जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
बाबूू लाल जाट पुत्र श्री भंवर लाल , जाति- जाट, उम्र-करीब 34 वर्ष, निवासी-ग्राम दिलवाडा, तहसील-नसीराबाद, जिला-अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
1. भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड जरिए ष्षाखा प्रबन्धक, ष्षाखा कार्यालय, पाटनी भवन फ्रामजी चैक, नसीराबाद ।
2. भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड जरिए मण्डल प्रबन्धक, मण्डल कार्यालय, अलवरगेटख्, अजमेर ।
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 143/2011
पुनः दर्ज परिवाद संख्या 343/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री अनिल ऐरन, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री मिलिन्द मांतोडकर, अधिवक्ता, अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 02.06.2016
1. परिवाद संख्या 143/2011 बाबू लाल जाट बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम को मंच द्वारा प्रार्थी का उक्त परिवाद परिसीमा में प्रस्तुत किए जाने के आधार पर खारिज किए जाने के फलस्वरूप माननीय राज्य आयोग में अपील प्रस्तुत होने पर उन्होनें अपने निर्णय दिनांक 28.11.2014 के द्वारा प्रकरण इस आधार पर प्रतिप्रेषित किया है कि जिला मंच देरी को ब्वदकवदम के लिए उचित कारण यदि मंच के समक्ष प्रस्तुत हो तो मंच दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुनिष्चित हो जाने पर प्रकरण गुणावगुण पर निस्तारित करे ।
2. प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर दर्षाया है कि उसकी पत्नी श्रीमति मनफूल जाट ने अप्रार्थी बीमा निगम से एक बीमा पाॅलिसी संख्या 185469908 राषि रू. 30,000/- की दिनंाक 25.1.2007 को प्राप्त की । उसकी पत्नी का दिनांक 8.6.2008 को निधन हो गया । तत्पष्चात् उसने अप्रार्थी बीमा निगम को मृत्यु की सूचना देते हुए समस्त औपचारिकतांए पूर्ण करते हुए बीमा क्लेम पेष किया। किन्तु जब अप्रार्थी बीमा निगम ने बीमा क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया तो उसने दिनांक 3.1.2011 को नोटिस दिया । जिस पर भी कोई कार्यवाही नही ंकी और बीमा क्लेम अदा नहीं किया । प्रार्थी ने अप्रार्थीगण के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बीमा निगम ने जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थी की पत्नी श्रीमति मनफूल जाट द्वारा बीमा पाॅलिसी दिनांक 25.1.2007 को लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए कथन किया है कि बीमाधारक की मृत्यु पाॅलिसी लिए जाने के 1 वर्ष 4 माह 13 दिन बाद दिनांक 8.6.2008 को होने पर क्लेमष्षीघ्र मृत्यु दावा की परिधि में होने पर कराई गई जांच में यह तथ्य सामने आया कि बीमाधारक 5 वर्षो से भ्ज्छ व 3 वर्षो से ब्ट। नामक बीमारियों से पीडित थी। बीमाधारक ने उक्त तथ्यों को बीमा पाॅलिसी प्राप्त करते समय छिपाया था। इसलिए बीमा पाॅलिसी की षर्तांे के अनुसार प्रार्थी का बीमा क्लेम खारिज करते हुए जरिए पत्र दिनांक 8.9.08 के सूचित किया गया ।
अप्रार्थी बीमा निगम का कथन है कि प्रार्थी ने परिवाद 2 वर्ष की समयावधि में प्रस्तुत नहीं किया ह,ै इसलिए परिवाद मियाद बाहर होने से खारिज होने योग्य है। अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. माननीय राज्य आयोग के निर्णय दिनंाक 28.11.2014 की अनुपालना में उभय पक्षकारान को इस मंच के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करने में हुई देरी को ब्वदकवदम किए जाने हेतु कारणों सहित अपना पक्ष प्रस्तुत करने तथा अप्रार्थी बीमा निगम द्वारा क्लेम खारिज किए जाने की सूचना दिनंाक 8.9.2009 के पत्ऱ द्वारा भेजी गई थी अथवा नहीं, के संबंध में सुना गया व इस मंच के आदेष दिनंाक 5.4.2016 द्वारा यह पाया गया कि उपभोक्ता का क्लेम खारिज करने की सूचना बीमा निगम द्वारा उनके रजिस्टर्ड पत्र दिनंाक 25.9.2009 के द्वारा भेजी जाकर सूचित किया गया एवं प्रार्थी द्वारा दिनंाक 4.3.2011 को लगभग 6 माह बाद पेष किए गए परिवाद में देरी को ब्वदकवदम किया गया ।
4. प्रार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि वैध बीमा अवधि के दौरान दिनंाक 8.6.20087 को बीमित की मृत्यु होने के बाद बीमा निगम को सूचना दिए जोन के बाद नियमानुसार क्लेम प्राप्त करने के लिए किए गए आवेदन को अप्रार्थी द्वारा गलत रूप से खारिज किया गया । प्रार्थी वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ।
5. अप्रार्थी बीमा निगम की ओर से सर्वप्रथम तर्क प्रस्तुत किया गया कि मंच द्वारा जब प्रार्थी का क्लेम खारिज(त्मचनकपंजम) ही किया जा चुका है तो इसके बाद अब मंच के समक्ष प्रकरण में तय करने के लिए अन्य कोई बिन्दु नहीं रह गया है । विकल्प में उनकी ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि बीमाधारक द्वारा पाॅलिसी लिए जाने के पूर्व महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया गया व पाॅलिसी के प्रभावषील होने से पूर्व मृतक बीमाधारक भ्ज्छ व ब्ट। बीमारियों से ग्रसित थी । इस आषय की जानकारी उन्हें क्लेम प्राप्त करने के बाद किए गए अनुसन्धान के दौरान प्राप्त हुई । इस संबंध में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय के बैडहेड टिकिट व इलाज की पर्चियां प्रस्तुत की हंै । जिनमें मृतक बीमाधारक को उक्त गम्भीर बीमारियों से ग्रसित होना बतलाया गया है । इन हालात में क्लेम सही खारिज किया गया है ।
6. पक्षकारान ने अपने तर्को के समर्थन में निम्नलिखित विनिष्चय प्रस्तुत किए है:-
प्रार्थी की ओर से प्रस्तुत विनिष्चय:-
1ण् प्प्;2011द्धब्च्श्र 383 च्नदरंइ ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे डवदं व्ीतप - ।दत
2ण् प् ;2011द्ध ब्च्श्र 25 ;छब्द्ध डंीमेी ब्ींदक ळीपलं टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक
अप्रार्थी की ओर से प्रस्तुत विनिष्चय :-
2009 स्ंू ैनपज ;ैब्द्ध1311 ैंजूंदज ज्ञंनत ैंदबीन टे छमू प्दकपे ।ेेनतंदबम ब्व स्जक
7. हमने प्रस्तुत तर्को व विनिष्चियों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
8. अप्रार्थी बीमा निगम की प्रारम्भिक आपत्ति के संदर्भ में इतना ही लिखना पर्याप्त होगा कि माननीय राज्य आयोग के आदेष दिनांक 28.11.2014 के अन्तर्गत इस मंच को यह सुनिष्चत करना था कि क्या बीमा निगम द्वारा प्रार्थी का क्लेम खारिज(त्मचनकपंजम) किए जाने की सूचना 8.9.2008 के पत्र द्वारा भेजी गई थी तथा क्या प्रार्थी द्वारा मंच के समक्ष अपील प्रस्तुत करने में हुई देरी को ब्वदकवदम किए जाने के पर्याप्त कारण रहे है ? मंच ने इसकी पालना में अपने आदेष दिनंाक 5.4.2016 द्वारा प्रार्थी का क्लेम अप्रार्थी बीमा निगम द्वारा खारिज(त्मचनकपंजम) किए जाने के साथ ही तय नहीं कर दिया है अपितु उनके द्वारा क्लेम खारिज(त्मचनकपंजम) किए जाने की सूचना की तिथि व इसके बाद परिवाद प्रस्तुत करने में देरी का बिन्दु तय किया है । हमें हस्तगत प्रकरण में अभी प्रमुख विवाद के इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्या अप्रार्थी बीमा निगम द्वारा प्रार्थी का क्लेम खारिज किया जाना न्यायोचित था ?
9. जो विनिष्चय प्रार्थी की ओर से प्रस्तुत हुए है, उनमें प् ;2011द्ध ब्च्श्र 25 ;छब्द्ध डंीमेी ब्ींदक ळीपलं टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक में माननीय राष्टीªय आयेाग ने यही दिषा निर्देष दिया है कि जहां च्तम. म्गपेजपदह क्पेमंेम के आधार पर क्लेम खारिज(त्मचनकपंजम) किया गया हो वहां पर बीमा पाॅलिसी के नियम व षर्तो का बीमाधारक को सम्यक रूप से(क्नसल ब्वउउनदपबंजमक ) सूचित करना व स्पष्ट (म्गचसंपद ) किया जाना जरूरी है । इसके अभाव में सेवा में कमी साबित( च्तवअम ) नहीं मानी जा सकती । जबकि जो विनिष्चय अप्रार्थी की ओर से प्रस्तुत हुए है , में माननीय उच्चतम न्यायालय ने ’’तात्विक तथ्य ’’ को परिभाषित करते हुए इसे तथ्यों एवं परिस्थितियों के संदर्भ में तय किए जाने पर बल दिया है । हमें इन्हीं दिषा निर्देषों के प्रकाष में विवाद के बिन्दु को तय करना है ।
10. एक ओर जहां अप्रार्थी बीमा निगम ने प्रार्थी के क्लेम को इस आधार पर खारिज किया है कि बीमित द्वारा बीमा प्रस्ताव पत्र को भरते समय महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया गया । जबकि बीमित, बीमा पाॅलिसी लिए जाने के 5 वर्ष पूर्व से भ्ज्छ व 3 वर्षो से ब्ट। बीमारियों से ग्रसित थी । ऐसी गम्भीर बीमारियां होने से पाॅलिसीधारक को प्रस्ताव भरते समय बीमा निगम को जानकारी दिया जाना आवष्यक था, परन्तु पाॅलिसी धारक ने बीमा निगम को धोखा देने की नियत से डपेे ैजंजमउमदज किया है । इसलिए अप्रार्थी बीमा निगम ने दिनंाक 8.9.2008 को क्लेम खारिज कर दिया । वहीं दूसरी ओर प्रार्थी ने इसका खण्डन किया है ।
11. यहां यह उल्लेखनीय है कि बीमाधारक की उपरोक्त बीमारियों के संबंध में हालांकि अप्रार्थी बीमा निगम की ओर से जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, अजमेर की अन्तर्राेगी षय्या टिकिट की प्रतियां प्रस्तुत की गई है । जिनमें उसे भ्ज्छ व ब्ट। बीमारियों से ग्रसित होना बताया गया है । किन्तु क्या ये बीमारियां बीमा पाॅलिसी में दर्षाई गई बीमारियों की परिधि से बाहर थी, ऐसा नही ंतो बीमाधारक को सूचित करते हुए तत्समय इनके संबंध में परिभाषित किया गया और ना ही अप्रार्थी बीमा निगम द्वारा ऐसा सिद्व किया गया है । जहां तक भ्ज्छ का प्रष्न है, यह कोई ऐसी गम्म्भीर बीमारी नहीं कही जा सकती है व ब्ट। जो कि पूर्व में ही लगभग 3 या 5 वर्षो तक बीमाधारक के विद्यमान रही हो, ऐसा भी नहीं माना जा सकता । जैसा कि मेडिकल साईन्स में इस बीमारी की परिभाषा को देखने से प्रकट होता है कि अचानक ग्रसित होने वाली व्याधि कहीं जा सकती है ।
12. कुल मिलाकर सार यही है कि अप्रार्थी बीमा निगम का यह कहना कि बीमधारक च्तम. म्गपेजपदह क्पेमंेम से पीडित थी तथा उसके द्वारा यह तथ्य पाॅलिसी लेते समय छिपाया गया, अप्रार्थी द्वारा सिद्व नहीं किया गया है । परिणामस्वरूप खारिज किया क्लेम अप्रार्थी बीमा निगम की दोषपूर्ण सेवा का परिचायक है । ऐसी स्थिति में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
13 (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा निगम से बीमा पाॅलिसी संख्या 185469908 पेटे बीमा धन राषि रू. 30,000/- समस्त परिणामी परिलाभों सहित मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित क्लेम खारिज किए जाने की दिनांक
8.9.2008 से ताअदायगी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा निगम से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 10,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी निगम प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 02.6.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
क्मपिदपजपवद व िब्मतमइतवअंेबनसंत ंबबपकमदजण् ब्मतमइतवअंेबनसंत ंबबपकमदजरू ज्ीम ेनककमद कमंजी व िेवउम इतंपद बमससे कनम जव संबा व िवगलहमद ूीमद जीम इसववक सिवू जव जीम इतंपद पे पउचंपतमक इल इसवबांहम वत तनचजनतम व िंद ंतजमतल जव जीम इतंपदण् । ब्।ैट पे ंसेव तममिततमक जव ंे ं ेजतवाम