GEETA DEVI filed a consumer case on 26 Jul 2021 against LIC in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/104/2011 and the judgment uploaded on 28 Jul 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 104 सन् 2011
प्रस्तुति दिनांक 06.06.2012
निर्णय दिनांक 26.07.2021
पुत्रीगण स्वo पंचरतन बबलायत नाबालिगान संरक्षिका माता गीता देवी।
साकिनान ग्राम इस्माईलपुर गोरिया, नियर पोखरा पोस्ट बिलरियागंज तहसील- सगड़ी जनपद- आजमगढ़।
....................................................................................परिवादीगण।
बनाम
भारतीय जीवन बीमा निगम जरिए शाखा प्रबन्धक सिविल लाईन नियर आफिसर्स कालोनी, आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि गीता देवी के पति की मृत्यु दिनांक 29.06.2008 को उनके निवास स्थान पर हो गयी। उनके पति ने 2,50,000/- का बीमा पॉलिसी नं. 294168718 प्राप्त था। जिसकी जोखिम तिथि 30.03.2007 थी। प्रीमियम 25,000/- रुपया वार्षिक था जिसे परिवादिनी के पति ने 25,000/- रुपया अगली किस्त मार्च सन् 2008 में जमा कर पॉलिसी को निन्यूवल कराया था। एवं अग्रिम प्रीमियम मार्च 2009 में जमा करना था। उक्त पॉलिसी में नामिनी परिवादिनी नं. 04 कुमारी सलोनी नामित थी। याची नं. 01 के पति द्वारा विपक्षी के बीमा एजेन्ट से 2,50,000/- रुपए का बीमा करवाया था। जिसकी पॉलिसी नं. 294168145 थी जिसमें कुमारी लता नामिनी थी और पॉलिसी नं. 294167924 में 250000/- के बीमा में याची नं. 03 कुमारी सबिता नामिनी थी। याची नं. 01 के पति ने अपने नाम से विपक्षी के उपरोक्त बीमा एजेन्ट द्वारा 1,20,000/- का बीमा, 50,000/- का बीमा एवं 60,000/- का बीमा करवाया था। जिसका पॉलिसी नं. क्रमशः 294168895, 294168128, 294167969 था। जिसमें याची नं. 01 को नामिनी बनाया गया था। उपरोक्त बीमा पॉलिसी का जोखिम डेट 30.03.2007 प्रीमियम क्रमशः 12,000/-, 5,000/- व 6,000/- रुपया वार्षिक था जिसे याची के पति ने मार्च 2008 में जमा किया था एवं अग्रिम प्रीमियम मार्च 2009 में जमा करना था। याची नं. के पति की मृत्यु दिनांक 29.06.2008 को हो गयी। बीमा कम्पनी से याचीगण ने भुगतान करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने भुगतान नहीं किया। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह याचीगण को कुल बीमित धनराशि मुo10,30,000/- रुपया मय ब्याज अदा करे तथा 50,000/- रुपया क्षतिपूर्ति भी अदा करे।
परिवादीगण द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादीगण ने कागज संख्या 6 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7 रसीद रजिस्ट्री की छायाप्रति, कागज संख्या 8 गीती देवी द्वारा प्रस्तुत बीमा का विवरण, कागज संख्या 9/1ता9/13 भिन्न-भिन्न बीमा कराए जाने का प्रलेख प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 13 विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि याचना गलत आधार पर दाखिल की गयी है। परिवादी ने शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम को पक्षकार बतौर विपक्षी बनाया है तथा भारतीय जीवन बीमा निगम को पक्षकार ही नहीं बनाया है। जीवन बीमा निगम अधिनियम 1986 की धारा 3 (2) के अनुसार शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता है। इस प्रकार शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है। इस परिवाद में कुल चार याचीगण हैं जिनका मामला अलग अलग है। अतः उन्हें अलग-अलग याचना प्रस्तुत करनी चाहिए थी। अतः याचना में मिस-ज्वाइन्डर का दोष है। अतः याचना निरस्त की जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
उभय पक्षों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। इस याचना में कुल चार याचीगण हैं और चारों अलग अलग बीमा पॉलिसी में नामिनी थे। अतः पंचरतन के मरने के बाद उन्हें अलग-अलग याचना प्रस्तुत करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने एक ही याचना प्रस्तुत कर दिया है। इस प्रकार इस परिवाद पत्र में मिस-ज्वाइन्डर ऑफ याचीगण का दोष है। यहाँ इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि विपक्षी के कॉलम में बीमा के प्रबन्धक को पक्षकार बनाया गया है। जबकि नियमानुसार उसे पक्षकार नहीं बनाया जा सकता है। याचीगण का यह कर्तव्य था कि वह बीमा कम्पनी को पक्षकार बनाता लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया।
उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 26.07.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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