KM.KAJAL ETC. filed a consumer case on 05 Sep 2019 against LIC in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/104/2010 and the judgment uploaded on 19 Sep 2019.
1
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 104 सन् 2010
प्रस्तुति दिनांक 09.04.2010
निर्णय दिनांक 05.09.2019
पुत्र स्वo घूरा वर्मा। शिवप्रसाद वर्मा ग्रैंडफादर व
नैचुरल गार्जियन
साकिनान मौजा रौनापार, परगना व तहसील सगड़ी, जनपद- आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि उनकी माता ममता वर्मा ने अपना जीवन बीमा 50,000/- रुपये का भारतीय जीवन बीमा निगम से दिनांक 18.09.2002 को कराया तथा उसी दिन बीमा से सम्बन्धित सारे प्रपत्रों पर हस्ताक्षर बनाकर प्रथम किस्त मुo 1644/- रुपया का विपक्षीगण के एजेन्ट को दे दिया। बाद में उसकी को कम्प्यूटराइज्ड रसीद मिली। परिवादीगण की माता का निधन दिनांक 11.12.2002 को हो गयी। जिसकी सूचना विपक्षीगण को तुरन्त दी गयी। परिवादीगण ने उसके बीमा धनराशि के भुगतान के लिए निवेदन किया, लेकिन विपक्षी संख्या 03 याची संख्या 04 की बातों पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद मजबूर होकर उन्हें दी गयी। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वे याची संख्या 01 ता 03 के पक्ष में मृतक ममता की जीवन बीमा पॉलिसी का भुगतान मुo 50,000/- मय 09% वार्षिक ब्याज की दर करें और मानसिक व शारीरिक क्षति के लिए 25,000/- रुपये तथा खर्चा मुकदमा भी अदा करें।
P.T.O.
2
परिवादीगण ने अपने दावा के समर्थन में कोई भी शपथ पत्र नहीं दिया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 04 भारतीय जीवन बीमा निगम की रसीद, कागज संख्या 5 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 07 नोटिस की छायाप्रति इसके बाद परिवार रजिस्टर की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।
विपक्षीगण की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि ममता वर्मा ने विपक्षी के यहां 1644/- रुपया विपक्षी संख्या 02 के माध्यम से जीवन बीमा प्राप्त करने हेतु जमा किया था, जो कि दिनांक 18.09.2002 को बी.ओ.सी. नं. 8111 द्वारा स्वीकार किया, लेकिन उसके द्वारा प्रपोजल फॉर्म भरकर नहीं दिया गया। जब उसने फॉर्म भरकर नहीं दिया तो 50 रुपये काटकर चेक संख्या 702639 के माध्यम से दिनांक 25.11.2003 को शेष रकम वापस कर दी गयी। दावा समय सीमा से बाधित है। अतः खारिज किया जाए। कागज संख्या 16/1 शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 26ग गाईड लाईन फॉर प्रीजर्वेशन एण्ड डिस्ट्रक्शन ऑफ ओल्ड रिकॉर्ड प्रस्तुत किया गया है। बहस के दौरान परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। अतः विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादीगण ने प्रपोजल फॉर्म का न तो परिवाद पत्र में कोई उल्लेख किया है। विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत न्याय निर्णय “लाइफ इन्श्योरेन्स कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया बनाम राजा वसीरेड्डी कोमल्लवल्ली कम्बा एण्ड अदर्स ए.आई.आर. 1984 सुप्रीम कोर्ट 1014” प्रस्तुत किया है। इस न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि यदि प्रपोजल फॉर्म भरकर नहीं दिया जाता है और उस पर बीमाधारक व बीमा कम्पनी का हस्ताक्षर नहीं होता है तो वह संविदा में परिवर्तित नहीं होगा। विपक्षीगण की ओर से एक अन्य न्याय निर्णय “एल.आई.सी. ऑफ इण्डिया एवं अन्य बनाम श्रीमती के. अरुणा कुमारी” “रिवीजन पिटीशन नं. 533 /1994” निर्णीत दिनांक 09.03.1994 प्रस्तुत किया गया है। जो कि नेशनल कन्ज्यूमर फोरम का आदेश है। इसमें भी वही बात लिखी है। चूंकि परिवादी व बीमा कम्पनी के बीच में कोई संविदा प्रतिपादित नहीं हुई थी और ममता वर्मा द्वारा जमा धनराशि में से 50 रुपये काटकर शेष धनराशि चेक के माध्यम से अदा कर दिया गया, लेकिन तबतक ममता वर्मा की मृत्यु हो चुकी थी और वह पैसा एल.आई.सी. में ही पड़ा हुआ है। जिसे याचीगण प्राप्त कर सकते हैं। उपरोक्त विवेचन से परिवाद खारिज होने योग्य है।
P.T.O.
3
आदेश
परिवाद खारिज किया जाता है और याचीगण को आदेशित किया जाता है कि वह विपक्षीगण के यहाँ जाकर के आवश्यक कार्यवाही पूरा करके ममता वर्मा द्वारा जमा धनराशि प्राप्त करें।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 05.09.2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.