Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/88/2013

RANN VIJAY - Complainant(s)

Versus

LIC - Opp.Party(s)

UMESH TRIPATHI

10 Oct 2018

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/88/2013
( Date of Filing : 26 Jun 2013 )
 
1. RANN VIJAY
ATRAULIYA AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. LIC
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 10 Oct 2018
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 88 सन् 2013

   प्रस्तुति दिनांक 26.06.2013

निर्णय दिनांक  10.10.2018

रणविजय उम्र तखo 45 पुत्र रामफेर साo- नगवा, पोo- कोठवा जमालपुर, थाना- अतरौलिया, जिला- आजमगढ़।.......................... ..........................................................................................याची।

बनाम

  1. महेश चन्द्र तिवाही उम्र तखo 32 पुत्र रमाशंकर
  2. रमाशंकर तिवारी उम्र तखo 55 पुत्र करमधारी, साकिन- कोठवा, थाना- अहरौला, तहo बूढ़नपुर, जिला- आजमगढ़।
  3. भारतीय जीवन बीमा निगम ब्रान्च ऑफिस फूलपुर द्वारा शाखा प्रबन्धक भाoजीoबीo निगम फूलपुर, आजमगढ़, जिला- आजमगढ़।

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि विपक्षी संख्या 02 उससे बीमा का पैसा लेते थे और प्रीमियम जमा करके उसे रसीद देते थे, लेकिन वे कभी पैसा जमा नहीं करते थे। 08.10.2007 के बाद कोई धनराशि जमा नहीं की गयी। दिसम्बर, 2012 में रमाशंकर तिवारी याची के घर आए और कहे कि गलतीवश सारा पैसा जमा नहीं हो पाया है और कुछ प्रपत्र पर हस्ताक्षर करवाया। इसके बाद परिवादी विपक्षी संख्या 03 के ऑफिस में गया और पता किया तो पता लगा कि 2008 के बाद उसके खाते में कोई पैसा जमा नहीं किया गया है। अतः विपक्षी गण से मुo 1,00,000/- रुपया व बकाया रकम 46,991/- रुपये दिलवाया जाए। परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 7/1 भारतीय जीवन बीमा द्वारा प्रस्तुत बीमा द्वारा दी गयी पॉलिसी की छायाप्रति, 7/2, 7/3, 7/4, 7/5 अन्य प्रलेख हैं। इसके अलावां रसीदें प्रस्तुत की गयी हैं।

विपक्षीगण की ओर से 20क² जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि परिवाद पोषणीय नहीं है। विपक्षीगण अभिकर्ता है। उन्होंने परिवादी से बार-बार किश्त जमा करने हेतु पैसा मांगा, लेकिन उसने नहीं दिया। अतः परिवाद टाइम बार्ड है परिवाद

2

पत्र खारिज किया जाए। समर्थन में शपथ पत्र दिया गया है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “हर्षद जे शाह एवं अन्य बनाम एल.आई.सी.ऑफ इंडिया एवं अन्य” निर्णय दिनांक 04.04.1997 उच्चतम न्यायालय इस न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि किसी भी एल.आई.सी. के अभिकर्ता को एल.आई.सी. की किश्त देने का कोई अधिकार नहीं है। यहाँ इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि परिवादी विपक्षी गण का कन्ज्यूमर नहीं है।

     उपरोक्त विवेचन से मेरे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

     राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

(सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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