BASANTI DEVI filed a consumer case on 06 Aug 2021 against LIC in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/89/2016 and the judgment uploaded on 11 Aug 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 89 सन् 2016
प्रस्तुति दिनांक 11.05.2016
निर्णय दिनांक 06.08.2021
1.बसन्ती देबी उम्र तखo 48 साल बेवा श्रीपत यादव
2.जितेन्द्र उम्र तखo 18 साल पुत्र श्रीपत यादव
साकिनान मौजा- देवइत, परगना- बेलादौलताबाद, तहसील- मेंहनगर, जिला- आजमगढ़।
....................................................................................परिवादीगण।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादी नं. 01 के पति स्वo श्रीपत यादव ने विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय से दिनांक 28.03.2003 को 20 साल की अवधि का 5 लाख रुपया का अपने जीवन का बीमा कराया था और बीमा की निर्धारित किश्त मुo 14,535/- रुपया नियमानुसार जमा करते रहे। अन्तिम किश्त दिनांक 04.08.2014 को जमा किया गया था। बीमा पॉलिसी नं. 292333359 थी। दिनांक 06.02.2015 को किसी ने गोली मार कर परिवादिनी के पति की हत्या कर दी गयी। पुलिस मुकामी ने दुश्मनान गांव के कुछ लोगों के प्रभाव में आकर गलत ढंग से परिवादिनी के लड़के महेन्द्र को अभियुक्त बना दिया। बहरहाल परिवादीगण स्वo श्रीपत यादव के जीवन बीमा निगम के इन्श्योरेन्स से सम्बन्धित सभी देय को प्राप्त करने के अधिकारी हैं। परिवादीगण ने श्रीपद यादव के पॉलिसी सं सम्बन्धित दुर्घटना हित लाभ हेतु मूल पॉलिसी के साथ विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया जिस पर विपक्षी संख्या 01 द्वारा अदालत के निर्णय की प्रमाणित प्रति की मांग किया इस प्रकार दुर्घटना हित लाभ देने से इन्कार कर दिया जबकि पॉलिसी होल्डर श्रीपत यादव की मृत्यु होना पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से भली भांति साबित है। बीमा के सम्बन्ध में 7,59,500/- रुपया परिवादीगण को प्राप्त हो चुका है, लेकिन रिस्क कवर का मुo 5,00,000/- रुपया का भुगतान परिवादीगण को नहीं मिला। परिवादीगण ने दिनांक 14.01.2016 को जरिए डॉक रजिस्ट्री विपक्षीगण को नोटिस दिया जवाब में विपक्षी संख्या 01 ने अदालत के निर्णय की प्रमाणित प्रति की अनावश्यक रूप से मांग किया है। जिससे मजबूरन वाद दाखिल किया। अतः विपक्षीगण संख्या 01 व 02 को आदेशित किया जाए कि वह बीमा के सम्बन्ध में दुर्घटना हित लाभ यानी रिस्क कवर मुo 5,00,000/- रुपया अदा करे।
परिवादीगण द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादीगण ने कागज संख्या रसीद रजिस्ट्री की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2 नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 15क विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। विशेष कथन में उसने यह कहा है कि श्रीपत यादव विपक्षी के यहाँ से दिनांक 24.08.2003 को पांच लाख बीमाधन के लिए जीवन आनन्द दुर्घटना हित लाभ सहित तालिका संख्या 149-20 का प्रस्ताव पत्र भरा जिसे विपक्षी ने दिनांक 24.08.2003 को स्वीकार करके पॉलिसी संख्या 292335359 आवंटित किया और अपनी पत्नी श्रीमती बसन्ती यादव को नामिनी बनाया इसके विपरीत परिवाद पत्र में दिया गया पॉलिसी संख्या 292333359 व प्रस्ताव पत्र का दिनांक 28.03.2003 गलत है। बीमाधारक श्रीपत यादव की मृत्यु गोली लगने के कारण दिनांक 06.02.2015 को हुई जिसकी सूचना परिवादिनी ने दिया। परिवादिनी द्वारा मृत्यु की सूचना देने पर विपक्षी द्वारा दावा भुगतान हेतु आवश्यक प्रपत्र भेजे गए कि उक्त प्रपत्र को भरकर शीघ्र भेजे जिससे दावा का भुगतान किया जा सके। परिवादिनी द्वारा कागजात भेजने के पश्चात् विपक्षी ने पॉलिसी संख्या 292335359 पर विचार करके बीमाधन राशि व बोनस रूo 6,14,730/- बसन्ती देवी के यूनियन बैंक के खाते में भेज दिया गया जिसे परिवादिनी द्वारा स्वीकार भी किया गया तथा दुर्घटना हित लाभ के भुगतान के लिए परिवादिनी को पत्र द्वार सूचित किया गया कि हत्या से सम्बन्धित जो पत्रावली न्यायालय में चल रही है उसकी अन्तिम निर्णय कि सत्यापित प्रति उपलब्द कराने पर दुर्घटना हित लाभ पर शाखा द्वारा निर्णय लिया जाएगा। विपक्षी द्वारा सेवा संविदा में कोई कमी नहीं की गयी है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। परिवादिनी द्वारा बीमा के पॉलिसी प्रपत्र प्रस्तुत नहीं की गयी है। जवाबदावा में यह कहा गया है कि परिवाद में पॉलिसी नं. गलत लिखी गयी है, लेकिन केवल इसी आधार पर परिवादिनी का परिवाद निरस्त नहीं किया जा सकता है। विपक्षी ने अपने जवाबदावा में यह स्वीकार किया है कि वह हत्या में निर्णय की प्रति प्राप्त करने के बाद दुर्घटना हित लाभ दिया जाएगा। चूंकि विपक्षी ने यह स्वीकार किया है वह निर्णय के पश्चात् दुर्घटना लाभ का भुगतान करेंगे जो आधारहीन है। चूंकि परिवादी नं. 01 के पति की गोली लगने से मृत्यु हुई। अतः उसका प्रमाण पत्र लेकर बीमा कम्पनी को दुर्घटना हित लाभ देना चाहिए था। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी संख्या 01 से उसके पति के मृत्यु का प्रमाण पत्र लेकर मुo 5,00,000/- रुपए (रु. पांच लाख मात्र) उसे अन्दर 30 दिन में अदा करे क्योंकि विपक्षी द्वारा कथित निर्णय न्यायालय से कब होगा इसका विनिश्चय किया जाना असम्भव है। उक्त धनराशि पर परिवादीगण दावा दाखिल करने की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज पाने के लिए हकदार हैं।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 06.08.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.