक की मृत्यु सिर पर चोट लगने के कारण हुई, जबकि बीमाधारक के पंचनामा एवं पोर्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक/बीमाधारक के शरीर पर मृत्यु से पूर्व किसी चोट का उल्लेख नहीं है एवं मृतक के विसरा में भी कोई विष पाये जाने का उल्लेख नहीं है, जो कि तथ्य को सिद्ध करता है कि बीमाधार की मृत्यु स्वाभाविक है, इसलिए अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य विश्वसनीय नहीं है, उक्त समस्त तथ्यों पर विस्तृत चर्चा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत निर्णय/आदेश में की है तथा परिवाद निरस्त किया गया है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपील स्तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता अपील स्तर पर प्रतीत नहीं हो रही है, अत्एव प्रस्तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1