Rajasthan

Ajmer

CC/344/2014

PREM DEVI - Complainant(s)

Versus

LIC - Opp.Party(s)

09 Sep 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/344/2014
 
1. PREM DEVI
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. LIC
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 09 Sep 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्रीमति प्रेम देवी पत्नि स्व श्री कालूराम, कौम बैरवा, निवासी- ग्राम पोस्ट अरवड, तहसील- सरवाड, जिला-अजमेर ै 
                                               -           प्रार्थीया

                            बनाम

1. भारतीय  जीवन बीमा निगम जरिए षाखा  प्रबन्धक, केकडी, जिला-अजमेर
2. भारतीय जीवन बीमा निगम जरिए वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक,मण्डल कार्यालय, जीवन प्रकाष रानाडे मार्ग, पी.बी.2, अजमेर । 
3. श्री तेजूमल बैरवा, भारतीय जीवन बीमा निगम(कम्पनी एजेण्ट) ग्राम सूरजपुरा, तहसील- सरवाड, जिला-अजमेर (राज.)
  
                                               -        अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 294/2012
              नया प्रकरण संख्या  344/2014

                            समक्ष
 1. विनय कुमार गोस्वामी      अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
  3. नवीन कुमार              सदस्य
                           उपस्थिति
                  1.श्री रामचन्द वर्मा, प्रतिनिधि, प्रार्थीया
                  2.श्री संजय मंत्री, अधिवक्ता अप्रार्थी सं. 1 व 2 
                  3. श्री राजेन्द्र सिंह, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं.3

                  
                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 05.10.2016
 
1.        माननीय राज्य आयोग के  आदेष दिनांक 31.10.2014 की पालना में  उनके निर्देषानुसार प्रकरण संख्या  294/11 श्रीमति प्रेम देवी बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में उभय पक्षकारान को सुना जाकर यह निर्णय पारित किया जा रहा है । 
2.    परिवाद  के संक्षिप्त तथ्य इस प्रकार है कि प्रार्थिया के पति ने अपने जीवन काल में अप्रार्थी संख्या 3  बीमा एजेण्ट के माध्यम से अप्रार्थी संख्या 1 व 2  बीमा निगम से एक बीमा पाॅलिसी संख्या 185827109 रू. 1 लाख की  त्रैमासिक मासिक प्रीमियम किष्त रू. 5000/- की प्राप्त की ।  जिसकी  प्रीमियम किष्तों का भुगतान  उसके पति द्वारा नियमित  रूप से किया जाता रहा  । उसके पति ने फरवरी से अप्रेल, 2010 की किष्त राषि रू. 5000/- दिनंाक 5.2.210 को अपने पुत्र मोती लाल के साथ भिजवाई ।  उक्त किष्त की राषि मोती लाल ने अपने साथी हरदेव व रतन लाल के साथ व्यक्तिगत रूप से बीमा एजेण्ट तेजूमल बैैरवा को गांव के रतन पुत्र सुवा लाल के समक्ष सम्भलवाई ।
            आगे बताया है कि उसके पति का निधन हो जाने पर उसने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए अप्रार्थी के समक्ष क्लेम पेष किया । तत्पष्चात् अप्रार्थी बीमा निगम ने अपने पत्र दिनंाक 31.3.2011 के द्वारा प्रार्थिया को सूचित किया कि  बीमाधारक श्री कालूराम ने फरवरी, 2010 की तिमाही प्रीमियम  किष्त राषि रू. 5000/- जमा नहीं कराई है । इसलिए उसकी पाॅलिसी कालातीत हो जाने से डैथ क्लेम भुगतान योग्य नहीं है । यह भी कथन किया है कि उसके पति ने जब बीमा पाॅलिसी ली थी तब लिख कर दिया था कि वह किसी भी  रोग से पीड़ित नहीं है। जबकि अप्रार्थी बीमा निगम ने अपने उक्त पत्र में बताया कि उसका पति बीमाधारक वर्ष 2009 से कैंसर रोग से पीड़ित था   तथा उसका इलाज चल रहा था । इस तथ्य को बीमाधारक ने बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय छिपाया था । जबकि वास्तिकता यह है कि प्रार्थिया के पति ने जब बीमा पाॅलिसी करवाई थी तब राजकीय अस्पताल के डाक्टर व बीमा निगम के डाक्टर द्वारा मेडिकल मुआयना किया जाकर उन्हें पूर्णतया स्वस्थ होने की स्थिति में ही उनका बीमा किया गया था व जो घोषणा पर अप्रार्थी बीमा निगम ने उनके हस्ताक्षर करवाए थे , वे मात्र औपचारिकता थी,  क्योंकि प्रार्थिया का पति अनपढ़ था तथा वह यह नहीं जानता था कि उसमें क्या लिखा हुआ है । अप्रार्थी बीमा निगम ने उसके पति को कैंसर रोग से पीड़ित होना बताया है, किन्तु वह यह साबित करने में असफल रहा है कि बीमा पाॅलिसी कराए जाने से पूर्व बीमाधारक  कैंसर रोग से पीड़ित था । अतः पाॅलिसी कराने के समय उक्त रोग जाहिर नहीं किया गया था । प्रार्थिया ने  अप्रार्थी बीमा निगम के उक्त पत्र का दिनंाक 9.7.2011 के पत्र से जवाब देकर  पत्र में दर्षाई गई आपत्तियों को  नए सिरे से खारिज करते हुए उन्हें स्पष्ट कर दिया कि  फरवरी, 10 से  मई, 10 तक की किष्त का भुगतान उनके एजेण्ट श्री तेजूमल बैरवा  को बीमा निगम में राषि जमा कराने हेतु नगद ग्राम सूरजपुरा जाकर उसका पुत्र मोती लाल देकर आया था ।  उस समय उसका पति जीवित था । तेजूमल बैरवा  अप्रार्थी बीमा निगम का एजेण्ट है ।  बीमा एजेण्ट ने प्रीमियम राषि अप्रार्थी के यहां जमा नहीं कराई तो उसके लिए वह जिम्मेदार नहीं है । प्रार्थिया ने अप्रार्थी निगम द्वारा भेजा गया  चैक राषि रू. 32052/- स्वीकार नहीं कर लौटा दिया है । अन्त में बताया है कि बीमा निगम के  बावजूद एतराज व नोटिस दिए जाने के उपरान्त भी  उसे क्लेम राषि अदा नहीं कर सेवा में कमी की है ।  परिवाद स्वीकार कर वांछित अनुतोष मय अनुषागिक लाभ के दिलवाया जावें । 
3.    अप्रार्थी बीमा निगम ने मृतक द्वारा उक्त पाॅलिसी दिनंाक  14.8.2007 को लिया जाना बताया । किन्तु बीमा प्रीमियम जमा नहीं कराने के कारण पाॅलिसी लैप्स होना बताते हुए मृतक बीमाधारक द्वारा बीमा पाॅलिसी दिनंाक 2.6.2010 को पुर्नचलित करवाया जाना बतलाया, क्योंकि मृतक बीमाधारक की मृत्यु दिनंाक 
15.7.2010 को  पुनः बीमा पाॅलिसी लेने के 1 माह 13 दिन  के अन्दर ही हो गई थी । अतः  प्रार्थिया का क्लेम दावा अरली क्लेम की श्रेणी में आने के कारण विस्तृत जांच कराई जाकर ष्षाखा प्रबन्धक को जांच का कार्य सौंपा गया  था। जांच  में बताया गया  है कि  बीमाधारक फेफड़ों के घातक रोग से पीड़ित था।  जिसके लिए उसने  2.10.2009 को जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय अजमेर में  भर्ती होकर इलाज करवाया ।  इसके बाद भगवान महावीर कैंसर हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर,जयपुर में  भर्ती हुआ तथा फेफड़ों के कैन्सर का रोग होने के कारण  कमजोर स्वास्थ्य होने से बाद में  उसकी मृत्यु हो गई । चूंकि पाॅलिसी बीमारी के बाद ली गई थी जिसका उल्लेख बीमाधारक ने जानबूझकर बीमा प्रस्ताव पत्र में नहीं किया था ।  आगे अपने चरणवार जवाब में  इन्हीं तथ्यों का समावेष करते हुए प्रार्थिया को कोई क्लेम देय नहीं होना बताया तथा अप्रार्थी द्वारा पूर्ण विवेक व बिना किसी भेदभाव के क्लेम का निस्तारण करना बताया व बीमा निगम को किसी प्रकार से उत्तरदायी नहीं बताया । 
4.    अप्रार्थी संख्या 3 ने जवाब में  मृतक कालूराम द्वारा पाॅलिसी लिया जाना स्वीकार किया । उसके द्वारा निगम की समस्त ष्षर्तो को मानने  के बाद ही बीमा पाॅलिसी लेना स्वीकार किया गया था । यह भी बताया कि जब भी मृतक द्वारा  उसके पास प्रीमियम राषि जमा कराने हेतु दी जाती थी तो  हाथों हाथ यह राषि बीमा निगम के यहां जमा करवा दी जाती थी । मृतक के पुत्र मोती लाल  द्वारा दिनंाक 5.2.2010 को किसी प्रकार उक्त बीमा पाॅलिसी की प्रीमियम राषि  उसे देना नहीं बताया । अन्य सभी तथ्यों को जानकारी के अभाव में  अस्वीकार किया । 
5.    प्रार्थी की ओर से अपने पक्ष कथन के समर्थन में लिखित बहस प्रस्तुत की गई है व उन्हीं तथ्यों को दर्षाते हुए प्रमुख रूप से  कथन किया है कि पाॅलिसी लिए जाते समय मृतक पूर्णरूप से स्वस्थ था व किसी भी रोग से पीड़ित नहीं था । बीमा निगम द्वारा उसके स्वास्थ्य का पूरी तरह से  जांच किए जाने के बाद ही पाॅलिसी दी गई थी । दिनंाक 5.2.2010 को मृतक द्वारा उसके  पुत्र के माध्यम से बीमा ऐजण्ट तेजूमल बैरवा को किष्त की राषि जमा कराने हेतु  दी गई थी । उक्त राषि तेजूमल  ने अप्रार्थी बीमा निगम  के यहां जमा नहीं कराई थी । यहां यह उल्लेखनीय है कि श्री तेजूमल द्वारा बीमा कराने के लिए मोटीवेट किया गया था । वहीं बीमा निगम की ओर से अधिकृत था । बीमा कराते समय  बीमाधारक को किसी प्रकार का कोई रोग नहीं था उसका मेडिकल परीक्षण भी कराया गया था । 
6.    अप्रार्थी बीमा निगम की ओर से  तर्क प्रस्तुत किया गया है कि  फरवरी, 2010 से मई, 2010 के  मध्य बीमा प्रीमियम का भुगतान नहीं किए जाने के कारण बीमा पाॅलिसी लैप्स हो जोने के बाद उक्त पाॅलिसी पुनर्जीवित  कराई गई थी । तत्समय मृतक द्वारा  प्रस्ताव पत्र में बीमारी का कोई उल्लेख नहीं किया था जबकि वर्ष 2009 मंे इससे पूर्व बीमाधारक कंैसर  जैसे असाध्य रोग से पीडित था । वास्तविक तथ्यों को छिपा कर प्राप्त की गई पाॅलिसी के आधार पर निरस्त किया गया क्लेम सही था । बीमा निगम ने उक्त क्लेम खाारिज करने में कोई विधिक भूल नहीं की है । अपने  तर्को के समर्थन में विनिष्चय  ।प्त् 2008 ैब्ण्424  च्ण्श्रण्ब्ींबाव ंदक ।दत टे स्प्ब्ए 2012 छब्श्र43;छब्द्ध स्प्ब् टे ैउज ैरंानउजंसं क्मअप - ।दतण्ए   त्पअपेपवद च्मजपजपवद छव 211ध्2009  त्मसपंदबम स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक टे डंकींअंबींतलं ए  प्प्प्;2013द्ध ब्च्श्र 360;छब्द्धस्प्ब् टे त्ंकीमल ैींलंउ ज्ञमकपं - व्तेए  2011 छब्श्र 871 ;छब्द्ध ैउज  ठीउूंतप क्मअप टे ठींतंजपलं श्रममअंद ठपउं छपहंउ ए  प्ट;2014द्ध ब्च्श्र 658 ;छब्द्ध स्प्ब् टे छममसंउ ैींतंउं ए     प्ट;2014द्धब्च्श्र 132;छब्द्ध च्ंतउरपज ज्ञंनत टे स्प्ब्ए   प्ट;2014द्धब्च्श्र 139 ;छब्द्ध स्प्ब् ैंदजवेी क्मअप ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 2641ध्2007  स्प्ब् टे ैउज च्तमउसंजं ।हंतूंस   व्तकमत क्ंजमक 12ण्10ण्2011 पेष किए हंै ।  
7.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित सिद्वान्तों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
8.    प्रार्थिया के मृतक पति स्व. श्री कालूराम का  सर्वप्रथम दिनंाक  14.8.2008 को रू. 1 लाख की बीमा पाॅलिसी प्राप्त करना, व इसकी प्रीमियम राषि के क्रम में फरवरी, 2010 से मई, 2010 की किष्त का समय पर  बीमा एजेण्ट के  द्वारा जमा नहीं करवाए जाने पर उक्त बीमा पालिसी के लैप्स हो जाने के बाद पुनःर्चलन करवाया जाना  सिद्व रूप से प्रकट हुआ है । हालांकि  प्रार्थिया ने इस  पुनःर्चलन के तथ्य को अपने परिवाद में उजागर नहीं किया है । चूंकि उक्त पाॅलिसी वर्ष 2.6.10 में पुनःर्चलित हो चुकी थी  अतः बीमा  निगम के एजेण्ट द्वारा किष्तों का जमा नहीं कराया जाना अथवा इस संबंध में उसकी जिम्मेदारी बाबत् विवेचन किए जाने की अब कोई आवष्यकता नहीं है ।  हमें यह देखना है कि क्या प्रार्थिया के पति ने  महत्वपूर्ण तथ्यों को बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय छिपाया था ? स्वीकृत रूप से दिनांक 14.8.2007  को सर्वप्रथम ली गई पाॅलिसी के प्रस्ताव पत्र में मृतक के किसी प्रकार की बीमारी से ग्रसित होने का कोई उल्लेख नहीं है जबकि वर्ष 2010 में पुनःर्चलन के समय भी इस बात का कोई उल्लेख नहीं किया है कि वह किसी प्रकार के गम्भीर रोग या घातक बीमारी से ग्रसित नहीं है । बीमा निगम  के अनुसंधानकर्ता ने प्रार्थिया के मृतक पति का वर्ष 2009 में जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, अजमेर में  कैंसर रोग के इलाज के लिए भर्ती होने व उसके बाद भगवान महावीर कैंसर अस्पताल ,जयपुर में  9.10.2009 को भर्ती होने व फेफड़ों  के कैंसर  का पुराना रोगी होने बाबत् तथ्यों का खुलासा हुआ है ।  इन तथ्यों का प्रार्थिया पक्ष की ओर से कोई खण्डन भी नहीं हुआ है । 
9.    स्वीकृत रूप से बीमाधारक ने पुर्नचलित पाॅलिसी हेतु प्रस्ताव प्रपत्र में इस तथ्य का खुलासा नहीं किया है । इस संबंध में अनपढ़ होना प्रतिवाद के रूप में मान्य नहीं है व इस बीमा प्रस्ताव प्रत्र के भरने से पूर्व  वह वर्ष 2009 में कैन्सर से पीड़ित होकर अजमेर व जयपुर स्थित अस्पतालों में इलाज हेतु भर्ती रहा है, उसने इस तथ्य को छिपाया है ।  2012 छब्श्र43;छब्द्ध स्प्ब् टे ैउज ैरंानउजंसं क्मअप - ।दतण् त्पअपेपवद च्मजपजपवद छव 211ध्2009  त्मसपंदबम स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक टे डंकींअंबींतलं एप्प्प्;2013द्ध ब्च्श्र 360;छब्द्धस्प्ब् टे त्ंकीमल ैींलंउ ज्ञमकपं - व्तेए  2011 छब्श्र 871 ;छब्द्ध ैउज  ठीउूंतप क्मअप टे ठींतंजपलं श्रममअंद ठपउं छपहंउ ए  प्ट;2014द्ध ब्च्श्र 658 ;छब्द्ध स्प्ब् टे छममसंउ ैींतंउं ए  प्ट;2014द्धब्च्श्र 132;छब्द्ध च्ंतउरपज ज्ञंनत टे स्प्ब्ए   प्ट;2014द्धब्च्श्र 139 ;छब्द्ध स्प्ब् ैंदजवेी क्मअप ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 2641ध्2007  स्प्ब् टे ैउज च्तमउसंजं ।हंतूंस   व्तकमत क्ंजमक 12ण्10ण्2011 में इस प्रकार की हूबहू स्थिति को देखते हुए माननीय राष्ट्रीय आयेाग  ने यह सिद्वान्त प्रतिपादित किया था कि इस प्रकार के तथ्यों को छिपाया जाना रिलाईवल आफ इन्ष्योरेंस पाॅलिसी कान्ट्रेक्ट  के अनुसार बीमा निगम द्वारा क्लेम को खारिज किया जाना उचित है । फलस्वरूप  जिस प्रकार तथ्यों  को छिपाते हुए पाॅलिसी को रिवायवल  कराते समय जो स्थिति सामने आई है, को ध्यान में रखते हुए बीमा निगम द्वारा  अस्वीकार किया गया क्लेम उनकी सेवा मे ंकमी नहीं माना जा सकता । मंच की राय में प्रार्थिया का परिवाद खारिज होने येाग्य है एवं आदेष है  कि 
                            -ःः आदेष:ः-
10.            प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 05.10.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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